छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान
1. उदन्ती अभयारण्य : यह अभयारण्य गरियाबंद जिले में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 231 वर्ग किलोमीटर है। इस अभयारण्य का नामकरण ‘उदंती’ नामक नदी के कारण पड़ा है जो जहाँ की हरी-भरी घाटियों में सर्पिलाकार ढंग से प्रवाहित होती हुई रमणीय दृश्यों की साक्षी है।
यहाँ स्थित ‘देवधारा’ तथा ‘गोदेना’ जलप्रपातों की भव्यता निहारने योग्य है। इस अभयारण्य में पर्यटकों के ठहरने के लिए करलाझर में वन-विश्राम गृह उपलब्ध है। यह अभयारण्य घने वनों से आच्छादित है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, भैंसा, चीतल एवं अन्य वन्य प्राणियों की बहुलता है। यह अभयारण्य एक आकर्षक मनोहारी पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। यह अभयारण्य मुख्यतः वन भैंसों के लिए प्रसिद्ध है।
2. अचानकमार अभयारण्य : यह अभयारण्य 551 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है। यह अभयारण्य मुंगेली जिले का एकमात्र अभयारण्य है। इसे 1975 ई० में अभयारण्य घोषित किया गया। यह अभयारण्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, साल वनों एवं विविध प्रकार के वन्य प्राणियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, चीतल, सांभर, कोटरी आदि वन्य प्राणियों को विचरते हुए देखा जा सकता है।
यहाँ प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में प्रकृति प्रेमी पर्यटक आते हैं एवं वन्य प्राणियों और विविध प्रकार के वृक्षों से आच्छादित वनों को देखकर आनन्दित होते हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिए यहाँ विश्राम गृह (डाकबंगला) की भी व्यवस्था है। यह अभयारण्य मैकाल श्रृंखला की दक्षिणी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ बारापानी नामक प्रपात पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र है। इस अभयारण्य से होकर मनियारी नदी प्रवाहित होती है, जिस पर मनियारी नामक बाँध निर्मित है। इस अभयारण्य से जुड़े मरवाही के जंगलों में सफेद भालू देखे जा सकते हैं।
3. बारनवापारा अभययारण्य : यह महासमुंद जिले का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण अभयारण्य है। इस अभयारण्य का सम्पूर्ण क्षेत्रफल 245 वर्ग किमी है। यहाँ सभी प्रमुख वन्य प्राणियों को उनके प्राकृतिक स्वच्छन्द रूप में देखा जा सकता है। सागौन से आच्छादित वन यहाँ पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं। यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, चीतल, सांभर, सोनकुत्ता, वराह, भालू, नीलगाय आदि वन्य जीव बड़ी संख्या में पाये जाते हैं। राज्य के अन्य अभयारण्यों एवं रास्ट्रीय उद्यानों की अपेक्षा यहाँ गौर की संख्या सर्वाधिक है।
यह अभयारण्य हिरणों के लिए विशेष प्रसिद्ध है। यहाँ हिरणों की संख्या बहुत अधिक है। बारनवापारा अभयारण्य हिरणों के लिए विशेष प्रसिद्ध है। यहाँ हिरणों की संख्या बहुत अधिक है। बारनवापारा अभयारण्य छत्तीसगढ़ के प्रकृति प्रेमियों एवं पर्यटकों के लिए एक जाना-पहचाना नाम है। इस अभयारण्य के उत्तरी छोर पर तुरतुरिया नामक ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ पर्यटकों के लिए विश्राम गृह के अतिरिक्त ‘लैग हाट्स’ की भी व्यवस्था है। वन्य प्राणियों के निरापद रहवास के लिए इसे लगभग 25 वर्ष पूर्व अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया था।
यहाँ देवधारा नामक जलप्रपात भी दर्शनीय है। यहाँ अनेक प्रकार के पक्षियों का भी अधिवास है जिनमें मोर, जंगली मुर्गी, तीतर, बटेर, फाख्ता, पंडकी, हुदहुद, किलकिला, भुजंगा, दूधराज, मैना, टिटहरी, बाज, गिद्ध आदि प्रमुख हैं। रेंगने वाले जीलें में अजगर, धामिन, नाग, करैत, जूड़ामहामंडल आदि सर्प तथा मानिटर लिजार्ड (गोह) प्रमुख हैं। यह अभयारण्य वानस्पतिक दृष्टि से अत्यंत सम्पन्न है। यहाँ पाये जाने वाले वृक्षों में सागौन, बीजा, शीशम, तेंदू, तिनसा, सेमहा, गुरियाला, कर्रा, धवड़ा, हल्दू, साजा, कहुआ, आँवला, सिरस, बाँस, कुसुम, व अमलतास के अतिरिक्त दर्जनों अन्य प्रजातियों के वक्ष है। लताओं में माहल. पलास डोंगर बेल आदि प्रमुख है। इस अभयारण्य में विविध प्रकार की घासें भी पायी जाती हैं। यह अभयारण्य मुख्य रूप से गोंड लोगों का निवास स्थल है । इस अभयारण्य से होकर ‘बालमदेई’ नामक नदी प्रवाहित होती है।
