भारत पर अरबों का आक्रमण सामान्य ज्ञान हिंदी में

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Bharat Me Arbo Ka Aakraman Gk in Hindi

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भारत पर अरब आक्रमण प्रश्न उत्तर

Medieval India / Invasion of Arabs on India Gk HINDI

  • अरबों ने मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में भारत पर पहला आक्रमण किया था।
  • अरबों ने सिंध पर 712 ई. में विजय प्राप्त की थी।
  • अरबों के आक्रमण के समय सिंध पर दाहिर का शासन था।
  • भारत पर अरबों के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य था, यहाँ के धन-दौलत को लूटना और इस्लाम का प्रचार करना।

अरब आक्रमण का परिणाम

  1. अरबों ने भारत में अन्य विजित प्रदेशों की तरह धर्म पर आधारित राज्य स्थापित करने का प्रयत्न नहीं किया। हिन्दुओं को महत्त्वपूर्ण पदों पर बैठाया।
  2. इस्लाम धर्म ने हिन्दू धर्म के प्रति सहिष्णुता का प्रदर्शन किया।
  3. अरबों की सिंध विजय का आर्थिक क्षेत्र पर भी प्रभाव पड़ा।
  4. अरबवासियों ने चिकित्सा, दर्शनशास्त्र, नक्षत्रविज्ञान, गणित (दशमलव प्रणाली) एवं शासन प्रबंध की शिक्षा भारतीयों से ही ग्रहण की।
  5. चरक संहिता एवं पंचतन्त्र ग्रन्थों का अरबी में अनुवाद किया गया।
  6. बगदाद के खलीफाओं ने भारतीय विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया।  खलीफा मंसूर के समय में अरब विद्वानों ने अपने साथ ब्रह्मगुप्त द्वारा रचित ‘ब्रह्म-सिद्धान्त’ एवं ‘खण्डखाद्य’ को लेकर बगदाद गये और अलफजारी ने भारतीय विद्वानों के सहयोग से इन ग्रन्थों का अरबी भाषा में अनुवाद किया।

महमूद गजनी/गजनवी

  1. अरबों के बाद तुर्को ने भारत पर आक्रमण किया। तुर्क चीन की उत्तरी-पश्चिमी सीमाओं पर निवास करने वाली असभ्य एवं बर्बर जाति थी। उनका उद्देश्य एक विशाल मुस्लिम साम्राज्य स्थापित करना था।
  2. अल्तगीन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी में स्वतन्त्र तुर्क राज्य की स्थापना की।
  3. अल्प्तगीन के गुलाम तथा दामाद सुबुक्तगीन ने 977 ई. में गजनी पर अपना अधिकार कर लिया।
  4. महमूद गजनी सुबुक्तगीन का पुत्र था।
  5. अपने पिता के काल में महमूद गजनी खुरासान का शासक था।
  6. सुबुक्तगीन की मृत्यु के बाद उसका पुत्र एवं उत्तराधिकारी महमूद गजनवी गजनी की गद्दी पर 998 ई. में बैठा। उस समय उसकी आय 27 वर्ष थी।
  7. तारीख-ए-गुजीदा के अनुसार महमूद ने सीस्तान के राजा खलफ-बिन-अहमद को पराजित कर सुल्तान की उपाधि धारण की। इतिहासकारों के अनुसार सुल्तान की उपाधि धारण करने वाला महमूद पहला तुर्क शासक था।
  8. बगदाद के खलीफा अल-आदिर विल्लाह ने महमूद गजनी के पद को मान्यता प्रदान करते हुए उसे यामीनुद्दौला तथा अमीन-उल-मिल्लाह की उपाधि दी। उपाधि प्राप्त करते समय महमूद गजनी ने प्रतिज्ञा प्राप्त की थी कि वह प्रतिवर्ष भारत पर एक आक्रमण करेगा।  
  9. इस्लाम धर्म के प्रचार और धन प्राप्ति के उद्देश्य से उसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था।
  10. महमूद ने अपने भारतीय आक्रमणों के समय जेहाद (धर्मयुद्ध) का नारा दिया और साथ ही अपना नाम बुत शिकन अर्थात् मूर्तिभंजक रखा।
  11. महमूद गजनी ने भारत पर पहला आक्रमण 1001 ई. में किया था। यह आक्रमण शाही राजा जयपाल के विरुद्ध उसकी पहली महत्त्वपूर्ण जीत बतायी जाती है।
  12. महमूद गजनी ने थानेसर (हरियाणा) के चक्रस्वामिन की कांस्य निर्मित आदमकद प्रतिमा को गजनी भेजकर रंगभूमि में रखवाया।
  13. महमूद गजनी का सबसे चर्चित आक्रमण 1025-1026 ई. में सोमनाथ मंदिर (सौराष्ट्र) पर हुआ, जिसमें सोमनाथ मंदिर के अपार सम्पत्ति को बुरी तरह लूट लिया गया। इस मंदिर को लूटते समय महमूद ने लगभग 50,000 ब्राह्मणों एवं हिन्दुओं का कत्ल कर दिया था।
  14. सोमनाथ मंदिर लूटकर ले जाने के क्रम में महमूद पर जाटों ने आक्रमण किया था और कुछ सम्पत्ति लूट ली थी।
  15. महमूद गजनी का अंतिम भारतीय आक्रमण 1027 ई. में जाटों के विरुद्ध था।
  16. महमूद गजनी की मृत्यु 1030 ई. गजनी में हो गयी।
  17. महमूद के भारतीय आक्रमण का वास्तविक उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
  18. वह एक मूर्तिभंजक (बुत शिकन) आक्रमणकारी था।
  19. महमूद की सेना में सेवंदराय एवं तिलक जैसे हिन्दू उच्च पदों पर नियुक्त थे।
  20. महमूद के भारत आक्रमण के समय उसके साथ प्रसिद्ध इतिहासविद्, गणितज्ञ, भूगोलवेत्ता, खगोल
  21. एवं दर्शनशास्त्र का ज्ञाता तथा किताबुल हिन्द का लेखक अलबरूनी भारत आया। अलबरूनी महमूद का दरबारी कवि था। इसके अतिरिक्त इतिहासकार उतबी, तारीख-ए-सुबुक्तगीन के लेखक वैहाकी भी उसके साथ आये।
  22. शाहनामा का लेखक फिरदौसी, फारसी कवि उजारी, खुरासानी विद्वान तुसी, महान शिक्षक और विद्वान उन्सुरी, विद्वान अस्जदी और फारूखी आदि उसके दरबारी कवि थे।

