कंप्यूटर इंटरनेट सामान्य ज्ञान Computer Internet Samanya Gyan

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INTERNET 1. इंटरनेट क्या है? (What is Internet?)  

इंटरनेट इंटरनेशनल नेटवर्किंग (International New ing) का संक्षिप्ताक्षर है। यह दुनिया भर में फैले हुए अनेक छोट-बड़ कम्प्यूटर नेटवर्कों के विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़ने से बना विशाल व विश्व व्यापी जाल (dlobal network) है जो समान नियमो (protocols) का अनुपालन कर एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करते हैं तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव बनाते है।। इंटरनेट नेटवर्कों का नेटवर्क है। यह संसार का सबसे बड़ा नेटवर्क है जो दुनियाभर में फैले व्यक्तिगत, सार्वजनिक, शैक्षिक, व्यापारिक तथा सरकारी नेटवर्क के आपस में जुड़ने से बनता है। इंटरनेट को हम आधुनिक युग के संदेशवाहक की संज्ञा दे सकते हैं। इस तकनीक का प्रयोग कर हम किसी सूचना, जिसमें डाटा (data), टेक्स्ट (text), ग्राफ (graph), चित्र (image), ध्वनि (audio) तथा चलचित्र (video) शामिल है, को पलक झपकते ही दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में भेज सकते हैं तथा इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटरों में रखी गयी विशाल सूचनाओं में से वांछित सूचना प्राप्त भी कर सकते हैं। इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के कारण ही आधुनिक युग को ‘संचार क्रांति का युग’ भी कहा जाता है। 

2. इंटरनेट कैसे कार्य करता है? (How Internet Works?) 

दुनियाभर के अनेक छोटे बड़े कम्प्यूटर नेटवर्क को विभिन्न संचार माध्यमों से आपस में जुड़ने से इंटरनेट का निर्माण होता है। इंटरनेट Client-Server Model पर काम करता है। इंटरनेट से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर एक सर्वर से जुड़ा होता है तथा संसार के सभी सर्वर विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। सर्वर अपने से जडे उपयोगकर्ता (client) को मांगी गयी सचना या डाटा उपलब्ध कराता है। यदि मांगी गयी सूचना उस सर्वर के पास उपलब्ध नहीं है। तो वह उस सर्वर की पहचान करता है जहां यह सूचना उपलब्ध है तथा उस सर्वर से सूचना उपलब्ध कराने का अनुरोध करता है। इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों के बीच डाटा स्थानान्तरण के लिए यह आवश्यक है कि सभी नेटवर्क एक समान नियमों या प्रोटोकाल का उपयाग करें। ओपन ऑर्किटेक्चर नेटवर्किंग द्वारा टीसीपी/आईपी (TCP/IP) के द्विस्तरीय नियमों के परिपालन द्वारा सूचनाओं का ‘आदान-प्रदान सुविधाजनक बनाया गया है। इसमें सूचनाओं के आदान- प्रदान के लिए पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) का प्रयाग किया जाता है जिसमें सूचनाओं का बंडल (Packet) बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक संचार माध्यम का उपयोग है। इससे दुनियाभर के कंप्यूटर को स्थान तक ले जाया जाता है। इस कारण, एक ही का उपयोग विभिन्न उपभोक्ताओं द्वारा किया जा सकता दुनियाभर के कंप्यूटर एक-दूसरे से सीधे जुड़े बिना भी  सूचनाओं का  का आदान-प्रदान कर सकते हैं। किसी कम्पूटरको इंटरनेट से जोरने के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाता (Internet Service Provider) मी कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सेवा (internet Service Provider) की सेवा लेनी पड़ती है। होन लाइन या वायरलेस तकनीक द्वारा कंप्यटर को माता के सर्वर से जोड़ा जाता है। इसके लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता को कुछ शुल्क भी देना पड़ता है। 

3. इंटरनेट का मालिक कौन है? (Who owns Internet?) 

इंटरनेट सूचना तंत्र वस्तुतः किसी व्यक्ति या संस्था के नियंत्रण से परे है। चूंकि इंटरनेट अनेक छोटे बड़े कंप्यूटर नेटवर्क के आपस में जड़ने से बनता है, अतः इंटरनेट पर अनेक संस्थानों, निगमों, सरकारी उपक्रमों, शिक्षण संस्थाओं, व्यक्तिगत संस्थानों तथा विभिन्न सेवा प्रदाताओं (Service Providers) का थोड़ा-थोड़ा स्वामित्व माना जा सकता है। इंटरनेट की कार्यप्रणाली की देखरेख करने तथा उनके अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने का कार्य कुछ स्वैच्छिक अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं करती हैं। 

कुछ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संस्थाए हैं- 

ISOC (Internet Society) : यह एक गैर लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जिसका गठन 1992 में इंटरनेट से संबंधित मानकों (Standards), प्रोटोकॉल तथा नीतियों (Policies) का विकास करने और लोगों को इस संबंध में शिक्षित बनाने के लिए किया गया। 

Internet Architecture Board (IAB): यह संस्थान इंटरनेट सोसायटी (ISOC) द्वारा निर्धारित नियमों के तहत इंटरनेट के लिए आवश्यक तकनीकी और इंजीनियरिंग विकास का कार्य करता है। 

ICANN (Internet Corporation for Assigned Names &Numbers) : 1998 ई. में स्थापित यह संगठन इंटरनेट पर IP Address तथा Domain name प्रदान करने तथा उसके मानकों के निर्धारण का कार्य करता है। 

Domain Name Registrars : कुछ गैर सरकारी संस्थाएं ICANN द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार इंटरनेट के प्रयोग के लिए डोमेन नेम (Domain Name) प्रदान करती हैं जिन्हें डोमेन नेम रजिस्ट्रार कहा जाता है। विभिन्न डोमेन नेम रजिस्ट्रार यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति या संस्था को इंटरनेट पर एक विशेष (Unique) डोमेन नेम प्रदान किया जाए। डोमेन नेम रजिस्ट्रार का निर्धारण ICANN या Country Code Top Level Domain (CCTLD) द्वारा किया जाता है। 

IRTF (Internet Research Task Force) : यह संस्थान भविष्य में इंटरनेट की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु अन्वेषण व खोज (Research) को बढ़ावा देता है।

 IETF (Internet Engineering Task Force): इंटरनेट मानकों का विकास करना व उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना इस संस्थान का उद्देश्य है। W3C (Word Wide Web Consortium) : यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो वर्ल्ड वाइड वेब के जनक टिम बर्नर्स ली के नेतृत्व में काम करती है। इसका गठन 1994 में किया गया। यह संस्था वर्ल्ड वाइड वेब के प्रयोग के लिए मानकों का निर्धारण करती है। 

4. इंटरनेट से जुड़ना (Connecting to Internet) किसी व्यक्ति द्वारा इंटरनेट सेवा से जुड़ने के लिए निम्नलिखित उपकरणों/साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है- 

(i) पीसी (PC-Personal Computer) 

(ii) मॉडेम (Modem) या नेटवर्क इंटरफेसकार्ड (NIC) 

(iii) संचार माध्यम (Communication medium) – टेलीफोन लाइन या विशेषीकृत लाइन या प्रकाशीय तंतु या वायरलेस तकनीक आदि 

(iv) वेब ब्राउसर साफ्टवेयर 

(v) इंटरनेट सर्विस प्रदाता (ISP-Internet Service Provider) इंटरनेट सेवा प्रदाता को निर्धारित शुल्क देकर इंटरनेट खाता, यूजर नेम तथा पासवर्ड प्राप्त किया जाता है। यूजर नेम इंटरनेट से जुड़ने के लिए तथा पासवर्ड सुरक्षा और गोपनीयता के लिए आवश्यक है। इंटरनेट से जुड़े सभी कम्प्यूटरों को एक विशेष IP Address प्रदान किया जाता है जो उस कंप्यूटर की पहचान बताता है। 

