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भारत के गवर्नर जनरल | वायसराय के महत्त्वपूर्ण कार्य
भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय Ncert Trick
(UPSC/IAS, IPS, PSC, Vyapam, Bank, Railway, RI, SSC एवं अन्य सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए उपयोगी )
भारत का प्रथम गवर्नर जनरल और वायसराय कौन था ?
बंगाल के गवर्नर की सूची
राबर्ट क्लाइव (1757-1760 ई. एवं पुन: 1765-1767 ई.)
- इसने बंगाल में दोहरी सरकार (वैध शासन) कायम की जिसके तहत राजस्व वसलने, सैनिक
संरक्षण एवं विदेशी मामले कंपनी के अधीन थे, जबकि शासन चलाने की जिम्मेदारी नवाब
के हाथों में थी। - इसने कर्मचारियों द्वारा उपहार लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था
- इसने कंपनी के कार्यकर्ताओं के लिए सोसायटी ऑफ ट्रेड का निर्माण किया, जिसको नमक, सुपारी, तंबाकू के व्यापार का एकाधिकार प्राप्त था। यह संस्था उत्पादकों से समस्त माल नकद में लेकर निश्चित केन्द्रों पर फुटकर व्यापारियों को बेच देता था।
- इसने बंगाल के समस्त क्षेत्र के लिए दो उप-दीवान, बंगाल के लिए मुहम्मद रजा खाँ और बिहार के लिए राजा सिताब राय को नियुक्त किया।
- अन्य गवर्नर थे- वेरेलास्ट (1767-1769 ई.), कार्टियर (1709-1772), वारेन हेस्टिंग्स (1772-1774 ई.)
कंपनी के अधीन गवर्नर जनरल
- वारेन हेस्टिंग्स 1750 ई. में कंपनी के क्लर्क के रूप में कलकत्ता आया था किन्तु अपनी कार्यकशलता के कारण वह शीघ्र ही कासिम बाजार का अध्यक्ष बन गया।
- 1772 ई. में वारे हेस्टिंग्स को बंगाल का गवर्नर बनाया गया। 1773 ई. के रेग्युलेटिंग एक्ट के द्वारा उसे 1774 ई. में बंगाल का गवर्नर जनरल बनाया गया।
- 1773 ई. के रेग्युलेटिंग एक्ट के अनुसार बंगाल के गवर्नर को अब अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा तथा उसका कार्यकाल पाँच वर्षों का निर्धारित किया गया। मद्रास एवं बम्बई के गवर्नर को इसके अधीन कर दिया गया। इस प्रकार कंपनी के अधीन भारत में प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स (1774-1785 ई.) हुआ।
वारेन हिस्टिंग्स (1774-1785 ई.)
- अपने प्रशासनिक सुधारों के तहत हेस्टिंग्स ने सर्वप्रथम 1772 ई. में कोर्ट ऑफ डाइरेक्टर के आदेशानुसार बंगाल से वैध शासन की समाप्ति की घोषणा की और सरकारी कोषागार का स्थानांतरण मुर्शिदाबाद से कलकत्ता कर दिया।
- राजस्व सुधार के अन्तर्गत हेस्टिंग्स ने राजस्व की वसूली का अधिकार कंपनी के अधीन कर दिया। उसने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की स्थापना की जिसमें कंपनी के राजस्व संग्राहक नियुक्त किये गये।
- भूमि कर सुधार के अन्तर्गत 1772 ई. तक संग्रहण के अधिकार ऊँची बोली बोलने वाले जमींदारों को पाँच वर्ष के लिए दिये गये और उन्हें भूस्वामित्व से मुक्त कर दिया गया।
- 1776 ई. में पाँच वर्ष के ठेके पर भू-राजस्व वसूलने की व्यवस्था खत्म कर दी गयी और | इसके स्थान पर एक वर्षीय व्यवस्था को पुन: लागू किया गया।
- इसने 1772 ई. में प्रत्येक जिले में एक फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की।
- इसने 1781 ई. में कलकत्ता में मुस्लिम शिक्षा के विकास के लिए प्रथम मदरसा स्थापित किया।
- इसके समय जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विद्यालय की 1792 में स्थापना की।
- गीता के अंग्रेजी अनुवादक विलियम विलकिन्स को हेस्टिंग्स ने आश्रय प्रदान किया।
- इसी के काल में सर विलियम जोंस ने 1784 ई. में द एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की।
- इसी के काल में संस्कृत में एक पुस्तक Code of Gento Laws प्रकाशित (1776 ई.) हुई तथा विलियम जोंस, कोलबुक की Digest of Hindu Law छपी (1791 ई.)।
- व्यावसायिक सुधार के तहत इसने जमींदारों के क्षेत्र में कार्य कर रहे शुल्क गृहों को बंद करवा दिया। अब केवल कलकत्ता, हुगली, मुर्शिदाबाद, ढाका तथा पटना में ही शुल्क गृह रह गये।
