Computer Input and Output Devices GK इनपुट/आउटपुट डिवाइस
इनपुट/आउटपुट डिवाइस उपयोगकर्ता तथा कम्प्यूटर के बीच संपर्क स्थापित करने का माध्यम है। कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा (बाइनरी डिजिट- 0 या 1 – ऑफ या ऑन) समझ सकता है जबकि कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देश तथा डाटा मानवीय भाषा (Human Language) में होता है। अतः कम्प्यूटर को इनपुट दिए जाने से पहले उसे मशीनी भाषा में बदलना जरूरी है। दूसरी तरफ, कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणाम भी मशीनी भाषा में होता है जिसे उपयोगकर्ता तक पहुंचाने के लिए मानवीय भाषा में बदलना पड़ता है। यह कार्य इनपुट/आउटपुट डिवाइस द्वारा किया जाता है। उपयोगकर्ता कम्प्यूटर को डाटा तथा निर्देश इनपुट डिवाइस के जरिए देता है। इनपुट डिवाइस इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित कर कम्प्यूटर को देता है। की-बोर्ड तथा माउस दो लोकप्रिय इनपुट डिवाइस हैं। डाटा प्रोसेस के बाद कम्प्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम आउटपुटडिवाइस के जरिए प्राप्त किया जाता है। आउटपुट डिवाइस मशीनी भाषा में प्राप्त परिणाम को मानवीय भाषा में बदलकर उपयोगकर्ता के लिए प्रस्तुत करता है। मानीटर, प्रिंटर तथा स्पीकर कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस हैं।
इनपुट डिवाइस (Input Device)
यह एक विद्युत यांत्रिक युक्ति (Electromechanical device) है जो डाटा और अनुदेशों को स्वीकार कर उन्हें बाइनरी रूप में परिवर्तित कर कम्प्यूटर के प्रयोग के लायक बनाता है। इस प्रकार, वे यंत्र जिनके द्वारा डाटा व अनुदेशों को कम्प्यूटर में डाला जाता है, इनपुट डिवाइस कहलाते हैं। कम्प्यूटर इनपुट डाटा टेक्स्ट (Text), आवाज (Sound), चित्र (Image), चलचित्र (Video) या साफ्टवेयर प्रोग्राम के रूप में हो सकता है। कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस हैं-
➢ की-बोर्ड (Key Board)
➢ माउस (Mouse)
➢ ज्वॉस्टिक (Joystick)
➢ प्रकाशीय पेन (Light Pen)
➢ स्कैनर (Scanner)
➢ बार कोड रीडर (Bar Code Reader)
➢ माइकर (MICR-Magnetic Ink Character Recognition)
➢ पंच कार्ड रीडर (Punch Card Reader)
➢ ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader)
➢ ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर (OCR-Optical Character Reader)
➢ डिजिटल कैमरा (Digital Camera)
➢ टच स्क्रीन (Touch Screen)
➢ माइक (Mike)
➢ स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम (Speech recognition system)
➢ आप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्नीशन (Optical Character Recognition)
➢ इलेक्टानिक कार्ड रीडर (Electronic Card Reader)।
की-बोर्ड (Key Board)
की-बोर्ड एक प्रचलित इलेक्ट्रोमेकैनिकल इनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने तथा कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए किया जाता है। की-बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा कम्प्यूटर मानीटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। की-बोर्ड का प्रयोग माउस की तरह प्वाइंटिंग डिवाइस के रूप में भी किया जा सकता है। आजकल 104 बटनों वाले ‘OWERTY की-बोर्ड का प्रयोग प्रचलन में है। इसमें बटनों की व्यवस्था प्रचलित टाइपराइटर बटनों की तरह होती है जिसमें