छत्तीसगढ़ खनिज संसाधन सामान्य ज्ञान Chhattisgarh Minerals GK

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छत्तीसगढ़ में उद्योग 

छत्तीसगढ़ का सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान Cg Mcq Question Answer in Hindi: Click Now

छत्तीसगढ़ औद्योगिक दृष्टि से एक सम्पन्न राज्य है। यहाँ विभिन्न उद्योगों के विकास हेतु नैंसर्गिक संसाधन उपलब्ध है। विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों की उपलब्धता के कारण राज्य में जहाँ एक ओर खनिज आधारित उद्योगों का विकास हुआ है, वहीं दूसरी ओर वन सम्पदा में धनी होने के कारण राज्य में वन आधारित कई उद्योग स्थापित हुए हैं। खनिज आधारित एवं वन आधारित उद्योगों के अलावे राज्य में कृषि आधारित उद्योगों का भी विकास हुआ है। राज्य के प्रमुख उद्योगों को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है

  1. खनिज आधारित उद्योग
  2. वन आधारित उद्योग
  3. कृषि आधारित उद्योग तथा
  4. अन्य उद्योग
  5. खनिज आधारित उद्योग

लौह इस्पात उद्योग सीमेंन्ट उद्योग, एल्युमिनियम उद्योग आदि राज्य में स्थापित होने वाले प्रमुख खनिज आधारित उद्योग हैं।

(a) लौह-इस्पात उद्योग : यह राज्य का प्रमुख आधारभूत उद्योग है। राज्य का एकमात्र लौह-इस्पात कारखाना दुर्ग जिले के भिलाई नामक स्थान पर स्थापित किया गया है। यह रायपुर से 21 किमी. पश्चिम में दुर्ग-रायपुर रेलमार्ग पर स्थापित किया गया है। इस लौह इस्पात संयंत्र की स्थापना 1955 ई० में पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से की गयी थी। इस कारखाने के लिए लौह अयस्क 32 किमी. दूर स्थित डल्ली-राजहरा की पहाड़ियों से, कोकिंग कोयला झरिया से एवं कोरबा खानों से तथा धुला हुआ कोयला करगाली, पाथरडीह और दुगधा शोधनशालाओं से प्राप्त किया जाता है।

कोरबा स्थित ताप-विधुत गृह से पर्याप्त मात्रा में विद्युत सुविधा उपलब्ध हो जाती है। साथ ही तन्दुला और गोंदी नहरों से इस लौह इस्पात संयंत्र को शुद्ध जल की आपूर्ति होती है। उच्च कोटि का चूना पत्थर दुर्ग, रायपुर एवं बिलासपुर जिलों से प्राप्त होता है। जबकि डोलोमाइट बिलासपुर के हिर्रा की खानों से तथा रायपुर के भटापारा एवं पाटपार क्षेत्रों से प्राप्त होता है।

इस इस्पात संयंत्र की उत्पादन क्षमता स्थापना के समय 10 लाख टन थी जिसे वर्तमान समय में बढ़ाकर 40 लाख मैट्रिक टन कर दिया गया है। इस कारखाने में उत्पादन फरवरी 1959 से प्रारंभ हुआ। इस संयंत्र में 3 ओवन भट्टियाँ, 3 लपट वाली भट्टियाँ, 6 खुली भट्टियाँ एवं 4 रोलिंग मिल कार्यरत है। यहाँ रेल की पटरियाँ, स्लीपर, शहतीर एवं कतरनें, धुरी, बक्से, रेल के पहिए आदि तैयार किए जाते हैं। यहाँ अमोनियम सल्फेट, जिनॉल, नैफ्था, कार्बोलिक एसिड, नैफ्थलीन तेल, नैफ्थलीन, एन्थ्रासीन, बैंजोल आदि तैयार करने की भी व्यवस्था है।

(b) सीमेंट उद्योग : आर्थिक समृद्धि की दृष्टि से आधारभूत उद्योगों में लौह-इस्पात उद्योग के पश्चात सीमेंट उद्योग का स्थान आता है। राज्य में चूना-पत्थर की अधिकता के कारण सीमेंट उद्योग का पर्याप्त विकास हुआ है। राज्य में सीमेंट के कारखाने जामुल (दुर्ग), बैकुण्ठपुर (रायपुर), मांढ़र (रायपुर), अकलतरा (जांजगीर-चांपा), गोपालनगर (जांजगीर-चांपा), मोदीग्राम (रायगढ़), भूपदेवपुर (रायगढ़), बस्तर (बस्तर), नेवरा, तिल्दा, रावण भाटा (रायपुर) सोनडीह (बलौदा बाजार) आदि स्थानों पर स्थित हैं। राज्य में सीमेंट कारखाने की सर्वप्रथम स्थापना एसोसिएटेड सीमेंट कम्पनी (ACC) द्वारा 1964 ई० में दुर्ग जिले के जामुल नामक स्थान पर की गई। राज्य के सभी सीमेंट कारखाने हावड़ा-मुम्बई रेलमार्ग पर स्थित हैं।