मुहम्मद गोरी

  • शिहाबुद्दीन उर्फ मुईजुद्दीन मुहम्मद गोरी ने भारत में तुर्क राज्य की स्थापना की।
  • मुहम्मद गोरी गजनी और हिरात के मध्य स्थित छोटे पहाड़ी प्रदेश गो/गौर का 1173 ई. में शासक बना।
  • मुहम्मद गोरी ने भी भारत पर अनेक आक्रमण किये।
  • उसने प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान के सुल्तान के विरुद्ध किया।
  • मुहम्मद गोरी का दूसरा आक्रमण 1178 ई. में पाटन (गुजरात) पर हुआ। यहाँ पर चालुक्य वंश (सोलंकी वंश) का शासन था। इस वंश के भीम-I ने मुहम्मद गोरी को आबू पर्वत के समीप परास्त किया। संभवत: यह मुहम्मद गोरी की प्रथम भारतीय पराजय थी।
  • 1191 ई. में गोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तराईन के मैदान में युद्ध हुआ। इस युद्ध में गोरी बुरी तरह परास्त हुआ। इस युद्ध को तराईन का प्रथम युद्ध कहा जाता है।
  • 1192 ई. में गोरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य तराईन के मैदान में पुनः युद्ध हुआ। इस युद्ध का परिणाम मुहम्मद गोरी के पक्ष में रहा तथा इसके उपरांत पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर दी गयी। इस युद्ध को तराईन का द्वितीय युद्ध कहा जाता है।
  • 1194 ई. में गोरी एवं गहड़वाल शासक जयचन्द के बीच चंदावर का युद्ध हुआ। इस युद्ध में भी गोरी को विजय प्राप्त हुई।
  • मुहम्मद गोरी भारत में अपने विजित प्रदेशों का शासन अपने विश्वसनीय गुलाम कुतुबद्दीन ऐबक को सौंप कर वापस गजनी चला गया।
  • मुहम्मद गोरी की हत्या 15 मार्च, 1206 ई. में गजनी वापस जाते समय मार्ग में कर दी गयी थी।
  1. दिल्ली सल्तनत