4.1.इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP-Internet Service Provider) : इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISPs) वे संस्थाएं हैं जो व्यक्तियों और संस्थानों को इंटरनेट से जुड़ने का माध्यम और उससे संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं। इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) का कम्प्यूटर सर्वर (Server) कम्प्यूटर कहलाता है जबकि उपयोगकर्ता का कम्प्यूटर क्लाइंट (Client) कम्प्यूटर कहलाता है। इंटरनेट उपयोगकर्ता द्वारा ISPs को कुछ सेवा शुल्क भी प्रदान करना पड़ता है। इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) उपयोगकर्ता और विभिन्न कम्प्यूटर नेटवर्क से जुड़ने के लिए कई संचार माध्यमों का उपयोग करता है। 

5. इंटरनेट पर प्रयुक्त प्रोटोकाल (Protocols used on Internet) किसी भी नेटवर्क में दो या अधिक कंप्यूटरों के बीच सूचनाओं के त्रुटि रहित आदान प्रदान को संभव बनाने के लिए जरूरी है कि दोनों कंप्यूटर एक समान नियमों व प्रतिमानों का अनुपालन करें। नियमों तथा प्रतिमानों के समूह (Set of rules and standards) को प्रोटोकाल (protocol) कहा जाता है।

 कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग किए जाने वाले कुछ प्रचलित प्रोटोकाल हैं- 

1. ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकाल/इंटरनेट प्रोटोकाल (TCP/IP) : यह इंटरनेट पर प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय प्रोटोकाल है। टांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकाल (TCP) तथा इंटरनेट प्रोटोकाल (IP) दो अलग-अलग प्रोटोकाल हैं, पर चंकि इनका प्रयोग एक साथ किया जाता है, अतः इन्हें सम्मिलित रूप से इंटरनेट प्रोटोकाल सूट (Internet Protocol Suite) कहा जाता है। इसका प्रयोग कर इंटरनेट पर दूरस्थ कंप्यूटर तथा सर्वर के बीच संचार स्थापित किया जाता है। TCP/IP इंटरनेट का संचार प्रोटोकॉल (Communication Protocol) है। ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) तकनीक का प्रयोग करता है। जब किसी सूचना या डाटा को किसी कंप्यूटर या सर्वर द्वारा इंटरनेट पर भेजा जाता है, तो ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकाल (TCP) उस सूचना को छोटे-छोट समूहों (units) में विभाजित कर देता है। इन समूहों को पैकेट (Packets) कहा जाता है। इंटरनेट प्रोटोकाल (IP) प्रत्येक पैकेट को एक विशेष पता (address) देता है तथा गंतव्य तक पहुंचाने के लिए उनका रास्ता (path) तय करता है। जरूरी नहीं कि किसी एक सूचना के सभी पैकेट्स एक ही रास्ते से गंतव्य तक पहंचे बल्कि ये अलग-अलग रास्तों से भी अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। नेटवर्क से जुड़ा राउटर (Router) प्रत्येक पैकेट को अपने गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करता है। यदि एक संचार माध्यम में खराबी आती है तो डाटा पैकेट्स उपलब्ध वैकल्पिक संचार माध्यमों द्वारा गंतव्य तक पहुंचाए जाते हैं। गंतव्य स्थान पर पुनः इन पैकेटस को ट्रांसमिशन कंटोल प्रोटोकाल की सहायता से सही क्रम में व्यवस्थित कर कंप्यूटर को उपयोग के लिए दिया जाता है। 

2. एसएमटीपी (SMTP-Simple Mail Transfer Protocol) : यह इंटरनेट पर e-mail के लिए प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय प्रोटोकाल है। उपयोगकर्ता (client) के कंप्यूटर से मैसेज को e-mail सर्वर तक और पुनः सर्वर से प्राप्तकर्ता तक भेजने के लिए इस प्रोटोकाल का प्रयोग किया जाता है। 

3. एचटीपीपी (HTTP-Hypertext Transfer Protocol) : यह वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर hyper text documents को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय ट्रांसफर प्रोटोकाल है। वेब सर्वर से उपयोगकर्ता तक web page का हस्तांतरण इसी प्रोटोकाल द्वारा किया जाता है। एचटीटीपी Client-Server Principle पर काम करता है। इसमें एक कम्प्यूटर दूसरे कम्प्यूटर से संपर्क स्थापित कर फाइल या डाटा भेजने का अनुरोध करता है। दूसरा कम्प्यूटर उस अनुरोध को स्वीकार कर संबंधित सूचना वापस भेजता है।

 4. एफटीपी (FTP-File Transfer Protocol) : यह इंटरनेट पर प्रयुक्त एक प्रोटोकाल है जिसका प्रयोग नेटवर्क से जड़े किसी कंप्यूटर तथा सर्वर के बीच फाइल स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है। फाइल में डाटा, टैक्स्ट, ग्राफ, चित्र, ध्वानि (audio) या चलचित्र (video) हो सकता है। फाइल स्थानान्तरण के लिए दूरस्थ (remote) कंप्यूटर से Log-in द्वारा संपर्क स्थापित किया जाता है। इसके बाद फाइल को upload या download किया जाता है। फाइल स्थानान्तरण के लिए उपयोगकर्ता के पास दूरस्थ कंप्यूटर तक जाने का अधिक होना आवश्यक है। इंटरनेट पर कुछ अज्ञात एफटीपी साइट (Anomy-mous FTP Sites) होती हैं जिन्हें किसी भी व्यक्ति द्वारा उप किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष एकाउंट या पास की जरूरत नहीं होती है। वर्ल्ड वाइड वेब पर उपलब्ध डाटा सचनाओं का भंडार अधिकांशतः Anonymous FTP Sites ही है 

5.गोफर (Gopher) : यह एक प्रोटोकॉल साफ्टवेयर है इंटरनेट द्वारा दूरस्थ कम्प्यूटर से डाक्यूमेंट्स को खोजना, प्राप्त कर तथा उन्हें प्रदर्शित करना संभव बनाता है। 6.टेलनेट (Telnet) : टेलनेट एक टेक्स्ट आधारित संचार प्रोटोकाल है जो कमांड लाइन इंटरफेस (Command Line Interface) का उपयोग करता है। टेलनेट प्रोग्राम द्वारा दो अलग-अलग स्थान पर स्थित कम्प्यूटरों को दूरसंचार नेटवर्क द्वारा आपस में जोड़कर Remote कम्प्यूटर के डाटा और फाइलों का उपयोग किया जा सकता है। इसे Remote Login भी कहा जाता है। Telnet द्वारा हम Remote कम्प्यूटर का उपयोग ऐसे करते हैं. जैसे उसी कम्प्यूटर के सामने बैठे हों। इसमें Local कम्प्यूटर पर टाइप किया गया कमांड Remote कम्प्यूटर द्वारा क्रियान्वित किया जाता है तथा Remote कम्प्यूटर में होने वाले प्रोसेसिंग तथा उसके परिणाम को Local कम्प्यूटर के मॉनीटर पर देखा जाता है। 

6. वर्ल्ड वाइड वेब (www-World Wide Web) इसे W3 या वेब (Web) भी कहा जाता है। यह इंटरनेट पर उपलब्ध सर्वाधिक लोकप्रिय व उपयोगी सेवा है। वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर लाखों वेब पेज डाक्यूमेंट के रूप में उपलब्ध हैं। यह हाइपर लिंक द्वारा आपस में जुड़े हुए सूचनाओं का विशाल समूह है। जिसे इंटरनेट पर web browser की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है। वर्ल्ड वाइड वेब एक ऐसा तंत्र है जिसमें विभिन्न कंप्यूटरों में एकत्रित सूचनाओं को Hyper text documents की सहायता से एक-दूसर से जोड़ा जाता है। इन सूचनाओं को एक स्थान से दस स्थान तक भेजने के लिए Hyper text transfer protocol का प्रयोग किया जाता है। वर्ल्ड वाइड वेब (www) ने इंटरनेट पर सूचनाओं का आदान-प्रदान आसान बनाया है तथा इंटरनेट को ‘सूचना राजमार्ग’ (Information Highway) में परिवर्तित कर दिया है। वर्ल्ड वाइड वेब पर संग्रहित प्रत्येक पेज web page कहलाता है। ये वेब पेज एचटीएमएल (hyper text mark-up language) का प्रयोग कर तैयार किए जाते हैं तथा hyperlink द्वारा एक-दूसरे जुड़े होते हैं। वह स्थान जहां ये web page संग्रहित रखे जाते है, website कहलाता है। प्रत्येक website का प्रथम पृष्ठ, जो उसक अंदर स्थित सूचनाओं की सूची प्रदान करता है, Home Page कहलाता है। किसी वेब साइट को खोलने पर सबसे पहले home page ही दिखाई पड़ता है। वेब पेज को एक कंप्यूटर से दूसर ‘कप्यूटर तक भेजने के लिए Hvner text transfer protocol (Http)का प्रयोग किया जाता है। इस प्रोटोकाल से इंटरनेट सेवा प्रदान करना वाला कप्यूटर Web server कहलाता है, जबकि इस सेवा का ‘ उपयोग करने वाला web client कहलाता है।

