कंप्यूटर सॉफ्टवेयर सामान्य ज्ञान Computer Software GK

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Software GK in Hindi

साफ्टवेयर प्रोग्रामों, नियम व याओं का वह समूह ह जा कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके। इस तरह, या वह निर्देश है जो हार्डवेयर से निर्धारित कार्य कराने के से दिए जाते हैं। साफ्टवेयर हार्डवेयर को यह बताता है कि ग्या करना है, कब करना है और कैसे करना है। साफ्टवेयर कम्प्यूटर का वह भाग है जिसे हम छू नहीं सकते। अगर हार्डवेयर जिन है तो साफ्टवेयर उसका ईंधन। साधारणतः प्रोग्राम (Program), अप्लिकेशन (Application) और साफ्टवेयर (Software) एक ही चीज को इंगित करते हैं। 

प्रोग्राम (Program)  

किसी निश्चित कार्य को पूरा करने के लिए तैयार किया गया अनुदेशों का समूह प्रोग्राम कहलाता है। 

प्रोग्रामर (Programmer

यह कम्प्यूटर साफ्टवेयर का विशेषज्ञ होता है जो किसी निर्धारित कार्य को पूरा करने के लिए साफ्टवेयर कोड या प्रोग्राम तैयार करता है, उसकी जांच (Testing) करता है तथा उसकी खामियों (Bugs) की पहचान कर उसमें सुधार (Debugging) करता है। कम्प्यूटर प्रोग्रामर प्रोग्राम के क्रियान्वयन के दौरान आने वाली सभी संभावनाओं पर विचार करता है। 

एक्जीक्यूटेबल प्रोग्राम (Executable Program)  

वह साफ्टवेयर प्रोग्राम जिसे कम्प्यूटर प्रोसेसर क्रियान्वित कर सकता है, तथा वांछित परिणाम देता है, Executable Program कहलाता है। इस प्रोग्राम फाइल का एक्सटेंशन नेम .exe होता है। जब हार्डवेयर किसी कार्य को पूरा करने के लिए साफ्टवेयर प्रोग्राम के निर्देशों का अनुपालन करता है तो इसे प्रोग्राम run या execute करना कहा जाता है। 

साफ्टवेयर के प्रकार (Types of Software)

साफ्टवेयर को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है- 

1. सिस्टम साफ्टवेयर (System Software) 

2. एप्लिकेशन साफ्टवेयर (Application Software) 

3. यूटीलिटी साफ्टवेयर (Utility Software) 

सिस्टम साफ्टवेयर (System Software) प्रोग्रामों का समूह जो कम्प्यूटर सिस्टम के मूलभूत कार्यों को संपन्न करने तथा उन्हें कार्य के लायक बनाए रखने के लिए तैयार किए जाते हैं, सिस्टम साफ्टवेयर कहलाते हैं। यह कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। सिस्टम साफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर एक बेजान मशीन भर ही रह जाता है। सिस्टम साफ्टवेयर एक तरफ तो कम्प्यूटर हार्डवेयर से जुड़ा होता है तो दूसरी तरफ अप्लिकेशन साफ्टवेयरसे। सिस्टम साफ्टवेयर अप्लिकेशन साफ्टवेयर के लिए पृष्ठभूमि तैयार करता है। कोई भी अप्लिकेशन साफ्टवेयर सिस्टम साफ्टवेयर को ध्यान में रखकर ही तैयार किया जाता है। सिस्टम साफ्टवेयर के उदाहरण हैं- डॉस (DOS), विन्डोज (Windows), युनिक्स (Unix), मैसिन्टास (Macintosh) आदि।

सिस्टम साफ्टवेयर को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है- 

1. आपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर (Operating System Software) 

2. लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर (Language Translator Software) 

1.ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का वह समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम तथा उसके विभिन्न संसाधनों के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा हार्डवेयर, अप्लिकेशन साफ्टवेयर तथा उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करता है। यह विभिन्न अप्लिकेशन प्रोग्राम के बीच समन्वय भी स्थापित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना हार्डवेयर किसी अप्लिकेशन प्रोग्राम को क्रियान्वित नहीं कर सकता। अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ कछ अप्लिकेशन साफ्टवेयर जैसे-Video Player, Web Browser, Calculator आदि पहले से ही बने होते हैं।

आपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य हैं- 

(a) कम्प्यूटर चाल किये जाने पर साफ्टवेयर को द्वितीयक मेमोरी से लेकर प्राथमिक मेमोरी में डालना तथा कुछ मूलभूत क्रियाएं स्वतः प्रारंभ करना। 

(b) हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करना। 

(c) हार्डवेयर संसाधनों का नियंत्रण तथा बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना। 

(d) अप्लिकेशन साफ्टवेयर के क्रियान्वयन के लिए पृष्ठभूमि तैयार करना। 

(e) मेमोरी और फाइल प्रबंधन करना तथा मेमोरी और स्टोरेज डिस्क के बीच डाटा का आदान-प्रदान करना। 

(f) हार्डवेयर व साफ्टवेयर से संबंधित कम्प्यूटर के विभिन्न दोषों (errors) को इंगित करना। 

(g) कम्प्यूटर साफ्टवेयर तथा डाटा को अवैध प्रयोग से सुरक्षित रखना तथा इसकी चेतावनी (Warning) देना . आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating System) 

(i) बैच प्रोसेसिंग आपरेटिंग सिस्टम (Batch Processing Operating System) 

: इसमें एक ही प्रकृति के कार्यों को एक बैच के रूप में संगठित कर समूह में क्रियान्वित किया जाता है। इसके लिए बैच मॉनीटर साफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है।। इस सिस्टम का लाभ यह है कि प्रोग्राम के क्रियान्वयन के लिए कम्प्यटर के सभी संसाधन उपलब्ध रहत है, अतः समय प्रबंधन की आवश्यकता नहीं पड़ती। परंत इसमें उपयोगकर्ता तथा प्राग्राम के बीच क्रियान्वयन के दौरान कोई अंतर्संबंध नहीं रहता तथा परिणाम प्राप्त करने में समय अधिक लगता है। मध्यवर्ती परिणामों पर उपयोगकर्ता का कोई नियंत्रण नहीं रहता। उपयोगः इस सिस्टम का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिए कि जाता है जिसमें मानवीय हस्तक्षेप का आवश्यकता नहीं होती। सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis), बिलप्रिंट कर पेरोल (Payroll) बनाना 

(ii) मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम (Multi programming Operating System): 

इस प्रकार के आपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई कार्यो को सम्पादित किया जाम उदाहरण के लिए, किसी एक प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद जब उसका प्रिंट लिया जा रहा होता है तो प्रोसेसर खाली बैठने के स्थान पर दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन आरंभ कर देता है जिसमें प्रिंटर की आवश्यकता नहीं होती। इससे क्रियान्वयन में लगने वाला कुल समय कम हो जाता है तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग भी संभव हो पाता है। मल्टीप्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम में प्रोसेसर कई प्रोग्रामों को एक साथ क्रियान्वित नहीं करता, बल्कि एक समय में एक ही निर्देश को संपादित करता है। एक निर्देश संपादित होने के बाद ही मेन मेमोरी में स्थित दूसरे कार्य के निर्देश को संपादित किया जाता है। इसके लिए विशेष हार्डवेयर व साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। इसमें कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि मुख्य मेमोरी का कुछ हिस्सा प्रत्येक प्रोग्राम के लिए आवंटित किया जा सके। इसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन को क्रम तथा वरीयता निर्धारित करने की व्यवस्था भी होनी चाहिए। 

(iii) टाइम शेयरिंग आपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System) :

 इस आपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई उपयोगकर्ता जिन्हें टर्मिनल (Terminal) भी कहते हैं; इंटरएक्टिव मोड में कार्य करते हैं जिसमें प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद प्राप्त परिणाम को तुरंत दर्शाया जाता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता को संसाधनों के साझा उपयोग के लिए कुछ समय दिया जाता है जिसे टाइम स्लाइस (Time Slice) या क्वांटम कहते हैं। इनपुट देने और आउटपुट प्राप्त करने के बीच के समय को टर्न अरांउड समय (Tum Around Time) कहा जाता है। इस समय का उपयोग कम्प्यूटर द्वारा अन्य उपयोगकर्ता के प्रोग्रामों के क्रियान्वयन में किया जाता है। इस आपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है क्योंकि कई प्रोग्राम एक साथ मुख्य मेमोरी में उपस्थित होते है। इस व्यवस्था में परे प्रोग्रामों को मख्य मेमोरी में न रखकर प्रोग्राम क्रियान्वयन के लिए आवश्यक हिस्सा ही मख्य मेमोरी में लाया जाता है। इस प्रक्रिया को स्वैपिंग (Swapping) कहते हैं।। 

(iv) रीयल टाइम सिस्टम (Real Time System)

इस आपटिंग सिस्टम में निर्धारित समय सीमा में परिणाम देने का महत्व दिया जाता है। हम आपरेटिंग सिस्टम का उपयोग उपग्रहों के संचालन, हवाई के नियंत्रण, परमाणु भट्टियों, वैज्ञानिक अनुसंधान, रक्षा, रेलवे आरक्षण आदि में किया जाता है। लिनक्स (Linux) आपरेटिंग सिस्टम रीयल टाइम आपरेटिंग सिस्टम का उदाहरण है। 