- शुल्क मात्र डेढ़ प्रतिशत था जो सबको देना होता था। ३ इसने कंपनी के अधिकारियों को व्यक्तिगत व्यापार पर दी जाने वाली छूट समाप्त कर दी। २ इसने मुगल सम्राट को मिलने वाली 26 लाख रुपये की वार्षिक पेंशन बंद करवा दी।
- इसी के समय में रूहेला युद्ध, प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध एवं द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध हुए।
- इसी के समय में रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत 1774 ई. में कलकत्ता में एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी, जिसका अधिकार क्षेत्र कलकत्ता तक था। कलकत्ता से बाहर का मामला यह तभी सुनता था जब दोनों पक्ष सहमत हों। इस न्यायालय में न्याय अंग्रेजी कानूनों द्वारा किया जाता था।
- इसने बंगाली ब्राह्मण नंद कुमार पर झूठा आरोप लगाकर न्यायालय से फाँसी की सजा दिलवा दी थी। नोट : पिट्स इंडिया एक्ट (1784) के विरोध में इस्तीफा देकर जब वारेन हेस्टिंग्स फरवरी, 1785 में इंग्लैण्ड पहुँचा तो बर्क द्वारा उसके ऊपर महाभियोग लगाया गया। ब्रिटिश संसद में यह महाभियोग 1788 से 1795 ई. तक चला, परंतु अंत में उसे आरोपों से 1795 में मुक्त कर दिया गया।
सर जॉन मैकफरसन (1785-1786 ई.)
- इन्होंने भारत में अस्थायी गवर्नर जनरल के पद पर मात्र एक वर्ष तक कार्य किया।
लार्ड कार्नवालिस (1786-1793 ई.)
- इसके समय में जिले की समस्त शक्ति कलेक्टर के हाथ में केन्द्रित कर दी गयी व 1787 ई. में जिले के प्रभारी कलेक्टरों को दीवानी अदालत का दीवानी न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया।
- इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त (1790-1792 ई.) कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें (Circuit Courts) नियुक्त की, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक विहार के लिए थी। इन अदालतों की अध्यक्षता यूरोपीय व्यक्ति द्वारा भारतीय काजी व मुफ्ती के सहयोग से की जाती थी।
- 1793 ई. में इसने प्रसिद्ध कार्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था।
- इसने वकालत पेशा को नियमित बनाया।
- पुलिस सुधार के अन्तर्गत पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया गया।
- कंपनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की गयी और व्यक्तिगत व्यापार पर पाबंदी लगा दी गयी। जिलों में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दरोगा को इसका इंचार्ज बनाया गया।
- भारतीयों को सेना में सूबेदार, जमादार तथा प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था।
- इसने 1793 ई. में स्थायी बंदोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू-राजस्व का 90 प्रतिशत कंपनी को तथा 10 प्रतिशत अपने पास रखना था।
- कार्नवालिस को भारत में नागरिक सेवा का जनक माना जाता है।
सर जॉन शोर (1793-1798 ई.)
- इसके समय 1793 ई. का चार्टर एक्ट पारित हुआ।
- इसने देशी राज्यों के प्रति अहस्क्षेप अर्थात् तटस्थता की नीति अपनाई।
लॉर्ड वेलेजली (1798-1805 ई.)
- यह अपनी सहायक संधि प्रणाली के कारण प्रसिद्ध हुआ। सहायक संधि का प्रयोग भारत में वेलेजली से पूर्व फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले ने किया था।
- सहायक संधि करने वाले राज्य थे- हैदराबाद (सितंबर, 1798), मैसूर (1799), तंजौर (अक्टूबर, 1799), अवध (नवंबर, 1801), पेशवा (दिसंबर, 1801), बरार के भोंसले (दिसंबर, 1803), सिधिंया (फरवरी, 1804)। अन्य सहायक संधि करने वाले राज्य थे- जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी, बूंदी तथा भरतपुर।
- चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799) इसी के समय में हुई थी जिसमें टीपू सुल्तान मारा गया था।
- इसी ने नागरिक सेवा में भर्ती किये गये युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना करवाई थी। ३ वेलेजली स्वयं को बंगाल का शेर कहा करता था।
- लार्ड कार्नवालिस का (1805) दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ, परंतु शीघ्र ही इसकी मृत्यु हो गयी।
- सर जार्ज वाळू ( 1805-1807 ई.)