6.1 वर्ल्ड वाइड वेब तथा इंटरनेट में अंतर : इंटरनेट सेवा वर्ल्ड वाइड वेब (www) की लोकप्रियता का से लगाया जा सकता है कि सामान्यतः वर्ल्ड वाइड इंटरनेट का प्रयोग एक ही अर्थ में किया जाता है। पर वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट पर आधारित एक सेवा मात्र है। वेब तथा इंटरनेट में कुछ मूलभूत अंतर इस प्रकार हैं- एक अंतर्राष्ट्रीय संचार नेटवर्क (Communication Nork) है जो हार्डवेयर व साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर दूनियाभर में फैले छोटे बड़े कंप्यूटर नेटवर्कों को आपस में उडता है। दूसरी तरफ, वर्ल्ड वाइड वेब हाइपरलिंक द्वारा आपस में जुड़े सूचनाओं का एक समूह है जिनका साझा उपयोग किया जा सकता है। इंटरनेट के लिए इंटरनेट प्रोटोकाल सूइट (TCP तथा IP) का प्रयोग किया जाता है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल (http) का प्रयोग करता है। इंटरनेट के प्रयोग के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाता (Internet Service Provider) को शुल्क देना पड़ता है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट पर उपलब्ध एक निःशुल्क सुविधा है। इंटरनेट हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर दोनों के समन्वय से कार्य करता है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब केवल विभिन्न साफ्टवेयर का उपयोग करता है। वर्ल्ड वाइड वेब एक सुविधा है और इंटरनेट उस तक पहुंचने का माध्यम है। 

6.2. वर्ल्ड वाइड वेब पर प्रयुक्त भाषाएं (Languages Used on www) 

(i) एचटीएमएल (HTML-Hyper Text Mark-up Language) : 

यह वर्ल्ड वाइड वेब पर web pages को तैयार करने के लिए प्रयुक्त साफ्टवेयर language है जिसमें hypertext तथा hyperlink का प्रयोग किया जाता है। HTML में विभिन्न वेब पेज को हाइपर लिंक का प्रयोग कर आपस में जोड़कर रखा जाता है जिससे उपयोगकर्ता अपनी इच्छानुसार एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज या वेब साइट तक जा सकता है। एचटीएमएल (HTML) का उपयोग कर बनाए गए डाक्यूमेंट को वेब पेज पर प्रकाशित किया जा सकता है तथा सभी प्रकार के ब्राउसर द्वारा दर्शाया (display) जा सकता है। 

(ii)हाइपर टेक्स्ट (Hyper text) : यह कंप्यूटर या किसी वेब पज पर प्रदर्शित वह text है जो उसी या किसी अन्य वेब पेज पर उपलब्ध टेक्स्ट, ग्राफिक्स, चित्र, चलचित्र या किसी अन्य डिवाइस से जुड़ा (link) रहता है। हाइपर टेक्स्ट को स्क्रीन पर गहरे नीले रंग (blue colour) में या रेखांकित (underline) कर दिखाया जाता है। इस टेक्स्ट पर कर्सर को ले जाने पर वह हाथ के चिह्न के जैसा हा जाता है। हाइपर टेक्स्ट को माउस या की-बोर्ड द्वारा activate करन पर उपयोगकर्ता तरंत उससे जुड़ी सूचना तक पहुंच जाता है। 

(iii)हाइपर लिंक (Hyper link): यह हाइपर टेक्स्ट द्वारा प्रदर्शित या icon को आपस में जोडने की व्यवस्था है। हाइपर लिंक बार हम वर्ल्ड वाइड वेब पर स्थित विभिन्न वेब पेज को अपनी सुविधानुसार देख सकते हैं। हाइपर लिंक को HTML साफ्टवेयर भाषा में तैयार किया जाता है। यह विभिन्न वेब पेज को आपस में जोड़ने का काम करता है। 

(iv) एक्सटेंसिबल मार्कअप लैंग्वेज XML-Extensible Mark-up Language) : यह वर्ल्ड वाइड वेब पर वेब पेज तैयार करने के लिए प्रयुक्त एक लैंग्वेज है। XML लैंग्वेज में डाटा स्टोर करने तथा उसे एक कम्प्यूटर से दसरे कम्प्यूटर तक स्थानान्तरित करने को प्रमुखता दी जाती है। HTML भाषा में जहां वेब पेज की डिजाइन पर ध्यान होता है वहीं XML भाषा में डाटा स्टोर करने तथा डाटा स्थानान्तरण पर जोर होता है। 

(v) एक्सटेंसिबल एचटीएमएल (XHTML-Extensible HTML) : इस साफ्टवेयर लैंग्वेज में HTML तथा XML दोनों भाषाओं की विशेषता समाहित होती है। 

(vii) जावा स्क्रिप्ट (Java Script) : यह Sun Microsystems कम्पनी द्वारा विकसित साफ्टवेयर लैंग्वेज है जिसका प्रयोग वेब पेज बनाने में किया जाता है। यह एक Scripting Language है जिसमें निर्देशों को लिखने की आवश्यकता कम पड़ती है। 

(viii) पीएचपी (PHP-Hypertext Pre Processor) : प्रारंभ में इसे Personal Home Page नाम दिया गया था। PHP एक साफ्टवेयर लैंग्वेज है जिसका प्रयोग Dynamic Web Pages के विकास में किया जाता है। इस भाषा का विकास रैसमस लेडोर्फ (Rasmus Lerdorf) ने 1994 में किया था। PHP एक मुफ्त साफ्टवेयर है। इस भाषा का प्रयोग HTML भाषा के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है। Facebook तथा Yahoo की वेबसाइट PHP भाषा में ही तैयार की गई है। 

7. इंटरनेट प्रोटोकाल एड्रेस (IP Address) इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर या उपकरण को उसकी पहचान के लिए एक विशेष अंकीय पता दिया जाता है जिसे IP Address कहा जाता है। यह अंकीय पता इंटरनेट से जुड़ने पर Internet Service Provider द्वारा दिया जाता है। विश्वभर में इंटरनेट से जडे किसी दो कम्प्यूटर का IP Address एक समान नहीं हो सकता। IP Address इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर को एक विशेष पहचान प्रदान करता है। इसमें कंप्यूटर या उपकरण द्वारा प्रयुक्त प्रोटोकाल का नाम तथा नेटवर्क पर उसकी स्थिति (location) शामिल रहता है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) यदि किसी कंप्यूटर को स्थायी IP Address प्रदान करता है तो उसे Static IP Address कहते हैं। यदि किसी कंप्यूटर के इंटरनेट से जुड़ने पर हर बार नया IP Address दिया जाता है ता उस Dynamic IP Address कहा जाता है। Internet Protocol Version 4 (IPv4) का प्रयोग dress के लिए अभी तक किया जा रहा है। इसमें एड्रेस के लिए 32 बिट नंबर का प्रयोग किया जाता है। IPv4 में 0 से 255 तक अका का चार समूह (set) होता है जिसे तीन डॉट (.) द्वारा अलग किया जाता है। जैसे-173.225.0.14 इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के बढ़ती संख्या के कारण 32 बिट एड्रेस कम पड़ने लगा। इसी कारण Internet Protocol Version o (IPv6) का विकास किया गया जिसमें एड्रेस के लिए 128 बिट नंबर का प्रयोग होता है। इस व्यवस्था में कुल 2178 IP Address प्रदान किए जा सकते हैं। IPv6 में चार हेक्साडेसीमल अंकों का आठ समूह होता है जिसे colons (C) द्वारा अलग किया जाता है।

