कंप्यूटर का उद्भव और विकास (Development of Computer)
अबेकस (The Abacus)
यह एक प्राचीन गणना यंत्र है जिसका आविष्कार प्राचीन बेबीलोन में अंकों की गणना के लिए किया गया था। इसे संसार का प्रथम गणक यंत्र कहा जाता है। इसमें तारों (wires) में गोलाकार मनके (beads) पिरोयी जाती है जिसकी सहायता से गणना को आसान बनाया गया।
पास्कलाइन (Pascaline)
फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) ने 1642 में प्रथम यांत्रिक गणना मशीन (Mechanical Calculator) का आविष्कार किया। यह केवल जोड़ व घटा सकती थी। अतः इसे एडिंग मशीन (Adding Machine) भी कहा गया।
डिफरेंस इंजन (Difference Engine) और एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने 1822 में डिफरेंस इंजिन का आविष्कार किया जो भाप से चलता था तथा गणनाएं कर सकता था। 1842 में चार्ल्स बैबेज ने एक स्वचालित मशीन एनालिटिकल इंजन बनाया जो पंचकार्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करती थी तथा मूलभूत अंकगणितीय गणनाएं (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) कर सकती थी। एनालिटिकल इंजन को विश्व का पहला कम्प्यूटर माना जा सकता है।
लेडी एडा आगस्टा (Ada Augusta) ने एनालिटिकल इंजन में पहला प्रोग्राम डाला। अतः उन्हें दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर (Programmer) भी कहा जाता है। उन्हें दो अंकों की संख्या प्रणाली बाइनरी प्रणाली (Binary System) के आविष्कार का श्रेय भी है। सेंसस टेबुलेटर (Census Tabulator)
1890 में अमेरिका के वैज्ञानिक हर्मन होलेरिथ (Herman Hollerith) ने इस विद्युत चालित यंत्र का आविष्कार किया जिसका पयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया। इन्हें कम्प्यूटर के अनप्रयोग के लिए मेमोरी के रूप में पंचकार्ड (Punch Card) के आविष्कार का श्रेय भी दिया जाता है।
पंचकार्ड कागज का बना एक कार्ड है जिसमें पंच द्वारा छेद बनाकर कम्प्यूटर डाटा तथा प्रोग्राम स्टोर किया जाता था। पंचकाईरीडर द्वारा पंचकार्ड पर स्टोर किए गए डाटा को पढ़ा जाता था। कम्प्यूटर के लिए डाटा स्टोर करने से पहले पंचकार्ड का उपयोग टैक्स्टाइल उद्योग में कपड़ा बुनने की मशीनों को नियंत्रित करने के लिए किया गया था।
मार्क-I (Marc-) 1937 से 1944 के बीच आईबीएम (IBM-International Businees Machine) नामक कम्पनी के सहयोग तथा वैज्ञानिक हावर्ड आइकेन (Haward Aikan) के निर्देशन में विश्व के प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यांत्रिक (Electro-mechanical) गणना यंत्र का आविष्कार किया गया। इसे मार्क-I नाम दिया गया।
ए.बी.सी. (ABC-Atanasoff-Berry Computer)
1939 में जॉन एटनासॉफ और क्लिफोर्ड बेरी नामक वैज्ञानिकों ने मिलकर संसार का पहला ‘इलेक्ट्रानिक डिजिटल कम्प्यूटर’ (Electronic Digital Computer) का आविष्कार किया। इन्हीं के नाम पर इसे एबीसी (ABC) का नाम दिया गया। एनिएक (ENIAC-Electronic Numerical Integrator and Calculater)
1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक जे. पी. एकर्ट (J.PEckert) तथा जॉन मुचली (John Mauchly) ने सामान्य कार्यों के लिए प्रथम पूर्ण इलेक्ट्रानिक (Fully Electronic) डिजिटल कम्प्यूटर का आविष्कार किया जिसे एनिएक नाम दिया गया। इडवैक (EDVAC-Electronic Discrete Variable Automatic Computer)
एनिएक कम्प्यूटर में प्रोग्राम में परिवर्तन कठिन था। इससे निपटने के लिए वान न्यूमेन (Van Neumann) ने संग्रहित प्रोग्राम (Stored Program) की अवधारणा दी तथा इडवैक का विकास किया।
यूनीवैक (UNIVAC-Universal Automatic Computer)
यह प्रथम कम्प्यूटर था जिसका उपयोग व्यापारिक और अन्य सामान्य कार्यों के लिए किया गया। प्रथम व्यापारिक कम्प्यूटर यूनीवैक-1 (UNIVAC-I) का निर्माण 1954 में जीइसी (GEC- General Electric Corporation) ने किया। माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor)
1970 में इंटेल कम्पनी द्वारा प्रथम माइक्रो प्रोसेसर “इंटेल- 4004” के निर्माण ने कम्प्यूटर क्षेत्र में क्रांति ला दी। इससे छोटे आकार के कम्प्यूटर का निर्माण संभव हुआ जिन्हें माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) कहा गया। इंटेल, पेंटियम, सेलेरॉन तथा एएमडी वर्तमान में कुछ प्रमुख माइक्रो प्रोसेसर उत्पादक ब्रांड हैं।
एप्पल-II (Apple-II)
1977 में प्रथम व्यवसायिक माइक्रो कम्प्यूटर (First Business Micro Computer) का निर्माण किया गया जिसे एप्पल-II नाम दिया गया।
कम्प्यूटर के विकास का वर्गीकरण (Classification of Development of Computer)
कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Classification of Computers) हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर
(1) पहली पीढ़ी
(ii) दूसरी पीढ़ी
(iii) तीसरी पीढ़ी
(iv) चौथी पीढ़ी
(v) पांचवीं पीढ़ी
कार्य पद्धति के आधार पर
(i) एनालॉग कम्पयूटर
(ii) डिजिटल कम्पयूटर
(iii) हाइब्रिड कम्पयूटर
आकार और कार्य के आधार पर
(i) मेन फ्रेम कम्प्यूटर
(ii) मिनी कम्प्यूटर
(iii) माइक्रो कम्प्यूटर
(iv) सुपर कम्प्यूटर
पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर (First Generation Computers) (1942-1955)