अंग्रजी के सभी अक्षरों को तीन पंक्तियों में व्यवस्थित किया गया होता है। इसे ‘OWERTY’ की-बोर्ड इसलिए कहा जाता है क्योंकि अक्षरों के सबसे ऊपर वाली पंक्ति के बायीं ओर के 6 बटन Q,W, E, R,T तथाY के क्रम में होते हैं। कम्प्यूटर की-बोर्ड के कुछ बटन ऐसे भी होते हैं जिन्हें प्रयुक्त साफ्टवेयर के अनुसार कम्प्यूटर को निर्धारित निर्देश देने के लिए प्रयोग किया जाता है। की-बोर्ड को पीएस-2 (Plug Station-2) पोर्ट द्वारा सीपीयू से जोड़ा जाता है। आजकल, की-बोर्ड को यूएसबी (USB) पोर्टद्वारा भी कम्प्यूटर से जोड़ा जा रहा है। वायरलेस की-बोर्ड सिस्टम से भौतिक संपर्क बनाए बिना रेडियो तरंगों पर कार्य करता है तथा इसे ब्लूटूथ (Bluetooth) द्वारा कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है।
कार्य और स्थिति के अनुसार की-बोर्ड को निम्नलिखित भागों में बांट सकते हैं-
(i) मुख्य की-बोर्ड (Main Key-Board) या टाइपराइटर बटन (Typewriter Key) : यह की-बोर्ड के बायें-मध्य भाग में अंग्रेजी टाइपराइटर के समान व्यवस्थित होता है। इसमें अंग्रेजी के सभी अक्षर (A से Z), अंक (0 से 9) तथा कुछ विशेष चिह्न रहते हैं। इसे अक्षर बटन (Alphabet Key) तथा संख्यात्मक बटन (Numeric Key) भी कहा जाता है। इनका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने के लिए तथा वर्ड प्रासेसिंग प्रोग्राम में किया जाता है। मुख्य की-बोर्ड में कुछ विराम चिह्न (Punctuation Keys) भी होते हैं। की-बोर्ड पर स्थित कोई अक्षर, संख्या या प्रतीक जिसे हम कम्प्यूटर में टाइप कर सकते हैं, कैरेक्टर (Character) कहलाता है।
(ii) फंक्श न बटन (Function Keys) : ये की-बोर्ड के सबसे ऊपर F1 से F12 तक अंकित बटन होते हैं। इनका कार्य प्रयोग किए जानेवाले साफ्टवेयर पर निर्भर करता है। वास्तव में ये एक पूरे आदेश के बराबर होते हैं जिनकी हमें बार-बार आवश्यकता पड़ती है। इससे समय की बचत होती है।
(iii) संख्यात्मक की-पैड (Numeric key-pad) : की-बोर्ड की दायीं ओर कैलकुलेटर के समान स्थित बटनों को संख्यात्मक की-पैड कहा जाता है। इनका प्रयोग संख्यात्मक डाटा को तीव्र गति से भरने के लिए किया जाता है। इनमें 0 से 9 तक, दशमलव (.), जोड़ (+), घटाव (-), गुणा (x) तथा भाग (/) के साथ न्यूमेरिकल लॉक (Num Lock) तथा इंटर (Enter) बटन होते हैं। ध्यान रहे कि 0 से 9 तक की संख्याओं के बटन मुख्य की-बोर्ड पर भी होते हैं तथा दोनों का समान परिणाम होता है। न्यूमेरिक की-पैड के कुछ बटन दो कार्य करते हैं। इन बटनों का प्रयोग की-बोर्ड द्वारा कर्सर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए माउस के विकल्प के रूप में भी किया जाता है। अतः इन्हें कर्सर कंटोल बटन (Cursor Control Key) भी कहा जाता है। इनका प्रयोग कम्प्यूटर गेम को नियंत्रित करने में भी किया जाता है। यदि Num Lock बटन ऑन है तो Numeric Key-Pad का प्रयोग संख्याओं को टाइप करने के लिए होता है। यदि Num Lock बटन ऑफ है तो इन बटनों का प्रयोग arrow key तथा End, Home, Page up, Page Down, Insert तथा Delete फंक्शन के लिए किया जाता है। Num Lock बटन ऑफ होने पर इनसे संख्याएं टाइप नहीं की जा सकतीं। किसी-किसी की-बोर्ड में Num Lock ऑन होने पर एक हरी बत्ती भी जलती है।
