British Shasan in Chhattisgarh Gernal Knowledge
छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन GK
1853 में रघुजी तृतीय की नि:संतान मृत्यु हो जाने के पश्चात हड़पनीति के तहत नागपुर राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया, 1855 से 1947 तक छत्तीसगढ़ का क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन रहा। इस दौरान अनेक प्रशासनिक परिवर्तन किए गए जो निम्न थे-
मध्यप्रांत का गठन
2 नवम्बर 1861 को मध्यप्रांत का गठन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ क्षेत्र भी शामिल था, रायपुर व बिलासपुर को जिला बनाया गया। 1862 में छत्तीसगढ़ को संभाग का दर्जा दिया गया। रायपुर, बिलासपुर के अलावा संबलपुर जिला भी शामिल किया गया।
रायपुर में डिप्टी कमिश्नर के रूप में चार्ल्स इलियट की नियुक्ति की गयी। मोबिबऊल हसन को रायपुर तथा गोपाल राव आनंद को बिलासपुर का अतिरिक्त सहायक कमिश्नर बनाया गया। 1905 में मध्यप्रांत का पुर्नगठन करते हुए संबलपुर को बंगाल प्रांत में जबकि सरगुजा क्षेत्र को मध्यप्रांत में शामिल किया गया।
छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश प्रशासन
- रघुजी तृतीय की मृत्यु (1853) के पश्चात् डलहौजी की हड़प नीति के तहत् 1854 में
- नागपुर राज्य का विलय ब्रिटिश साम्राज्य में कर लिया गया।
- 1855 में अंतिम जिलेदार गोपाल राव आनंद ने छत्तीसगढ़ का शासन ब्रिटिश प्रतिनिधि को सौंप दिया।
- 1855 से लेकर 1947 तक छत्तीसगढ़ का क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन रहा।
- रायपुर में डिप्टी कमिश्नर चार्ल्स इलियट की नियुक्ति की गयी जो
- नागपुर में नियुक्त कमिश्नर के अधीन कार्य करता था।
मध्य प्रांत का गठन
- 1861 में 2 नवंबर 1861 को गठन, नागपुर राज्य और सम्मिलित क्षेत्र शामिल रायपुर, बिलासपुर को जिले का दर्जा
- 1862 में छत्तीसगढ़ को संभाग का दर्जा, रायपुर, बिलासपुर और संबलपुर जिले शामिल
- गोपालराव आनंद को बिलासपुर का तथा मोबिन उल हसन को रायपुर का अतिरिक्त सहायक कमिश्नर बनाया गया।
- 1905 में मध्य प्रांत का पुनर्गठन, बरार क्षेत्र मध्य प्रांत का हिस्सा बना
- एवं बंगाल प्रांत के सरगुजा, जशपुर, चांगभखार को मध्य प्रांत में तथा मध्य प्रांत के संबलपुर, झारसुगड़ा कालाहाण्डी को बंगाल प्रांत में| शामिल कर लिया गया।
प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था
ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए तहसीलों का गठन किया गया, इनका प्रमुख तहसीलदार होता था। प्रारंभ में रायपुर, धमतरी तथा रतनपुर तहसील बनाया गया बाद में धमधा व नवागढ़ को तहसील बनाया गया।
तहसीलदार का पद भारतीयों के लिए सुरक्षित रखा गया था। तहसील से नीचे परगने होते थे जिसमे प्रमुख नायब तहसीलदार होते थे। सहायक कमिश्नर, अतिरिक्त सहायक कमिश्नर व तहसीलदारों को न्यायिक अधिकार सौंपा गया।
प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था
- तहसील -रायपुर, धमतरी व रतनपुर (प्रारीभक तहमाल) बाद में धमधा एवं नवागढ़ का तहसाल का दी
- प्रमुख अधिकारी – तहसीलदार (भारतीयों के लिए सुरक्षित पद)
- परगना – तहसील से छोटी प्रशासनिक ईकाई इसका प्रमुख नायब तहसीलदार था। 1856 से नायब तहसीलदारों का प्रमुख कार्य राम वसूली करना हो गया तथा उन्हें न्यायिक अधिकार से वंचित कर दिया गया।
- न्यायिक अधिकार- सहायक कमिश्नर व तहसीलदारों को