  • गुलाम वंश (1206-1290 ई.) ३ 1206 से 1290 ई. के मध्य दिल्ली सल्तनत पर जिन तुर्क शासकों द्वारा शासन किया गया उन्हें गुलाम वंश का शासक माना जाता है।
  • इस काल के दौरान दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाले राजवंश थे- कुतुबुद्दीन ऐबक’कुत्ची’, इल्तुतमिश ‘शम्शी’ और बलबन ‘बलबनी’।
  • इन तीनों तुर्क शासकों को गुलाम वंश का शासक कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि इनका जन्म स्वतन्त्र माता-पिता से हुआ था। अत: इनके लिए प्रारम्भिक तुर्क शासक व ममलूक शासक शब्द ज्यादा उपयुक्त है।
  • ऐबक, इल्तुतमिश एवं बलबन में इल्तुतमिश एवं बलबन ‘इल्वारी तुर्क’ थे।
  • गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था। यह गोरी का गुलाम था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून, 1206 ई. को किया था। उसने लाहौर में अपनी राजधानी बनायी थी।
  • सिंहासनरूढ़ होने के समय ऐबक ने अपने को मलिक एवं सिपहसालार की पदवी से सन्तुष्ट  रखा।
  • ऐबक ने गोरी के भारतीय सल्तनत में मलिक एवं सिपहसालार की हैसियत से कार्य किया।

ऐबक के शासन काल को तीन भागों में बाँटा जा सकता है

  1. 1192-1206 की अवधि सैनिक गतिविधियों की अवधि थी।
  2. 1206-1208 की अवधि राजनयिक कार्यों की अवधि थी।
  3. 1208-1210 की अवधि में उसका अधिकांश समय दिल्ली सल्तनत की रूप-रेखा बनाने में बीता।  
  • 1208 से 1210 की अवधि में उसने स्वतन्त्र भारतीय प्रदेश पर स्वतन्त्र शासक के रूप में शासन किया।
  • ऐबक ने नये प्रदेश जीतने की अपेक्षा जीते हुए प्रदेश की सुरक्षा की और विशेष ध्यान दिया।
  • उदारता एवं दानी प्रवृत्ति के कारण ऐबक को लाखबख्स (लाखों का दानी) कहा जाता था।  
  • इतिहासकार मिनहाज ने ऐबक की दानशीलता के कारण उसे हातिम-II की संज्ञा दी है।  
  • साहित्य एवं स्थापत्य में भी ऐबक की दिलचस्पी थी।
  • ऐबक के दरबार में विद्वान हसन निजामी एवं फख-ए-मुदब्बिर को संरक्षण प्राप्त था।
  • स्थापत्य कला के क्षेत्र में ऐबक के नाम के साथ कुव्वत-उल-इस्लाम, ढाई दिन का झोपड़ा एवं कुतुबमीनार के निर्माण को रखा जाता है।
  • कुतुबमीनार जिसे शेख ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में बनाया गया है, के निर्माण कार्य को प्रारम्भ करवाने का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है।
  • 1210 ई. में लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते समय घोड़े से गिरने के कारण ऐबक की मृत्यु हो गयी। उसे लाहौर में दफनाया गया।
  • प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सहायक सेनानायक इख्तयारूद्दीन मुहम्मदबिन बख्तियार खिलजी था।
  • ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ जिसने सिर्फ आठ महीनों तक शासन किया।
  • आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
  • इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्बारी तुर्क था, जो ऐबक का गुलाम एवं दामाद था। ऐबक की मृत्यु के समय इल्तुतमिश बदायूँ का सूबेदार/गवर्नर था।