(iv) कर्सर मूवमेंट बटन (Cursor Movement Keys) : की-बोर्ड के दायें निचले भाग में तीर के निशान वाले चार बटन होते हैं जिनसे कर्सर को दाएं (1), बायें (6), ऊपर (क) तथा नीचे (क) ले जाया जा सकता है। इन्हें दायां, बायां, ऊपर तथा नीचे ऐरो बटन (Right, Left, Up and DownArrow Key) कहते हैं। इन्हें एक बार दबाने पर कर्सर एक स्थान बाएं या दाएं या एक लाइन ऊपर या नीचे हो जाता है। इसे Navigation Keys भी कहा जाता है। इसके ठीक ऊपर कर्सर कंट्रोल के लिए चार बटन और होते हैं जो इस प्रकार हैं-
होम (Home): कर्सर को लाइन के आरंभ में ले जाता है। Home तथा Ctrl. बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के आरंभ में चला जाता है। किसी वेब पेज को देखने के दौरान Home बटन दबाने पर कर्सर उस वेब पेज के प्रारंभ में पहुंच जाता है।
इंड (End) : कर्सर को लाइन या पेज के अंत में ले जाता है। End तथा Ctrl बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के अंत में चला जाता है। किसी वेब पेज को देखने के दौरान End बटन दबाने पर कर्सर उस वेब पेज के अंत में पहुंच जाता है।
पेज अप (Page up) : कर्सर को डाक्यूमेंट के पिछले पेज में ले जाता है।
पेज डाउन (Page Down) : कर्सर को डाक्यूमेंट के अगले पेज पर ले जाता है।
(v) मोडिफायर बटन (Modifier Keys) : कम्प्यूटर की-बोर्ड पर बना कोई बटन या बटनों का समूह जिसके प्रयोग से किसी अन्य बटन से होने वाले कार्य में परिवर्तन हो जाता है, मोडिफायर बटन कहलाता है। मोडिफायर बटन स्वयं कोई कार्य नहीं करता, परंतु दूसरे बटनों के कार्यों में बदलाव करता है। मोडिफायर बटन का प्रयोग किसी अन्य बटन के साथ मिलकर किसी विशेष कार्य को संपादित करने के लिए किया जाता है। Shift, Alt (Alternate), Ctrl (Control) तथा Windows Key मोडिफायर बटन हैं। इनका प्रयोग कम्प्यूटर साफ्टवेयर के अनुसार बदलता रहता है। सुविधा के लिए की-बोर्ड पर Shift, Alt, Ctrl तथा Windows Key के दो-दो बटन बनाये जाते हैं जो मुख्य की-बोर्ड के दोनों छोरों पर स्थित होते हैं।
(vi) स्पेशल परपस बटन (Special Purpose Key) : कम्प्यूटर की-बोर्ड के कुछ बटन किसी खास उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं, जिन्हें स्पेशल परपस बटन कहा जाता है। कुछ स्पेशल परपस बटन और उनके कार्य इस प्रकार हैं-
(a) न्यूमेरिक लॉक बटन (Num Lock Key)- इसका प्रयोग संख्यात्मक बटनों के साथ किया जाता है। Num Lock आन होने पर की-बोर्ड के ऊपर दायीं ओर एक हरी बत्ती जलती है तथा संख्यात्मक की-पैड के बटन के ऊपर लिखी संख्याएं टाइप करते हैं। Num Lock ऑफ होने पर ये बटन नीचे लिखे कार्य संपन्न करते हैं।
(b) कैप्स लॉक बटन (Caps Lock Key) – इसका प्रयोग अंग्रेजी वर्णमाला को छोटे अक्षरों (Small Letters/Lower Face) या बड़े अक्षरों (Capital Letters/Upper Case) में लिखने के लिए किया जाता है। केप्स लॉक बटन दबाने पर ऊपर दायीं ओर एक बत्ती जलती है तथा की-बोर्ड के संबंधित बटनों द्वारा वर्णमाला को बड़े अक्षरों में लिखा जाता है। कैप्स लॉक बटन दसरी बार दबाने पर बत्ती बझ जाती है तथा वर्णमाला के छोटे अक्षरों को टाइप किया जा सकता है। Caps Lock तथा Num Lock बटन को टॉगल (toggle) बटन भी कहते हैं क्योंकि हर बार प्रेस करने पर इनका फंक्शन उल्टा (reverse) हो जाता है।