 जैसे-      2001:1276 : 0a8c: 1234:0000 : 0001:0576 : 008b 

8.डोमेन नेम सिस्टम (Domain Name System) इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर या उपकरण को सर्वर द्वारा एक विशेष अंकीय पता दिया जाता है, जिसे IP address कहते हैं। इस अंकीय पता को याद रखना एक कठिन कार्य है। दूसरी तरफ, कंप्यूटर सर्वर केवल बाइनरी अंकों वाले अंकीय पता की ही पहचान कर सकता है। इस समस्या के हल के लिए डोमेन नेम सिस्टम (DNS) का प्रयोग किया जाता है। डोमेन नेम सिस्टम संख्याओं से बने IP Address को शब्दों से बने डोमेन नेम में बदल देता है जो याद रखने और उपयोग करने में आसान होता है। डोमेन नेम सिस्टम में सभी Domain Name तथा उससे संबंधित IP Address का संग्रह होता है। जब हम किसी वेब ब्राउसर पर किसी वेबसाइट का domain name टाइप करते हैं तो डोमेन नेम सिस्टम उसे अंकीय पता (IP Address) में बदल देता है ताकि सर्वर उस कंप्यूटर की पहचान कर उससे संपर्क स्थापित कर सके। Domain Name केस सेंसिटिव (case sensitive) नहीं होता, अर्थात् उन्हें बड़े अक्षरों (Capital letters) या छोटे अक्षरों (small letters) किसी में भी टाइप करने पर समान परिणाम प्राप्त होता है। 

8.1. डोमेन नेम (Domain Name) : नेटवर्क में प्रत्येक वेब साइट को एक विशेष (Unique) नाम दिया जाता है जो उस वेब साइट का पता (address) होता है। किसी भी दो वेबसाइट का डोमेन नेम एक समान नहीं हो सकता। DNS सर्वर डोमेन नेम को IP Address में बदलकर उस वेब साइट की पहचान करता है। डोमेन नेम में उस वेब साइट का नाम तथा एक्सटेंशन नाम शामिल होता है। प्रत्येक वेब साइट का अपना अलग-अलग नाम होता है जबकि एक्सटेंशन नाम कुछ पूर्व निर्धारित विकल्पों में से कोई एक हो सकता है। नाम तथा एक्सटेंशन को डॉट (.) द्वारा अलग किया जाता है। www डोमेन नेम का अंग होता है। पर यदि इसे ब्राउसर के Address Bar पर टाइप न किया गया हो, तो वेब ब्राउसर इसे स्वयं जोड़ लेता है। Domain name के उदाहरण हैं- 

google.com 

hotmails.in 

Yahoo.co.in

allgk.in

➢    डोमेन नेम में अंक या अक्षर दोनों हो सकते हैं।

 ➢    इसमें अधिकतम 64 कैरेक्टर हो सकते हैं।

 ➢    इसमें एकमात्र विशेष कैरेक्टर hyphen (-) का प्रयोग किया जा सकता है। 

➢    डोमेन नेम का अंतिम भाग, जिसे dot (.) के बाद लिखा जाता है, किसी संगठन (organization) या देश (country) को इंगित करता है। इसे domain indicator या Top Level Domain (TLD) भी कहते हैं। संगठन को इंगित करने वाला डोमेन नेम generic domain कहलाता है जबकि देश को इंगित करने वाला डोमेन नेम country domain कहलाता है। 

8.2 यूनीफार्म रिसोर्स लोकेटर (URL-Uniform Resource locator) : वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर किसी वेब साइट या वेब पेज का विशेषीकृत पता (specific address) उस वेब या वेब पेज का URL कहलाता है। यह कंप्यूटर नेटवर्क की है जो यह बतलाता है कि वांछित सूचना कहां उपलब्ध है। कैसे प्राप्त किया जा सकता है। वेब ब्राउसर का उपयोग कर साइट या वेब पेज तक पहुंचने के लिए web browser के bar पर उसका URL टाइप किया जाता है। URL में नेम शामिल होता है तथा इसमें शब्द, अंक या विराम चिह्न (letters. number or Punctuation marks) हो सकते हैं। किसी वेब साइट में प्रत्येक वेब पेज का अपना अलग URL होता है जिसे गइप कर सीधे उस वेब पेज तक पहुंचा जा सकता है। URL में खाली स्थान (space) का प्रयोग नहीं होता तथा इसमें प्रयुक्त forward slash फाइल के directory path को दर्शाता है।

 8.3. यूनीफार्म रिसोर्स आइडेंटिफायर (Uniform Resource Identifier-URI) : URI वर्ल्ड वाइड वेब पर स्थित किसी फाइल या सूचना का नाम और उसकी स्थिति (name and location) बताता है। URI में URL का कुछ या पूरा हिस्सा शामिल होता है। URI में सूचना या फाइल का नाम या स्थिति या दोनों होता है जबकि URL सूचना की स्थिति (location) तथा उसे प्राप्त करने का मार्ग बतलाता है। 

9. वेब ब्राउसर (Web Browser) इंटरनेट पर वर्ल्ड वाइड वेब (www) का प्रयोग वब ब्राउसर वटवयर के माध्यम से किया जाता है। वेब ब्राउसर एक अप्लिकेशन बाम है जो वर्ल्ड वाइड वेब पर स्थित हाइपर टेक्स्ट डाक्यूमट्स का पयागकर्ता के लिए उपलब्ध कराता है। वेब ब्राउसर साफ्टवयर हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल (http) पर कार्य करता है। वेब ब्राउसर का प्रयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब पर वेब पेज को देखना Browsing या Surfing कहलाता है। सर्किंग के दौरान URL, हाइपर लिंक या ब्राउसर पर बने नेविगेशन टूल (Navigation tools) की सहायता से एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज तक पहुंचा जा सकता है। किसी वेब ब्राउसर में जब हम किसी वेब साइट या वेब पेज का URL टाइप करते हैं, तो वेब ब्राउसर उस URL को डोमेन नेम सिस्टम की मदद से IP address में बदल देता है तथा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) के जरिये उस वेबसाइट से हमें जोड़ देता है। सबसे पहले वेब ब्राउसर का विकास टिम बर्नर्स ली ने 1991 में किया था। वर्तमान में कुछ प्रचलित वेब ब्राउसर हैं- Internet Explorer,  Mozilla Fire Fox, Opera, Apple’s Safari,  Google Chrome 

9.1. ग्राफिकल वेब ब्राउसर (Graphical Web Browser) : यह ग्राफिकल यूजर इटरफस (Graphical User Interface – GUI) का उपयोग करते हुए इंटरनेट पर वेब पेज को एक्सेस करने की सुविधा प्रदान करता है। ग्राफिकल वेब ब्राउसर में उपयोगकर्ता तथा वर्ल्ड वाइड वेब के बीच अंतसंबंध (Interface) चित्र (Graphs) या आइकन (icon) या नीले रंग के टेक्स्ट द्वारा स्थापित किया जाता है। Mosaic को पहला लोकप्रिय ग्राफिकल वेब ब्राउसर कहा जाता है। 

9.2. वेब ब्राउसर कैसे कार्य करता है? (How web browser works?) : 

वेब ब्राउसर एक साफ्टवेयर है जिसकी सहायता  से हम वर्ल्ड वाइड वेब पर उपलब्ध किसी वेब पज को इंटरनेट के जरिए प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार, ब्राउसर इंटरनेट पर किसी वेब पेज की खोज (Search) करने वाला साफ्टवेयर है। 

वेब ब्राउसर द्वारा किसी सुचना को प्राप्त करने के लिए हम ब्राउसर के Address bar पर उस web site या webpage का URL-टाइप करते हैं। वेब ब्राउसर Domain Name System द्वारा सर्वर कप्यूटर का IP Address पता करता है तथा सर्वर के साथ Transmission control Protocol का प्रयोग कर जुड़ जाता है। 

उपयोगकर्ता (Client) कम्प्यूटर सर्वर (Server) कम्प्यूटर का उस वेब पेज के लिए request भेजता है। वेब सर्वर TCP/IP की सहायता से Web page को उपयोगकर्ता के कंप्यूटर तक पहुंचाता है। यह वेब पेज ब्राउसर द्वारा कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित कर दी जाती है। 