(v) एकल आपरेटिंग सिस्टम (Single Operating System): 

पर्सनल कम्प्यूटर के विकास के साथ एकल आपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता महसूस की गई जिसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन की समय सीमा या संसाधनों के बेहतर उपयोग को वरीयता न देकर प्रोग्राम की सरलता तथा उपयोगकर्ता को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करने पर जोर दिया गया। एमएस डास (MS DOS-Microsoft Disk Operating System) एकल आपरेटिंग सिस्टम का उदाहरण है। 

(vi)एकल मल्टी टास्किंग आपरेटिंग सिस्टम (Single User Multi Tasking Operating System) : 

इस प्रकार के सिस्टम में प्रोसेसर द्वारा एक साथ कई कार्य संपादित किए जाते हैं। इसमें प्रोसेसर अपना कुछ समय सभी चालू प्रोग्राम को देता है तथा सभी प्रोग्राम साथ-साथ संपादित होते हैं। इसमें अलग-अलग कार्यों की प्रगति का विवरण भी स्क्रीन पर देखा जा सकता है। यह टाइम शेयरिंग साफ्टवेयर का ही एक प्रकार है। माइक्रोसाफ्ट विंडोज (Microsoft Windows) सिंगल यूजर मल्टी टास्किंग साफ्टवेयर का उदाहरण है। 

(vii)मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम (Multi Processing System): 

इसमें एक साथ दो या अधिक प्रोसेसर को आपस में जोड़कर उनका उपयोग किया जाता है। इससे कार्य संपादित

संपादित करने की गति में वृद्धि होती है। इसमें एक साथ दो अलग-अलग प्रोग्राम या एक ही प्रोग्राम के भाग क्रियान्वित किया जा सकता है। इसे पैरालेल प्रोसेसिंग (Parallel Processing) भी कहा जाता है। 

(viii) मल्टी यूजर आपरेटिंग सिस्टम (Multi User Operating System) : 

इस आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग नेटवर्क से जुड़े कम्प्यूटर सिस्टम में किया जाता है। इसमें कई उपयोगकर्ता एक ही समय में कम्प्यूटर पर स्थित एक ही डाटा का उपयोग तथा उसका प्रसिस कर सकते हैं। Unix. Linux, Window आदि मल्टी यूजर आपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण हैं। 

(ix) इम्बेडेड आपरेटिंग सिस्टम (Embedded Operating System) : 

किसी उपकरण के भीतर स्थित प्रोसेसर के प्रयोग के लिए बना आपरेटिंग साफ्टवेयर इम्बेडेड आपरेटिंग सिस्टम कहलाता है। यह साफ्टवेयर प्रोसेसर के भीतर ही रॉम (ROM) में स्टोर किया जाता है। माइक्रोवेव, वाशिंग मशीन, डीवीडी प्लेयर, इलेक्ट्रानिक घड़ी आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। 

(x) ओपन/क्लोज्ड सोर्स आपरेटिंग सिस्टम (Open/Closed Source Operating System) : 

ओपेन सोर्स आपरेटिंग सिस्टम में साफ्टवेयर का केरनेल (Kernel) या सोर्स कोड (Source Code) सबके लिए उपलब्ध होता है और कोई भी अपनी आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन कर उसका उपयोग कर सकता है। इस आपरेटिंग सिस्टम पर किसी का अधिकार नहीं होता और न ही उपयोगकर्ता द्वारा कोई शुल्क चुकाना पड़ता है। क्लोज्ड सोर्स आपरेटिंग सिस्टम में उसका सोर्स कोड गप्त रखा जाता है तथा उपयोगकर्ता निर्धारित शुल्क चुकाकर ही इस साफ्टवेयर का उपयोग कर सकता है। Linux एक ओपेन सोर्स आपरेटिंग सिस्टम है जबकि Windows माइक्रोसाफ्ट कम्पनी का क्लोज्ड सोर्स आपरेटिंग सिस्टम है। मोबाइल टेलीफोन में प्रयुक्त Google का Android OS ओपन सोर्स साफ्टवेयर है जबकि Apple का iPhone OS एक क्लोज्ड सोर्स आपरेटिंग सिस्टम है। 

लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर (Language Translator Software): 

कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रानिक मशीन है जो केवल बाइनरी अंकों (0 तथा 1 या ऑफ तथा ऑन) को समझ सकता है। बाइनरी अंकों में लिखे निर्देश या साफ्टवेयर प्रोग्राम को मशीन भाषा (Machine Language) कहा जाता है। कम्प्यूटर मशीन भाषा में लिखे प्रोग्राम को समझ कर क्रियान्वित (run) कर सकता है। परंतु मशीन भाषा में प्रोग्राम या साफ्टवेयर तैयार करना कठिन काम होता है। साथ ही, प्रत्येक कम्प्यूटर प्रोसेसर की अपनी एक अलग मशीन भाषा होती है जो प्रोसेसर बनाने वाली कम्पनी पर निर्भर करती है। इससे बचने के लिए साफ्टवेयर प्रोग्राम को उच्च स्तरीय भाषा में तैयार किया जाता है तथा इसे लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर द्वारा मशीन भाषा में बदला जाता है। लैंग्वेज टांसलेटर साफ्टवेयर को लैंग्वेज प्रोसेसर (Language Processor) भी कहते हैं। उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) आम बोलचाल की भाषा के करीब होती है। अतः इस भाषा में प्रोग्राम तैयार करना अपेक्षाकृत आसान होता है। साथ ही उच्च स्तरीय भाषा प्रोसेसर की कम्पनी तथा उसके मॉडल पर निर्भर नहीं करती। उच्च स्तरीय भाषा में तैयार प्रोग्राम को लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर द्वारा मशीन भाषा में परिवर्तित कर किसी भी कम्प्यूटर पर चलाया जा सकता है। उच्च स्तरीय भाषा में तैयार किया गया प्रोग्राम सोर्स प्रोग्राम (Source Program) या सोर्स कोड कहलाता है। जबकि ट्रांसलेटर साफ्टवेयर द्वारा मशीन भाषा में परिवर्तित प्रोग्राम आब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) या मशीन कोड कहलाता है। सामान्यतः आपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर निम्न स्तरीय भाषा (LLL-Low Level Language) में लिखा जाता है जबकि अप्लिकेशन या यूटिलिटी साफ्टवेयर उच्च स्तरीय भाषा (HLL) में तैयार किया जाता है। लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं- 

(i) असेम्बलर (Assembler) 

(i) कम्पाइलर (Compiler) 

(ii) इंटरप्रेटर (Interpreter) 

1. असेम्बलर (Assembler): यह एक साफ्टवेयर प्रोग्राम है जो असेम्बली या निम्न स्तरीय भाषा में प्रोग्राम को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है। असम्बलर कम्प्यूटर निर्माता कम्पनियों द्वारा उपलब्ध करता है।हार्डवेयर या प्रोसेसर के प्रकार पर निर्भर करता है। प्रोसेसर का असेम्बलर प्रोग्राम अलग-अलग हो सकता है असेम्बलर साफ्टवेयर असेम्बली भाषा में लिखे प्रोग्राम के सास कोड को मशीन या ऑब्जेक्ट कोड में बदलता है। यह कोड एक स्थान पर इकट्ठा (Assemble) मेमोरी में स्थापित कर क्रियान्वयन (run) के स्थापित कर क्रियान्वयन (run) के लिए तैयार करता है। 

2. कम्पाइलर (Compiler) : यह एक लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर है जो उच्च स्तरीय भाषा (HLL) में तैयार किए गये प्रोग्राम को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है। कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम का एक ही बार में अनुवादित करता है तथा प्रोग्राम के सिंटेक्स (Syntex) सभा गलतियों को उनके लाइन क्रम में एक साथ सूचित करता है। जब सभी गलतियां दूर हो जाती हैं तो प्रोग्राम संपादित हो जाता है तथा मेमोरी में सोर्स प्रोग्राम (Source Program) की कोई आवश्यकता नहीं होती। प्रत्येक उच्च स्तरीय भाषा के लिए अलग कम्पाइलर साफ्टवेयर होता है। कम्पाइलर उच्च स्तरीय भाषा के प्रत्येक निर्देश को मशीन भाषा निर्देश में संकलित (Compile) करता है। कम्पाइलर पूरे सोर्स प्रोग्राम या सोर्स कोड को ऑब्जेक्ट प्रोग्राम/कोड में बदलकर उसे मेमोरी में स्टोर करता है, परंतु उसे क्रियान्वित (run) नहीं करता। इसके पश्चात, प्रोग्राम को ऑब्जेक्ट कोड द्वारा क्रियान्वित किया जाता है। इस तरह, कम्पाइलर Executable Program तैयार करता है। एक बार कम्पाइल हो जाने के बाद प्रोग्राम को क्रियान्वित करने के लिए कम्पाइलर साफ्टवेयर की जरूरत नहीं होती। 