(c) एल्युमिनियम उद्योग : सार्वजनिक क्षेत्र का देश में प्रथम एल्युमिनियम संयंत्र भारत एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड (BALCO) छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में 27 नवम्बर, 1965 को स्थापित किया गया। इस कारखाने से 1975 से उत्पादन प्रारंभ हुआ। इस कारखाने को एल्युमिनियम उत्पादन हेतु प्रमुख अयस्क बॉक्साइट की आपूर्ति अमरकंटक एवं पुटका पहाड़ स्थित BALCO की निजी खानों से होती है। कोरबा के कोयला क्षेत्र से इस कारखाने को कोयले की प्राप्ति हो जाती है। इस कारखाने का स्वच्छ जल की आपूर्ति हसदो नदी पर बाँध बनाकर की गई है।

इस कारखाने के तीन अंग हैं :

  1. एल्युमिनियम संयंत्र : यहाँ बॉक्साइट से एल्युमिनियम चूर्ण बनाया जाता है।
  2. प्रगालक संयंत्र : यहाँ एल्युमिनिय चूर्ण को एल्युमिनियम में बदला जाता है।
  3. फॅब्रिकेशन संयंत्र : यहाँ पिघली धातु को विभिन्न रूप प्रदान किया जाता है।

 

  1. वन आधारित उद्योग

(a) कागज उद्योग : राज्य में कागज उद्योग हेतु कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इस उद्योग के विकास की पर्याप्त संभावनाएँ मौजूद हैं। राज्य में मध्य भारत पेपर मिल चांपा का तथा ब्रुक बॉण्ड इण्डिया लिमिटिड पेपर एवं पल्प का उत्पादन करती है। बस्तर एवं बिलासपुर में कागज उद्योग के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।

(b) बीड़ी-सिगरेट उद्योग : सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में तेन्दू पत्ता बहुतायत में पाया जाता है, जो बीड़ी उद्योग का प्रमुख कच्चा माल है। राज्य मे बीड़ी उद्योग का विकास कुटीर उद्योग के रूप में हुआ है। राज्य में बीड़ी उद्योग के विकास की काफी संभावनाएँ मौजूद हैं। यहाँ के लोग आराम के क्षणों में बीड़ी बनाने में संलग्न होते हैं।

इस उद्योग में 30 प्रतिशत महिलाएँ संलग्न हैं। राज्य में बीड़ी बनाने के प्रमुख केंद्र राजनांदगाँव, खैरागढ़. डोंगरगढ़, बिलासपुर एवं जगदलपुर हैं। राज्य में सिगरेट बनाने के कारखाने दुर्ग में एम. पी. टोबैको लिमिटेड, पनामा सिगरेट का तथा भिलाई में औद्योगिक नगर का लक्ष्मी टोबैको ब्रिस्टल सिगरेट का उत्पादन करता है।

(c) लकड़ी चीरने का उद्योग : इस उद्योग के अंतर्गत इमारती लकड़ी के लट्ठे को कारखानों में लाकर चीरे जाते हैं। इमारती लकड़ी हेतु रायपुर बड़ा बाजार के रूप में विकसित हुआ है।

राज्य के राजनांदगाँव, दुर्ग, कवर्धा, डोंगरगढ़, खैरागढ, रायपुर के समीपवर्ती क्षेत्रों में यह उद्योग फैला हुआ है। दण्डकारण्य क्षेत्र में साल, सागौन, बीजा, आदि लकड़ियाँ अधिक होती हैं जो फर्नीचर हेतु उपयुक्त है। राज्य में लकड़ी चीरने के कारखाने मुख्यतः जगदलपुर, कोंडागाँव, कांकेर, नारायणपुर तथा दन्तेवाड़ा में स्थित है।

(d) कोसा उद्योग : छत्तीसगढ़ कोसा उद्योग के लिए सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। राज्य मे बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, रायपुर, महासमुंद, धमतरी, जगदलपुर, कांकेर व दन्तेवाड़ा जिलों में इस उद्योग का प्रमुखता से विकास हुआ है। यह उद्योग कोसा कीड़ा पर निर्भर है जिनके उत्पादन और वृद्धि के लिए अनेक उपयुक्त पेड़ यहाँ पाए जाते हैं। इन पेड़ों में अर्जन, साजा, साल आदि प्रमुख हैं।