वेब ब्राउसर में प्रयोग किए जाने वाले प्रोटोकाल को भी टाइप कर सकते हैं। यदि किसी प्रोटोकाल का नाम टाइप नहीं किया जाता है तो http डिफाल्ट प्रोटोकाल के रूप में प्रयोग होता है। 

9.3. वेब इंडेक्स (Web Index) : वर्ल्ड वाइड वेब पर साइट्स की सूची या डायरेक्टरी वेब इंडेक्स कहलाता है। वेब साइट की सूची अग्रेजी वर्णमाला अक्षरों के क्रम (Alphabet order) या किसी अन्य अनुक्रम (Hierarchical Order) सकते हैं। Yahoo! वेब इडेक्स का एक उदाहरण है। 

10.सर्च इंजिन (Search Engine) वर्ल्ड वाइड वेब सूचनाओं का अथाह भंडार है जिसमें करोड़ों पेज स्थित हैं जिन्हें इंटरनेट की मदद से प्राप्त किया जा सकता अथाह भंडार में से वांछित सूचना खोजने में सर्च इंजिन हमारी मदद करता है। सर्च इंजिन वेब पर स्थित सभी वेब पेज की सूची बना कर रखता है। यह वेब पेज के टाइटल (title), उसके मूख्य शब्द (keywords) या वेब पेज पर स्थित किसी शब्द या शब्द समूह (text or phrase) क आधार पर वेब पेज की खोज करता है। मूख्य शब्द (Key Word) के साथ टर्म आपरेटर (Term Operator) का प्रयोग कर सर्च को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इसे सर्च को रिफाइन (Refine) करना कहा जाता है। 

10.1. सर्च इंजिन द्वारा सूचना खोजना (Searching Information Through Search Engine) : वेब ब्राउसर पर के address box में सर्च इंजन का पता (URL) टाइप करें। जैसे-www.google.com सर्च इंजिन के मेन पेज के सर्च बॉक्स में वांछित सूचना से सबाधत Keyword या Phrase टाइप करें। टर्म ऑपरेटर का प्रयोग कर सूचना को खोजना और अधिक आसान बनाया जा सकता है। सर्च इंजिन Keywords के आधार पर संबंधित वेब साइट का सूची प्रदर्शित करता है। सूची में दिए गए हाइपरलिंक पर क्लिक कर उस वेबसाइट या वेब पेज को प्रदर्शित किया जा सकता है।

10.2. टर्म ऑपरेटर (Term Operator) : Term Operator सर्च इजिन पर वांछित वेब पेज को खोजना प्रभावी और आसान बनाता है। 

10.3. वाइल्ड कार्ड (Wild Card) : वाइल्ड कार्ड वह विशेष चिह्न (Special Symbol) है जिसका प्रयोग किसी सूचना या वेब पेज को खोजने के दौरान Keyword के साथ किया जाता है। वाइल्ड कार्ड किसी एक कैरेक्टर या एक से अधिक कैरेक्टर के समूह को इंगित करता है। प्रश्न चिह्न (?) तथा एस्टरिस्क या स्टार (*) वाइल्ड कार्ड के उदाहरण हैं। प्रश्नचिह्न (?) एक बार में एक कैरेक्टर को निरूपित करता है, जबकि asterisk (*) एक बार में एक या एक से अधिक कैरेक्टर को निरूपित करता है। किसी Keyword के साथ वाइल्ड कार्ड का प्रयोग करने पर सर्च इंजिन उससे संबंधित सभी विकल्पों वाले वेब पेज की सूची प्रदर्शित करता है। सोशल नेटवर्किंग साइट पर हैश (hash) कैरेक्टर (#) का प्रयोग Keywords के साथ वाइल्ड कार्ड के रूप में किया जाता है। 

10.4. सर्किंग (Surfing) : वल्ड वाइड वेब पर अपने पसंद की सूचना की खोज में एक वब पज से दूसरे वेब पेज पर जाना सफिंग कहलाता है। वेब पज पर उपलब्ध हाइपर लिंक की व्यवस्था इस कार्य को आसान बनाती है। वस्तुतः बिना किसी सही दिशा और उद्देश्य के एक वेब से दूसरे वेब पेज तक जाना ही सर्किंग कहलाता है। 

10.5. हिट्स (Hits) : वर्ल्ड वाइड वेब पर किसी सूचना को प्राप्त करने के लिए वेब सर्च इंजन पर उस वेब पेज का टाइटल या कुछ मुख्य शब्द (keywords) टाइप किया जाता है। सर्च इजिन इसके परिणामों की एक सूची प्रदर्शित करता है जिसे हिट्स कहा जाता है। 

10.6. पुश मैसेज (Push Message): सामान्यतः इटरनट के जरिए कोई वेब पेज या फाइल अपने कम्प्यूटर पर प्राप्त करने के लिए सर्वर को इसका अनुरोध (request) भेजा जाता है। इसक बाद वेब पेज या फाइल को सर्वर से कम्प्यूटर तक Pull या खींचा जाता है। इसे डाउनलोड (Down Load) भी कहते हैं। दूसरी तरफ, पुश मैसेज को सर्वर द्वारा कम्प्यूटर या मोबाइल फोन पर बिना किसी अनुरोध के Push या धकेला जाता है। इस तकनीक का उपयोग सर्वर द्वारा उपभोक्ता को सूचना, अपडेट (update) या SMS भेजने के लिए किया जाता है। 

10.7. पिंग (Ping) : पिंग इंटरनेट पर कम्प्यूटर तथा अन्य उपकरणों की जांच (test) है जो यह बताता है कि वह कम्प्यूटर या उपकरण सही काम कर रहा है या नहीं। इंटनेट पर किसी सर्वर के प्रतिक्रिया देने में लगा समय (response time) की जांच भी पिंग कहलाता है। पिंग द्वारा किसी विशेष IP Address वाले कम्प्यूटर या उपकरण के उपलब्धता की जांच की जाती है। इसके लिए, उस IP Address पर कोई सूचना पैकेट भेजा जाता है तथा प्राप्त जवाब की जांच की जाती है। 

10.8. मेटा सर्च इंजन (Meta Search Engine) : यह एक सर्च टूल है जो इंटरनेट पर किसी सूचना को खोजकर वेब पेज की सूची दर्शाने के लिए अन्य सर्च इंजन से प्राप्त परिणामों का उपयोग करता है। मेटा सर्च इंजन यूजर से इनपुट लेकर उसे अन्य सर्च इंजन को भेजता है और उनसे प्राप्त परिणामों को प्रोसेस कर सर्च रिजल्ट के रूप में प्रस्तुत करता है। 

11. इंटरनेट शब्दावलियाँ (Terms Related to Internet) 

उपयोगकर्ता कंप्यूटर (Client Computer) : इंटरनेट से जुड़ा कंप्यूटर जो सर्वर कंप्यूटर के माध्यम से इंटरनेट की सुविधाओं का उपयोग करता है, Client Computer कहलाता है। Client कम्प्यूटर सूचना प्राप्त करने के लिए सर्वर कम्प्यूटर को अनुरोध भेजता है। 

सर्वर कंप्यूटर (Server Computer) : उच्च भंडारण क्षमता तथा तीव्र गति वाला कंप्यूटर जिस पर एक या अधिक वेब साइट की सूचनाएं/वेब पेज संग्रहित रहते हैं, सर्वर कंप्यूटर कहलाता है। सर्वर कंप्यूटर अपने नेटवर्क से जुड़े Client कंप्यूटरों को अनुरोध पर सूचना/वेब पेज उपलब्ध कराता है। यह एक साथ कई उपयोगकर्ताओं को डाटा उपलब्ध करा सकता है। सर्वर कम्प्यूटर नेटवर्क का सबसे शक्तिशाली व महत्वपूर्ण कम्प्यूटर होता है। इस तरह सूचना प्राप्त करने को Client Server Model कहा जाता है। सर्वर कई प्रकार के हो सकते हैं। जैसे-Web Server, Lan Server, e-mail server आदि। किसी एक कप्यूटर पर एक साथ कई प्रकार के सर्वर प्रोग्राम चल सकते हैं।

 वेब पेज (Web Page) :