3. इंटरप्रेटर (Interpreter) : कम्पाइलर की तरह इंटरप्रेटर भी एक लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर है। इंटरप्रेटर साफ्टवेयर उच्च स्तरीय भाषा में तैयार किए गए प्रोग्राम को मशीनी भाषा में परिवर्तित कर उसे क्रियान्वित करता है। इंटरप्रेटर उच्च स्तरीय भाषा में तैयार किए गए प्रोग्राम के प्रत्येक लाइन को एक-एक कर (Line by line) मशीन भाषा में परिवर्तित करता है। यह प्रोग्राम के एक लाइन का मशीनी भाषा में अनुवाद कर लेने के पश्चात उसे क्रियान्वित (run या execute) भी करता है। यदि इस लाइन के क्रियान्वयन में कोई गलती हो तो उसे उसी समय इंगित करता है तथा संशोधन के बाद ही अगली लाइन को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है। स्पष्टतः, इंटरप्रेटर का आउटपुट ऑब्जेक्ट प्रोग्राम न होकर साफ्टवेयर क्रियान्वयन का परिणाम होता है। अतः प्रत्येक बार साफ्टवेयर को क्रियान्वयन के दौरान इंटरप्रेटर से होकर गुजरना पड़ता है। इस कारण, इंटरप्रेटर साफ्टवेयर का मेमोरी में बना रहना आवश्यक होता है। कम्पाइलर की अपेक्षा इंटरप्रेटर साफ्टवयर तैयार करना आसान होता है। चूंकि इंटरप्रेटर एक-एक लाइन कर प्रोग्राम की गलतियों को इंगित करता है. अतः इंटरप्रेटर द्वारा प्रोग्राम में सुधार करना आसान होता है। 

कुछ लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम (Some Popular Operating System) 

(a) एमएसडॉस (MS-DOS-Microsoft Disk Operating System) : यह 1981 में माइक्रोसाफ्ट व आईबीएम द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया एकल आपरेटिंग सिस्टम (Singer User Operating System) हा यह कमाण्ड प्राम्प्ट पर आधारित रेटिंग सिस्टम है। चूकि इसम कमाड को कम्प्यटर पर टाइप बना है. अतः उपयोगकर्ता को कमांड तथा उसका सिंटेक्स ( याद रखना पड़ता है। इसके प्राम्प्ट में चालू डिस्क का स्लैश (Slash) तथा खुले हुए डायरेक्टरी का नाम रहता है। एस डास एक 16 बिट आपरेटिंग सिस्टम है। वर्तमान में इस आपरेटिंग सिस्टम का प्रचलन कम हो गया है इसके कमाण्ड को याद रखना पड़ता है तथा इसमें चित्र और ग्राफ नहीं बनाये जा सकते। 

(b)माइक्रोसाफ्ट विण्डोज (Microsoft Windows):  माइक्रोसाफ्ट कम्पनी ने एमएस-डॉस की कमियों को दूर करने के लिए 1990 में विण्डोज 3.0 जारी किया। बाद में इसके कछ संशोधित संस्करण समय-समय पर जारी किए गए। जैसे- Windows-95,Windows-98,Windows ME (Millennium),Windows-XP, Windows-Vista, Windows-7, Windows-10 आदि। विण्डोज आपरेटिंग सिस्टम की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं- 

(i) यह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) पर आधारित है, अतः इसे सीखना और इस पर कार्य करना आसान है। 

(ii) इसमें चित्र, ग्राफ तथा अक्षर के कार्य किये जा सकते हैं। 

(iii) विण्डोज पर आधारित सभी प्रोग्राम की कार्य पद्धति लगभग समान होती है। इससे एक प्रोग्राम का ज्ञान दूसरे प्रोग्राम में भी उपयोगी होता है। 

(iv) यह मल्टी टास्किंग एकल (Multi Tasking Single User) आपरेटिंग सिस्टम है। इसमें एक साथ कई कार्यक्रमों को चलाया और उस पर कार्य किया जा सकता है। (v) यह एक Object Oriented साफ्टवेयर है। 

(c) माइक्रोसाफ्ट विण्डोज एनटी (Microsoft Windows NT) : यह कम्प्यूटर नेटवर्क में प्रयोग के लिए बनाया गया बहुउपयोगकर्ता (Multiuser) मल्टी प्रोसेसिंग तथा टाइम शेयरिंग आपरेटिंग सिस्टम है। इस तरह के आपरेटिंग सिस्टम को नेटवर्क आपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। यह विण्डोज की तरह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का प्रयोग करता है, पर इसमें नेटवर्क, संचार तथा डाटा सुरक्षा की अनेक विशेषताएं पायी जाती हैं। (d) यूनिक्स (UNIX) : यह एक मल्टीयूजर टाइम शेयरिंग आपरेटिंग साफ्टवेयर है। इसका विकास 1970 में बेल लैबोरेटरीज (Bell Laboratories) के केन थाम्पसन तथा डेनिस रीची (Ken Thompson and Dennis Ritchie) द्वारा किया गया। यह नेटवर्क तथा संचार के लिए बनाया गया पहला साफ्टवेयर था। नेटवर्क तथा डाटा की सुरक्षा इसकी विशेषता रही है। यनिक्स हाई लेवल लैंग्वेज (C भाषा) में लिखा गया पहला आपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर है। इसका प्रयोग मुख्यतः वेब सर्वर के लिए किया जाता है। 

(e) लिनक्स (LINUX) : लिनक्स आपरेटिंग सिस्टम पर्सनल कम्प्यूटर के लिए बनाया गया मल्टीयूजर (Multi user) मल्टीटास्किंग (Multi Tasking) तथा मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) साफ्टवेयर है। यह मुफ्त में उपलब्ध ओपेन सोर्स (Open Source) आपरेटिंग सिस्टम है जिसका विकास नेटवर्क के प्रयोग के लिए किया गया है। लिनक्स (Linux) आपरेटिंग सिस्टम का विकास लिनस टोरवाल्ड्स (Linus Torvalds) द्वारा 1992 में किया गया। लिनक्स (Linux) आपरेटिंग साफ्टवेयर का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा। यह मुफ्त में उपलब्ध एक ओपेन सोर्स साफ्टवेयर है, हालांकि इसका ट्रेडमार्क अभी भी इसके विकासकर्ता लिनस टोरवाल्ड्स के पास है। लिनक्स का सोर्स कोड सबके लिए खुला है जिसमें किसी भी प्रोग्रामर द्वारा सुधार किया जा सकता है। लिनक्स एक 32 बिट आपरेटिंग सिस्टम है। लिनक्स का पहचान चिह्न (Mascot) टक्स नामक पेंगुइन (Tux-the penguin) है। 

(f) एंड्रायड आपरेटिंग सिस्टम (Android Operating System) : एंड्रायड (Android) टच स्क्रीन मोबाइल फोन जैसे- स्मार्टफोन, टैबलेट आदि के लिए Google कम्पनी द्वारा विकसित आपरेटिंग सिस्टम है। इसमें Graphical User Interface का उपयोग किया गया है। इसका सोर्स कोड Linux तथा अन्य ओपन सोर्स साफ्टवेयर पर आधारित है। WhatsApp Messenger, Google play, Google Search तथा Gmail आदि एंड्रायड आपरेटिंग सिस्टम के भाग हैं। Google कम्पनी ने कछ अन्य कम्पनियों के साथ मिलकर Open Handset Alliance बनाया जो एंड्रायड साफ्ट Alliance बनाया जो एंड्रायड साफ्टवेयर के विकास में भूमिका निभाता है। अप्लिकेशन साफ्टवेयर

(Application Software) यह प्रोग्रामों का समह है जो किसी विशिष्ट कार्य के लिए तैयार किये जाते हैं। संस्थान, व्यक्ति या कार्य को देखकर आवश्यकतानुसार इस साफ्टवेयर का विकास किया जाता है। यह सिस्टम साफ्टवेयर तथा उपयोगकर्ता के बीच समन्वय स्थापित करता है। अप्लिकेशन साफ्टवेयर का विकास किसी विशेष आपरेटिंग सिस्टम को ध्यान में रखकर किया जाता है। अप्लिकेशन साफ्टवेयर आपरेटिंग सिस्टम द्वारा तैयार किए गए पृष्ठभूमि पर ही कार्य कर सकता है। उपयोगिता के आधार पर अप्लिकेशन साफ्टवेयर को दो भागों में बांटा जाता है- 

(a) विशेषीकृत अप्लिकेशन साफ्टवेयर (Customized Application Software) : यह उपयोगकर्ता की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। किसी और के लिए इसकी उपयोगिता नहीं होती है। उदाहरण- रेलवे आरक्षण के लिए तैयार साफ्टवेयर, वायुयान नियंत्रण के लिए तैयार साफ्टवेयर, मौसम विश्लेषण के लिए तैयार साफ्टवेयर आदि। 