राजस्व व्यवस्था
ब्रिटिश अधीक्षक सैंडिस के काल से ही लोरमी और तरेंगा दो ताहुतदारी स्थापित की गयी थी, बाद में सिरपुर, लवन, सिहावा, खल्लारी, संजारी आदि ताहुतदारी भी बनाये गये।
संपूर्ण क्षेत्र खालसा तथा जमींदारी क्षेत्र में विभाजित था, खालसा भूमि मालगुजार जबकि जमींदारी भूमि जमींदार के अधिकार में होता था। गौटिया का पद अब भी बना रहा तथा उसे मालगुजार कहा जाने लगा।
तथ्य –
- ताहुतदारी- छत्तीसगढ़ में ताहुतदारी प्रथा प्रचलित थी जिसके प्रमुख ताहुतदारहोते थे ये न तो जमींदार होते थे न ही गौटिया।
- ब्रिटिश काल में सम्पूर्ण क्षेत्र खालसा तथा जमींदारी क्षेत्र में विभाजित था। खालसा भूमि मालगुजार के और जमींदारी भूमि जमींदार के अधिकार में थी।
- ग्राम स्तर पर गौटिया का पद यथावत बना रहा। अंग्रेजी प्रशासन के अंतर्गत गौटिया अब मालगुजार कहलाने लगा मालगुजार की पदवी के साथ मालिकाना हक प्राप्त करता था।
पुलिस एवं जेल व्यवस्था –
ब्रिटिश काल में पुलिस व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए प्रत्येक जिले में एक पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति की गयी। पुलिस को मासिक वेतन दिया जाने लगा, जमींदारी क्षेत्रों में पुलिस की व्यवस्था जमींदारों द्वारा की जाती थी। रायपुर में एक केन्द्रीय जेल का निर्माण किया गया, कैदियों के लिए जेल में ही भोजन की व्यवस्था, स्वास्थ्य उपचार आदि की व्यवस्था की गयी। डिप्टी कमिश्नर जेल की व्यवस्था निरिक्षण करते थे।
तथ्य – प्रत्येक जिले में पुलिस अधीक्षकों की नियुक्ति, रायपुर में केन्द्रीय जेल का निर्माण।
यातायात व्यवस्था
छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन द्वारा यातायात के साधनों का विकास किया गया जिसके तहत 1862 में ग्रेट इस्टर्न रोड सहित अनेक नयी सड़कों का निर्माण किया गया।
1880 में राजनांदगांव-नागपुर के मध्य रेलवे लाईन की नींव रखी गयी जो 1882 में प्रारंभ हुई। इसका नाम नागपुर-छत्तीसगढ़ रेलवे था जिसका मुख्यालय नागपुर था। 1888 में इसे ब्रॉडगेज में परिवर्तित किया गया तथा 1900 में बिलासपुर रेल मण्डल का गठन किया गया।
यातायात व्यवस्था तथ्य –
- 1862 – ग्रेट ईस्टर्न रोड का निर्माण
- 1880 – राजनांदगांव-नागपुर के मध्य मीटर गेज लाईन
- 1882 – रेल यातायात प्रारंभ नागपुर छत्तीसगढ़ रेलवे, मुख्यालय नागपुर
- 1888 – नागपुर-राजनांदगांव ब्राडगेज रेल सेवा प्रारंभ
- 1900 – बिलासपुर रेल मंडल का गठन तथा यह क्षेत्र कलकत्ता मुख्यालय के अधीन आ गया।
डाक व्यवस्था
प्रारंभिक तौर पर डाक लाने ले जाने का कार्य हरकारों द्वारा किया जाता था, रायपुर में छत्तीसगढ़ के प्रथम डाकघर की स्थापना की गयी तथा जिसके पोस्ट मास्टर के रूप में स्मिथ की नियुक्ति की गयी। जिला स्तर पर दफेदार डाक व्यवस्था का निरीक्षण करता था।
तथ्य –
- रायपुर में प्रथम डाक घर की स्थापना, स्मिथ (पोस्ट मास्टर)
- जिला स्तर पर दफेदार की नियुक्ति की गयी।
विनिमय प्रणाली
विनियम प्रणाली में एकरूपता लाने के उद्देश्य से ब्रिटिश प्रशासन द्वारा नवीन विनिमय प्रणाली लागू की गयी। इसके तहत कंपनी द्वारा 5 जून 1855 के पश्चात नागपुरी रूपयों का चलन बंद कर दिया गया तथा इसके स्थान पर कंपनी द्वारा जारी किये गये सिक्कों को मान्यता दी गयी।
विनिमय प्रणाली – नागपुरी रूपयों के स्थान पर कंपनी द्वारा सिक्के जारी (5 जून 1855)