 वेब पेज एक इलेक्ट्रानिक पेजजिसे HTML (Hyper Text Mark-up Language) का प्रयोग कर बनाया जाता है। वेब साइट पर दिखने वाला प्रत्येक पेज वेब पेज ही होता है। वेब पेज में टेक्स्ट, चित्र, रेखाचित्र, आडियो, वीडियो या हाइपरलिंक कुछ भी हो सकता है। 

स्टैटिक/डायनमिक वेब पेज (Static/Dynamic Web Page) : स्टैटिक वेब पेज के कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होने के बाद उसमें कोई परिवर्तन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक उसे Refresh या Update नहीं कर दिया जाए। दूसरी तरफ, डायनमिक वेब पेज के स्वरूप और तथ्यों (Content) में लगातार परिवर्तन होता रहता है। उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए। इनपुट या डाटाबेस के आधार पर कम्प्यूटर स्वतः वेब पेज में परिवर्तन कर लेता है। डायनमिक वेब पेज Java Script या Dynamic HTML लैग्वेज साफ्टवेयर का प्रयोग कर तैयार किया जाता है।

वेब साइट (Web Site) : एक ही डोमेन नेम के अंतर्गत  पाये जाने वाले वेब पेज का संकलन वेब साइट कहलाता है। किसी वेब साइट में एक या अधिक वेब पेज हो सकते हैं। वेब साइट के  विभिन्न पेज आपस में हाइपर लिंक द्वारा जुड़े होते हैं। 

होम पेज (Home Page) : किसी वेब साइट का पहला या  मुख्य पृष्ठ होम पेज कहलाता है। किसी वेब साइट को खोलने पर सबसे पहले उसका होम पेज ही कंप्यूटर पर प्रदर्शित होता है। होम पेज पर वेब साइट पर उपलब्ध विषयों की सूची (index) हो सकती है। किसी वेब साइट के विभिन्न पेज को देखते समय “Home” बटन  क्लिक करने पर उसका होम पेज स्वतः सामने आ जाता है। 

होस्ट (Host) : इंटरनेट सेवा व अन्य सुविधाएं प्रदान करने  के लिए नेटवर्क से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर होस्ट कहलाता है। 

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (Internet Service Provider) : यह इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली एक संस्था है जिसमें एक या अधिक गेटवे (Gateway) कंप्यूटर रहता है तथा जो इससे जुड़े अन्य कंप्यूटरों को इंटरनेट से जुड़ने की सेवा प्रदान करता है। 

एनोनिमस सर्वर (Anonymous Server) : वह सर्वर जिससे जुड़ने के लिए पासवर्ड (Password) या किसी अन्य पहचान (authentication) की जरूरत नहीं होती, एनोनिमस सर्वर कहलाता है। 

थम्बनेल (Thumbnail) : किसी चित्र या मैप को प्रदर्शित करने वाला नाखून (nail) के आकार का छोटा रूप thumbnail कहलाता है। इसे क्लिक करके चित्र का बड़ा आकार देखा जा सकता है। क्रॉस 

प्लेटफार्म (Cross platform) : ऐसा साफ्टवेयर जो किसी भी कंप्यूटर हार्डवेयर या किसी भी operating system के साथ काम कर सकता है, cross platform कहलाता है।

 (Node) : किसी भी नेटवर्क से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर, कोई अन्य उपकरण नोड कहलाता है। यह कंप्यूटर नेटवर्क सर्वर या कोई अन्य का अंतिम बिदू या टर्मिनल होता है। 

फेम (Frame): वब ब्राउसर विडी के भीतर स्थित आयताकार जो कई वेब पेज को एक साथ प्रदर्शित करता है, फ्रेम कहलाता है। 

वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality): इंटरनेट पर उपलब्ध पेज को वास्तविकता के नजदीक लाने तथा जीवंत बनाने के लिए नमें त्रि-आयामी प्रभाव (three dimensional effect) डाला जाता है जिसे virtual reality कहते हैं। VRML (Virtual Reality Modelling Language): भाषा का प्रयोग कर वेब पेज में वर्चुअल रियलिटी का आभास डाला जाता है। VRML का HTML(Hyper Text Mar three dimentional (3D) रूप कहा जा सकता है।

 पॉप अप (Pop up) : वर्ल्ड वाइड वेब पर सर्किंग करते समय या वेब पेज पढ़ते समय स्वयं खुलने वाला छोटा विंडो पॉप अप कहलाता है। यह सामान्यतः अवांछित विंडो होता है जिसका प्रयोग ऑनलाइन व्यवसायिक विज्ञापनों के लिए किया जाता है। लॉग इन (Log in) : इंटरनेट पर किसी अन्य कंप्यूटर या सर्वर से जुड़ने की प्रक्रिया ताकि उस कंप्यूटर या सर्वर की सुविधाओं तथा सूचनाओं का उपयोग किया जा सके, लॉग इन कहलाता है। लॉग ऑफ (Log off) : इंटरनेट पर किसी कंप्यूटर या सर्वर से जुड़कर अपना कार्य समाप्त कर उस प्रोग्राम से बाहर निकलने की प्रक्रिया लॉग ऑफ कहलाता है। 

डाउनलोड (Download) : किसी नेटवर्क में किसी दूसरे कंप्यूटर या सर्वर से डाटा या सूचना को Local कम्प्यूटर पर प्राप्त करना download कहलाता है। डाउनलोड किए गए फाइल (डाटा या सूचना) को स्थानीय कंप्यूटर पर संग्रहित तथा प्रोसेस किया जा सकता है। डाउनलोड के लिए ‘Get’ आदेश दिया जाता है।

 अपलोड (upload) : किसी नेटवर्क में डाटा या सूचना को स्थानीय कंप्यूटर से किसी दूसरे कंप्यूटर या सर्वर आदि को भेजने की प्रक्रिया अपलोड कहलाती है। अपलोड किए गए डाटा को दूसरे कप्यूटर पर स्थायी तौर पर संग्रहित व प्रोसेस किया जा सकता है। अपलोड के लिए ‘Put’ आदेश दिया जाता है। 

ऑनलाइन (Online) : जब कोई कंप्यूटर या उपकरण चालू हालत में रहते हुए उपयोग के लिए तैयार (ready for use) रहता है या किसी दूसरे उपकरण से जुड़ा रहता है, तो उसे ऑनलाइन कहा जाता है। नेटवर्क इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के बाद, इंटरनेट या किसी अन्य से जुड़े हुए कंप्यूटर या उपकरण को ऑनलाइन कहा जाता है। 

ऑफ लाइन (Off line) : जब कोई कंप्यूटर या उपकरण , पॉवर सप्लाई बंद कर देने के कारण चालू हालत में न हो या किसा के अन्य उपकरण से जुड़ा न हो, तो उसे ऑफ लाइन कहते हैं। वर्तमान में, जब कोई कंप्यूटर या उपकरण इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से जुड़ा हुआ न हो तो उसे ऑफ लाइन कहा जाता है।

 क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud computing): किसी कंप्यूटर द्वारा इटरनेट से जुड़कर इंटरनेट पर उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना क्लाउड कंप्यूटिंग कहलाता है। इसमें वर्ल्ड वाइड वेब, सोशल  नेटवर्किंग साइट जैसे—फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब आदि; वेब ब्राउसर, ई-मेल, ऑनलाइन बैकअप आदि शामिल होते हैं। 

रीयल टाइम कम्युनिकेशन (Real time communication) : दो या अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित  कर तत्काल सूचनाओं का आदान प्रदान रीयल टाइम कम्युनिकेशन कहलाता है। इसे ‘जीवंत संवाद’ (Live communication) भी कहा जाता है। जैसे-टेलीफोन, मोबाइल फोन, टेलीकान्फरेसिंग, वीडिया कान्फरेंसिंग, वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल (Voice over Internet Protocol) आदि द्वारा स्थापित संवाद। 

एमपीईजी (MPEG-Moving Picture Experts Group) : यह वीडियो डाटा या फाइल को डिजिटल रूप में संपीडित (compress) कर नेटवर्क पर भेजने या संग्रहित करने की तकनीक है। इसका प्रयोग कर चलचित्रों तथा सिनेमा आदि को नेटवर्क पर भेजा तथा देखा जा सकता है। 