इल्तुतमिश के महत्त्वपूर्ण कार्य

  1. राजधानी को लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित किया।
  2. कुतुबमीनार के निर्माण को पूर्ण करवाया।
  3. सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किये। उसके द्वारा जारी चाँदी का सिक्का टंका (लगभग 175 ग्रेन का) तथा ताँबे का सिक्का जीतल कहलाता था।
  4. इक्ता व्यवस्था का प्रचलन करवाया।
  5. अपने 40 गुलाम सरदारों का एक गुट या संगठन बनाया, जिसे तुर्कान-ए-चिहालगानी का नाम दिया गया। इस संगठन को चरगान भी कहा गया है।
  6. सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया। इन अमीरों में कुत्बी अर्थात् कुतुबुद्दीन के समय के सरदार/अमीर तथा मुइन्जी अर्थात् गोरी के समय के अमीर मुख्य थे।
  • फरवरी, 1229 ई. में बगदाद के खलीफा से इल्तुतमिश को सम्मान में खिलअत एवं प्रमाण-पत्र प्राप्त हुआ। प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के बाद इल्तुतमिश वैध सुल्तान एवं दिल्ली सल्तनत एक वैध स्वतन्त्र राज्य बन गया।
  • खलीफ से खिलअत मिलने के बाद इल्तुतमिश ने नासिर अमीर उल मोमिन की उपाधि ग्रहण की।
  • इल्तुतमिश के दरबार में मिन्हाज-उल-सिराज, मलिक दाजुद्दीन को संरक्षण प्राप्त था।
  • अवफी ने इल्तुतमिश के ही शासन काल में जिवामी-उल-हिकायत की रचना की।
  • निजामुलमुल्क मुहम्मद जुनैदी, मलिक कुतुबुद्दीन हसन गोरी और फखरूल मुल्क इसामी जैसे योग्य व्यक्तियों को उसका संरक्षण प्राप्त था।
  • इल्तुतमिश शेख कुतुबुद्दीन तबरीजी, शेख बहाउद्दीन जकारिया, शेख नजीबुद्दीन नखराबी आदि सूफी संतों का बहुत सम्मान करता था।
  • भारत में सम्भवत: पहला मकबरा बनवाने का श्रेय भी इल्तुतमिश को दिया जाता है। उसे मकबरा निर्माण शैली का जन्मदाता भी कहा जाता है।
  • अजमेर की मस्जिद का निर्माण इल्तुतमिश ने ही करवाया था।
  • इल्तुतमिश की अप्रैल, 1236 ई. में मृत्यु हो गयी।
  • इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रूकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा। वह अयोग्य एवं विलासी प्रवृत्ति का शासक था। इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाहतुर्कान छायी रही।
  • रूकनुद्दीन फिरोज एवं उसकी माँ शाहतुर्कान के अत्याचारों से चारों तरफ विद्रोह फूट पड़ा।  ऐसी स्थिति में अमीरों ने रूकनुद्दीन को हटाकर रजिया को सिंहासन पर आसीन किया। इस तरह रजिया बेगम (1236-1239 ई.) प्रथम मुस्लिम महिला थी, जिसने शासन की बागडोर सम्भाली।
  • रजिया के सिंहासन पर बैठने का विरोध करने वाले प्रमुख तुर्की अमीरों में उल्लेखनीय नाम हैं- निजामुलमुल्क जुनैदी, मलिक अलाउद्दीन जानी, मलिक सैफुद्दीन कूची, मलिक ईजुद्दीन कबीर खाँ एवं मलिक ईजुद्दीन सलारी आदि।
  • रजिया ने पर्दा प्रथा का त्यागकर तथा पुरुषों की तरह कुबा/चोंगा (कोट) एवं कुलाह (टोपी) पहनकर राज-दरबार में खुले मुँह जाने लगी।
  • रजिया ने अपने कुछ विश्वासपात्र सरदारों को उच्च पदों पर नियुक्त किया। इख्तियारूद्दीन ऐतगीन को अमीर-ए-हाजिब, मलिक जमालुद्दीन याकूत (अबीसीनियन) को अमीर-ए-आखूर (घोड़े का सरदार), मलिक ईजुद्दीन कबीर खाँ को लाहौर का अक्तादार और इख्तियारूद्दीन अल्तूनिया को तबरहिन्द ( भटिंडा) का अक्तादार नियुक्त किया।
  • गैर तुर्को को सामंत बनाने के रजिया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरुद्ध हो गये और उसे बन्दी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुईजुद्दीन बहरामशाह (1240-1242 ई.) को बैठा दिया।
  • रजिया की शादी तबरहिन्द के अक्तादार अल्तूनिया से हुई। उससे शादी करने के बाद रजिया ने पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन वह असफल रही।
  • रजिया की 13 अक्टूबर, 1240 ई. को डाकुओं के द्वारा कैथल के पास हत्या कर दी गयी।
  • मुईजुद्दीन बहरामशाह को बन्दी बनाकर उसकी हत्या मई 1242 ई में कर दी गयी।