➢ पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर के निर्माण में निर्वात ट्यूब (Vacuum Tubes) का प्रयोग किया गया जिसे वाल्व (Valve) भी कहा जाता है।
➢ साफ्टवेयर मशीनी भाषा (Machine Language) तथा निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (Low Level Programming Language) में तैयार किया जाता था।।
➢ डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण (Storage) के लिए पंचकार्ड (Punch Card) तथा पेपर टेप (Paper Tape) का प्रयोग किया गया।
➢ कम्प्यूटर का गणना समय या गति मिली सेकेण्ड (Milliseconds) में थी। (1 MS = 10-3 या 1/1000 sec)। पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर का उपयोग मुख्यतः वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सैन्य कार्यों में किया गया।
➢ ये आकार में बड़े (Bulky) और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे। इनकी भंडारण क्षमता कम तथा गति मंद थी। इनमें त्रुटि (Error) होने की संभावना भी अधिक रहती थी। अतः इनका संचालन एक खर्चीला काम था।
➢ निर्वात ट्यूब द्वारा अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने के कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रखना पड़ता था।
➢ एनिएक (ENIAC), यूनीबैक (UNIVAC) तथा आईबीएम (IBM) के मार्क-I इसके उदाहरण हैं।
➢ 1952 में डॉ. ग्रेस हापर द्वारा असेम्बली भाषा (Assembly Language) के आविष्कार से प्रोग्राम लिखना कुछ आसान हो गया।
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Second Generation Computers) (1955-64)
➢ दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर (Transistor) का प्रयोग किया गया जो अपेक्षाकृत हल्के, छोटे और कम विद्युत खपत करने वाले थे।
➢ कम्प्यूटर के लिए साफ्टवेयर उच्च स्तरीय असेम्बली भाषा (High Level Assembly Language) में तैयार किया गया। असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए निमानिक्स कोड (Mnemonics Code) का प्रयोग किया जाता है जो याद रखने में सरल होते हैं। अतः असेम्बली भाषा में साफ्टवेयर तैयार करना आसान होता है।
➢ डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण के लिए मेमोरी के रूप में चुंबकीय भंडारण उपकरणों (Magnetic Storage Devices) जैसे- मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग आरंभ हुआ। इससे भंडारण क्षमता तथा कम्प्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
➢ कम्प्यूटर के प्रोसेस करने की गति तीव्र हुई जिसे अब माइक्रो सेकेण्ड (micro second – us) में मापा जाता था। (lus = 100 Sec या 1 सेकेण्ड का दस लाखवां भाग)।
➢ व्यवसाय तथा उद्योग में कम्प्यूटर का प्रयोग आरंभ हुआ।
➢ बैच आपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System) का आरंभ किया गया।
➢ साफ्टवेयर में कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language) और फोरट्रान (FORTRAN- Formula Translation) जैसे उच्च स्तरीय भाषा (High Level language) का विकास आईबीएम द्वारा किया गया। इससे प्रोग्राम लिखना आसान हआ।
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Third Generation Computers) (1964-1975)
➢ तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप (IC-Integrated Circuit Chip) का प्रयोग आरंभ हुआ जिससे कम्प्यूटर का लघुरूपण संभव हो सका। SSI (Small Scale Integration) तथा बाद मेंMSI(Medium Scale Integration) का विकास हुआ. जिसमें एक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप में सैकड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों, जैसे ट्रांजिस्टर, प्रतिरोधक (Register) तथा संधारित्र (Capacitor) का निर्माण संभव हुआ।
➢ इनुपट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में क्रमशः की- बोर्ड तथा मॉनीटर का प्रयोग प्रचलित हुआ। की-बोर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में डाटा तथा निर्देश डालना आसान हुआ।
➢ मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई। सेमीकंडक्टर भंडारण उपकरणों (Semi Conductor Storage Devices) का विकास हुआ। रैम (RAM-Random Access Memory) के कारण कम्प्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
➢ कम्प्यूटर का गणना समय नैनो सेकेण्ड (ns) में मापा जाने लगा। इससे कम्प्यूटर के कार्य क्षमता में तेजी आई। (1ns = 10 Sec)
➢ कम्प्यूटर का व्यवसायिक व व्यक्तिगत उपयोग आरंभ हुआ।
➢ उच्च स्तरीय भाषा में पीएल-1 (PL/1), पास्कल (PASCAL) तथा बेसिक (BASIC) का विकास हुआ।
➢ टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System) का विकास हुआ।
➢ हार्डवेयर और साफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री प्रारंभ हई। इससे उपयोगकर्ता आवश्यकतानुसार साफ्टवेयर ले सकता था।
➢ 1965 में डीइसी (DEC-Digital Equipment Corporation) द्वारा प्रथम व्यवसायिक मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) पीडीपी-8 (Programmed Data Processer-8) का विकास किया गया।
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fourth Generation Computers) (1975-1989)