(c) शिफ्ट बटन (Shift Key) : इसे संयोजन बटन (Combination Key) भी कहते हैं क्योंकि इसका उपयोग किसी और बटन के साथ किया जाता है। किसी बटन पर दो चिह्न रहने पर शिफ्ट बटन के साथ उस बटन को दबाने पर ऊपर वाला चिह्न टाइप होता है। उस बटन को अकेले दबाने पर नीचे लिखा चिह्न आता है। अगर कैप्स लॉक बटन ऑन है, तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर छोटे अक्षर टाइप होते हैं। अगर कैप्स लॉक बटन ऑफ है तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर बड़े अक्षर टाइप होते हैं।
(d) टैब बटन (Tab Key) – यह कर्सर को एक निश्चित दूरी, जो रूलर (Ruler) द्वारा तय की जा सकती है, तक कदाते हए ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। किसी चार्ट, टेबल या एक्सेल प्रोग्राम में एक खाने से दूसरे खाने तक जाने के लिए भी टैब बटन का प्रयोग किया जाता है। Tab बटन से वर्ड प्रोग्राम में पाराग्राफ को इंडेट (Indent) भी किया जा सकता है। इसके द्वारा डायलॉग बॉक्स में उपलब्ध विकल्पों में से किस एक का चयन भी किया जा सकता है।
(e) रिटर्न (Return) या इन्टर (Enter) बटन- कम्प्यूटर को दिए गए निर्देशों को कार्यान्वित करने के लिए तथा स्क्रीन पर टाइप डाटा को कम्प्यूटर में भेजने के लिए इंटर बटन का प्रयोग किया जाता है। वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम में नया पेराग्राफ या लाइन आरंभ करने का कार्य भी इससे किया जाता है। कभी-कभी, की-बोर्ड में Enter बटन को पहचान के लिए एक विशेष आकार प्रदान किय जाता है।
(f) एस्केप बटन (ESC-Escape Key) – इस बटन का प्रयोग पिछले कार्य को समाप्त करने या चालू प्रोग्राम के बाहर जाने (Exit) के लिए होता है।
(g) बैक स्पेस बटन (Back Space Key) – इसके प्रयोग से कर्सर के ठीक बांयी ओर स्थित कैरेक्टर या स्पेस को एक-एक कर मिटाया जाता है। इसका प्रयोग टाइपिंग के समय गलतियाँ ठीक करने में किया जाता है।
(h) डिलीट बटन (Del- Delete Key) – इसका प्रयाग कर्सर के ठीक दायीं ओर स्थित कैरेक्टर या स्पेस को एक-एक कर मिटाने में किया जाता है। इससे कर्सर के बाद के सभी डाटा एक स्थान बायीं ओर खिसक जाते हैं। इससे चयनित शब्द, लाइन, पैराग्राफ, पेज या फाइल को एक साथ भी मिटाया जा सकता है।
(i) प्रिंट स्क्रीन बटन (Print Screen Key) – इससे स्क्रीन पर जो कुछ भी दिख रहा है, उसे प्रिंट किया जा सकता है। प्रिंट स्क्रीन बटन कम्प्यूटर स्क्रीन का फोटो क्लिप बोर्ड में संग्रहित कर लेता है जिसे बाद में किसी अन्य प्रोग्राम में Paste या Edit किया जा सकता है।
(j) स्क्रॉल लॉक बटन (Scroll Lock Key) – इस बटन को दबाने से कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ रही सूचना एक स्थान पर रुक जाती है। सूचना को फिर से शुरू करने के लिए यही बटन दुबारा दबाना पड़ता है।
(k) पॉज बटन (Pause Key) – इसका कार्य स्क्रॉल लॉक बटन जैसा ही है। किसी भी दूसरे बटन को दबाने पर सूचना पुनः आनी शुरू हो जाती है।
(l) इन्सर्ट बटन (Insert Key) – इसका प्रयोग पहले से संग्रहित डाटा पर Overwrite करने के लिए किया जाता है। इन्सर्ट बटन दबाकर कोई टाइपिंग बटन दबाने पर कर्सर के ठीक बाद स्थित अंक या अक्षर मिट जाता है तथा उसके स्थान पर नया टेक्स्ट टाइप हो जाता है।
(m) कंट्रोल + आल्ट + डेल (Ctrl+Alt+Del-Control+Alternate+Delete Key)- इन तीनों बटनों को एक साथ दबाने पर कम्प्यूटर में चल रहे प्रोग्राम बंद हो जाते हैं तथा कम्प्यूटर फिर से स्वयं शुरू वाली अवस्था में पहुंच जाता है। ऐसा अक्सर तब किया जाता है जब कम्प्यूटर हैंग (Hang) हो जाता है। अर्थात् किसी अन्य बटन के आदेश का पालन नहीं करता। इन बटनों का प्रयोग कम्प्यूटर को Restart करने के लिए किया जाता है। इसे रिसेट (Reset) भी कहते हैं।