जेपीईजी (JPEG-Joint Photographic Expert Group): यह चित्र (picture) तथा रेखाचित्रों (graphics) आदि को डिजिटल डाटा में परिवर्तित कर नेटवर्क पर भेजने, संग्रहित करने तथा देखने की एक लोकप्रिय तकनीक है। 

पीडीएफ (PDF-Portable Document Format) : यह द्विविमीय डाक्यूमेंट (2 dimensional document) जैसे—टेक्स्ट, चित्र, रेखाचित्र आदि को संग्रहित करने (store) तथा स्थानान्तरण (transfer) के लिए गठित एक प्रचलित मानक है। इसे Adobe System द्वारा 1993 में जारी किया गया था। 

12. भारत में इंटरनेट (Internet in India) 

भारत में इंटरनेट का आरंभ 80 के दशक में हुआ जब अर्नेट (ERNET-Education and Research Network) के माध्यम से भारत के पांच प्रमुख संस्थानों को जोड़ा गया। बाद में नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर (NIC) द्वारा देश के सभी जिला मुख्यालयों को प्रशासनिक सुविधा हेतु नेटवर्क से जोड़ा गया। वर्तमान में एनआईसी सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों को अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। भारत में जनसामान्य के लिए इंटरनेट सेवा का आरंभ 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा किया गया। 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things – IoT) : 

दनिक जीवन में उपयोग आने वाली विभिन्न भौतिक वस्तुओं (Physical devices) में एम्बेडेड (जुड़ा हुआ) कम्प्यूटर स्थापित कर उन्हें आपस में जोड़कर एक नेटवर्क बनाया जा सकता है ताकि वे मानवीय हस्तक्षेप (Human interference) के बगैर एक दूसरे को डाटा स्थानान्तरित कर संवाद स्थापित कर सकें। इंटरनेट द्वारा आपस में जुड़े दुनिया भर के लाखों भौतिक उपकरणों से बना नेटवर्क इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) कहलाता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़े एक उपकरण से प्राप्त डाटा का उपयोग दूसरे संबंधित उपकरण को नियंत्रित व संचालित करने तथा इंटरनेट पर रीयल टाइम निर्देश देने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग भविष्य में भौतिक उपकरणों को स्वचालित बनाने (automation), स्मार्ट होम तथा स्मार्ट सिटी विकसित करने, फैक्ट्री या अस्पताल आदि में मशीनों को इंटरनेट से नियंत्रित करने आदि में किया जा सकता है। 

Important Facts of Computer 

प्रोफेसर जे.सी. लिक्लाइडर को इंटरनेट का जनक (Father of Internet) माना जाता है जिन्होंने आर्पानेट (ARPANET)  के गठन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। आनेट से ही वर्तमान इंटरनेट व्यवस्था का जन्म माना जाता है। इंग्लैंड के वैज्ञानिक टिम बर्नर्स ली को वर्ल्ड वाइड वेब का जनक (Father of World Wide Web) माना जाता है। इन्होंने 1989 में हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (HTML) का  भी विकास किया।         

वेब पेज पर Hyper Link किए गए शब्द को नीला (Blue) रंग में दशति है क्योंकि नीला वह सबसे गहरा रंग है जो टेक्स्ट की पठनीयता को प्रभावित नहीं करता। 

मॉडेम की सहायता से जब किसी कम्प्यूटर या अन्य उपकरण को इंटरनेट से जोड़ा जाता है, तो ISP (Internet Service Provider) उपयोगकर्ता को एक अस्थायी IP Address प्रदान करता है। प्रत्येक बार इंटरनेट से जुड़ने पर अलग-अलग IP Address प्रदान किया जाता है, जिसे Dynamic IP Address कहते हैं। यह इंटरनेट सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होता है। 

ISDN, DSL, केबल मॉडेम या फाइबर ऑप्टिक में मॉडेम का प्रयोग नहीं होता। अतः इनका प्रयोग कर इंटरनेट से जुड़ने पर एक स्थायी IP Address प्रदान किया जाता है जिसे Static IP Address कहते हैं। 

URL केस सेंसिटिव (case sensitive) होता है। अतःकिसी वेब साइट का URL टाइप करते समय बड़े अक्षरों (Capital letters) तथा छोटे अक्षरों (Small letters) का विशेष ध्यान रखना होता है। 

गूगल (Google) शब्द की उत्पत्ति गूगोल (Googol) से हई है जिसका अर्थ है- 10 का घात 100 (10100) या संख्या 1 के बाद सौ शून्य। 

Internate GK

1.विश्व व्यापी जाल WWW के आविष्कार तथा प्रवर्तक हैं- IAS (P) 2007, (UPPCS/Pre/2004), (SSC – 2013)
(a) बिल गेट्स
(b) ली एन फियोंग
(c) एन रसल
(d) टिम बर्नर्स ली
उत्तर –  (d) 

2. याहू, गूगल व एमएसएन (MSN) हैं- (UPPCS/Pre/2005)
(a) इंटरनेट साइट
(b) कम्प्यूटर ब्रॉड (c) स्विटजरलैंड में बनने वाली घड़ियां
(d) शनि ग्रह के छल्ले
उत्तर –  (a) 

3. इंटरनेट क्या है ?                                    (MPPCS/Pre/1996)
(a) समुद्र में मछली पकड़ने का जाल
(b) बास्केट बाल की अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा
(c) रेल लाइनों में रेल के डिब्बे का हिसाब रखने वाली पद्धति
(d) कम्प्यूटर पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय सूचनाओं का तंत्र
उत्तर –  (d) 

4. निम्न में से कौन कम्प्यूटर पद नहीं है- 
(a) एनालॉग
(b) बाइनरी कोड
(c) चिप
(d) मॉडेम
उत्तर –  (a) 

5. कोई वेबसाइट एक्सेस करने पर सबसे पहले जो पेज दिखाई पड़ता है, उसे कहते हैं-                    (a) फर्स्ट पेज
(b) मेन पेज
(c) होम पेज
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  C

 6. साधारण शब्दों में नेटवर्को का नेटवर्क कहलाता है- 
(a) एक्ट्रानेट
(b) इन्ट्रानेट
(c) वेबनेट
(d) इंटरनेट
उत्तर –  (d) 

7.किसी संगठन के वेबसाइट का .com (डॉट कॉम) अंश सूचित करता है- (Utt.PCS (P) 2019)
(a) कम्पनी
(b) कमाण्ड
(c) कम्यूनिकेशन
(d) कमर्शियल
उत्तर –  (d) 

8. इनमें से कौन-सा सर्च इंजिन नहीं है-   (MPPSC(P)2018)
(a) गूगल
(b) अल्टाविस्टा
(c) साइंस डायरेक्ट
(d) ऑरकुट
उत्तर –  (c) 

9. उच्च शोध परियोजना अभिकरण (Advance Research Project Agency) निम्नलिखित में से किसके विकास के लिए उत्तरदायी है-        (MPPSC  2020)
(a) वेबसाइट
(b) ऑनलाइन
(c) ई-मेल
(d) इंटरनेट
उत्तर –  (d) 

10. वेब (Web) अस्तित्व में आया-     (MPPSC (P) 2019)
(a) अमेरिका में
(b) भारत में
(c) स्विट्जरलैंड में
(d) जापान में
उत्तर –  (a) 

11. यदि किसी डोमेन नेम के आखिर में .edu.us है, तो यह है-  CGPSC PRE
(a) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था
(b) एक गैरलाभकारी संस्था
(c) ऑस्ट्रेलिया की एक शैक्षणिक संस्था
(d) यूएसए (अमेरिका) की एक शैक्षणिक संस्था
उत्तर –  (d) 

12. सूचना राजपथ (Information Highway) किसे कहते हैं?         (MPPCS (P) 2020)
(a) ई-मेल को
(b) पेजर को
(c) सेल्यूलर फोन को
(d) इंटरनेट को
उत्तर –  (d) 

व्याख्या : इंटरनेट पर सूचनाओं के तीव्र आदान प्रदान के कारण इसे सूचना राजपथ की संज्ञा दी जाती है। 

13. इंटरनेट पर प्रयुक्त स्टैण्डर्ड प्रोटोकाल है-
(a) HTML
(b) HTTP
(c) TCP/IP
(d) Java
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (c) 

