छत्तीसगढ़ का महाकाव्य काल CG Mahakavya Kaal Itihas GK

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Chhattisgarh Mahakavya Kaal Itihas GK In Hindi

‘रामायण’ (वाल्मीकि) : महाकाव्य ‘रामायण’ के अनुसार, कोशल राज्य के दो भाग थे –उत्तरी कोशल व दक्षिणी कोशल । उत्तरी कोशल की राजधानी साकेत (अयोध्या) थी जबकि दक्षिणी कोशल की राजधानी श्रावस्ती। उत्तरी कोशल नरेश दशरथ का विवाह दक्षिणी कोशल नरेश भानुमन्त की पुत्री कौशल्या से हुआ।

चूँकि भानुमन्त को कोई पुत्र नहीं था इसलिए दक्षिणी कोशल का राज्य भी राजा दशरथ को प्राप्त हुआ। राम ने चौदह बरस के वनवास का अधिकांश समय दण्डकारण्य (छत्तीसगढ़ के आसपास के क्षेत्र में स्थित) में बिताया। जनश्रुति के अनुसार शिवरी नारायण, खरौद आदि स्थान राम कथा से संबद्ध माने जाते हैं।

राम द्वारा सीता का त्याग किए जाने पर सीता को महर्षि वाल्मीकि ने अपने आश्रम (सिरपुर के समीप तुरतुरिया में स्थित) में शरण दिया। इसी आश्रम में लव और कुश का जन्म हुआ।

राम के पश्चात् उत्तरी कोशल का राज्य उनके ज्येष्ठ पुत्र लव को तथा दक्षिणी कोशल का राज्य उनके कनिष्ठ पुत्र कुश को मिला । दक्षिणी कोशल की राजधानी श्रावस्ती कुश के नाम पर कुशस्थली के नाम से भी जाना जाता है।

‘महाभारत’ (वेदव्यास) : ‘महाभारत’ में इस क्षेत्र का उल्लेख प्राक कोशल या कोशल के रूप में मिलता है। ‘महाभारत’ में बस्तर के अरण्य क्षेत्र को कान्तार कहा गया है।

महाभारतकालीन चेदि नरेश शिशुपाल का वध श्रीकृष्ण द्वारा हुआ। चेदि देश के ही एक अन्य नरेश बभ्रुवाहन का उल्लेख मिलता है जो पाण्डुपुत्र अर्जुन का पुत्र था।

महाभारतकालीन ऋष्यतीर्थ की पहचान गुंजी (बिलासपुर जिला), मणिपुरे की पहचान वर्तमान रतनपुर तथा बभ्रुवाहन (अर्जुन का पुत्र) की राजधानी चित्रांगदपुर की पहचान वर्तमान सिरपुर/श्रीपुर के रूप में की जाती है।

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