- इसके समय में वेल्लोर में सैन्य विद्रोह (1806) हुआ, जिसमें अनेक अंग्रेज सैनिक मारे गये।
लार्ड मिन्टो प्रथम ( 1807-1813 ई.)
- चाल्र्स मेटकाफ को मिन्टो ने ही महाराजा रणजीत सिंह के दरबार में भेजा था, जहाँ 25 अप्रैल, | 1809 में अंग्रेजों एवं रणजीत सिंह के बीच अमृतसर की संधि हुई थी।
- मिन्टो ने बुंदेलखण्ड और नागपुर के विद्रोहों को दबाया।
लार्ड हेस्टिंग्स ( 1813-1823 ई.)
- इसी के समय आंग्ल-नेपाल युद्ध (1814-1816 ई.) हुआ। इसमें नेपाल के अमर सिंह थापा को आत्मसमर्पण करना पड़ा। मार्च, 1816 ई. में अंग्रेजों एवं गोरखों के बीच सुगौली की संधि हुई।
- इसके समय में पिण्डारियों का दमन कर दिया गया। पिण्डारियों के नेताओं में वासिल मुहम्मद ने आत्महत्या कर ली, करीम खाँ को गोरखपुर में एक छोटी-सी रियासत दे दी गयी और चीतू को जंगल में शेर मार कर खा गया।
- हेस्टिंग्स के समय में ही मराठों के साथ अंग्रेजों की अंतिम लड़ाई (तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध) लड़ी गयी, जिसमें मराठे पराजित हुए। 13 जून, 1817 को पेशवा ने हार स्वीकार कर एक संधि (पूना की संधि) पर हस्ताक्षर किया जिसके अनुसार मराठा संघ समाप्त हो गया।
- इसने प्रेस पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर प्रेस के मार्गदर्शन के लिए नियम बनाये।
- इसी के समय 1822 ई. को काश्तकारी अधिनियम (Tenancy Act, 1822) लागू किया गया।
लार्ड एमहर्ट (1823-1828 ई.)
- इसके समय में आंग्ल-बर्मा युद्ध (1824-1826 ई.) हुआ था।
- 1826 ई. में बर्मा एवं अंग्रेजों के बीच यांदबो की संधि हुई।
- 1824 ई. का बैरकपुर का सैन्य विद्रोह भी इसी के समय में हुआ था। इस सैन्य विद्रोह का कारण भारतीय सैनिक की एक फौजी टुकड़ी का बर्मा जाने के आदेश की अवहेलना करना था। सैनिकों ने इस आदेश की अवहेलना इस आधार पर की कि वे विदेश जाकर अपनी जाति को भ्रष्ट नहीं करेंगे। अंग्रेज अधिकारियों ने कड़ाई से इस विद्रोह को कुचला और विद्रोही फौजियों को गोली से उड़ा दिया गया। लार्ड विलियम बैंटिक (1828-1835 ई.)
- भारत के गवर्नर जनरल के पद पर आसीन होने से पूर्व 1803 ई. में वह मद्रास का गवर्नर रह चुका था। उसी के समय 1806 ई. में माथे पर जातीय चिह्न लगाने तथा कानों में बालियाँ न पहनने देने पर वेल्लोर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था।
- 1833 ई. के चार्टर एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया। इस प्रकार लॉर्ड विलियम बैंटिक भारत का पहला गवर्नर जनरल हुआ।
- राजा राम मोहन राय के सहयोग से बैंटिक ने 1829 ई. में सती–प्रथा को समाप्त कर दिया।
- बैंटिक ने इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर दिसंबर, 1829 ई. में धारा 17 के द्वारा विधवाओं के सती होने को अवैध घोषित कर दिया।
- बैंटिक ने कर्नल सलीमन की सहायता से 1830 ई. तक ठगी प्रथा को पूर्णत: समाप्त कर दिया।
- बैंटिक ने सरकारी सेवाओं में भेदभावपूर्ण व्यवहार को खत्म करने के लिए 1833 ई. के एक्ट की धारा 87 के अनुसार योग्यता को सेवा का आधार माना।
- 1835 ई. में लार्ड बैंटिक ने कलकत्ता में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।
- इसी के समय मैकाले की अनुशंसा पर अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। मैकाले के द्वारा कानून का वर्गीकरण भी किया गया। ३ इसने शिशु बालिका की हत्या पर प्रतिबंध लगाया।
- इसने भारतीयों को उत्तरदायी पदों पर नियुक्त किया।
- बैंटिक ने 1831 ई. में मैसूर तथा 1834 ई. में कुर्ग एवं कछार को अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल किया।
- बैंटिक ने समाचार पत्रों के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाते हुए उनकी स्वतन्त्रता की वकालत की।
- वह इसे असंतोष से रक्षा का अभिद्वार मानता था।
- चार्ल्स मेटकॉफ (1835-1836 ई.)