➢ चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया। LSI (Large Scale Integration) तथा VLSI (Very Large Scale Integration) से माइक्रो प्रोसेसर की क्षमता में वृद्धि हुई।
➢ कम्प्यूटर का गणना समय पीको सेकेण्ड (Pico second – ps) में मापा जाने लगा। (1ps = 10-12 Sec)
➢ माइक्रो प्रोसेसर के इस्तेमाल से अत्यंत छोटा और हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास संभव हुआ। मल्टी टास्किंग (Multitasking) के कारण कम्प्यूटर का प्रयोग एक साथ कई कार्यों को संपन्न करने में किया जाने लगा।
➢ माइक्रो प्रोसेसर का विकास एम ई हौफ ने 1971 में किया। इससे व्यक्तिगत कम्प्यूटर (Personal Computer) का विकास हुआ।
➢ चम्बकीय डिस्क और टेप का स्थान अर्धचालक (Semi- conductor) मेमोरी ने ले लिया। रैम (RAM) की क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत तीव्र हो गया। उच्च गति वाले कम्प्यूटर नेटवर्क (Network) जैसे लैन (LAN) व वैन (WAN) का विकास हुआ।
➢ समानान्तर कम्प्यूटिंग (Parallel Computing) तथा मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
➢ 1981 में आईबीएम (IBM-International Business Machine) कम्पनी ने माइक्रो कम्प्यूटर का विकास किया जिसे पीसी (PC-Personal Computers) कहा गया।।
➢ साफ्टवेयर में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI-Graphical User Interface) के विकास ने कम्प्यूटर के उपयोग को सरल बना दिया।
➢ आपरेटिंग सिस्टम में एम.एस. डॉस (MS-DOS), माइक्रोसाफ्ट विण्डोज (MS-Windows) तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम (Apple OS) का विकास हुआ।
➢ उच्च स्तरीय भाषा में ‘C’ भाषा का विकास हुआ जिसमें प्रोग्रामिंग सरल था।
➢ उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण किया गया ताकि किसी प्रोग्राम को सभी कम्प्यूटर में चलाया जा सके।
पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fifth Generation Computers) (1989- अब तक)
➢ ULSI (Ultra Large Scale Integration) तथा SLSI (Super Large Scale Integration) से करोड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों से युक्त माइक्रो प्रोसेसर चिप का विकास हुआ।
➢ इससे अत्यंत छोटे तथा हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास हुआ जिनकी गणना क्षमता अत्यंत तीव्र तथा अधिक है।
➢ मल्टीमीडिया तथा एनिमेशन के कारण कम्प्यूटर का शिक्षा तथा मनोरंजन आदि के लिए भरपूर उपयोग किया जाने लगा।
➢ इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के विकास ने सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एक दूसरों से संपर्क करने के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव बनाया।
➢ भंडारण के लिए आप्टिकल डिस्क (Optical Disc) जैसे-सीडी (CD), डीवीडी (DVD) या ब्लू रे डिस्क (Blu-ray Disc) का विकास हुआ जिनकी भंडारण क्षमता अत्यंत उच्च थी।
➢ दो प्रोसेसर को एक साथ जोड़कर तथा पैरेलल प्रोसेसिंग द्वारा कम्प्यूटर प्रोसेसर की गति को अत्यंत तीव्र बनाया गया।
➢ नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट (Internet), ई-मेल (e-mail) तथा वर्ल्ड वाइड वेब (www-world wide web) का विकास हुआ।
➢ सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) तथा सूचना राजमार्ग
(Information Highway) की अवधारणा का विकास हुआ।
➢ नये कम्प्यूटर में कृत्रिम ज्ञान क्षमता (Artificial Intelligence) डालने के प्रयास चल रहे हैं ताकि कम्प्यूटर परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं निर्णय ले सके। आवाज को पहचानने (Speech Recognition) तथा रोबोट निर्माण (Robotics) में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
➢ मैगनेटिक बबल मेमोरी (Magnetic Bubble Memory) के प्रयोग से भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई।
➢ पोर्टेबल पीसी (Portable PC) और डेस्क टॉप पीसी (Desktop PC) ने कम्प्यूटर को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र से जोड़ दिया।
अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर (Next Generation Computer)
नैनो कम्प्यूटर (Nano Computer) : नैनो ट्यूब्स जिनका व्यास 1 नैनो मीटर (1×10 मी.) तक हो सकता है, के प्रयोग से अत्यंत छोटे व विशाल क्षमता वाले कम्प्यूटर के विकास की परिकल्पना की गई है। नैनो टेक्नोलॉजी में पदार्थ की आण्विक संरचना (Atomic Structure) का उपयोग किया जाता है।
क्वांटम कम्प्यूटर (Quantum Computer) : विद्युतीय किरणों में ऊर्जा इलेक्ट्रान की उपस्थिति के कारण होती है। ये इलेक्ट्रान अपने कक्ष में तेजी से भ्रमण करते हैं। इस कारण इन्हें एक साथ 1 और 0 की स्थिति में गिना जा सकता है। इस क्षमता का इस्तेमाल कर मानव मस्तिष्क से भी तेज कार्य करने वाले छोटे और तीव्र गति वाले कम्प्यूटर के विकास का प्रयास चल रहा है। इस प्रकार के कम्प्यूटर में पदार्थ के क्वांटम सिद्धांत का उपयोग किया जाता है। सामान्य कम्प्यूटर में मेमोरी को बिट में मापा जाता है जबकि क्वांटम कम्प्यूटर में इसे क्यूबिट (Qubit – Quantum Bit) में मापा जाता है।