  • बहराम शाह के बाद अलाउद्दीन मसूदशाह 1242 ई. में दिल्ली का सुल्तान बना।।
  • जून, 1246 ई. में बलबन ने षड्यन्त्र के द्वारा अलाउद्दीन मसूदशाह को सुल्तान के पद से हटाकर इल्तुतमिश के प्रपौत्र नासिरूद्दीन महमूद (1246-1266 ई.) को सुल्तान बना दिया।
  • नासिरूद्दीन ने राज्य की समस्त शक्ति बलबन को सौंप दिया।
  • नासिरूद्दीन महात्वाकांक्षाओं से रहित एक धर्मपरायण व्यक्ति था। वह कुरान की नकल करता था और उसको बेचकर जीविका चलाता था।
  • नासिरूद्दीन महमूद ऐसा सुल्तान था, जो टोपी सीकर अपनी जीवन-निर्वाह करता था।
  • नासिरूद्दीन ने 7 अक्टूबर, 1249 को बलबन को उलूगखाँ की उपाधि प्रदान की तदुपरांत उसे अपना अमीरे-हाजिब बनाया।
  • बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरूद्दीन महमूद के साथ किया था।
  • बलबन (1266-1290 ई.) का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था। वह इल्तुतमिश के चालीस  गुलाम तुर्की के दल (तुर्कान-ए-चिहालगानी) का सदस्य था।
  • इल्बारी तुर्क जाति के बलबन ने 1266 ई. में गियासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। बलबन मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा।
  • बलबन ने इल्तुतमिश द्वारा स्थापित 40 तुर्की सरदारों के दल को समाप्त कर दिया।
  • बलबन के काल में एकमात्र विद्रोह बंगाल में हुआ जिसे उसने कठोरता से कुचल दिया।
  • बलवन पहला सुल्तान था जिसने राजत्व के सिद्धान्त को प्रतिपादन किया। उसने राजत्व को नियामते-खुदाई (ईश्वर द्वारा प्रदत्त) तथा राजा को जिल्ले-इलाही (ईश्वर की छाया) कहा।
  • बलबन ने तुर्क प्रभाव को कम करने के लिए फारसी परम्परा पर आधारित सिजदा (घुटने पर बैठकर सम्राट के सामने सिर झुकाना) एवं पाबोस (पाँव को चूमना) के प्रचलन को अनिवार्य कर दिया।
  • बलबन ने फारसी परंपरा (ईरानी परंपरा) पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारम्भ किया।
  • बलबन ने अपने विरोधियों के प्रति लौह एवं रक्त नीति का पालन किया। इस नीति के अन्तर्गत विद्रोही व्यक्ति की हत्या कर उसकी स्त्री एवं बच्चों को दास बना लिया जाता था।
  • पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत पर मंगोल आक्रमण के भय को समाप्त करने के लिए बलबन ने एक सुनिश्चित योजना का क्रियान्वयन किया। उसने सैन्य विभाग, दीवान-ए-अर्ज को पुनर्गठित करवाया तथा सीमांत क्षेत्र में स्थित किलों का पुनर्निर्माण करवाया।
  • बलबन ने अयोग्य एवं वृद्ध सैनिकों को पेंशन देकर मुक्त करने की योजना चलाई। उसने अपने सैनिकों को वेतन का नकद भुगतान किया।
  • बलबन ने राज्य के अन्तर्गत होने वाले षड्यन्त्रों एवं विद्रोहों के विषय में पूर्व जानकारी के लिए
  • गुप्तचर विभाग की स्थापना की। ३ बलबन ने फारसी रीति-रिवाज पर आधारित एवं उनके राजाओं के नाम की तरह अपने पुत्रों का नाम रखा।
  • बलबन अपने प्रिय पुत्र मुहम्मद की मृत्यु के सदमे को बर्दाश्त न कर सका और 80 वर्ष की अवस्था में 1286 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी।
  • बलबन ने अपने राजदरबार में अनेक कलाकारों एवं साहित्यकारों को संरक्षण प्रदान किया। उसके राज्याश्रय में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे। इसके अतिरिक्त ज्योतिषी एवं चिकित्सक मौलाना हमीदुद्दीन मुतरिज, प्रसिद्ध मौलाना बदरूद्दीन एवं मौलाना हिसानुद्दीन भी उसके दरबार में रहते थे।
  • शम्सुद्दीन कैमर्स गुलाम वंश का अंतिम शासक था। इसकी हत्या करके जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की।
  •  
  • खिलजी वंश
  • (1290-1320 ई.) ३ गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-1296 ई.) ने खिलजी वंश की स्थापना की। खिलजी वंश की स्थापना को खिलजी क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।