- इसने मात्र एक वर्ष तक भारत के गवर्नर जनरल के पद पर कार्य किया।
- इसने अपने कार्यकाल में प्रेस पर से नियन्त्रण हटाया। इसीलिए इसे भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।
लार्ड ऑकलैण्ड (1836- 1842 ई.)
- इसके समय की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (1839-1842 ई.)।
- 1839 ई. में ऑकलैण्ड ने कलकत्ता से दिल्ली तक ग्रांड ट्रंक रोड की मरम्मत करवायी।
लार्ड एलनबरो (1842-1844 ई.)
- इसके समय प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध समाप्त हुआ। इसी के समय में अगस्त, 1843 ई. में सिंध को पूर्ण रूप से ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
- दास प्रथा का उन्मूलन (1843 ई.) इसी के समय में हुआ।
लॉर्ड हॉडिंग (1844-1848 ई.)
- इसके काल की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी- प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1845-1846 ई.।
- इस युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए। ३ इसने नरबलि-प्रथा पर प्रतिबंध लगाया।
- इसके सुधारों में मुख्य रूप से उत्पाद कर से बहुत सी वस्तुओं को मुक्त करना तथा नमक पर वसूली जाने वाली कर की राशि को आधा करना आदि शामिल है।
लार्ड डलहौजी (1848 -1856 ई.)
- इसी के समय द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-1849 ई.)जिसमें सिक्ख पराजित हुए तथा पंजाब का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय (1849 ई.) हो गया।
- इसी के समय द्वितीय आंग्ल-बर्मा युद्ध (1852 ई.) लड़ा गया, जिसका परिणाम था बर्मा की हार तथा लोअर बर्मा एवं पीगू का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय (1852 ई.)
- इसने सिक्किम पर दो अंग्रेज डॉक्टरों के साथ दुर्व्यहार का आरोप लगाकर 1850 ई. में इस पर अधिकार कर लिया।
- इसका शासन उसके व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के कारण अधिक याद किया जाता है। इस नीति के तहत अनेक राज्यों का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय हुआ।
- इसने उपाधियों तथा पेंशनों पर प्रहार करते हुए 1853 ई. में कर्नाटक के नवाब की पेंशन बंद करवा दी तथा 1855 ई. में तंजौर के राजा की मृत्यु होने पर उसकी उपाधि छीन ली।।
- इसने तोपखाने के मुख्यालय को कलकत्ता से मेरठ स्थानांतरित किया और सेना का मुख्यालय शिमला में स्थापित किया। यह सभी कार्य डलहौजी ने 1856 ई. में किया।
लार्ड कैनिंग (1856-1862 ई.)
- अंतिम गवर्नर-जनरल और पहले वायसराय
- 1857 का विद्रोह इनके समय में हुआ.
- नवम्बर 1858 में शासन ब्रिटिश क्राउन को सौंप दिया गया.
- व्यपगत का सिद्धांत (लार्ड डलहौजी द्वारा शुरू) वापस लिया
- कलकत्ता, बंबई और मद्रास के विश्वविद्यालयों की 1857 में स्थापना.
- 1861 में भारत परिषद् अधिनियम पारित हुआ.
- यह भारत में कंपनी द्वारा नियुक्त अंतिम गवर्नर जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन नियुक्त भारत का प्रथम वायसराय (भारतीय कौंसिल एक्ट 1858 के अधीन) था।
- इसके समय की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी 1857 ई. का ऐतिहासिक विद्रोह। इसी विद्रोह के बाद प्रशासनिक सुधार के अन्तर्गत भारत का शासन कंपनी के हाथों से सीधे ब्रिटिश सरकार के नियन्त्रण में ले लिया गया।
- सैन्य सुधार के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाकर उनके हाथों से तोपखाने का अधिकार छीन लिया।
- इसी के समय इंडियन हाईकोर्ट एक्ट 1861 पारित हुआ, जिसके द्वारा बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी।
- 1856 ई. में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ।
- मैकाले द्वारा प्रारूपित दंड संहिता (IPC)को 1856 में कानून बना दिया गया तथा 1859 में अपराध विधान संहिता (CPC) लागू किया गया।
- इसने व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapase) अर्थात् राज्य विलय की नीति को समाप्त कर दिया।
- 1861 ई. में भारतीय कौंसिल एक्ट पारित हुआ तथा मन्त्रिमण्डलीय प्रणाली (Portfolio System) लागू की गयी।
लार्ड एल्गिन (1862-1863 ई.)
