cgpsc mains exam question answer
प्रश्न – छत्तीसगढ़ के ददरिया गीत पर 100 शब्दों में टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर – ददरिया छत्तीसगढ़ का मूलतः प्रेम को दर्शाने वाला गीत है । इसमें श्रृंगार रस का अद्भुद संगम पाया जाता है जिसके कारण छत्तीसगढ़ में ददरिया की स्वीकृति प्रेम काव्य के रूप में होती है । इसे छत्तीसगढ़ के लोकगीतों का राजा भी कहा जाता है । छत्तीसगढ़ के मैदान में यह फसल बीने के समय अपना विशेष स्थान रखता है । बस्तराँचल में दशहरे के अवसर पर पुरुष वर्ग के सम्मान हेतु ग्रामीण महिलाओं द्वारा ददरिया गाया जाता है । इस गीत को गाने वाले प्रमुख कलाकार है – लक्ष्मण मस्तुरिया, दिलीप षडंगी, केदार यादव । इस प्रकार ददरिया छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति में विशिष्ट स्थान रखता है ।
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पंथी गीत – सतनामी समाज का परंपरागत गीत है।
- कथा – यह गुरू घासीदास जी के जीवन चरित्र पर आधारित है ।
- आयोजन – माघ पूर्णिमा या किसी भी अवसर पर
- जाति – जो सतनामपंथियों द्वारा गाया जाता है ।
- प्रसंग – जैतखाम की स्थापना कर उसके चारों ओर घूम घूम कर गीत गाया जाता है एवं नृत्य के साथ साथ पिरामिड बनाया जाता है ।
- वाद्य यन्त्र – मांदर और झांझ होते है ।
- महत्व -पंथी गीतों की अपनी विशिस्ट धुन है, उनके सन्देश है, सत्कार करने के प्रेरणादायी स्वर हैं, गुरु और गुरु परिवार की स्तुति है, मुक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने के प्रेरक विचार हैं । पंथी नृत्य में आध्यात्मिक सन्देश के साथ साथ मनुष्य जीवन की महत्ता भी होती हैं ।
- कलाकार – राष्ट्रीय स्तर पर स्व. देवदास बंजारे प्रमुख कलाकार रहे । यह BSP में कार्यरत थे। सुआ गीत – गोंड स्त्रियों का नृत्य गीत ।
- सुआ गीत श्रृंगार प्रधान शैली ▪ मिट्टी सुआ के साथ गायन महिलाओं का लोकप्रिय गीत
- गोंड महिलाओं में प्रचलित
- दिवाली एवं उसके अगले दिवस के अवसर पर गाया जाता है लोरिक चंदेनी गीत – लोक कथा पर आधारित गीत।
- कथा – लोरिक चंदा के प्रेम प्रसंग पर आधारित लोकगीत
- प्रधान रस – संयोग रस तथा शैली गाथात्मक होती है ।
- चंदैनी गायन – इसमें लोरिक चंदा की प्रणय गाथा की गीत माला बनाई जाती है जिसे चंदैनी कहा जाता है । लोरिक चंदा छत्तीसगढ़ के आदर्श प्रेमी युगल है । यह लोकगीत लोक प्रेम गाथा पर आधारित है । इस प्रसंग को क्षेत्रिय विशिष्टता के साथ गाया जाता है, जहां लोरिक चंदा का त्याग भरा प्रेम फला-फूला और यहीं से लोकगीतों के सरस स्वरों के माध्यम से गूंज उठा ।
- प्रमुख कलाकार – चिन्तादास
- प्रमुख वाद्य यंत्र – टिमकी व ढोलक भरथरी गीत
- कथा – लोक कथा गायन है जो कि राजा भरथरी और रानी पिंगला के वियोग कथा पर आधारित है ।
- प्रधा रास – वियोग रस की प्रधानता (इसमें राग और विराग का विकत द्वंद्व दिखता हैं)
- मुख वाद्य यंत्र – सारंगी या इकतारा
- प्रमुख गायिका – स्व. सुरुज बाई खांडे (बिलासपुर) ढोला मारू कथा – राजस्थान के ढोला और मारू की प्रेम कथा का गायन प्रधान रस – संयोग रस प्रमुख गायक – सूरज बाई खांडे (बिलासपुर) , जगन्नाथ कुमार, जयंती यादव , अनुराग ठाकुर भोजली गीत – तांत का बना वाद्य बनाकर महिलाओं द्वारा गीत गया जाता है ।
- अहो देबि गंगा लहर तुरंगा (इस गीत में गंगा शब्द बार बार आता है ) बांस गीत – राउत जाति/यादव का प्रमुख गीत। कथा – महाभारत के कर्ण, मोरध्वज, सीता बसंत व अहिमन रानी की गाथाओं पर आधारित लोकगीत जाति – राउत जाति/यादव में प्रचलित प्रमुख रस – मूलतः यह करुण रस की गाथा पर आधारित होता । शैली – यह करुण गाथा पर आधारित है । यह मूलतः एक कथा गायन है, जिसमें गायक, रागी और वादक प्रमुख होते हैं । गायक कथा को गाता है, रागी हुंकारी भरता है और वादक बास बजाता है । वादक अपने बॉस के वाद्य यंत्र को खूब सजाकर रखते हैं ।
- क्र. कलाकार गायन
- . गायक कथा का गायन
- रागी हुंकारी भरता है
- वादक वाद्ययंत्र बांस (मोहराली) का वादन वाद्य यंत्र – बांस से बना होता है ।
बांस गीत के लिए एक लंबे मोटे बांस को सजाकर एक वाद्ययंत्र बनाया जाता है, जिसे गीत के बीच बीच में बजाया जाता है, इसी बांस के बने वाद्ययंत्र के कारण ही इसे बांस गीत की संज्ञा दी जाती है । मुख्य गायक – बासीन गांव निवासी कैजुराम यादव , नकुल यादव राउत गीत – यादव समाज द्वारा गया जाने वाला गीत ।