CG HISTORY – छत्तीसगढ़ का वाकाटक काल
दक्षिणापथ स्वामी सातवाहनों की शक्ति क्षीण होने के बाद वाकाटकों ने दक्कन में अपना राज्य स्थापित किया। वाकाटक नरेश प्रवरसेन I विस्तारवादी था और उसने दक्षिण कोशल के समूचे क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थाप्त कर लिया था।
प्रवरसेन I के मरणोपरांत गुप्तों ने दक्षिण कोशल पर आधिपत्य स्थापित कर लिया। परवर्ती वाकाटक नरेश नरेन्द्र सेन ने फिर से दक्षिण कोशल पर वाकाटकों की प्रभुसत्ता स्थापित की।
वाकाटक-नल संघर्ष : वाकाटक नरेशों को बस्तर के कोरापुट क्षेत्र में राज्य करनेवाले नल शासकों से संघर्ष करना पड़ा।
नल शासक भवदत्त वर्मन ने परवर्ती वाकाटक नरेश नरेन्द्रसेन की राजधानी नन्दीवर्धन (नागपुर) पर आक्रमण कर उसे पराजित किया। इस पराजय का बदला नरेन्द्रसेन के पुत्र पृथ्वीसेन II ने लिया। पृथ्वीसेन II ने भवदत्त के उत्तराधिकारी अर्थपति को पराजित किया।
इस युद्ध में नल शासक अर्थपति की मृत्यु हो गई। तत्पश्चात् वाकाटकों के वत्सगुल्म शाखा के राजा हरिषेण ने दक्षिण कोशल पर कब्जा कर लिया। इसके बाद नल शासक स्कन्दवर्मन ने दक्षिण कोशल में नल वंश की पुनर्स्थापना की। उसने बस्तर के पुष्करी (भोपालपट्टनम) को अपनी राजधानी बनाई।