- इसकी महत्त्वपूर्ण सफलता थी वहाबी आंदोलन का दमन।
- 1863 ई. में धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में इसकी मृत्यु हो गयी थी।
- सर जॉन लारेंस (1863 – 1869 ई.)
- इसके समय भूटान का महत्त्वपूर्ण युद्ध हुआ।
- 1865 ई. में भूटानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया, अंततः दोनों पक्षों में समझौता हुआ। अंग्रेजों ने भूटानियों को 5000 रुपये की वार्षिक सहायता का वचन दिया और इसके बदले में उन्हें 18 पहाड़ी दरें पर अधिकार मिला।
- अफगानिस्तान के संदर्भ में लारेंस ने अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया, जिसे शानदार निष्क्रियता के नाम से जाना जाता है।
- इसके समय में ओडिशा में 1866 ई. में तथा बुंदेलखण्ड एवं राजपूताना में 1863-1869 ई. में भीषण अकाल पड़ा।
- इसने चेम्बवेल हेनरी के नेतृत्व में एक अकाल आयोग का गठन किया।
- इसके द्वारा 1865 ई. में भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा शुरू की गयी।
लार्ड मेयो (1869-1872 ई.)
- इसने अफगानिस्तान के संदर्भ में सर जॉन लारेंस की अहस्तक्षेप की नीति का समर्थन किया।
- इसने भारत में वित्तीय विकेन्द्रीकरण की नीति की शुरुआत की।
- इसने भारतीय राजाओं के पुत्रों की उचित शिक्षा के लिए अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना
- 1872 ई. में की। ३ इसने 1872 ई. में एक कृषि विभाग की स्थापना की।
- 1872 ई. में एक अफगान ने उसकी अंडमान में चाकू मारकर हत्या कर दी। मेयो प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल था जिसकी हत्या उसके ऑफिस में की गयी थी।
लार्ड नार्थब्रुक (1872-1876 ई.
- इसके समय में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा।
- इसने बड़ौदा के मल्हाराव गायकवाड़ को भ्रष्टाचार के आरोप में पदच्युत कर मद्रास भेज दिया।
- पंजाब का प्रसिद कूका आंदोलन 1872 ई. इसी के समय हुआ।
- इसने अफगानिस्तान के संदर्भ में अहस्तक्षेप नीति का पलन किया।
- 1873 ई. में नार्थब्रुक ने घोषणा की ‘मेरा उद्देश्य करों को हटाना तथा अनावश्यक वैधानिक कार्यवाहियों को बंद करना है।
- इसी के समय स्वेज नहर खुला जिसके कारण ब्रिटेन और भारत के मध्य व्यापार में वृद्धि हुई।
- इसी के समय प्रिंस ऑफ वेल्स (किंग एडवर्ड सप्तम) भारत आये।
लार्ड लिटन (1876-1880 ई.)
- यह एक सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, निबन्धकार एवं साहित्यकार था। इसे ओवन मैरिडिथ (Owen | Meredith) के नाम से जाना जाता है।
- इसके समय में 1876-1878 में बम्बई, मद्रास, हैदराबाद, पंजाब, मध्य भारत आदि में भयानक अकाल पड़ा जिसमें लगभग 50 लाख लोग भूख के कारण मारे गये।
- इसने रिचर्ड स्ट्रेची की अधयक्षता में एक अकाल आयोग की स्थापना की।
- इसके समय 1 जनवरी, 1877 ई. को ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को कैसर-ए-हिन्द की उपाधि से सम्मानित करने के लिए दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया।
- मार्च, 1878 ई. में लिटन ने भारतीय भाषा समाचार पत्र अधिनियम (Vernacular press Act) पारित कर भारतीय समाचार पत्रों पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया। पायनियर अखबार ने भारतीय भाषा समाचार पत्र अधिनियम 1878 ई. का समर्थन किया।
- इसी के समय 1878 ई. का भारतीय शस्त्र अधिनियम (Indian Arms Act) पारित हुआ। इस अधिनियम के तहत बिना लाइसेंस के कोई व्यक्ति न तो शस्त्र रख सकता है न ही व्यापार कर सकता था। यूरोपीय, एंग्लो-इंडियन तथा कुछ विशिष्ट सरकारी अधिकारी इस अधिनियम की सीमा से बाहर थे।
- इसने भारतीय सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 19 | वर्ष कर दी थी।
- इसी के समय द्वितीय आंग्ल-अफगान युद्ध (1876-1880) हुआ जिसमें आंग्ल सेनाएँ बुरी तरह असफल रहीं।
- लिटन ने अलीगढ़ में एक मुस्लिम-एंग्लो प्राच्य महाविद्यालय की स्थापना की।
लार्ड रिपन (1880-1884 ई.)