(b) सामान्य अप्लिकेशन साफ्टवेयर (General Application Software): हालांकि इसे विशेष आवश्यकताओं के लिए बनाया जाता है, पर अनेक उपयोगकर्ता इससे लाभ उठा सकते हैं। माइक्रोसाफ्ट ऑफिस (MS Office), वेब ब्राउसर, मीडिया प्लेयर, CAD/CAM आदि सामान्य अप्लिकेशन साफ्टवेयर के उदाहरण हैं। 

सामान्य अप्लिकेशन साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं- 

(i) वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर (Word Processing Software): यह साफ्टवेयर कम्प्यूटर द्वारा टेक्स्ट दस्तावेज (पत्र. रिपोर्ट पुस्तकें आदि) तैयार करने (Create), उनमें संशोधन करने (edit), उसके रूप और आकार में परिवर्तन करन (Format), व्याकरण या स्पेलिंग चेक करने, प्रिंट करने आदि के लिए प्रयाग होता है। यह साफ्टवेयर कम्प्यूटर को टाइपराइटर के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने के अलावा कुछ अन्य सुविधाए भा प्रदान करता है। वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर में गलतियो म सुधार करना आसान होता है। साथ ही, टेक्स्ट को डिजिटल रूप में स्टार किया जाता है तथा इसी रूप में नेटवर्क पर स्थानान्तरित भी किया जा सकता है। 

(ii) स्प्रेड शीट साफ्टवेयर (Spreadsheet Software): यह मुख्यतः गणितीय (Numerical) तथा सांख्यिकीय (Statistical) डाटा को टेबल अर्थात रो और कालम (Rows and Columns) के रूप में वर्गीकृत और विश्लेषित करता है। इसमें ग्राफ और चार्ट बनाने की सुविधा भी रहती है। इसका प्रयोग मुख्यतः बैंकों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लेजर (Ledger) बनाने में किया जाता है। 

(iii) डाटा बेस साफ्टवेयर (Data Base Software) : इसका प्रयोग डाटा को स्टोर करने, उसमें संशोधन तथा उसका वर्गीकरण करने के लिए किया जाता ह। 

(iv) प्रेजेंटेशन साफ्टवेयर (Presentation Software) : इस साफ्टवेयर द्वारा सम्मेलन, बैठक, गोष्ठी आदि में सूचनाओं का प्रस्तुतिकरण किया जाता है। (v) एकाउंटिंग पैकेज (Accounting Package) : इसके द्वारा विभिन्न वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting), व्यापारिक लन-दन तथा सामान प्रबंधन को सरल बनाया जाता है। टेली (Tally) भारत में बना एक लोकप्रिय एकाउंटिंग साफ्टवेयर है। 

(vi)डेस्कटॉप पब्लिशिंग (DTP-Desk Top Publish):-इसमें कम्प्यूटर और उसके सहयोगी उपकरणों का पक में व्यवहार किया जाता हा डस्कटाप पब्लिशिंग (DTP) के द्वारा टेक्स्ट (Text) डाटा को कम्प्यूटर में सुगमतापूर्वक इंटर किया जा सकता है। कुछ लोकप्रिय डीटीपी साफ्टवेयर इक्रोसाफ्ट पब्लिशर (MS Publisher), पेजमेकर (Page कोरल ड्रा (CorelDraw), वनचूरा (Ventura) आदि। 

(vii) ग्राफिक्स साफ्टवेयर (Graphics Software) : टर द्वारा ग्राफ, चित्र और रेखाचित्र आदि का निर्माण, तथा प्रिंट किया जा सकता है। Adobe Photoshop एक लोकप्रिय ग्राफिक्स साफ्टवेयर है। 

(viii) कैड साफ्टवेयर (CAD-Computer Aided Design Software): इसमें कम्प्यूटर द्वारा इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक डिजाइन तैयार करने, नक्शों के त्रि-विमीय (3 Dimentional) डिजाइन तैयार करने, उसमें संशोधन करने तथा निर्माण की प्रक्रिया को समझने का कार्य किया जाता है। Auto CAD तथा Auto desk कैड साफ्टवेयर के उदाहरण हैं। 

युटिलिटी साफ्टवेयर (Utility Software):

यह कम्प्यूटर के कार्य को सरल बनाने, उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाया गया साफ्टवेयर है। इसका उपयोग कई अप्लिकेशन साफ्टवेयर में किया जा सकता है। यूटिलिटी साफ्टवेयर कम्प्यूटर की कार्यक्षमता में वृद्धि करता है। यूटिलिटी साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं- 

(i) डिस्क फॉरमैटिंग (Disk Formatting) : इसके द्वारा नये मेमोरी डिस्क (फ्लापी, हार्ड डिस्क या ऑप्टिकल डिस्क) को प्रयोग से पहले आपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल बनाया जाता है। इसमें स्टोरेज डिवाइस के सभी सेक्टर की जांच की जाती है, खराब सेक्टर की पहचान की जाती हैं तथा डिस्क का address table तैयार किया जाता है। फॉरमेटिंग द्वारा डिस्क को दो या अधिक भागों में बांटा जा सकता है जिसे Disk Partition कहा जाता है। फारमैटिंग के दौरान डिस्क पर पहले से मौजूद डाटा को मिटाया नहीं जाता। 

(ii) डिस्क क्लीन अप (Disk Clean Up) : इसके द्वारा ममोरी डिस्क की अशुद्धियाँ तथा अनावश्यक प्रोग्राम व डाटा हटाकर उसकी क्षमता में वृद्धि की जाती है। 

(iii) बैकअप प्रोग्राम (Backup Program) : कम्प्यूटर में डिस्क (Online memory disk) के क्षतिग्रस्त हो जाने पर डाटा नष्ट होने का डर बना रहता है। इससे बचने के लिए डाटा का कम्प्यूटर से अलग किसी मेमोरी डिस्क (Offline Memory SN पर भी संग्रहित रखा जाता है। इसे बैकअप यूटीलिटी प्रोग्राम कहते हैं। 

(iv) एंटीवायरस युटिलिटी (Antivirus Utility): सही प्रोग्राम के साथ लगा हआ छोटा प्रोग्राम या अनुदेश जो चलाये जान प्यूटर सिस्टम में कुछ खराबी उत्पन्न करता है, वायरस कहलाता सवायरस को निष्क्रिय करने के लिए तैयार किये गये साफ्टवेयर भाग्राम को एंटीवायरस यटीलिटी प्रोग्राम कहा जाता है। 

(v) डिस्क फ्रैगमेंटेशन (Disk Fragmentation) : यह एक युटीलिटी साफ्टवेयर है। जब किसी फाइल को डिस्क पर स्टोर किया जाता है तो कम्प्यूटर सबसे पहले प्राप्त होने वाली खाली जगह पर उसे स्टोर कर देता है। इस प्रकार, बार-बार उपयोग से डिस्क विभिन्न टुकड़ों में बंट जाता है और इसे पढ़ने की गति धीमी हो जाती है। इसे ठीक करने के लिए डिस्क डी-फ्रैगमेंटेशन (Disk Defragmentation) प्रोग्राम चलाया जाता है जो सभी फाइलों को पुनः व्यवस्थित करता है। इससे डिस्क की गति तीव्र होती है। यह स्टोर किए गए विभिन्न फाइलों के बीच स्थित खाली स्थान को व्यवस्थित कर मेमोरी प्रबंधन को बेहतर बनाता है। 

(vi) फाइल मैनेजर (File Manager) : एक स्थान पर रखे गए सूचनाओं तथा डाटा का संग्रह कम्प्यूटर सिस्टम में फाइल कहलाता है। कम्प्यूटर मेमोरी में किसी भी सूचना को फाइल में ही स्टोर किया जा सकता है। एक या अधिक फाइलों को एक स्थान पर एक Folder में स्टोर किया जा सकता है। 

फाइल तथा फोल्डर के प्रबंधन के लिए निर्मित साफ्टवेयर File Manager कहलाता है।। कम्प्यूटर में प्रत्येक फाइल का एक विशेष नाम, आकार (Size), प्रकार (Type) तथा मेमोरी में स्थिति (Location) होता है। प्रत्येक फाइल के साथ उसकी Properties दर्शायी जाती है जिसमें फाइल के निर्माण की तिथि तथा समय (Date and Time), अंतिम बार देखने (access) या अद्यतन बनाने (update) की तिथि तथा समय आदि भी दर्शाया जाता है। फाइल मैनेजर फाइल तथा फोल्डर को view, edit, print, move, copy, delete तथा modify करने की सुविधा प्रदान करता है। आपरेटिंग सिस्टम कोई भी फाइल बनाने से पहले उसे एक विशेष नाम दिए जाने का अनुरोध करता है जिसे File naming कहते हैं। फाइल को मेमोरी में Save किए जाने पर फाइल मैनेजर फाइल के नाम के साथ File Extension स्वतः जोड़ देता है जो फाइल के प्रकार पर निर्भर करता है। सामान्यतः, File extension तीन कैरेक्टर का होता है जिसे फाइल के नाम के बाद dot (.) लगाकर लिखा जाता है। फाइल मैनेजर फाइल तथा फोल्डर को ट्री स्ट्रक्चर (Tree Structure) के रूप में प्रदर्शित करता है। (vii) डाटा/फाइल कंप्रेशन यूटिलिटी (Data/File Compression Utility) : इस यूटिलिटी प्रोग्राम का उपयोग फाइल के आकार को छोटा करने के लिए किया जाता है ताकि वह मेमोरी में कम जगह ले तथा उसे नेटवर्क पर कम समय में स्थानान्तरित किया जा सके। Compressed फाइल को पूनः खोलने के लिए decompression साफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।   

