मुसलमानों के धर्मगुरु तुर्की के खलीफा की सर्वोच्चता एवं उसकी शक्ति को स्थापित न कराने के उद्देश्य से भारत में चलाए गए आंदोलन को ‘खिलाफत आंदोलन’ कहा जाता है
खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व अली बंधुओं (मुहम्मद अली व शौकत अली) ने किया। स आंदोलन में मुस्लिमों के साथ हिन्दू जनता और कांग्रेस ने भी सहयोग दिया। गांधीजी हिन्दू मुस्लिम एकता को ध्यान में रखते हुए खिलाफत के मामले में पूर्ण सकारात्मक और सहयोगात्मक रुख अपनाने के लिए कांग्रेस के मंच से अपील की।
छत्तीसगढ़ में भी खिलाफत आंदोलन का प्रभाव दिखा। वर्ष 1920 ई० में रायपुर जला कांग्रेस का सम्मेलन हुआ एवं 17 मार्च, 1920 ई० को एक जनसभा हुई, जिसमें खिलाफत उपसमिति गठित की गई। इस समय असगर अली ने हिन्दू भाइयों को मुसलमानों व्य री सहानुभूति रखने पर धन्यवाद दिया।
इसी समय 1920 ई० में बिलासपुर में जिला कांग्रेस का सम्मेलन हुआ, जिसकी अध्यक्षता डॉ० मुंजे ने की। इसमें खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया गया।