- इसने सर्वप्रथम समाचार पत्रों की स्वतन्त्रता को बहाल करते हुए 1882 ई. में भरतीय भाषा समाचारपत्र अधिनियम (Vernacular Press Act) को समाप्त कर दिया।
- इसके सुधार कार्यों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य था स्थानीय स्वशासन की शुरुआत।
- इसके समय में ही 1881 ई. में भारत में सर्वप्रथम नियमित जनगणना करवायी गयी, तब से | लेकर अब तक प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर जनगणना की जाती है।
- नोटः भारत में पहली बार जनगणना 1872 ई. में हुई थी।
- इसने सिविल सेवा में प्रवेश की आयु को 19 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया।
- प्रथम फैक्टरी अधिनियम, 1881 रिपन द्वारा ही लाया गया। इस अधिनियम के तहत यह व्यवस्था की गयी कि जिस कारखाने में 100 से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं, वहाँ पर 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए काम करने के घंटे तय कर दिये गये और इसके पालन के लिए एक निरीक्षक को नियुक्त कर दिया गया।
- इसके समय में ही शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत विलियम हण्टर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया।
- इसी के समय चर्चित इल्बर्ट विधेयक प्रस्तुत किया गया। इस विधेयक में भारती न्यायाधीशों को
- यूरोपीय लोगों के मुकदमों को सुनने का अधिकार दिया गया। भारत में रहने वाले यूरोपीय लोगों के विरोध के कारण इस विधेयक को वापस लेकर संशोधन करके पुनः प्रस्तुत करना पड़ा। इस विधेयक के विरोध में अंग्रेजों द्वारा किये गये विद्रोह को श्वेत विद्रोह के नाम से जाना जाता है। २ फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को भारत के उद्धारक की संज्ञा दी।
- रिपन के शासनकाल को भारत में स्वर्णयुग का आरंभ कहा जाता है।
लार्ड डफरिन (1884-1888 ई.)
- इसके काल में तृतीय आंग्ल-बर्मा युद्ध (1885-1888 ई.) में हुआ, जिसमें बर्मा पराजित हुआ
- और उसे अंतिम रूप से अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।
- इसी के समय बंगाल टेनेन्सी एक्ट, अवध टेनेन्सी एक्ट तथा पंजाब टेनेन्सी एक्ट पारित किये गये।
- इसके समय की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी- 28 दिसंबर, 1885 को बम्बई में ए.ओ. ह्यूम के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना।
लार्ड लैन्सडाऊन (1888-1894 ई.)
- इसी के समय ड्यूरोड को अफगानिस्तान भेजा गया, जिनके प्रयास से भारत और अफगानिस्तान के मध्य सीमा का निर्धारण हुआ, जिसे डूरण्ड लाइन के नाम से जाना जाता है।
- मणिपुर में हुए विद्रोह को शान्त करने का श्रेय लैन्सडाऊन को दिया जाता है।
- इसी के समय 1891 में दूसरा फैक्ट्री अधिनियम लाया गया, जिसमें स्त्रियों को 11 घंटे प्रतिदिन से अधिक काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया। साथ ही सप्ताह में एक दिन छुट्टी की व्यवस्था की गयी।
लार्ड एल्गिन द्वितीय (1894-1899 ई.)
- इसने भारत के विषय में कहा था ‘भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है और
- तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जायेगी।’
- इसके काल में 1895-1898 ई. के मध्य उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब एवं मध्यप्रदेश में भयंकर अकाल पड़ा। एल्गिन ने एक अकाल आयोग की नियुक्ति की।
लार्ड कर्जन (1899-1905 ई.)