(n) स्टिक बटन (Stick Keys) – वे उपयोगकर्ता जो दो या अधिक बटनों को एक साथ दबाने में असुविधा महसूस करते हैं, उनकी सुविधा के लिए स्टिक बटन का प्रयोग किया जाता है। इसमें उपयोगकर्ता Modifier Keys (Ctrl, Shift, Alt) या Windows Key को लगातार दो बार दबा कर तब तक सक्रिय रख सकता है। जब तक दूसरा बटन न दबा दिया जाए। Stick Key सुविधा को चालू करने के लिए Shift बटन को 5 बार लगातार दबाते हैं। इसे बंद करने के लिए दोनों Shift बटन एक साथ दबाते हैं।
(o) स्पेस बार (Space Bar) :
यह की-बोर्ड में सबसे निचली पंक्ति के बीच में स्थित सबसे लंबा बटन है। सामान्यतः इसका प्रयोग टाइप करते समय अक्षरों तथा अंकों के बीच खाली स्थान (Space) डालने तथा कर्सर को एक स्थान दायीं ओर खिसकाने के लिए किया जाता है। इसे इतना लंबा इसलिए बनाया जाता है। ताकि दोनों हाथों से टाइप करते समय किसी भी हाथ के अंगूठे से इसका प्रयोग किया जा सके। Modifier Key के साथ इसका प्रयोग साफ्टवेयर के अनुसार अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है। वीडियो गेम में भी इसे एक मुख्य बटन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
वर्चुअल की-बोर्ड (Virtual Key Board) :
वर्चुअल का अर्थ होता है—आभाषी। वर्चुअल की-बोर्ड साफ्टवेयर प्रोग्राम द्वारा तैयार किया जाता है जिसमें की-बोर्ड का प्रतिबिंब किसी सतह पर उतारा (Projection) जाता है। सतह पर बने की-बोर्ड के आभासी चित्र में किसी बटन को छूकर कम्प्यूटर में डाटा या निर्देश डाला जा सकता है। वर्चुअल की-बोर्ड में कोई मशीनी पुर्जा नहीं होता। अतः इसमें टूट-फूट की संभावना नहीं होती तथा साफ-सफाई की भी जरूरत नहीं होती।
ऑन स्क्रीन की-बोर्ड (On Screen Key Board) :
यह एक अप्लिकेशन साफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसमें की-बोर्ड कम्प्यूटर स्क्रीन पर ही दिखाई देता है। ऑन स्क्रीन की-बोर्ड को माउस या टच स्क्रीन या किसी अन्य Pointing device की सहायता से प्रयोग में लाया जाता है। यह वर्चुअल की-बोर्ड का ही एक रूप है। आजकल, टैबलेट तथा स्मार्टफोन में डाटा डालने के लिए ऑन स्क्रीन की-बोर्ड का प्रचलन बढ़ रहा है।
माउस (Mouse)
यह सर्वाधिक प्रयोग होने वाला एक इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस (Pointing device) भी कहा जाता है। ग्राफिकल यूसर इंटरफेस (GUI-Graphical User Interface) के प्रयोग से इसका महत्त्व बढ़ गया है। माउस का आविष्कार डॉ. डगलस इंजेलबार्ट (Dr. Douglas Engelbart) ने 1964 में किया था। माउस की सहायता से हम कम्प्यूटर स्क्रीन पर कर्सर या किसी ऑब्जेक्ट (Object) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं। माउस का प्रयोग किसी Command, Dialog Box या Icon को सेलेक्ट करने या उससे संबंधित कार्य को क्रियान्वित करने के लिए भी किया जाता है। माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बने PS-2 पोर्ट या USB (Universal Serial Bus) पोर्ट से जोड़ा जाता है। माउस में दो या तीन बटन हो सकते हैं जिन्हें दायां, बायां और मध्य बटन (Right, Left and Centre Button) कहते हैं। माउस बटन वास्तव में माइक्रोस्विच है जिन्हें दबाकर कम्प्यूटर को वांछित संदेश प्रेषित किए जाते हैं। इसके नीचे एक रबर बॉल होता है। किसी समतल सतह (माउस पैड) पर माउस को हिलाने पर बॉल घूमता है तथा उसकी गति और दिशा मानीटर पर माउस प्वाइंटर (A) की गति और दिशा में परिवर्तित हो जाती है। माउस प्वाइंटर का आकार माउस द्वारा किए जा रहे कार्य के प्रकार पर निर्भर करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम में माउस प्रॉपर्टीज में परिवर्तन कर बायें व दायें बटन के कार्यों में अदला-बदली की जा सकती है। ऐसा बायें हाथ से काम