खिलजी क्रांति का महत्त्व

  1. गुलाम वंश की समाप्ति के बाद एक नये वंश, खिलजी वंश की स्थापना हुई।
  2. दिल्ली सल्तनत का सुदूर दक्षिण तक विस्तार हुआ।
  3. जातिवाद में कमी आयी।
  4. यह मान्यता समाप्त हुई कि शासन केवल विशिष्ट वर्ग का व्यक्ति ही कर सकता है।
  5. खिलजी मुख्यत: सर्वहारा वर्ग के थे।
  6. तुर्की अमीर सरदारों के प्रभाव क्षेत्र में कमी आयी।
  7. प्रशासन में धर्म और उलेमा के महत्त्व को अस्वीकार कर दिया गया।
  8. शासकों की सत्ता का मुख्य स्तंभ शक्ति था।
  • जलालुद्दीन ने किलोखरी/किलखोरी को अपनी राजधानी बनाया।
  • जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद के निकट) में कर दी थी।

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मध्यकालीन इतिहास के प्रश्न उत्तर | Arab Or Turk Aakraman MCQ|भारत में अरब आक्रमण

भारत पर अरब आक्रमण प्रश्न उत्तर || मध्यकालीन भारत

Medieval History MCQ in Hindi भारत पर अरब आक्रमण

 1. मुहम्मद-बिन-कासिम था [UPPCS 1992]

(A) तुर्की

(B) मंगोली

(C) अरबी

(D) तुर्क-अफगानी

उत्तर –  c

 2. भारत पर आक्रमण करने वाले सर्वप्रथम मुस्लिम आक्रमणकारी थे [UPPCS 2015]

 (A) गजनी के

(B) गोर के

(C) अरब

(D) ये सभी

उत्तर –  c

3. भारत का इस्लाम के साथ पहला सम्पर्क कब स्थापित हुआ? [RRB2012]

(A) सूफी सन्तों के आगमन के बाद

(B) 11वीं शताब्दी के तुर्की अभियान के बाद

(C) 7वीं शताब्दी में सिन्ध पर अरब आक्रमण के बाद

(D) मालाबार तट पर अरब व्यापारियों के आगमन के बाद

उत्तर –  d

 4. मुहम्मद-बिन-कासिम द्वारा सिन्ध की विजय कब हुई? [UPPCS 1991]

 (A) 713 ई.

(B) 716 ई.

(C) 712 ई.

(D) 719 ई.

उत्तर –  c

 5. सिन्ध विजय के बारे में सूचना किस फारसी ग्रन्थ में मिलती है? (A) चचनामा (B) किताब-उल-हिन्द (C) ताजुल मासिल

(D) नुश्खा-ए-दिलखुश

उत्तर –  a

6. अरबों के आक्रमण के समय सिन्ध का शासक कौन था?

 (A) दाहिर

(B) जयपाल

(C) राज्यपाल

(D) भीम द्वितीय

उत्तर –  a

 7. सिन्ध पर विजय प्राप्त करने वाले अरब सेना के सेनापति का नाम बताइए [SSC 2013]

(A) अल-हजाज

(B) कुतुबुद्दीन ऐबक

(C) अलाउद्दीन खिलजी

(D) मुहम्मद-बिन-कासिम

उत्तर –  d

8. इनमें से कौन गजनी राजवंश का संस्थापक था? [UPPCS 2015]

(A) अल्पतगीन

(B) महमूद

(C) सुबुक्तगीन

(D) इस्माइल

उत्तर –  a

 9. महमूद गजनवी किस वंश का था?

 (a) यामिनी वंश

 (b) संशबनी वंश

 (c) उत्बी वंश

(d) सम्शी वंश

उत्तर –  a

 10. किसने एक तरफ संस्कृत मुद्रालेख के साथ चाँदी के सिक्के निर्गत किए? [UPPCS 2000]

(a) मुहम्मद-बिन-तुगलक

(b) महमूद गजनवी

 (c) शेरशाह

(d) अकबर

उत्तर –  b

 11. शाहनामा का लेखक जो महमूद गजनवी के दरबार से सम्बन्धित था [UP RO/ARO 2013]

(a) सुबुक्तगीन

 (b) फिरदौसी

 (c) मुहम्मद गोरी

 (d) अल्पतगीन 1

उत्तर –  b

2. महमूद गजनवी का दरबारी इतिहासकार कौन था? [UPPCS 1991]

(a) हसन निजामी

(B) उत्बी

(c) फिरदौसी

(d) चंदबरदाई

उत्तर –  b

 13. महमूद गजनवी की मृत्यु कब हुई थी?

 (a) 1024 ई.

 (b) 1025 ई.

 (c) 1030 ई.

(d) 1035 ई.

उत्तर –  c

14. महमूद गजनवी का प्रथम आक्रमण 1001 ई. में किस शासक के विरुद्ध हुआ था?

 (a) जयपाल

(b) राज्यपाल

(c) भीमदेव प्रथम

(d) मूलराज प्रथम

उत्तर –  a

15. महमूद गजनवी ने सोमनाथ मन्दिर पर आक्रमण कब किया था? (CGPCS 2006]

 (a) 1001 ई.

 (b) 1016 ई.

(c) 1013 ई.

(d) 1025 ई.

उत्तर –  d

16. महमूद गजनवी के सोमनाथ पर आक्रमण के समय वहाँ का शासक कौन था?