- भारत का वायसराय बनने से पूर्व कर्जन चार बार भारत आ चुका था।
- कर्जन के विषय में पी. राबर्ट्स ने लिखा है- ‘भारत में किसी अन्य वायसराय को अपना पद संभालने से पूर्व भारत की समस्याओं का इतना ठीक ज्ञान नहीं था जितना कि लार्ड कर्जन को। कर्जन ने जनमानस की आकांक्षाओं की पूर्णरूप से अवहेलना करते हुए भारत में ब्रिटिश हुकूमत को पत्थर की चट्टान पर खड़ा करने का प्रयास किया।’
- इसने 1901 ई. में सर कॉलिन स्कॉट मॉनक्रीफ की अध्यक्षता में एक सिंचाई आयोग का गठन किया और आयोग के सुझाव पर सिंचाई के क्षेत्र में कुछ महत्त्वपूर्ण सुधार किये गये।
- पुलिस सुधार के तहत कर्जन ने 1902 ई. में सर एण्ड्रयू फ्रेजर की अध्यक्षता में पुलिस आयोग की स्थापना की गयी।
- शैक्षिक सुधार के तहत कर्जन ने 1902 में सर टामस रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया। आयोग द्वारा दिये गये सुझावों के आधार पर भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 1904 पास किया गया।
लार्ड मिन्टो द्वितीय (1905-1910 ई.)
- इसके समय में ढाका के नवाब सलीमुल्ला के नेतृत्व में 30 दिसंबर, 1906 को ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना की गयी।
- 1907 ई. के कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हो गया।
- इसके काल में 1907 ई. में आंग्ल एवं रूसी प्रतिनिधि मंडलों के बीच बैठक हुई जिसके बाद दोनों के मध्य सभी मतभेद सुलझ गये।
- इसके समय का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य भारत सचिव मॉरले के सहयोग से लाया गया भारतीय परिषद् एक्ट 1909, जिसे मिन्टो-मॉरले सुधार भी कहा जाता है। मिन्टो मॉरले अधिनियम 1909 के द्वारा ही मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था की गयी।
लार्ड हार्डिंग द्वितीय (1910-1915 ई.)
- इसके समय में ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम का भारत आगमन (12 दिसंबर, 2011), दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन हुआ। यहाँ पर बंगाल-विभाजन को रद्द करने की घोषणा की गयी एवं भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गयी।
- 1912 में दिल्ली भारत की राजधानी बनीं। ६) 23 दिसंबर, 1912 को जिस समय लार्ड हार्डिंग दिल्ली में प्रवेश कर रहे थे, उन पर एक बम फेंका गया जिसमें वे घायल हो गये। ३ 4 अगस्त, 1914 ई. को प्रथम विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ।
- 1913 ई. में फिरोजशाह मेहता ने बाम्बे क्रोनिकल एवं गणेश शंकर विद्यार्थी ने प्रताप का प्रकाशन किया।
- गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस (1915) लौटे।
- 1916 में इसे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) का कुलाधिपति नियुक्त किया गया।
लार्ड चेम्स फोर्ड (1916-1921 ई.)
- इसी के समय कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन (1916) हुआ, जिसमें कांग्रेस का एकीकरण हुआ। साथ ही इस अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में समझौता हुआ।
- 1916 ई. में पूना में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
- 1917 ई. में शिक्षा पर सैडलर आयोग का गठन किया गया।
- 1919 ई. में रौलेट एक्ट पास हुआ तथा प्रसिद्ध जलियाँवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 ई. को हुआ।
लार्ड रीडिंग (1921-1926 ई.)
- इसी के समय प्रिंस ऑफ वेल्स ने नवंबर, 1921 ई. में भारत की यात्रा की। इस दिन पूरे भारत में हड़ताल का आयोजन किया गया।
- 20 नवंबर, 1921 ई. में भारत के दक्षिणी-पश्चिमी समुद्र तट पर मोपाला विद्रोह हुआ।
- एम.एन. राय द्वारा 1921 ई. में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया।
- असहयोग आंदोलन के दौरान 5 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा काण्ड (उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में) की घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
- 1922 ई. में विश्वभारती विश्वविद्यालय (पश्चिम बंगाल) ने कार्य करना शुरू किया।
- 1 जनवरी, 1923 ई. में चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में कांग्रेस के खिलाफ स्वराज पार्टी की स्थापना की। इसी पार्टी के अन्य सदस्य थे- विठ्ठल भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय और जयकर।
- 1923 से 1925 के मध्य मुल्तान, अमृतसर, दिल्ली, अलीगढ़ एवं कलकत्ता में भयानक साम्प्रादयिकता की लहर फैली।।
- दिसंबर, 1925 में प्रसिद्ध आर्य समाजी राष्ट्रवादी नेता स्वामी सहजानंद की हत्या कर दी गयी।
लार्ड इरविन (1926-1931 ई.)