डीएनए कम्प्यूटर (DNA Computer) : इसमें जैविक पदार्थ, जैसे DNA या प्रोटीन (Protein) का प्रयोग कर डाटा को संरक्षित व प्रोसेस किया जा सकता है। इसे Bio Computer भी कहा जाता है।
केमिकल कम्प्यूटर (Chemical Computer) : इसमें गणना के लिए पदार्थ के रासायनिक गुणों व सांद्रता (Concentration) का उपयोग किया जा सकता है।
कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण (Classification on Working Technology)
तकनीक के आधार पर कम्प्यूटर को तीन प्रकार में बांटा जाता है-
(i) एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer) : समय केसाथ लगातार परिवर्तित होने वाली भौतिक राशियों को एनालॉग राशि कहते हैं। जैसे-तापक्रम, दबाव, विद्युत वोल्टेज आदि। एनालॉग कम्प्यूटर में डाटा का निरूपण लगातार परिवर्तित होने वाली राशि के रूप में होता है। एनालॉग कम्प्यूटर की गति अत्यंत धीमी होती है। इस प्रकार के कम्प्यूटर अब प्रचलन से बाहर हो गये हैं। एक साधारण घड़ी, वाहन का गति मीटर (Speedo meter), वोल्टमीटर आदि एनालॉग कम्प्यूटिंग के उदाहरण हैं।
(ii) डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer) :
ये इलेक्ट्रानिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए द्विआधारी अंक पद्धति (Binary System-0 या 1) का प्रयोग किया जाता है। डिजिटल कम्प्यूटर में डाटा का निरूपण बाइनरी रूप (0 या 1) में किया जाता है। इनकी गति तीव्र होती है। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कम्प्यूटर इसी प्रकार के हैं। इसमें आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक पल्स के रूप में निरूपित किया जाता है।।
(iii) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) :
यह डिजिटल व एनालॉग कम्प्यूटर का मिश्रित रूप है। इसमें गणना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।
आकार और कार्य के आधार पर वर्गीकरण (Classification Based on Size &Work)
आकार और कार्य के आधार पर कम्प्यूटर को मेनफ्रेम, मिनी; माइक्रो कम्प्यूटर तथा सुपर कम्प्यूटर में बांटा जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर, नोटबुक, नेटबुक, टैबलेट, लैपटॉप, वर्कस्टेशन तथा पामटॉप आदि माइक्रो कम्प्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं।
मेन फ्रेम कम्प्यूटर (Main Frame Computer)
मेन फ्रेम कम्प्यूटर में मुख्य कम्प्यूटर एक केंद्रीय स्थान पर रखा जाता है जो सभी डाटा और अनुदेशों को स्टोर करता है। उपयोगकर्ता Dumb Terminal के माध्यम से मेन फ्रेम कम्प्यूटर से जुड़ता है तथा केंद्रीय डाटाबेस और प्रोसेसिंग क्षमता का उपयोग करता है। मेन फ्रेम कम्प्यूटर आकार में काफी बड़े होते हैं। इनकी डाटा स्टोरेज क्षमता अधिक होती है तथा डाटा प्रोसेस करने की गति तीव्र होती है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर से जुड़कर एक साथ कई लोग अलग- अलग कार्य कर सकते हैं। अतः इसे मल्टी यूजर (Multi User) कम्प्यूटर कहा जाता है। इसमें ऑनलाइन (Online) रहकर बड़ी मात्रा में डाटा प्रोसेसिंग किया जा सकता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर में दो या अधिक माइक्रोप्रोसेसर को एक साथ जोड़कर प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ायी जाती है। इनमें सामान्यतः 32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर में टाइम शेयरिंग (Time Sharing) तथा मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi Programming) आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। उपयोग : मेन फ्रेम कम्प्यूटर का उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंक, रेलवे आरक्षण, रक्षा, अनुसंधान, अंतरिक्ष विज्ञान आदि के क्षेत्र में किया जाता है।
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
ये आकार में मेनफ्रेम कम्प्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कम्प्यूटर से बड़े होते हैं। इसका आविष्कार 1965 में डीइसी (DEC-Digital Equipment Corporation) नामक कम्पनी ने किया। इसमें एक से अधिक माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। इसकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है। इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं, अतः संसाधनों का साझा उपयोग होता है। उपयोग : यात्री आरक्षण, बड़े ऑफिस, कम्पनी, अनुसंधान आदि में।
इम्बेडेड कम्प्यूटर (Embedded Computer)
किसी उपकरण जैसे टेलीविजन, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव, कार आदि से जुड़ा छोटा कम्प्यूटर जिसे किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है, इम्बेडेड कम्प्यूटर कहलाता है। इम्बेडेड कम्प्यूटर एक माइक्रो प्रोसेसर या इंटिग्रेटेड चिप के रूप में होता है जो उस उपकरण के कार्य को सरल बनाता है।
माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer)