JPEG (चित्र), MP3 (आडियो) तथा MPEG (वीडियो) फार्मेट Compressed फाइलों के उदाहरण हैं। 

साफ्टवेयर पैकेज (Software Package) 

किसी विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गये अनेक साफ्टवेयर का समूह जिसे उपभोक्ता को एक साथ प्रयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है, साफ्टवेयर पैकेज या साफ्टवेयर सूइट्स (Software Suites) हम साफ्टवेयर पैकेज के किसी साफ्टवेयर का अलग से या अकेले उपयोग नहीं कर सकते। MS-office माइक्रोसाफ्ट कंपनी द्वारा कार्यालय के प्रयोग के लिए बनाया गया साफ्टवेयर पैकेज है। जब कई लोकप्रिय अप्लिकेशन या यूटिलीटी साफ्टवेयर की प्रमुख विशेषताओं को एक ही अप्लिकेशन प्रोग्राम में समाहित कर उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है तो इसे इंटेग्रेटेड साफ्टवेयर (Integrated Software) कहा जाता है।

 रिटेल साफ्टवेयर (Retail software) ऐसा साफ्टवेयर जो बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होता तथा जिसे उचित शल्क चकाकर प्रयोग में लाया जा सकता है। साफ्टवेयर कहलाता है। रिटेल साफ्टवेयर के साथ यूजर मनुअल (User Manuals) तथा प्रयोग के दिशा निर्देश भी दिए जाते है। इस Over the counter software भी कहते हैं। Microsoft Windows, Microsoft Office, टैली (Tally) आदि रिटल साफ्टवेयर के उदाहरण हैं। 

ओईएम साफ्टवेयर (OEM-Original Equipment Manufacturer Software) हार्डवेयर कंपनी द्वारा हार्डवेयर उपकरण के साथ एक पैकेज के रूप में दिया जाने वाला साफ्टवेयर OEM साफ्टवेयर कहलाता है। यह साफ्टवेयर कम्प्यूटर हार्डवेयर में पहले से ही स्टोर किया हुआ हो सकता है।

 पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर (Public Domain Software) ऐसे साफ्टवेयर जो उपयोग के लिए मुफ्त में उपलब्ध होते हैं, पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर कहलाते हैं। इन्हें शेयरवेयर (Shareware) या फ्रीवेयर (Freeware) भी कहा जाता है। इन्हें इंटरनेट से मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है। पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर का अधिकार किसी व्यक्ति या संस्था के पास नहीं होता। उपयोगकर्ता इसके सोर्स कोड तथा उसके प्रयोग में बदलाव भी कर सकता है। 

शेयर वेयर (Share Ware) ऐसा साफ्टवेयर प्रोग्राम जिसे बिना कोई शुल्क चुकाए एक निश्चित समय के लिए प्रयोग किया जा सकता है, शेयर वेयर कहलाता है। शेयर वेयर इंटरनेट पर भी मुफ्त उपलब्ध होते हैं। लेकिन ट्रॉयल अवधि के समाप्त होने के बाद इसका प्रयोग जारी रखने के लिए निर्धारित शुल्क चुकाना पड़ता है। 

फ्रीवेयर (Freeware) ऐसा साफ्टवेयर जो बिना कोई शुल्क चुकाये व्यक्तिगत उपयोग के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है, फ्रीवेयर कहलाता है। फ्रीवेयर इंटरनेट पर भी मुफ्त में उपलब्ध होता है। परंतु फ्रीवेयर साफ्टवेयर का संपूर्ण अधिकार (Copy write) निर्माता के पास ही रहता है। उपयोगकर्ता को इसके सोर्स कोड में परिवर्तन का अधिकार नहीं होता और न ही इसे बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है। 

डेमो साफ्टवेयर (Demo Software) किसी साफ्टवेयर निर्माता कंपनी द्वारा नया साफ्टवेयर जारी करने से पूर्व प्रचार के दौरान उस साफ्टवेयर को मुफ्त में उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है, जिसे डेमो साफ्टवेयर कहा जाता है। एक निश्चित अवधि के बाद उस साफ्टवेयर का उपयोग जारी रखने के लिए उस साफ्टवेयर का पूर्ण संस्करण कंपनी को निर्धारित मूल्य चुकाकर प्राप्त किया जा सकता है। ग्रुप वेयर (Group Ware) यह  एक  लिटी साफ्टवेयर है जिसे समान उद्देश्य में, व्यक्तियों की सुविधा को ध्यान में रखकर विकसित किया इस कारण इसे Collaborative Software या Group System भी कहते हैं।

फर्मवेयर (Firmware) फर्मवेयर एक प्रकार का साफ्टवेयर या साफ्टवेयर और हार्डवेयर का मिश्रण है जिसका प्रयोग हार्डवेयर की जगह किया जाता है। यह हार्डवेयर की बचत करता है तथा उसके मूल्य में कमी लाता है। फर्मवेयर को स्थायी इलेक्ट्रानिक मेमोरी में निर्माण के समय ही स्टोर किया जाता है। ROM, PROM या EPROM मेमोरी में डाला गया साफ्टवेयर निर्देश फर्मवेयर का उदाहरण है। यदि कम्प्यूटर में गणा करने के लिए अलग हार्डवेयर की बजाय जोड़ के लिए बनाए गए। हार्डवेयर को बार-बार जोड़ने का निर्देश (साफ्टवेयर) देकर गुणा का कार्य लिया जाता है, तो यह फर्मवेयर का उदाहरण है। 

टेस्टिंग व डीबगिंग (Testing & Debugging) कम्प्यूटर प्रोग्राम या साफ्टवेयर में पायी जाने वाली त्रुटियों को बग्स (Bugs) कहा जाता है। इन त्रुटियों (Errors) को ढूंढ़ने व उनमें सुधार करने की प्रक्रिया डीबगिंग (Debugging) कहलाती है। इस कार्य के लिए तैयार किए गए साफ्टवेयर को डीबगर (Debugger) कहा जाता है। त्रुटियों को छोटे साफ्टवेयर प्रोग्राम के सहारे ठीक किया जाता है जिसे पैच (Patch) कहा जाता है। कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखे जाने के बाद उसे क्रियान्वित कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि साफ्टवेयर अपने निर्धारित कार्य-सही ढंग से पूरा कर रहा है। इस प्रक्रिया को टेस्टिंग (Testing) कहते हैं। किसी भी प्रोग्राम में दो प्रकार की गलतियां पाई जाती हैं- 

(i) सिंटैक्स की गलती (Syntax Error) : प्रत्येक प्रोग्रामिंग भाषा का अपना व्याकरण होता है जिसे  सिंटेक्स रूल (Syntax Rule) कहा जाता है। प्रोग्रामिंग में व्याकरण की गलतियां Syntax error कहलाते हैं। लैंग्वेज ट्रांसलेटर साफ्टवेयर जैसे—कंपाइलर तथा इंटरप्रेटर सिंटेक्स इरर को इंगित करते हैं तथा उनके ठीक होने पर ही प्रोग्राम क्रियान्वित हो सकता है। 

(ii) लॉजिक की गलती (Logic Error) : साफ्टवेयर में Logic Error प्रोग्राम क्रियान्वयन के दौरान उत्पन्न होने वाली सभा संभावनाओं पर विचार नहीं करने का परिणाम है। लॉजिक इरर के भी प्रोग्राम काम करता है, पर किसी विशेष परिस्थिति में गलत की देने की संभावना बनी रहती है। लॉजिक इरर में किसी नियम प्र का उल्लंघन नहीं होता, अतः इसकी पहचान करना कठिन होता है। लॉजिक इरर की पहचान कर उसे ठीक करना टेस्टिंग व डीबगिंग टीम का काम है। 

केरनेल (Kernel) यह किसी आपरेटिंग सिस्टम का मूल बिंद या आधारिक ना वाला भाग है जो साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर के बीच संबंध हिस्थापित करता है तथा उपकरणों का प्रबंधन सुनिश्चित करता है। पूरा आपरेटिंग सिस्टम करनेल पर आधारित होता है। इसे साफ्टवेयर का सोर्स कोड (Source Code) भी कहा जाता है। 

बायोस (BIOS-Basic Input Output System) यह एक साफ्टवेयर है जिसे मदरबोर्ड पर बने स्थायी रॉम चिप (Non Volatile ROM Chip) में निर्माण के समय ही स्टोर कर दिया जाता है। इसमें उपयोगकर्ता द्वारा परिवर्तन नहीं किया जा सकता जैसे ही कम्प्यूटर ऑन किया जाता है, बायोस पासवर्ड तथा हार्डवेयर की जांच करता है तथा स्वतः ही बूटिंग प्रक्रिया शुरू कर देता है। बायोस पेरीफेरल उपकरणों जैसे इनपुट और आउटपुट डिवाइस की जांच करता है तथा हार्डवेयर और साफ्टवेयर के बीच संबंध स्थापित करता है। 