4. paaमेड़ अभयारण्य : यह अभयारण्य बस्तर संभाग का दूसरा महत्वपूर्ण अभयारण्य है। यह अभयारण्य बस्तर-आँध्र सीमा पर बीजापुर जिले में विस्तृत है। यह अभयारण्य 262 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। वन भैसों की बहुलता के कारण ही 1983 ई० में अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया। यहाँ वन भैसों के अलावे बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, वराह, एवं अन्य छोटे-बेड़े वन्य प्राणी काफी संख्या में मिलते हैं। यह अभयारण्य भी घने वनों से आच्छादित हैं। यहाँ भ्रमण हेतु फारवरी से मई तक का समय सर्वोत्तम माना जाता है।
5. भैरमगढ़ अभयारण्य : यह अभयारण्य बीजापुर जिले में स्थित है। यह अभयारण्य 143 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अभयारण्य वन भैसों का संरक्षण प्रदान करने हेतु 1983 ई० में गठित हुआ। यहाँ बाघ, चीतल, सांभर, वराह, तेंदुआ आदि वन्य जीव भी काफी संख्या में पाये जाते हैं।
6. सीतानदी अभयारण्य : यह धमतरी से 90 किमी तथा रायपुर से लगभग 170 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसका निकटस्थ रेलवे स्टेशन धमतरी है जहाँ रायपुर से छोटी लाइन से पहुंचा जा सकता है। यहाँ पहुँचने के लिए बस सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। यह अभयारण्य 563 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अभयारण्य घने साल वनों के लिए प्रसिद्ध है। इस अभयारण्य से होकर सीता नामक नदी प्रवाहित होती है, जिसके कारण इस अभयारण्य का यह नाम पड़ा है। इस अभयारण्य के एक छोर पर सांढूर नामक एक जलाशय निर्मित है जहाँ पर्यटक पिकनिक मनाने के उद्देश्य से पहुँचते हैं।
इस अभयारण्य में लगभग 75 प्रकार के विभिन्न पक्षी पाये जाते हैं। यहाँ तेंदुए भी काफी संख्या में मिलते हैं। इस अभयारण्य में पर्यटकों के ठहरने के लिए खल्लारी में वन-विभाग का एक विश्राम गृह है। वर्षा काल में उपयुक्त सड़कों के अभाव के कारण इस अभयारण्य में पहुँच पाना संभव नहीं है।
7.बादलखोल अभयारण्य : यह अभयारण्य जशपुर वनमण्डल के अन्तर्गत आता है। तहसील मुख्यालय बगीचा होते हुए यहाँ तक पहुँचा जा सकता है। वैसे रायगढ़-जशपुर मार्ग पर भी यहाँ आने के लिए पहुँच मार्ग हैं। यह अभयारण्य 104 वर्ग किमी क्षेत्र मे फैला हुआ है। यह छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे छोटा वन्य जीव अभयारण्य है।
यहाँ बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, गौर, नीलगाय एवं अन्य छोटे-बड़े वन्य प्राणी स्वच्छन्द रूप से विचरते हुए देखे जा सकते हैं। पहाड़ों के मध्य में स्थित होने के कारण इस अभयारण्य का प्राकृतिक सौन्दर्य बहुत ही मनोरम है। ग्रीष्मकाल के दौरान भी यहाँ शीतलता रहती है। इस कारण यह अभयारण्य पर्यटकों को पंचमढ़ी की याद दिलाता है।
8. समरसोत अभयारण्य : यह अभयारण्य बलरामपुर जिले में स्थित है। यह अभयारण्य 446 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे 1978 ई० में अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया था। यह अभयारण्य बाघ, तेंदुआ, गौर, चीतल, सांभर, भालू, नीलगाय, आदि वन्य जीवों का शरणस्थल है।
9. गोमरदा अभयारण्य : यह अभयारण्य रायगढ़ जिले के दक्षिणी भाग में स्थित है। रायगढ़ से इस अभयारण्य की दूरी 62 किमी है। इसे 1975 ई० में अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया था। यह अभयारण्य 278 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अभयारण्य बाघ, तेंदुआ, चीतल, गौर, सांभर, भालू, नीलगाय, वराह, कोटरी आदि वन्य जीवों का शरणस्थल है।
10. भोरमदेव अभयारण्य : यह अभयारण्य कवर्धा जिला मुख्यालय से 18 किमी की दूरी पर स्थित है। यह राज्य का सबसे नया अभयारण्य है। इसे 2001 ई० में अभयारण्य का दर्जा दिया गया। यह अभयारण्य 163 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है । यह अभयारण्य बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, नीलगाय, आदि वन्य जीवों का शरणस्थल है
11. तमौर-पिंगला अभयारण्य : यह अभयारण्य बलरामपुर जिले में अवस्थित है। यह अभयारण्य 608 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। छत्तीसगढ़ के सभी अभयारण्यों में यह सर्वाधिक विशाल अभयारण्य है। हरी-भरी, ऊँची-नीची उपन्यकाओं से घिरा हुआ यह अभयारण्य अपने अतुलनीय वन वैभव के कारण प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहाँ बाघ, तेंदूआ, गौर, चीतल, चौसिंगा, सांभर, नीलगाय, भालू, कोटरी, सेही आदि वन्य जीव बहुतायत से मिलते हैं।