छत्तीसगढ़ रायपुर का कल्चुरी वंश (लहुरी शाखा) सामान्य ज्ञान

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CG Raipur kalchuri Vansh GK

रायपुर का कल्चुरी वंश (लहुरी शाखा) जनरल नॉलेज हिन्दी

रतनपुर के कल्चुरियों की लहुरी शाखा लगभग चौदहवीं शताब्दी ई. मेंरायपुर में स्थापित हुई। इस शाखा के शासक ब्रम्हदेव के दो शिलालेख रायपुर तथा खल्लारी से प्राप्त हुए है। रायपुर शाखा का संस्थापक संभवतः केशवदेव नामक राजा था।

रायपुर कल्चुरी वंश के विषय में जानकारी ब्रम्हदेव के खल्लारी शिलालेख से मिलती है। रायपुर कल्चुरी वंश का वास्तविक संस्थापक रामचंद्र देव था, जिसकी राजधानी खल्लारी या खल्लवाटिका थी। रामचन्द्र देव ने अपने पुत्र ब्रम्हदेव राय के नाम पर रायपुर नामक नगर की स्थापना की तथा ब्रम्हदेव राय ने शासक बनने के बाद रायपुर को अपनी राजधानी बनाया।

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खल्लारी शिलालेख- ब्रम्हदेव राय के खल्लारी शिलालेख से ज्ञात होता है कि देवपाल नामक मोची ने खल्लारी में नारायण मंदिर (विष्णु मंदिर) का निर्माण कराया। इस शाखा का अंतिम शासक अमर सिंह था, जिसे 1750 ई. में रघुजी प्रथम (मराठा शासक) ने पराजित किया और इस क्षेत्र में मराठा शासन स्थापित किया। 1757 में मोहन सिंह की मृत्यु के बाद रायपुर एवं रतनपुर दोनों शाखाओं में मराठों का प्रत्यक्ष शासन स्थापित हुआ।

दुधाधारी मठ- बिम्बाजी की सहायता से रामानंदी संप्रदाय द्वारा रायपुर में दूधाधारी मठ की स्थापना की गई।

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