(a) भीम प्रथम

 (b) भीम द्वितीय

 (c) मूलराज प्रथम

 (d) जयपाल

उत्तर –  a

17. निम्नलिखित में से किसने महमूद गजनवी के हमले के बाद सोमनाथ मन्दिर का पुनर्निर्माण किया? [UPSC 2016] (a) भीमराज प्रथम

(b) भीमदेव

(c) मूलराज

 (d) जयसिंह सिद्धिराज अरब एवं तुर्क आक्रमण 41

उत्तर –    b  

26. निम्नलिखित कथनों में से कौन अलबरूनी के सम्बन्ध में सही नहीं है? [UPPCS 2014]

(a) वह एक धर्मनिरपेक्ष लेखक था।

(b) उसका ग्रन्थ उस समय के जीवन्त भारत से प्रभावित था।

 (c) वह संस्कृत का विद्वान् था।

(d) वह त्रिकोणमिति का विशेषज्ञ था।

उत्तर –  a

18. महमूद गजनवी का भारत पर अन्तिम आक्रमण 1027 ई. में किसके विरुद्ध हुआ था?

 (A) जाटों के (B) सतनामियों के (C) पिण्डारियों के (D) खोखरों के

उत्तर –  

19. निम्नलिखित में से कौन-सा शासक महमूद गजनवी से पराजित नहीं हुआ था? __[UPPCS 1991]

(A) धंग

(B) विद्याधर

(C) जयशक्ति

(D) गंडदेव

उत्तर –  c

20. महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण का उद्देश्य क्या था? [IAS (Pre) 2005]

 (A) भारत की सम्पत्ति लूटना

(B) स्थायी शासन स्थापित करना

 (0) एक उपनिवेश बनाना

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर –  a

22. अलबरूनी भारत में महमूद गजनवी के साथ कब आया था? [UP UDA/LDA 2010]

(A) नौवीं शताब्दी में

(B) दसवीं शताब्दी में

(C) ग्यारहवीं शताब्दी में

(D) बारहवीं शताब्दी में

उत्तर –  c

 23. पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुसलमान था

(A) अबुल फजल [UPPCS 2002]

(B) अब्दुल कादिर बदायूँनी

(C) अलबरूनी

(D) दाराशिकोह

उत्तर –  c

 24. अलबरूनी भारत के किस स्थान पर कई वर्षों तक रहा था? __ [UKPCS 2007]

(A) दिल्ली

(B) पंजाब

(C) गुजरात

(D) बिहार

उत्तर –  b

25. ‘किताब-उल-हिन्द’ या ‘तहकीक-ए-हिन्द रचना के प्रसिद्ध लेखक का क्या नाम था? [RAS/RTS 2010] (A) हसन निजामी

(B) मिनहाज-उस-सिराज

(C) अलबरूनी

(D) शम्स-ए-सिराज अफीफ

उत्तर –  c

27.मुहम्मद गोरी का सम्बन्ध निम्नलिखित में से किस वंश से है?

(a) यामिनी वंश

 (b) संशबनी वंश

(c) उत्बी वंश

(d) अफरासियाब वंश

उत्तर –  b

28. गौर किन दो साम्राज्यों के बीच स्थित था?

(a) गजनवी और सल्जूक

 (b) गुजरात और पंजाब

 (c) कन्नौज और इटावा

 (d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर –  a

29. मुहम्मद गोरी की मृत्यु कब हुई?

 (a) 1196 ई. में

(b) 1199 ई. में

(c) 1205 ई. में

 (d) 1206 ई. में

उत्तर –  d

 30. मुहम्मद गोरी का प्रथम आक्रमण 1175 ई. में कहाँ हुआ था?

 (a) मुल्तान पर

(b) सिन्ध पर

 (c) मालवा पर

 (d) कश्मीर पर ।

उत्तर –  a

31. मुहम्मद गोरी को सर्वप्रथम किसने पराजित किया था? ___ [RRB 2008] ङ्के)

A भीम द्वितीय HD

B पृथ्वीराज चौहान

(c) जयचन्द

 (d) पृथ्वीराज द्वितीय

उत्तर –  a

32. पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को किस युद्ध में पराजित किया था?

 (a) प्रथम तराइन युद्ध 1191 ई.

 (b) द्वितीय तराइन युद्ध, 1192 ई.

 (c) चन्दावर युद्ध, 1194 ई.

(d) रणथम्भौर युद्ध, 1195 ई.