पोस्ट (POST-Power On Self Test) जैसे ही कम्पयूटर ऑन किया जाता है, बायोस स्वतः ही कम्प्यूटर में लगे सभी उपकरणों, जैसे- मेमोरी, की-बोर्ड, माउस. प्रिंटर, हार्ड डिस्क, वीडियो डिस्प्ले कार्ड तथा अन्य हार्ड वेयर की जांच करता है तथा उन्हें उपयोग के लायक बनाता है। इसे पोस्ट (Post) कहा जाता है। पोस्ट (Post) या पावर ऑन सेल्फ टेस्ट (Power on self Test) बूटिंग प्रक्रिया का ही एक भाग है। इस दौरान हार्डवेयर में कुछ गड़बड़ी पाये जाने पर उसे स्क्रीन पर प्रदर्शित भी किया जाता है।

 बूटिंग (Booting) कम्प्यूटर ऑन किए जाने पर बायोस स्वतः ही आपरेटिंग सिस्टम की पहचान कर उसे द्वितीयक मेमोरी से प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (रैम चिप) में डालता है तथा साफ्टवेयर को उपयोग के लायक बनाता है। इसे बूटिंग या बूट स्ट्रैप (Boot Strap) कहा जाता है। कम्प्यूटर रीस्टार्ट करने पर बूटिंग प्रक्रिया पुनः चालू हो जाती है। बूटिंग के दौरान कम्प्यूटर हार्डवेयर की जांच की जाती है। साथ ही, हार्डवेयर संबंधी आवश्यक जानकारी तथा आपरेटिंग सिस्टम का नाम व संस्करण कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है। 

कोल्ड बूट (Cold Boot) : जब किसी बंद (off) कम्प्यूटर का पावर या स्टार्ट बटन दबाकर चाल (on) किया जाता है, तो कम्प्यूटर बूटिंग की प्रक्रिया कोल्ड बूट कहलाता है। जब किसी चालू (on) कम्प्यूटर पर रीसेट (Reset) बटन दबाते हैं, तो पहले कम्प्यूटर की सप्लाई पूरी तरह बंद कर दी जाती है और इसके बाद बूटिंग प्रक्रिया शुरू होती है, अतः इसे भी कोल्ड बूट कहा जाता है। । 

वार्म बूट (Warm Boot) : जब पहले से चालू (on) कम्प्यूटर को पावर सप्लाई बंद किए बिना पुनः बूट कराया जाता है, तो इसे वार्म बूट कहते हैं। की बोर्ड पर Ctrl + Alt + Delete बटनों को एक साथ दबाकर या Restart कमांड पर क्लिक कर वार्म बूटिंग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। जब कम्प्यूटर हैंग हो जाता है तथा किसी कमांड पर प्रतिक्रिया नहीं करता, तो वार्म बूट की जरूरत पड़ती है। 

डिवाइस ड्राइवर (Device Driver) कम्प्यूटर में किसी भी हार्डवेयर को साफ्टवेयर द्वारा निर्देशित व नियंत्रित किया जाता है। किसी विशेष हार्डवेयर को निर्देशित व नियंत्रित करने तथा उपयोग के लायक बनाने के लिए प्रयुक्त साफ्टवेयर उस हार्डवेयर का डिवाइस ड्राइवर कहलाता है। डिवाइस ड्राइवर किसी पेरीफेरल उपकरण जैसे- इनपुट और आउटपुट डिवाइस आदि को कम्प्यूटर सिस्टम के साथ जोड़ता है तथा संवाद स्थापित करने योग्य बनाता है। कम्प्यूटर के साथ बाहर से जोड़े जा सकने वाले किसी भी उपकरण जैसे-की-बोर्ड, माउस, प्रिंटर, स्कैनर, वेब कैमरा आदि का उपयोग करने के लिए कम्प्यूटर में उस उपकरण का डिवाइस ड्राइवर साफ्टवेयर डालना पड़ता है। एक ही उपकरण का अलग- अलग हार्डवेयर निर्माता कम्पनी का डिवाइस ड्राइवर अलग-अलग हो सकता है। अतः डिवाइस ड्राइवर साफ्टवेयर निर्माता कम्पनी द्वारा हार्डवेयर उपकरण के साथ सीडी-रॉम में उपलब्ध कराया जाता है। आजकल विभिन्न हार्डवेयर कम्पनियों के अलग-अलग उपकरणों के डिवाइस ड्राइवर पहले से ही आपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर में लोड कर दिया जाता है। इस कारण, जब कोई नया हार्डवेयर डिवाइस कम्प्यूटर के साथ जोड़ा जाता है तो आपरेटिंग सिस्टम स्वयं उस उपकरण को संबंधित ड्राइवर साफ्टवेयर से जोड़ कर कम्प्यूटर हार्डवेयर के अनुसार संयोजित (Configure) कर लेता है। इस व्यवस्था को Plug and Play Device कहा जाता है। अगर किसी हार्डवेयर का डिवाइस ड्राइवर पहले से ही आपरेटिंग सिस्टम में उपलब्ध नहीं है, तो कम्प्यूटर उस हार्डवेयर का डिवाइस ड्राइवर लोड करने की सूचना देता है। 

यूजर इंटरफेस (User Interface) कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के बीच अंतर्संबंध स्थापित करने की व्यवस्था यूजर इंटरफेस कहलाता है। इसके जरिए उपयोगकर्ता कम्प्यूटर को आवश्यक निर्देश देता है तथा कम्प्यूटर उन निर्देशों का पालन कर परिणाम प्रदर्शित करता है। यूजर इंटरफेस दो प्रकार के हो सकते हैं- 

(i) कमांड लाइन इंटरफेस (Command Line Interface) : इसमें कम्प्यूटर को लिखित कमांड टाइप कर निर्देश दिया जाता है। अतः उपयोगकर्ता द्वारा विभिन्न कमांड याद रखने की जरूरत होती है। DOS (Disc Operating System) कमांड लाइन इंटरफेस पर आधारित आपरेटिंग सिस्टम है। 

(ii) ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (Graphical User Interface) : ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) में कम्प्यूटर आपरेटिंग सिस्टम द्वारा विभिन्न कमांड को लघु चित्र या प्रतीक चित्र के माध्यम से दर्शाया जाता है जिन्हें आइकन (Icon) कहते हैं। उपयोगकर्ता को विभिन्न कमांड याद रखने की जरूरत नहीं होती। उपयोगकर्ता कम्प्यूटर स्क्रीन पर icon, menus तथा Windows के माध्यम से प्रदर्शित कमांड को की-बोर्ड या माउस द्वारा क्लिक कर उस कमांड को क्रियान्वित करवा सकता है। इस तरह, GUI कम्प्यूटर के उपयोग को आसान बनाता है। 

साफ्टवेयर लाइसेंस (Software License) साफ्टवेयर लाइसेंस एक कानूनी दस्तावेज है जो कुछ शर्तों के अधीन या बिना किसी शर्त के साफ्टवेयर के उपयोग या वितरण का कानूनी अधिकार प्रदान करता है। किसी साफ्टवेयर पर नियमों के अनुसार स्थापित कानूनी अधिकार साफ्टवेयर कॉपीराइट (Copywrite) कहलाता है। कॉपीराइट धारक की अनुमति के बिना कॉपीराइट साफ्टवेयर का प्रयोग, उसका वितरण या उसमें परिवर्तन करना साफ्टवेयर पाइरेसी (Software Piracy) कहलाता है। 

इंस्टाल/अनइंस्टाल प्रोग्राम (Install/Uninstall Program) 

किसी साफ्टवेयर को सेकेण्डरी स्टोरेज मीडिया से हार्ड डिस्क में कॉपी करना ताकि वह प्रोग्राम उपयोग के लिए तैयार हो, इंस्टाल प्रोग्राम (Install Program) कहलाता है। Start मेन्यू पर Run विकल्प द्वारा या Setup.exe फाइल चलाकर साफ्टवेयर इंस्टाल किया जाता है। दूसरी तरफ, साफ्टवेयर को हार्ड डिस्क से हटाना अनइंस्टाल प्रोग्राम कहलाता है। 

Important Facts of Computer 

➢    एक ही प्रोग्राम में बार-बार प्रयोग में आने वाले छोटे-छोटे प्रोग्राम सब रूटीन प्रोग्राम कहलाते हैं। 

➢        लिनक्स (Linux) विण्डोज के समान एक शक्तिशाली आपरेटिंग सिस्टम है जो मुफ्त उपलब्ध है जबकि विण्डोज के लिए शुल्क चुकाना पड़ता है। इसके बावजूद लिनक्स का प्रचलन सीमित है। 

➢    आधुनिक कम्प्यूटर में मुख्यतौर पर मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। विण्डोज (Windows) और लिनक्स (Linux) मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम है जिनमें एक साथ कई प्रोग्राम चलाये जा सकते हैं।