इसका विकास 1970 से प्रारंभ हुआ जब सीपीयू (CPU- Central Processing Unit) में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा। इसका विकास सर्वप्रथम आईबीएम (IBM) कम्पनी ने किया। इसमें 8,16,32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। वीएलएसआई (VLSI-Very Lagre Scale Integration) और यूएलएसआई (ULS-Ultra Large Scale Integration) से माइक्रो प्रोसेसर के आकार में कमी आई है जबकि क्षमता कई गुना बढ़ गयी है। मल्टीमीडिया और इंटरनेट के विकास ने माइक्रो कम्प्यूटर की उपयोगिता को हर क्षेत्र में पहंचा दिया है। कई माइक्रो कम्प्यूटर को संचार माध्यमों द्वारा आपस में जोड़कर कम्प्यूटर नेटवर्क बनाया जा सकता है। डेस्कटॉप कम्प्युटर, पर्सनल कम्प्यूटर, लैपटॉप कम्प्यूटर, नोटबुक कम्प्यूटर, नेटबुक कम्प्यूटर, टैबलेट तथा स्मार्टफोन माइक्रो कम्प्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं। उपयोग : घर, आफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा आदि अनगिनत क्षेत्रों में इसका उपयोग हो रहा है।
पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer-PC)
इसे डेस्कटॉप कम्प्यूटर (Desktop Computer) भी कहा जाता है। आजकल प्रयुक्त होने वाले पीसी (PC- Personal Computer) वास्तव में माइक्रो कम्प्यूटर ही हैं। इसमें की-बोर्ड, मानीटर तथा सिस्टम यूनिट होते हैं। सिस्टम युनिट में सीपीयू (CPU-Central Processing Unit), मेमोरी तथा अन्य हार्डवेयर होते हैं। यह छोटे आकार का सामान्य कार्यों के लिए बनाया गया कम्प्यूटर है। इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति (Single User) कार्य कर सकता है। इसी कारण, इसे पर्सनल कम्प्यूटर कहा जाता है। इसका आपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य करने की क्षमता वाला (Multitasking) होता है। पीसी को टेलीफोन और मॉडेम (Modem) की सहायता से आपस में या इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है।
कुछ प्रमुख पीसी निर्माता कम्पनी हैं-आईबीएम (IBM) , लेनोवो (Lenovo), एप्पल (Apple), काम्पैक (Compaq), जेनिथ (Zenith), एचसीएल (HCL), एचपी (HP-Hewlett Packard)। उपयोग : पीसी का विस्तृत उपयोग घर, ऑफिस, व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन, डाटा संग्रहण, प्रकाशन आदि अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है। पीसी का विकास 1981 में हुआ जिसमें माइक्रो प्रोसेसर- 8088 का प्रयोग किया गया। इसमें हार्ड डिस्क ड्राइव लगाकर उसकी क्षमता बढ़ायी गयी तथा इसे पीसी-एक्स टी (PC-XT – Personal Computer-Extended Technology) नाम दिया गया। 1984 में नये माइक्रो प्रोसेसर-80286 से बने पीसी को पीसी-एटी (PC-AT- Personal Computer-Advanced Technology) नाम दिया गया। वर्तमान पीढ़ी के सभी पर्सनल कम्प्यूटर को पीसी-एटी ही कहा जाता है।
वर्क स्टेशन (Work Station)
यह एक शक्तिशाली पी. सी. हैं जो अधिक प्रोसेसिंग क्षमता, विशाल भंडारण और बेहतर डिस्प्ले (Display) को ध्यान में रखकर,बनाया जाता है। इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है।
उपयोग : वैज्ञानिक, इंजिनियरिंग, भवन निर्माण आदि क्षेत्रों में वास्तविक परिस्थितियों को उत्पन्न कर (Simulation) उनका अध्ययन करने के लिए।
नोटबुक कम्प्यूटर या लैपटॉप (Notebook Computer or Laptop)
यह नोटबुक के आकार का ऐसा कम्प्यूटर है जिसे ब्रीफकेस में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसमें पर्सनल कम्प्यूटर की सभी विशेषताएं मौजूद रहती हैं। चूंकि इसका उपयोग गोद (Lap) पर रखकर किया जाता है, अतः इसे लेपटॉप कम्प्यूटर (Laptop Computer) भी कहते हैं। लैपटॉप का विकास एडम आसबर्न (Adam Osborne) द्वारा 1981 में किया गया था। इसमें एक मड़ने योग्य एलसीडी (LCD) मॉनीटर, की-बोर्ड, टच पैड (Touch Pad), हार्डडिस्क, फ्लापी डिस्क ड्राइव, सीडी/डीवीडी ड्राइव और अन्य पोर्ट (Port) रहते हैं। विद्यत के बगैर कार्य कर सकने के लिए इसमें चार्ज की जाने वाली बैटरी (Chargeable Battery) का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः, लैपटॉप में लीथियम आयन बैटरी (Lithium ion Battery) का प्रयोग किया जाता है। वाई-फाई (Wi Fi) और ब्लूटूथ (Bluetooth) की सहायता से इसे इंटरनेट द्वारा भी जोड़ा जा सकता है।
नेटबुक (Netbook)
यह नोटबुक या लैपटॉप कम्प्यूटर का लघु संस्करण है जिसे गतिमान अवस्था में वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट का उपयोग करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया जाता है। नेटबुक का आकार व वजन लैपटॉप कम्प्यूटर से छोटा होता है तथा प्रोसेसिंग और स्टोरेज क्षमता भी कम होती है। Netbook शब्द की उत्पत्ति Internet तथा Notebook शब्द के मिलने से हुआ है। नेटबुक द्वारा इंटरनेट से जड़ने, वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर सर्किंग करने, ई-मेल भेजने तथा प्राप्त करने, सोशल मीडिया का प्रयोग करने, वीडियो तथा आडियो फाइल अपलोड या डाउनलोड करने आदि का काम आसानी से किया जा सकता है।
टैबलेट कम्प्यूटर (Tablet Computer)
टैबलेट एक छोटा कम्प्यूटर है जिसमें की-बोर्ड या माउस का प्रयोग नहीं होता। इसमें इनपुट के लिए स्टाइलस (Stylus), पेन या टच स्क्रीन (Touch Screen) तकनीक का प्रयोग होता है। टैबलेट में डाटा डालने के लिए Virtual या On Screen key board का प्रयोग किया जाता है। इसे वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट से भी जोड़ा जा सकता है। इसका प्रयोग स्मार्टफोन की तरह भी किया जा सकता है। चूंकि टैबलेट कम्प्यूटर का प्रयोग हाथ में रखकर किया जाता है, अतः इसे Hand held computer भी कहा जाता है। Apple कंपनी का आईपैड (iPad) टैबलेट कम्प्यूटर का एक उदाहरण है।