उत्तर –  a

33. किस लड़ाई ने मुहम्मद गोरी के लिए दिल्ली क्षेत्र खोल दिया? [SSC 2010]

 (a) तराइन की पहली लड़ाई

(b) तराइन की दूसरी लड़ाई

 (c) खानवा की पहली लड़ाई

 (d) पानीपत की पहली लड़ाई

उत्तर –  b

34. पृथ्वीराज चौहान को मुहम्मद गोरी ने किस युद्ध में हराया था? [ssc 2013]

 (a) तराइन 1191 ई.

 (b) तराइन 1192 ई

. (c) चंदावर 1193 ई.

(d) रणथम्भौर 1195 ई.

उत्तर –  b

35. तराइन का द्वितीय युद्ध ………… के बीच लड़ा गया था। [SSC2017]

(A) सिकन्दर तथा पोरस

(B) जयचन्द तथा मुहम्मद गोरी

(C)अकबर तथा हेमू

(D) मुहम्मद गोरी तथा पृथ्वीराज चौहान

उत्तर –  d

36. निम्नलिखित में से मध्य एशिया के किस शासक ने 1192 ई. में उत्तर भारत को जीता? [UPPCS 2004]

(A) जलालुद्दीन मंगबरनी

(B) गजनी का महमूद

(C) शिहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी

(D) चंगेज खाँ

उत्तर –  c

37. युद्ध जिसमें भारत में मुस्लिम शक्ति की स्थापना हुई [UPPCS 1995]

(A) तराइन का प्रथम युद्ध

(B) तराइन का द्वितीय युद्ध

 (C) पानीपत का प्रथम युद्ध

(D) पानीपत का द्वितीय युद्ध

उत्तर –  b

38. 1194 ई. के चन्दावर के युद्ध में मुहम्मद गोरी ने किसे हराया था? [MPPCS 2017]

(A) कुमारपाल

(B) जयचन्द

(C) गोविन्दराज

(D) भीम द्वितीय

उत्तर –  b

 39. चन्दावर किस राज्य में स्थित है?

(A) उत्तर प्रदेश

(B) राजस्थान

(C) हरियाणा

(D) पंजाब

उत्तर –  a

 40. भारत में मुहम्मद गोरी ने किसको प्रथम अक्ता प्रदान किया था? [BPSC 1994]

(A) ताजुद्दीन यल्दौज

(B) कुतुबुद्दीन ऐबक

(C) शम्सुद्दीन इल्तुतमिश

(D) नासिरुद्दीन कुबाचा

उत्तर –  b

 41. किस मुस्लिम शासक के सिक्कों पर देवी लक्ष्मी की आकृति बनी है? [UKPCS 2006]

(A) मुहम्मद गोरी (B) अलाउद्दीन खिलजी

(C)अकबर

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर –  a

 42. मुहम्मद गोरी के किस दास ने बंगाल एवं बिहार पर विजय प्राप्त की? [UPPCS 1991]

(A) कुतुबुद्दीन ऐबक

(B) इल्तुतमिश

(C) बख्तियार खिलजी

(D) यल्दौज 38.

उत्तर –  c

43. निम्नलिखित में से कौन मुहम्मद गोरी का गुलाम नहीं था?

 (a) जलालुद्दीन मांगवरनी

 (b) कुतुबुद्दीन ऐबक

(c) यल्दौज

 (d) कुबाचा

उत्तर –  a

44. किस तुर्की शासक के सिक्के पर कलमा खुदा होता था?

 (a) मोहम्मद गजनवी

(b) मुहम्मद गोरी

 (c) अल्तुनिया

 (d) सुबुक्तगीन

उत्तर –  b

45. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें एक को

कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है। [UPPCS 2018]

कथन (A) भारत पर तुर्की आक्रमण सफल हुए। कारण (R) उत्तर भारत में राजनीतिक एकता नहीं थी।

नीचे दिए कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजिए

(a) कथन A तथा कारण R दोनों सही हैं और कारण R, कथन A की सही व्याख्या है

 (b) कथन A तथा कारण R दोनों सही हैं, परन्तु कारण R, कथन A की सही व्याख्या नहीं है

(c) कथन A सही है, परन्तु कारण R गलत है

 (d) कथन A गलत है, परन्तु कारण सही है

उत्तर –  a

 46. निम्नलिखित में से कौन-सुमेलित नहीं है?

 (a) अलबरूनी का जन्म – 973 ईं में

 (b) अलबरूनी का जन्म स्थान – तुर्की

(c) अलबरूनी का असली नाम – अबू रैहान मुहम्मद

 (d) तहकीक-ए-हिन्द का अर्थ – भारत की खोज

उत्तर –  b

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