 ➢        यनिक्स (UNIX) ‘सी’ (C) भाषा में लिखा जानेवाला पहला आपरेटिंग सिस्टम है। इससे किसी नए मशीन में इसका प्रयोग आसान हुआ। 

➢        लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की लोकप्रियता को देखते हुए सन् 2000 में कम्प्यूटर निर्माण की कुछ शीर्ष संस्थाओं ने जीनोम (GNOME-GNU Network Object Model Environment) फाउंडेशन की स्थापना की जो मुफ्त व ओपन सोर्स साफ्टवेयर के विकास में सहयोग देता है। 

➢    Android Operating System के सभी संस्करणों के नाम मीठा भोजन (Desserts) के नाम पर रखे गए हैं। जस-Cupcake, Eclair, Kitkat, Oreo आदि। 

➢        माइक्रोसाफ्ट ऑफिस (Microsoft Office या MS Office) 

विण्डोज आपरेटिंग सिस्टम (Windows OS) पर आधारित एक पैकेज अप्लिकेशन साफ्टवेयर है जो कार्यालय तथा सामान्य व्यक्तिगत कार्यों के लिए तैयार किया गया है। एमएस ऑफिस साफ्टवेयर पैकेज में एमएस वर्ड (MS- Word), एमएस एक्सेल (MS-Excel), एमएस पॉवर प्वाइंट (MS-Power Point), एमएस एक्सेस (MS-Access) तथा एमएस इंटरनेट एक्सप्लोरर (MS-Internet Explorar) साफ्टवेयर शामिल होता है। इसका पहला संस्करण वर्ष 1990 में जारी किया गया

Lesson-7 साफ्टवेयर   (Software) 

1. ‘लिनक्स’ एक-                      
(a) आपरेटिंग सिस्टम का नाम है
(b) बीमारी का नाम है
(c) केमिकल का नाम है
(d) कम्प्यूटर वायरस है
उत्तर –  (a) 

2. सीएडी (CAD) का तात्पर्य है-      
(a) कम्प्यूटर एल्गोरिथम फॉर डिजाइन
(b) कम्प्यूटर एडेड डिजाइन
(c) कम्प्यूटर एप्लिकेशन इन डिजाइन
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर –  (b) 

3. माइक्रोसाफ्ट ऑफिस है-           
(a) शेयर वेयर
(B) अप्लिकेशन साफ्टवेयर
(c)ओपेन सोर्स साफ्टवेयर
(d) पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर
(e) वर्टिकल मार्केट अप्लिकेशन
उत्तर –  (b) 

4. कौन सा साफ्टवेयर शब्द संसाधन में प्रयुक्त किया जाता है-
(a)पेज मेकर
(b) वर्ड स्टार
(c) एमएस वर्ड
(d) उपयुक्त सभी
उत्तर –  (d) 

5. पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर है-
(a) पब्लिक द्वारा बनाया गया साफ्टवेयर
(b) इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध साफ्टवेयर
(c) सरकारी साफ्टवेयर
(d) माइक्रोसाफ्ट साफ्टवेयर
उत्तर –  (b) 

6. कम्प्यूटर आंकड़ों में अशुद्धि को कहा जाता है-
(a) चिप
(b) बाइट
(c) बग
(d) बिट
Ans.(c) 

7. असेम्बलर का कार्य है-       
(a) बेसिक भाषा को यंत्र भाषा में परिवर्तित करना
(b) उच्च स्तरीय भाषा को यंत्र भाषा में परिवर्तित करना
(c) असेम्बली भाषा को यंत्र भाषा में परिवर्तित करना
(d) असेम्बली भाषा को उच्च स्तरीय भाषा में परिवर्तित करना
उत्तर –  (c) 

8. एक कम्प्यूटर प्रोग्राम जिससे कम्प्यूटर का प्रयोग करना आसान हो जाता है-
(a) आपरेटिंग सिस्टम
(b) एप्लिकेशन प्रोग्राम
(c) नेटवर्क
(d) यूटिलिटी साफ्टवेयर
उत्तर –  (d) 

9.साफ्टवेयर बग को ठीक करने के लिए प्रयुक्त प्रोग्राम कहलाता है-
(a) पैच
(b) युटिलिटी
(c) रेक्टिफिकेशन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (a)

10. बैक अप कहलाता है-
(a) डाटा को पीछे रखना
(b) मूल स्रोत से अलग डाटा को कॉपी कर सुरक्षित रखना
(c) प्रोग्राम को सेव करना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (b) 

11. अनुदेशों का समूह, जो कम्प्यूटर को क्या करना है, यह बतलाता है, कहलाता है- 
(a) कंपाइलर
(b) डी बगर
(c) प्रोग्राम
(d) इंटरप्रीटर
उत्तर –  (c) 

12. उपयोगकर्ता यह कैसे निर्धारित कर सकता है कि कम्प्यूटर पर कौन सा प्रोग्राम उपलब्ध है- 
(a) हार्ड डिस्क की प्रॉपर्टी देखकर
(b) बूटिंग के दौरान प्रोग्राम की सूची देखकर
(c) डिस्क की फाइलें देखकर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (b)

13. कम्प्यूटर के सभी भाग ठीक कार्य कर रहे हैं तथा सिस्टम में लगे हुए हैं, यह सुनिश्चित किया जाता है-
(a) बूटिंग द्वारा
(b) प्रोसेसिंग द्वारा
(c) डेस्कटॉप द्वारा
(d) इडिटिंग द्वारा
उत्तर –  (a) 

14. दो या अधिक प्रोग्राम के एक साथ प्रोसेसिंग की प्रक्रिया कहलाती है-
(a) मल्टी प्रोग्रामिंग
(b) मल्टी टास्किंग
(c) मल्टी प्रोसेसिंग
(d) टाइम शेयरिंग
Ans.(c) व्याख्या : मल्टी प्रोसेसिंग आपरेटिंग सिस्टम में प्रोसेसर द्वारा एक साथ कई कार्य संपादित किए जाते हैं। इसमें प्रोसेसर अपना कुछ भाग सभी प्रोग्राम को देता है। 

15. एमएस वर्ड (MS Word) उदाहरण है-      
(a) आपरेटिंग सिस्टम का
(b) प्रोसेसिंग साफ्टवेयर का
(c) अप्लिकेशन साफ्टवेयर का
(d) हार्डवेयर का
उत्तर –  (c) 

व्याख्या : एमएस वर्ड (Microsoft Word) माइक्रोसाफ्ट ऑफिस (MS Office) अप्लिकेशन साफ्टवेयर का एक वर्ड 2 प्रोसेसिंग साफ्टवेयर है। 

16. ग्रुपवेयर (Groupware) होता है-
(a) हार्डवेयर
(b) नेटवर्क
(c) साफ्टवेयर
(d) फर्मवेयर
उत्तर –  (c) 

17. भारत की सबसे बड़ी साफ्टवेयर कम्पनी है-  
(a) इम्फोसिस
(b) टीसीएस (Tata Consultancy Services)
(c) विप्रो
(d) एचसीएल टेक
उत्तर –  (b) 

18. जी.आई.एफ. (GIF) का आशय है-  (Utt. PCS (P), 2020)
(a) जियोग्राफिकल इमेज फार्मेट
(b) ग्लोबल इमेज फार्मेट
(c) ग्राफिकल इंटरचेंज फार्मेट (Graphical Interchange Format)
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (c) 

19. ‘C’ भाषा है-     
(a) निम्न स्तरीय भाषा
(b) उच्च स्तरीय भाषा
(c) मशीन स्तर की भाषा
(d) संयोजन स्तर की भाषा
उत्तर –  (b) 

20. निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में स्प्रेडशीट (Spread Sheet) साफ्टवेयर अधिक उपयोगी होता है-
(a) मनोविज्ञान
(b) प्रकाशन
(c) सांख्यिकी
(d) संदेश प्रेषण
उत्तर –  (c) 

21. इसका प्रयोग स्क्रीन पर प्रदर्शित हुए चित्रों (आइकन) के द्वारा कम्प्यूटर सिस्टम को कमांड भेजने के लिए किया जाता है।                                    
(a) ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI)
(b) अप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफेस
(c) कमांड इंटरफेस
(d) सिस्टम इंटरफेस
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (a) 

22. कौन सा प्रोग्राम सभी स्टेटमेंट्स को एक सिंगल बैच में कनवर्ड करता है और इंस्ट्रक्शन्स के रिजल्टिंग कलेक्शन को एक नई फाइल में रखता है?                   
(a) कम्पाइलर
(b) इंटरप्रेटर
(c) कनवर्टर
(d) इंस्ट्रक्शन
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (a)

 23. कम्प्यूटर सिस्टम का भाग जिसमें प्रोग्राम या अनुदेश शामिल होते हैं, कहलाता है-
(a) हार्डवेयर
(b) साफ्टवेयर
(c) आइकन
(d) इन्फार्मेशन
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (b) 

24. जो अनुदेश आसानी से समझा जा सकता है, उसे कहते हैं-
(a) यूजर फ्रेडली (User Friendly)
(b) इन्फार्मेशन
(c) वर्ड प्रोसेसिंग
(d) आइकन
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (a) 