पॉमटाप (Palmtop) यह बहुत ही छोटा कम्प्यूटर है जिसे हाथ में रखकर कार्य किया जा सकता है। इसे मिनी लैपटॉप भी कहा जा सकता है। की-बोर्ड की जगह इसमें आवाज द्वारा इनुपट का कार्य लिया जाता है। पीडीए (PDA-Personal Digital Assistant) भी एक छोटा कम्प्यूटर है । जिसे नेटवर्क से जोड़कर अनेक कार्य किये जा सकते हैं। इसे फोन की तरह भी व्यवहार किया जा सकता है।
स्मार्टफोन (Smartphone)
स्मार्टफोन एक मोबाइल फोन है जिसमें कम्प्यूटर की लगभग सभी विशेषताएं मौजूद रहती हैं। इसमें डाटा इनपुट के लिए टच स्क्रीन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। टैबलेट या पीडीए एक कम्प्यूटर है जिसका प्रयोग वैकल्पिक फोन की तरह भी किया जा सकता है। दूसरी तरफ, स्मार्टफोन मुख्यतः एक फोन है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर प्रोसेसिंग के कुछ कार्यों तथा इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए किया जा सकता है। स्मार्टफोन का उपयोग एक हाथ से किया जा सकता है जबकि टैबलेट या पीडीए को दोनों हाथों से चलाना पड़ता है। स्मार्टफोन, टैबलेट तथा पीडीए हैंड हेल्ड डिवाइस (Hand Held Devices) कहलाता है।
लैपटॉप, नोटबक, नेटबक, टैबलेट तथा पीडीए में अंतर (Difference between Laptop, Notebook, Netbook, Tablet and PDA)
कम्प्यूटर तकनीक में हो रहे विकास और उपकरणों के आकार में आयी कमी ने इन उपकरणों के बीच के अंतर को कम किया है। इन उपकरणों के बीच एक रेखा खींच पाना अत्यंत कठिन हो गया है। लैपटॉप डेस्कटॉप कम्प्यूटर का मोबाइल संस्करण है। इसमें की-बोर्ड, माउस तथा स्पीकर उपकरण के साथ ही बना होता है। इसमें डेस्कटॉप कम्प्यूटर की सभी विशेषताएं रहती हैं, हालांकि प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है। नोटबुक लैपटॉप कम्प्यूटर का लघु संस्करण है। इसका वजन अपेक्षाकृत कम होता है तथा इसे साथ में लेकर घूमना आसान होता है। इसके मानीटर स्क्रीन का आकार 12 से 15 इंच तक हो सकता है।
नेटबुक कम्प्यूटर को मुख्यतः गतिमान अवस्था में इंटरनेट तथा उससे जुड़ी सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया जाता है। इसमें प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता की अपेक्षा नेटवर्क स्पीड पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इसके मानीटर स्क्रीन का आकार 10 से 14 इंच तक हो सकता है। नेटबक में सामान्यतः आप्टिकल डिस्क ड्राइव नहीं होता है। टैबलेट कम्प्यूटर में की-बोर्ड तथा माउस का प्रयोग नहीं होता। डाटा तथा निर्देश डालने के लिए स्टाइलस या टच स्क्रीन तथा वर्चुअल की-बोर्ड का प्रयोग किया जाता है। लैपटॉप, नोटबुक तथा नेटबुक का प्रयोग गोद में रखकर किया जाता है जबकि टैबलेट कम्प्यूटर तथा स्मार्टफोन का प्रयोग हाथ में पकड़कर किया जाता है।
सुपर कम्प्यूटर (Super Computer)
अत्यधिक तीव्र प्रोसेसिंग शक्ति और विशाल भंडारण क्षमता (मेमोरी) वाले कम्प्यूटर सुपर कम्प्यूटर कहलाते हैं। सुपर कम्प्यूटर का निर्माण उच्च क्षमता वाले हजारों प्रोसेसर को एक साथ समानान्तर क्रम में जोड़कर किया जाता है। इसमें मल्टी प्रोसेसिंग (Multi processing) और समानान्तर प्रोसेसिंग (Parallel processing) का उपयोग किया जाता है। समानान्तर प्रोसेसिंग में किसी कार्य को अलग-अलग टुकड़ों में तोड़कर उसे अलग-अलग प्रोसेसर द्वारा संपन्न कराया जाता है। सुपर कम्प्यूटर पर अनेक उपयोगकर्ता एक साथ काम कर सकते हैं, अतः इन्हें मल्टी यूजर (Multi User) कम्प्यूटर कहा जाता है। सुपर कम्प्यूटर विश्व के सर्वाधिक तेज कम्प्यूटर हैं, जो कम समय में जटिल गणनाएं कर सकते हैं।
सुपर कम्प्यूटर के प्रोसेसिंग स्पीड की गणना FLOPS (Floating Point Operations Per Second) में की जाती है। यहां फ्लोटिंग प्वाइंट का तात्पर्य कम्प्यूटर द्वारा संपन्न किये गये किसी भी कार्य से है जिसमें भिन्न संख्याएं (Fractional numbers) भी शामिल हो। वर्तमान सुपर कम्प्यूटर की गति पेटा फ्लाप्स (Peta Flops) में मापी जा रही है। (1 Peta Flops = 1015 Flops). विश्व के प्रथम सुपर कम्प्यूटर के निर्माण का श्रेय अमेरिका के रिसर्च कम्पनी (Cray Research Company) को जाता है। जिसकी स्थापना Seymour Cray ने की थी।
सुपर कम्प्यूटर के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान के लिए Seymour Cray को सुपर कम्प्यूटर का जन्मदाता (Father of Super Computer) कहा जाता है। उपयोग : सुपर कम्प्यूटर का उपयोग अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है। जैसे-वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में अनुसंधान और डिजाइन के लिए; पेट्रोलियम उद्योग में तेल के भंडारों का पता लगाने के लिए; वायुयान और आटोमोबाइल उद्योग में डिजाइन तैयार करने में; अंतरिक्ष अनुसंधान में; मौसम विज्ञान में मौसम का पूर्वानुमान लगाने में; रक्षा क्षेत्र में; कम्प्यूटर पर परमाणु भट्ठियों के सबक्रिटिकल परीक्षण करने में, आदि।