14. एचटीएमएल (HTML) का पूरा रूप है-      
(a) High Transfer Mark-up Language
(b) Hyper Text Mark-up Language
(c) High Text Machine Language
(d) Hyper Text Machine Language (
e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (b) 

15.वेब पर किसी खास कम्प्यूटर और पूरी साइट के मेनपेज को पहचानता है- (SBI (PO) 2008)
(a) यूआरएल (URL)
(b) वेब साइट एंड्रेस
(c) हाइपर लिंक
(d) डोमेन नेम
(e) इनमें से कोई नहीं
Ans.(a) 

16. कौन-सा ऐसा कम्प्यूनिकेशन प्रोटोकाल है जो वेब बेस्ड इनफार्मेशन को एक्सेस करने वाले प्रत्येक कम्प्यूटर द्वारा प्रयुक्त स्टैंडर्ड सेट करता है?           
(a)XML
(b)DML
(c) HTTP
(d) HTML
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (c) 

17. …….. एक कम्प्यूटर है जो ऐसे इंटरनेट से जुड़ा होता है जो एक स्पेशल वेब सर्वर साफ्टवेयर चलाता है और इंटरनेट पर दूसरे कम्प्यूटरों को वेब पेज भेज सकता है-
(a) वेब क्लाइंट
(b) वेब सिस्टम
(c) वेब पेज
(d) वेब सर्वर
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (d) 

18. यूआरएल (URL) http://www…… में http होता है-    
(a) होस्ट
(b) डोमेन नेम
(c) प्रोटोकॉल
(d) डोमेन ऐड्रेस
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर –  (c) 

19.किसी वर्ड डाक्यूमेंट को वेब पेज के मेंट को वेब पेज के रूप में सेव (Save) करने लिए क्या करना होगा?                                               
(a)उपर्युक्त ग्राफिक और लिंक रखना होगा।
(b)डाक्यूमेंट को टेक्स्ट फार्मेट में सेव करना होगा।
(c)वेब ब्राउसर को एडिटर क रूप में प्रयोग कर यूआरएल में सेव करना होगा।
(d) एचटीएमएल (HTML) के रूप में सेव करना होगा।
(e) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर –  (d) 

20.सभी वेब साइट्स (Web Sites) तथा वेब पेज जो आपने एक समयावधि में देखे होते हैं, की जानकारी मिल जाती है-                            (SBI (PO) 2020)
(a) स्टेट्स बार से
(b) टॉस्क बार से (c) हिस्ट्री लिस्ट से
(d) टूल बार से
(e) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर –  (c) 

21. ब्राउजर (Browser) है-     (SSC – 2019)                                                       
(a) लैन में कम्प्यूटर का पता लगाने वाला साफ्टवेयर।।
(b) लैन में कम्प्यूटर को लॉग करने वाला साफ्टवेयर।
(c) इंटरनेट पर वेब पेज सर्च करने वाला साफ्टवेयर।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर –  (c) 

22. इंटरनेट पर सर्वर से अपने कम्प्यूटर पर सूचना प्राप्त करने के प्रोसेस को कहते हैं-
(a) पुलिंग
(b) पुशिंग
(c) डाउन लोडिंग (Downloading)
(d) ट्रांसफरिंग
(e) इनमें से कोई नहीं।
Ans.(c) 

23. वेब साइट ऐड्रेस या यूआरएल (URL) एक यूनिक नाम होता है, जो वेब पेज पर एक विशिष्ट……..की पहचान स्थापित करता है-  
(a) वेब ब्राउसर
(b) पीडीए
(c) वेब साइट
(d) लिंक
(e) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर –  (c) 

24. किसी वेब पेज को रीलोड (Reload) करने हेतु बटन दाएं-
(a) रीडू
(b) रीलोड
(c) रिस्टोर
(d) कंट्रोल
(e) रिफ्रेश (Refresh)
उत्तर –  (e) 

25. इंटरनेट पर www का अर्थ है-     (UPPCS/Pre/2016), (UPPSC (M) 2019)
(a) वर्डस वर्डस वर्डस
(b) वाइड वर्ल्ड वर्डस
(c) वर्ल्ड वाइड वेब
(d) ढेन, ह्वेयर ह्वाई
उत्तर –  (c) 

26. आधकांश वेब साइट में एक मुख्य पृष्ठ होता है जो बाकी वेब पेज के लिए डोरवे (Doorway) का काम करता है। इस कहते हैं-   
(a) सर्च इंजन
(b) होम पेज
(c) ब्राउसर
(d) यूआरएल
(e) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर –  (b) 

27. निम्नलिखित में से किसे इंटरनेट के पिता के रूप में जाना जाता है? (SSC (MTS) 2019)
(a) टिम-बरनर्स ली
(b) रेमंड टॉमिलसन
(c) डगलस एंजेलबर्ट
(d) चार्ल्स बैबेज
(e) विंट सर्फ
उत्तर –  (e) 

28. डकडकगो (Duck Duck Go) है, एक-   upsc 2020
(a) सर्च इंजन
(b) वेब ब्राउजर
(c) वायरस
(d) न्यूज वेबसाइट
उत्तर –  (a) 

29. निम्नलिखित संक्षेप रूपों में से कौन सा सामान्य रूप से अवांछित जंक ई-मेल का वर्णन करता है?                                         (MPPSC(Pre) Exam 2021)
(a) CRAM
(b) DRAM
(c) JAM
(d) SPAM
उत्तर –  (d) 

30. खोज क्षमता, ई-मेल, समाचार, स्टॉक की कीमतें, मौसम संबंधी जानकारी, खेल और मनोरंजन जैसी सेवाएं प्रदान करती है?                                           
(a) हॉस्टल
(b) पोर्टल
(c) आर्टिकल
(d) न्यूजपेपर
उत्तर –  (b) 

कंप्यूटर GK प्रश्नोत्तरी सवाल और जवाब CLICK NOW

विश्व व्यापी जाल WWW के अविष्कार तथा प्रवर्तक है-(IAS (P) 2007, (UPPCS/Pre/2004), (SSC 2013)

Correct! Wrong!

Yahoo Google व MSN है- (UPPCS/Pre/2005)

Correct! Wrong!

इंटरनेट क्या है -(MPPCS/Pre/1996)

Correct! Wrong!

निम्न में से कौन कंप्यूटर पद नहीं है - (Utt PCS/Pre/1997)

Correct! Wrong!

साधारण शब्दों में नेटवर्कों का नेटवर्क कहलाता है -(Utt PCS/Pre/2012)

Correct! Wrong!

कोई वेबसाइट एक्सेस करने पर सबसे पहला पेज जो दिखाई पड़ता है उसे कहते हैं

Correct! Wrong!

किसी संगठन के वेबसाइट का डॉट कॉम अंश सूचित करता है-(Utt. PCS/Pre/2012)

Correct! Wrong!

इनमें से कौनसा सर्च इंजन नहीं है (MPPCS/Pre/2010)

Correct! Wrong!

वेब अस्तित्व में आया (MPPCS/Pre/2009)

Correct! Wrong!

यदि किसी डोमेन नेम के आखिर में डॉट .edu.us है तो यह है - (MPPCS/Pre/2009)

Correct! Wrong!

सूचना राजपथ किसे कहते हैं - (MPPCS/Pre/2008)

Correct! Wrong!

इंटरनेट पर प्रयुक्त स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है

Correct! Wrong!

HTML का पूरा नाम है

Correct! Wrong!

वेब पर किसी खास कंप्यूटर और पूरी साइट के मेन पेज को पहचानता है

Correct! Wrong!

यूआरएल https://www.....में http होता है

Correct! Wrong!

सभी वेबसाइट तथा वेब पेज जो अपना एक समय अवधि में देखे होते हैं की जानकारी मिल जाती है

Correct! Wrong!

इंटरनेट पर सर्वर से अपने कंप्यूटर पर सूचना प्राप्त करने की प्रोसेस को कहते हैं

Correct! Wrong!

किसी वेब पेज को रीलोड करने हेतु बटन दाएं

Correct! Wrong!

इंटरनेट पर www का अर्थ है

Correct! Wrong!

अधिकांश वेबसाइट में एक मुख्य पेज रिश्ता होता है जो बाकी वेब पेज के लिए डोरवे का काम करता है इसे कहते हैं

Correct! Wrong!

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