25. वह साफ्टवेयर जो उस तरीके को नियंत्रित करता है जिससे कम्प्यूटर सिस्टम काम करता है और ऐसे साधन उपल्ब्ध कराता है, जिसके द्वारा प्रयोक्ता कम्प्यूटर के साथ इंटरैक्ट कर सकता है, कहलाता है-                                                                       
(a) प्लेटफार्म
(b) आपरेटिंग सिस्टम
(c) अप्लिकेशन साफ्टवेयर
(d) मदरबोर्ड
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (b) 

26. जब कम्प्यूटर ऑन करते हैं तो बूट रूटीन यह टेस्ट करता हैं-
(a) रैम टेस्ट
(b) डिस्क ड्राइव टेस्ट
(c) मेमोरी टेस्ट
(d) पावर ऑन सेल्फ टेस्ट (POST)
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (d)

27. दो या अधिक प्रोसेसर द्वारा दो या अधिक प्रोग्रामों का साथ-  साथ प्रोसेसिंग कहलाता हैं-
(a) मल्टी प्रोग्रामिंग
(b) मल्टी टास्किंग
(c) टाइम शेयरिंग
(d) मल्टी प्रोसेसिंग
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (d) 

28. किसी प्रोग्राम ही प्रोग्राम के मानव द्वारा पठनीय दर्शन को कहते हैं..
(a) सोर्स कोड
(b) प्रोग्राम कोड
(d) सिस्टम कोड
(c) घूमन कोड
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (b) 

29. प्रोग्राम के कम्पाइलिंग से बनता है-      
(a)प्रोग्राम स्पेसिफिकेशन
(b) एल्गोरिथम
(c) एक्जीक्यूटेबल प्रोग्राम
(d) सब रूटीन
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (c) 

30. एक समय में एक कथन को कनवर्ट और एक्जेक्यूट करताहै- (
(a) कनवर्टर
(b) कंपाइलर
(c) इंस्ट्रक्टर
(d) इंटरप्रेटर (Interpreter)
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (d) 

31, पोस्ट (POST) का पूरा रूप है-                       
(a) Power on self Test
(b) Program on Self Test
(c) Power on System Test
(d) Program on System Test
(e) Power off System Test
उत्तर –  (a) 

32. लिनक्स (Linux) किस किस्म का साफ्टवेयर है-    (RBI, 2016; IBPS/Clk, 2020)
(a) शेयर वेयर
(b) कामर्शियल
(c) प्रायराइटरी
(d) ओपन सोर्स (open Source)
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (d) 

33.जब एक कम्प्यटर में दो प्रोसेसर लगाए जाते हैं, तो उसे कहते है (IBPS/Cllk,2019)
(a) डबल प्रोसेसिंग
(b) सीक्वेंशियल प्रोसेसिंग
(c) डुप्लिकेट प्रोसेसिंग
(d) पैरालेल प्रोसेसिंग
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (d)

 34. जब आप कम्प्यूटर बूट (Boot) करते हैं, तो-      (SSC,2017/RBI, 2019)
(a) आपरेटिंग सिस्टम डिस्क से रैम (RAM) में कॉपी किया जाता है।
(b) आपरेटिंग सिस्टम मेमोरी से डिस्क में कॉपी किया जाता है
(c) आपरेटिंग सिस्टम के अंश कंपाइल किये जाते हैं।
(d) कम्प्यूटर बंद हो जाता है
Ans.(a) 

35. ‘कम्पाइलर’ है-      (SSC,2020)                                                                
(a) एक ऐसा प्रोग्राम जो असेम्बली भाषा में लिखित प्रोग्राम को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है
(b) एक ऐसा प्रोग्राम जो उच्च स्तरीय भाषा में लिखित प्रोग्राम को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है
(c) मशीनी भाषा में लिखित प्रोग्राम
(d) असेम्बली भाषा में लिखित प्रोग्राम
उत्तर –  (b) 

36. कम्प्यूटर के संदर्भ में साफ्टवेयर का अर्थ है-  (SSC,2020)
(a) फ्लॉपी डिस्क
(b) कम्प्यूटर प्रोग्राम्स
(c) कम्प्यूटर सर्किट
(d) ह्यूमन ब्रेन
उत्तर –  (b) 

37. एक युटिलिटी साफ्टवेयर प्रोग्राम जो मेमोरी के अनावश्यक फ्रैग्मेंट्स को पहचानता है और डिस्क स्पेश को पुनर्व्यवस्थित करता है ताकि आपरेशन इष्टतम ढंग से हो सके, कहलाता है (SBI (PO), 2020)
(a) बैकअप            
(b) डिस्क क्लीनअप
(c) डिस्क डीफ्रैग्मेंटर
(d) डिस्क रीस्टोर
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (c) 

38. वह भाषा जिसे कम्प्यूटर बिना लैंग्वेज ट्रांसलेटर प्रोग्राम के समझता है, कहलाती है- (IBPS/CIk, 2019)
(a) अमेरिकन भाषा
(b) मशीनी भाषा
(c) एसेंबली भाषा
(d) उपयुक्त तीनों
(e) इनमें से कोई नहीं


उत्तर –  (b) 39. ……..एक ऐसी सेवा है जो संगठनों को अपनी वेबसाइट बनाने की अनुमति देती है।
(a) वेब होस्टिंग
(b) वेब सर्किंग
(c) डोमेन होस्टिंग
(d) लिनेक्स होसिस्टंग
(e) विंडोज होस्टिंग
उत्तर –  (a)

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लिनक्स एक

Correct! Wrong!

CAD का तात्पर्य है

Correct! Wrong!

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस है

Correct! Wrong!

कौन सा सॉफ्टवेयर शब्द संसाधन में प्रयुक्त किया जाता है

Correct! Wrong!

पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर हैं

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कंप्यूटर आंकड़ों में अशुद्धि को कहा जाता है

Correct! Wrong!

असेंबलर का कार्य है

Correct! Wrong!

एक कंप्यूटर प्रोग्राम जिससे कंप्यूटर का प्रयोग करना आसान हो जाता है

Correct! Wrong!

सॉफ्टवेयर बग को ठीक करने के लिए प्रयुक्त प्रोग्राम कहलाता है

Correct! Wrong!

बैकअप कहलाता है

Correct! Wrong!

अनुदेशों का समूह जो कंप्यूटर को क्या करना है यह बतलाता है कहलाता है

Correct! Wrong!

उपयोगकर्ता यह कैसे निर्धारित कर सकता है कि कंप्यूटर पर कौन सा प्रोग्राम उपलब्ध है

Correct! Wrong!

कंप्यूटर के सभी भाग ठीक कार्य कर रहे हैं तथा सिस्टम में लगे हुए हैं यह सुनिश्चित किया जाता है

Correct! Wrong!

दो या दो से अधिक प्रोग्राम के एक साथ प्रोसेसिंग की प्रक्रिया कहलाती है

Correct! Wrong!

MS WORD उदहारण है

Correct! Wrong!

ग्रुप से वेयर होता है

Correct! Wrong!

भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी हैं

Correct! Wrong!

GIF जीआईएफ का आशय है

Correct! Wrong!

सी भाषा है

Correct! Wrong!

कौन सा प्रोग्राम सभी इन स्टेटमेंट को एक सिंगल फेस में कन्वर्ट करता है और इंस्ट्रक्शन के रिजल्ट कनेक्शन को एक नई फाइल में रखता है

Correct! Wrong!

कंप्यूटर सिस्टम का भाग जिसमें प्रोग्राम या अनुदेश शामिल होता है कहलाता है

Correct! Wrong!

जो अनुदेश आसानी से समझा जा सकता है उसे कहते हैं

Correct! Wrong!

वह सॉफ्टवेयर जो उस तरीके को नियंत्रित करता है और जिससे कंप्यूटर सिस्टम काम करता है और ऐसे साधन उपलब्ध कराता है जिसके द्वारा प्रयोक्ता कंप्यूटर के साथ इंटरैक्ट कर सकता है कहलाता है

Correct! Wrong!

जब कंप्यूटर ऑन करते हैं तो वह बूट रुटीन यह टेस्ट करता है

Correct! Wrong!

दो या दो से अधिक प्रोसेसर द्वारा दो या अधिक प्रोग्रामों का साथ साथ प्रोसेसिंग कहलाता है

Correct! Wrong!

किसी प्रोग्राम के मानव द्वारा पठनीय दर्शन को कहते हैं

Correct! Wrong!

एक समय में एक कथन को कन्वर्ट और एग्जैक्ट करता है एग्जीक्यूटिव करता है

Correct! Wrong!

पोस्ट का पूरा रूप है

Correct! Wrong!

Linux किस किस्म का सॉफ्टवेयर है

Correct! Wrong!

वह भाषा जिसे कंप्यूटर बिना लैंग्वेज ट्रांसलेट प्रोग्राम की समझता है कहलाती है

Correct! Wrong!

कंपाइलर है

Correct! Wrong!

कंप्यूटर के संदर्भ में सॉफ्टवेयर का अर्थ है

Correct! Wrong!

जब एक कंप्यूटर में दो प्रोसेसर लगाए जाते हैं तो उसे कहते हैं

Correct! Wrong!

 

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