भारत में सुपर कम्प्यूटर (Super Computer in India)
भारत में ‘परम’ सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का निर्माण सी-डैक (C-DAC-Centre for Development of Advanced Computing), पुणे द्वारा किया गया है। ‘परम-8000′ सी-डैक द्वारा विकसित पहला सुपर कम्प्यूटर था जिसका निर्माण 1991 में किया गया था। इसके निर्माण का श्रेय सी-डैक के निदेशक डॉ. विजय भास्कर को जाता है। ‘परम पद्म’ सुपर कम्प्यूटर का निर्माण 2003 में किया गया जिसकी गणना क्षमता 1 टेरा फ्लाप्स (1 Tera = 1012) यानि 1 खरब गणना प्रति सेकेण्ड थी।
‘परम युवा-II’ सुपर कम्प्यूटर का निर्माण 2013 में किया गया जो सी-डैक द्वारा विकसित सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर है। इसकी गणना क्षमता 500 टेरा फ्लाप्स (T Flops) है। इस तरह के सुपर कम्प्यूटर विश्व के कुल पांच देशों-अमेरिका. जापान, चीन, इजराइल और भारत के पास ही उपलब्ध है। अनुपम’ सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का विकास बार्क (BARC- Bhabha Atomic Research Centre) मुम्बई द्वारा किया गया है। पेस (PACE-Processor for Aerodynamic Computation and Evaluation) सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का निर्माण अनुराग (ANURAG-Advanced Numerical Research and Analysis Group) हैदराबाद द्वारा डीआरडीओ (DRDO-Defence Research and Development Organization) के लिए किया गया।
भारत के प्रथम सुपर कम्प्यूटर ‘फ्लोसाल्वर’ (Flosalver) का विकास नाल (NAL-National Aeronautical Lab), बंगलुरू द्वारा 1980 में किया गया था।
Important Facts of Computer
➢ आईबीएम (IBM) के डीप ब्लू (Deep Blue) कम्प्यूटर ने शतरंज के विश्व चैंपियन गैरी कास्परोव को पराजित किया था। यह 1 सेकेण्ड में शतरंज की 20 करोड़ चालें सोच सकता है।
➢ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को कम्प्यूटर के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ‘आधुनिक कम्प्यूटर विज्ञान का जनक’ (Father of Modern Computers) कहा जाता है।
➢ आधुनिक कम्प्यूटर के विकास में सर्वाधिक योगदान अमेरिका के डॉ. वान न्यूमेन (Van Neumann) का है। इन्हें डाटा और अनुदेश (Instructions) दोनों को बाइनरी प्रणाली (0 और 1) में संग्रहित करने का श्रेय दिया जाता है।
➢ टांजिस्टर (Transistor) का आविष्कार 1947 में बेल लैबोरेटरीज (Bell Laboratories) के जॉन वारडीन, विलियम शाकले तथा वाल्टर ब्रेटन (Bardeen, Shockley and Brattain) ने किया। अर्द्धचालक (Semiconductor) पदार्थ सिलिकन (Si) या जर्मेनियम (Ge) का बना टांजिस्टर एक तीव्र स्विचिंग डिवाइस है।।
➢ इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का विकास 1958 में जैक किल्बी (Jack Kilby) तथा राबर्ट नोयी (Robert Noyce) द्वारा किया गया। सिलिकन की सतह पर बने इस प्रौद्योगिकी को माइक्रो इलेक्ट्रानिक्स (Micro Electronics) का नाम दिया गया। ये चिप अर्धचालक (Semiconductor) पदार्थ सिलिकन (Si) या जर्मेनियम (Ge) के बने होते हैं।
➢ मूर के नियम (Moore’s Law) के अनुसार, प्रत्येक 18 माह में चिप में उपकरणों की संख्या दगनी हो जाएगी।
➢ यूएलएसआई (ULSI) में एक चिप पर 1 करोड़ इलेक्ट्रानिक डिवाइस बनाये जा सकते हैं।
➢ आलू के चिप्स के आकार के होने के कारण इंटीग्रेटेड सर्किट को चिप (Chip) नाम दिया गया।
➢ कम्प्यूटर निर्माण उद्योग में अग्रणी होने के कारण भारत का बंग्लुरू शहर सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) के नाम से प्रसिद्ध है।
Lesson – 2
कम्प्यूटर का उद्भव और विकास (Evolution & Development of Computer)
1. निम्नलिखित में से कौन सी, भाभा परमाण अनुसंधान केन्द्र द्वारा विकसित सुपर कम्प्यूटर है
(a) परम पदम
(b) फ्लोसाल्वर
(c) चिप्स
(d) अनुपम
उत्तर – (d)
2. डिजिटल कम्प्यूटर विकसित किया गया।
(a) रूस द्वारा
(b) ब्रिटेन द्वारा
(c) यूएसए द्वारा
(d) जापान द्वारा
उत्तर – (c)
3. वह आदमी जो कम्प्यूटर का जनक समझा जाता है। (Utt.PCS/Mains/2002), (SSC-2010)
(a) चार्ल्स बैबेज
(b) होलरिप
(c) लेबनिज
(d) ब्लेज पास्कल
उत्तर – (a)
4. कम्प्यूटर में प्रयुक्त आईसी चिप बनी होती है। (UPSC/Pre/2002/06; JPSC (P.) 2010)
(a) सिलिकान
(b) पर्ण
(c) क्रोमियम
(d) स्वर्ण
उत्तर – (a)
5. संसार का पहला गणक यंत्र है- (UPPCS/Mains/2002)
(a) अबेकस
(b) एनियक
(c) मार्क-1
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans.(a)
6. हाइब्रिड कम्प्यूटर में प्रयोग होता है-(UPPCS/Mains/2001)
(a) डिजिटल संकेतों का
(b) एनालॉग संकेतों का
(c) दोनों का
(d) किसी का नहीं
उत्तर – (c)
7.माइक्रो प्रोसेसर का आविष्कार किया था
(a) आईबीएम
(b) एप्पल ने
(c) इंटेल ने
(d) एचसीएल ने
उत्तर – (c)
8. आईबीएम (IBM) है-
(a) एक चिप
(b) एक कम्पनी
(c) कम्प्यूटर का एक प्रकार
(d) मेमोरी डिवाइस
उत्तर – (b)
9. वर्तमान पीढ़ी के कम्प्यूटर में प्रयोग होते हैं
|(a)SSIC
|(b) MSIC
(c)VLSIC
(d) ULSIC
उत्तर – (d)
10. संसार का प्रथम प्रोग्रामर माना जाता है-
(a) चार्ल्स बैबेज
(b) लेडी एडा आगस्टा
(c) एप्पल क.