- इसी के समय साइमन कमीशन की नियुक्ति (1927) हुई तथा 3 फरवरी, 1928 ई. को साइमन कमीशन के भारत (बम्बई) पहुँचने पर जोरदार तरीके से विरोध हुआ।
- 12 मार्च, 1930 ई. में गांधी जी द्वारा दाण्डी मार्च से सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया गया।
- लाला लाजपत राय की मृत्यु के बदले भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त जैसे क्रांतिकारियों द्वारा दिल्ली के असेम्बली हॉल में 1929 ई. में बम फेंका गया।
- 64 दिन की भूख हड़ताल के बाद जतिनदास की लाहौर जेल में मृत्यु (1929) हो गयी।
- इसके समय कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन (1929) में पूर्ण स्वराज की घोषणा की तथा 26 जनवरी, 1930 ई. को स्वतन्त्रता दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।
- 12 नवंबर, 1930 ई. में लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया।
लार्ड विलिंगटन (1931-1936 ई.)
- सितंबर से 1 दिसंबर, 1931 ई. तक द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में गांधीजी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।
- गांधी जी एवं अंबेडकर के बीच 25 सितंबर, 1932 ई. को पूना समझौता हुआ।
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की असफलता के बाद महात्मा गांधी जी ने 3 जनवरी, 1932 ई. को दूसरा सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया।
लार्ड लिनलिथगो (1936-1943 ई.)
- इसके समय 1937 ई. में पहली बार चुनाव कराये गये। चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहा।
- कांग्रेस ने 11 में से 7 प्रांतों में अपनी सरकार बनायी।
- कांग्रेस मंत्रिमंडल के त्यागपत्र दिये जाने के बाद मुस्लिम लीग ने 22 दिसंबर, 1939 ई. को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया।
- सुभाष चन्द्र बोस ने 3 मई, 1939 ई. में फारवर्ड ब्लाक नाम की एक नई पार्टी का गठन किया।
- 1940 ई. में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पाकिस्तान की मांग की गयी।
- क्रिप्स ने नेतृत्व में 23 मार्च 1942 ई. को क्रिप्स मिशन भारत आया।
- 8 अगस्त, 1940 ई. को अगस्त प्रस्ताव की घोषणा की गयी।
- गांधी जी ने 17 अक्टूबर, 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
लार्ड वेवेल (1944-1947 ई.)
- 25 जून, 1947 ई. को शिमला में सर्वदलीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिनमें कुल 22 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
- 19 फरवरी, 1946 ई. को नौसेना विद्रोह हुआ।
- कैबिनेट मिशन 24 मार्च, 1946 ई. को दिल्ली आया। इस मिशन ने अपने प्रस्ताव की घोषणा 16 मई, 1946 ई. की।
- मुस्लिम लीग ने कैबिनेट मिशन प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए 16 अगस्त, 1946 ई. को प्रत्यक्ष
- कार्यवाही दिवस मनाया। फलत: भारत के अनेक क्षेत्रों में भयानक साम्प्रदायिक दंगे हुए।
भारत का अंतिम अंग्रेज वायसराय कौन था ?
लार्ड माउंटबेटन (मार्च, 1947 से जून 1948 ई.)
- 24 मार्च, 1947 ई. को माउंटबेटन भारत के वायसराय बने। ३ 3 जून, 1947 ई. को इसने माउंटबेटन योजना जो जनसाधारण में मनबाटन योजना के नाम से प्रसिद्ध है प्रस्तुत की। माउंटबेटन योजना को जून थर्ड प्लान के नाम से भी जाना जाता है।
- माउंटबेटन योजना के आधार पर ही भारतीय स्वतन्त्रता विधेयक 4 जुलाई, 1947 ई. को ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री क्लीमेण्ट एटली द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसे 18 जुलाई 1947 ई. को स्वीकृति मिली। विधेयक के अनुसार भारत और पाकिस्तान दो स्वतन्त्र राष्ट्रों की घोषणा की गयी।
- 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत स्वतन्त्र हुआ।
- स्वतन्त्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन हुए।
- नोट : स्वतन्त्र भारत के प्रथम एवं अंतिम भारतीर गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी हुए।
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