(e) कत्था उद्योग : राज्य में कत्था उद्योग का विकास सरगुजा जिले में हुआ है। सरगुजा वुड प्रोडक्टस, अम्बिकापुर द्वारा कत्था का उत्पादन होता है।

(f) हर्रा निकालने का उद्योग : राज्य में हर्रा निकालने का कारखाना धमतरी और रायपुर जिलों में स्थापित है। हर्रा का उपयोग स्याही बनाने, चमड़ा साफ करने आदि में होता है।

  1. कृषि आधारित उद्योग

राज्य में कृषि आधारित उद्योगों के अंतर्गत तेल निकालने का उद्योग, चावल मिल उद्योग, जूट उद्योग, शक्कर उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, स्ट्राबोर्ड उद्योग, दाल मिल उद्योग आदि का विकास हुआ है।

(a) तेल निकालने का उद्योग : राज्य में सोयाबीन से तेल निकालने का उद्योग दुर्ग, रायपुर एवं बिलासपुर में स्थापित किया गया है।

(b) चावल मिल उद्योग : छत्तीसगढ़ को भारत का धान का कटोरा कहा जाता है। राज्य में चावल को छिलकों से अलग करने वाली मिलों की संख्या लगभग 700 है। राज्य में सबसे अधिक चावल की मिलें रायपुर जिले में हैं जबकि सबसे कम चावल मिलें राज्य के सरगुजा जिले में हैं।

(c) जूट उद्योग : राज्य में जूट उद्योग का एकमात्र कारखाना रायगढ़ में स्थापित है। जूट से रस्सियाँ, सुतली, तथा अन्य सामान बनाया जाता है। राज्य में जूट उद्योग की स्थापना 1935 ई० में हुई थी।

(d) शक्कर उद्योग : राज्य में शक्कर उद्योग का एक कारखाना कुरूद में प्रस्तावित है।

(e) सूती वस्त्र उद्योग : राज्य में बंगाल-नागपुर कॉटन मिल की स्थापना 1862 ई० में राजनांदगाँव के तत्कालीन शासक द्वारा की गई थी। यहाँ विविध प्रकार के सूती वस्त्र बनाये जाते हैं।

(4) स्ट्राबोर्ड उद्योग : राज्य में स्ट्राबोर्ड का कारखाना रायगढ़ में स्थापित किया गया है ।

(g) दाल मिल उद्योग : राज्य में दाल मिल राजिम, नवापारा, धमतरी, महासमुंद, आरंग, तिल्दा-नवेरा, बिल्हा, बिलासपुर, बांगबाहरा आदि स्थानों पर स्थापित हैं।

(h) रेशम उद्योग : राज्य में रेशम उद्योग का विकास बस्तर एवं बिलासपुर संभागों में हुआ है। 4. अन्य उद्योग

(a) रसायन उद्योग : राज्य में रसायन उद्योग का विकास मुख्य रूप से रायपुर, भिलाई तथा दुर्ग जिलों में हुआ है।

(b) गैस उद्योग : राज्य में बिलासपुर, रायपुर एवं दुर्ग में गैस उद्योग का विकास हुआ है।

(c) उर्वरक उद्योग : राज्य में बिलासपुर के निकट सिरगिट्टी में बी. ई. सी. फर्टिलाइजर का खाद कारखाना स्थापित किया गया है।

(d) ईंट उद्योग : ग्रामीण उद्योग के रूप में ईंट उद्योग का विकास सम्पूर्ण राज्य में हुआ है।

(e) मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग : राज्य में ग्रेनाइट के निक्षेप रायपुर, राजनांदगाँव एवं बस्तर जिलों में मिलते हैं। ग्रेनाइट की कटिंग तथा पालिशिंग की इकाइयाँ बस्तर एवं रायपुर में स्थापित हैं।

(6) मत्सय पालन उद्योग : राज्य में मत्सय उत्पादन की पर्याप्त संभावनाएँ मौजूद हैं। इस उद्योग के प्रोत्साहन हेतु छत्तीसगढ़ विकास प्राधिकरण की मत्स्य पालन की विशेष योजना चलायी जा रही है।

(g) पर्यटन उद्योग : राज्य मे पर्यटन उद्योग के विकास की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। राज्य में अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक तीर्थस्थल हैं।

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