(d) आईबीएम कम्पनी
उत्तर – (b)
11. अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर में प्रयोग किया जाएगा-
(a)AI
(b) BI
(c)CI
(d) DI
उत्तर – (a)
12. घरों और व्यक्तिगत उपयोग में आने वाला पीसी (PC) वास्तव मे है।
(a) माइक्रो कम्प्यूटर
(b) मिनी कम्प्यूटर
(c) मेनफ्रेम कम्प्यूटर
(d) सुपर कम्प्यूटर
उत्तर – (a)
13. द्विआधारी पद्धति (Binary System) का प्रयोग करने वाले कम्प्यूटर को कहते हैं-
(a) एनालॉग कम्प्यूटर
(b) डिजिटल कम्प्यूटर
(c) हाइब्रिड कम्प्यूटर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (b)
14. कौन मस्तिष्क की कार्यप्रणाली की नकल करने वाला सबसे छोटा और सबसे तीव्र गति वाला कम्प्यूटर होगा- (UPPSC/Pre/2020) (a) सुपर कम्प्यूटर
(b) क्वांटम कम्प्यूटर
(c) परम-10,000
(d) आईबीएम चिप्स
उत्तर – (b)
15. कम्प्यूटर की पांचवी पीढ़ी का प्रतीक है-
(a) माइक्रो प्रोसेसर
(b) मिनी कम्प्यूटर
(c) माइक्रो कम्प्यूटर
(d) सुपर कम्प्यूटर
उत्तर – (d)
16. विश्व का प्रथम इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर है-
(a) एनिएक
(b) यूनीवैक
(c) मार्क-
|(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
17. इंटीग्रेटेड सर्किट चिप के विकास का श्रेय जाता है-
(a) चार्ल्स बैबेज को
(b) जे. एस. किल्वी को
(c) राबर्ट नोयी को
(d) b व c दोनों को
उत्तर – (d)
18. निम्नलिखित में कौन भारत में विकसित सुपर कम्प्यूटर नहीं है-
(a) परम
(b) अनुपम
(c) पेस
(d) विप्रो
उत्तर – (d)
19. भारत में सिलिकन वैली (Silicon Valley) स्थित है- (Utt.UDA/LDA/Pre/2003)
(a) चेन्नई
(b) दिल्ली
(c) बेग्लुरू
(d) मुम्बई
Ans.(c)
20. सी-डैक (C-DAC) का संबंध है— (UP B.ed Ent. 2006)
(a) कम्प्यू टर
|(b) टीवी
(c) टैलीमैटिक्स
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
21. आधुनिक कम्प्यूटरों का लघुरूपण संभव हो सका है, निम्न के प्रयोग से- (UPPSC(P) 07)
(a) ट्रांजिस्टर
(b) समकलित परिपथ चिप्स (Integrated Circuit Chips)
(c) नैनो पदार्थ
(d) अति संचालक
उत्तर – (b)
22. पहला कम्प्यूटर बनाया था-
(a) बिल गेट्स ने
(b) बिल क्लिंटन ने
(c) चार्ल्स बैबेज ने
(d) मार्कोनी ने
उत्तर – (c)
23. आईसी चिपों (IC Chips) का निर्माण किया जाता है- (Utt.PCS 2021)
(a) फाइबर से
(b) सेमी कण्डक्टर से
(c) प्लास्टिक से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (b)
24. इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर का आविष्कार किया था-
(a) मार्कोनी
(b) एलन एम टूरिंग
(C) एलेक्जेण्डर ग्राहम बेल
(d) चार्ल्स बैबेज
उत्तर – इनमें से कोई नहीं
25. भारत में विकसित परम सुपर कम्प्यूटर का विकास किस संस्था ने किया है- (RAS-1998) (a) सी डैक (C-DAC)
(b) आईआईटी कानपुर
(c) बार्क (BARC)
(d) आईआईटी दिल्ली
उत्तर – (a)
26. भारत में बना सुपर कम्प्यूटर फ्लोसाल्वर (Flopover) विकसित व डिजाइन किया गया था- (UPSC (P.) 2013)
(a) नाल, बेंगलुरू
(b) सी-डैक, पुणे
(c) बार्क, मुम्बई
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
27 वाणिज्यिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराया गया पहला कम्प्यूटर था- (SSC(GL.)2011)
(a) मनिआक (MANIAC)
(b) एनिक (ENIAC)
(c) यूनीवैक (Univac)
(d) इडवैक (Edvac)
उत्तर – (c)
28. भारतीय सुपर कम्प्यूटर का नाम है-
(a) शुभम
(b) परम (PARAM)
(c) एस एक्स-2
(d) बीबीसी माइक्रो
उत्तर – (b)
29. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- (IAS (P) 2004)
1. एडम आस्बन ने प्रथम सुवाह्य अभिकलित (First Portable Computer) विकसित किया।
2. ईयान विल्मुट ने प्रथम कृन्तक भेड़ (First Crowned Ship) की उत्पत्ति की।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
30. पहले इलेक्ट्रानिक अंकीय कम्प्यूटर (Electronic Digital Computer) में क्या था? (SSC (GL.)2011)
(a) ट्रांजिस्टर
(b) वाल्व (Valve)
(c) कोड स्मृति .
(d) अर्धचालक स्मृति
उत्तर – (b)
31. विशेष रूप से डिजाइन किए गए कम्प्यूटर चिप, जो किसी अन्य डिवाइस के अंदर रहते हैं, कहलाते हैं-
(a) सर्वर 4
(b) चिप
(c) रोबोट कम्प्यूटर
(d) एम्बेडेड कम्प्यूटर
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (d)
32. निम्नलिखित में कौन सबसे बड़ा, सबसे तेज और सबसे महंगा कम्प्यूटर है- (IBPS (CIk.)2011)
(a) पर्सनल कम्प्यूटर
(b) सुपर कम्प्यूटर
(c) लैपटॉप
(d) नोटबुक
उत्तर – (b)
33. एक छोटे सिलिकॉन चिप पर ट्रांजिस्टर और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों द्वारा बने पूर्ण इलेक्ट्रानिक सर्किट को कहते हैं- (RBI,2012)
(a) वर्क स्टेशन
(b) सीपीयू
(c) इंटेग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit)
(d) मैग्नेटिक डिस्क
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
कंप्यूटर प्रश्नोत्तरी सवाल और जवाब CLICK NOW
विश्व के प्रथम सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया था
निम्नलिखित में से कौन सी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित सुपर कंप्यूटर है
डिजिटल कंप्यूटर विकसित किया गया था
IBM का पूरा नाम क्या है
वह आदमी जो कंप्यूटर का जनक समझा जाता है
भारत में सुपर कंप्यूटर परम का निर्माण किया
कंप्यूटर में प्रयुक्त आई सी चिप बनी होती है
संसार का पहला गणक यंत्र है
हाइब्रिड कंप्यूटर में प्रयोग होता है
माइक्रो प्रोसेसर का आविष्कार किया था
IBM हैं
संसार का प्रथम प्रोग्राम माना जाता है
अगली पीढ़ी के कंप्यूटर में प्रयोग होता है
घरों और व्यक्तियों में उपयोग किए जाने वाला कंप्यूटर हैं
द्विआधारी पद्धति का प्रयोग करने वाले कंप्यूटर को कहते हैं
कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी का प्रतीक है
भारत में सिलिकॉन वैली स्थित है
आईसी चिपों का निर्माण किया जाता है
इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का आविष्कार किया था
भारत में विकसित परम सुपर कंप्यूटर का आविष्कार किस संस्था ने किया
भारतीय सुपर कंप्यूटर का नाम है
निम्नलिखित में कौन सबसे बड़ा सबसे तेज और सबसे महंगा कंप्यूटर हैं
वर्तमान पीढ़ी के कंप्यूटर में प्रयोग होता है
विश्व का प्रथम ELECTRONIC कंप्यूटर है