छत्तीसगढ़ की जनजातियां गोंड विस्तार पूर्वक सामान्य ज्ञान Cg Gond Janjati gk

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छत्तीसगढ़ की जनजातियां विस्तार पूर्वक गोंड 

  छत्तीसगढ़ का सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान Cg Mcq Question Answer in Hindi: Click Now

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  1. गोंड जनजाति छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जनजाति समूह है । 
  2. राज्य की कुल जनजाति में 55% गोंड है । 
  3. गोंड जनजाति की छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 41 उपजाति पायी जाती है । 
  4. गोंड शब्द की व्युत्पत्ति तेलुगु शब्द कोंड से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ पर्वत है । 
  5. गोंड स्वयं कोयतोर और कहते हैं जिसका अर्थ होता है – “पर्वत वासी” । 
  6. मुख्य सम्पर्क बोली – गोंडी (द्रविडियन मूल की)
गोंड जनजाति
मुख्य सम्पर्क बोल गोंडी (द्रविडियन मूल की)
छत्तीसगढ़ सबसे बडी जनजाति गोंड़
गोंड़ को उत्पत्ति कोंड शब्द से
गोंड़ जाति किस मूल के हैं द्रविडियन
इनका मोटे अनाज से बना पेय पेज
मुख्य गहना पीतल, मोती, मूंगा आदि के आभूषण
अमर श्रृंगारिक गहना गोदना
गोंडों के ममेरे-फुफेरे भाई बहनों जो विवाह को कहते हैं दूध लौटावा
प्रमुख विवाह विधवा, वधु मूल्य , चढ़ एवम पठउनी विवाह
प्रमुख देवता दूल्हादेव, बूढादेव, सुरजदेव, नारायणदेव, एवं बस्तर अंचल में दन्तेश्वरी देवी की पूजा 
प्रमुख त्यौहार करमा, नवाखाई, बिदरी, बकपंथी, ज़वारा, मड़ई, हरदिली एवं घेरता आदि
प्रमुख नृत्य सैला, करमा, बिरहा, भडोनी, कहरवा, सुआ, गेडी,अजनी आदि
घरों की दीवारों का अलंकरण नोहडोरा
निवासी जिले सम्पूर्ण 
राज्य गोंडों की देवगढ शाखा ने चांदा 1250 से 1751 ईं तक सहित विदर्भ क्षेत्र में शासन किया 
अंतिम गोड राजा जिसे मराठों ने हराकर कैद जिया नरहरशाह
महत्वपूर्ण वृक्ष महुआ 
आजीविका के साधन कृषि , वनोपज संग्रह, पशुपालन, मुर्गीपालन, एवं मजदूरी

विस्तारपूर्वक

 छत्तीसगढ़ में फैलाव 

  1. *   गोंड जनजाति की छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 41 उपजाति पायी जाती है । 
  2. *   जिसमें परधान, अगरिया, भारिया, मुड़िया तथा दोरला छत्तीसगढ़ में निवास करते हैं । 
  3. *   ये मुख्यतः दक्षिणी में संकेंद्रित है । (राजनांदगांव कांकेर जगदलपुर दंतेवाड़ा जिले में) 

शारीरिक गठन 

  •    गोंड द्रविनियन मूल के सामान्यता छोटे कद वाले होते हैं । रंग काला, होठ मोटे, नाक चपटी व बाल सीधे होते हैं । 

रहन सहन 

  •  गोंड अत्यंत दुर्गम वन व पहाड़ी क्षेत्रों में घास फूस व मिट्टी निर्मित घर में रहते हैं । यह मुख्यता कमर के नीचे वस्त्र पहनते हैं । 
  • इनका मुख्य आभूषण “गोदना” होता है। गोंड मांसाहारी और शाकाहारी दोनों होते हैं । 
  •  भोजन में सामान्यतः मोटे अनाजों से निर्मित ‘पेज’ अत्याधिक प्रिय है। 
  • इनमे अतिथि सत्कार का विशेष महत्व होता है । प्रत्येक मकान में अतिथि के लिए अलग साफ़ सुथरा और छोटा कमरा बनाया जाता है । 

सामाजिक व्यवस्था 

  1. *   गोंड समाज पितृसत्तात्मक, पितृवंशीय तथा पितृस्थानीय होते हैं । यह गणचिन्हों में विभक्त होते हैं । *   सामान्यता एक ही विवाह होते हैं किंतु बहू विवाह भी मान्य है ।
  2. *   ममेरे फुफेरे भाई बहनों में विवाह अधिमान्य होता है जिसे दूध लौटावां कहते हैं । विधवा विवाह एवं वधू मूल्य प्रचलित है । 
  3. *   चढ़, पठौनी एवं लमसेना विवाह के अन्य रूप है । 

अर्थव्यवस्था

  • *   गोंड पहले मुख्यतः आखेटन, पशुपालन एवं स्थानांतरित कृषि पर निर्भर थे, किन्तु वर्त्तमान समय में गोंड प्रायः स्थायी कृषि करने लगे है । इसके अतिरिक्त लघु वनोपज संग्रह, पशुपालन, मुर्गीपालन एवं मजदूरी भी इनके आजीविका के साधन है । 

धर्म अवं संस्कृति 

  •  गोंड जनजाति के धार्मिक विश्वास में टेबू, टोटम, बोंगवाद का महत्वपूर्ण स्थान है । 
  •  प्रत्येक गोंड अपने विशेष टोटम की पूजा करता है । 
  •  इसमें चेचक अथवा कुष्ट रोग से मरने पर मृतक को दक्षिण दिशा की ओर सिर रख कर दफनाया जाता है । मृतक संस्कफर में में गोंड तीसरे दिन ‘कोज्जि’ मानते है । दसवे दिन “कुंड मिलान” संस्कार होता है । *   दूल्हादेव इनके प्रमुख देवता है । इसके अतिरिक्त बूढ़ादेव, मेघनाथ, सूरजदेव, नारायणदेव आदि देवताओ की भी पूजा करते है। 
  • बस्तर में दंतेश्वरी देवी प्रमुख है । हिन्दू धर्म के प्रभाव के फलस्वरूप ये  लोग शिव,काली, हनुमान आदि देवताओ की भी पूजा करते है । 
  •  गोंड कला- संस्कृति समपन्न, सौंदर्य प्रिय जनजाति है । नवाखानी, जावरा, छेरता इनके पारम्परिक त्यौहार है । विभिन्न आनंद उत्सवों में ये अनेक नृत्य भी करते है, जिसमे कर्मा, सैला, सुआ, गंदी आदि प्रमुख है । गोंडो की मुख्य संपर्क बोली गोंडी है । 
  • मेघनाद पर्व गोंड जनजाति से सम्बंधित है ।

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