करने वालों की सुविधा के लिए किया जाता है। किसी माउस के तीन बटन इस प्रकार होते हैं-
बायां बटन (Left Button) : यह माउस के बायीं ओर स्थित होता है। इससे क्लिक, डबल क्लिक, प्वाइंट या ड्रैग का काम लिया जाता है।
दायां बटन (Right Button) : यह माउस के दायीं ओर स्थित होता है। यह साफ्टवेयर के अनुसार कुछ विशेष कार्यों जैसे- डायलॉग बॉक्स या मेन्यू बाक्स खोलने, प्रोपर्टीज देखने आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।
मध्य बटन (Centre Button) : इसे स्क्रॉल बटन (Scroll Button) भी कहा जाता है। इसका प्रयोग डाक्यमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे करने के लिए किया जाता है। आधुनिक माउस में बीच वाले बटन को एक ह्वील (Wheel) में बदल दिया जाता है, जिसे घुमाकर डाक्यूमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे (Scroll) किया जाता है।
माउस के कार्य (Functions of Mouse) : माउस द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-
(i) प्वांइट और सेलेक्ट (Point and Select) करना: माउस प्वाइंटर को किसी आइकन (icon) के ऊपर ले जाने से यदि माउस प्वाइंटर हाथ के आकार का हो जाए, तो इसे प्वाइंट कहा जाता है। साथ ही प्वाइंट किए गए आब्जेक्ट का संक्षिप्त विवरण भी स्क्रीन पर प्रदर्शित हो सकता है। माउस का प्रयोग किसी icon, टेक्स्ट या इमेज को सेलेक्ट करने के लिए भी किया जाता है। सेलेक्ट किए गए आइकन, टेक्स्ट या इमेज के रंग में तात्कालिक परिवर्तन दिखाई पड़ता है। सेलेक्ट किए गए Object को हम Copy, Cut या Delete कर सकते हैं।
(ii) क्लिक (Click) : इसे Single Click या Left Click भी कहा जाता है। माउस के बायें बटन को एक बार दबाकर छोड़ना क्लिक कहलाता है। इसका प्रयोग किसी Object या icon को प्वाइंट कर उसे सेलेक्ट (Select) करने के लिए किया जाता है।
(iii) डबल क्लिक (Double Click) : माउस के बायें बटन को जल्दी-जल्दी दो बार दबा कर छोड़ना डबल क्लिक कहलाता है। डबल क्लिक का प्रयोग किसी फाइल या फोल्डर को खोलने या किसी प्रोग्राम को Activate या Start करने के लिए किया जाता है।
(iv) राइट क्लिक (Right Click) : माउस के दायें बटन को एक बार दबाकर छोड़ना राइट क्लिक कहलाता है। राइट क्लिक कर्सर की स्थिति के अनुसार उस Object से संबंधित ड्राप डाउन मेन्यू (Drop down menu) प्रदर्शित करता है। मेन्यू संबंधित विकल्पों का समूह है जिसमें से विकल्पों का चयन लेफ्ट क्लिक द्वारा किया जा सकता है। किसी Object की Properties जानने के लिए राइट क्लिक का प्रयोग किया जाता है।
(v) ड्रैग और ड्राप (Drag and Drop) : किसी आब्जेक्ट के आइकन पर माउस प्वाइंटर ले जाकर Left बटन दबाना तथा लेफ्ट बटन दबाये रखकर माउस को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना ड्रैग (Drag) कहलाता है। इससे आब्जेक्ट का आइकन भी साथ-साथ चलता है। अब माउस प्वाइंटर को वांछित स्थान या फाइल आइकन पर ले जाकर लेफ्ट बटन छोड़ देना ड्राप (Drop) कहलाता है। माउस के इस ड्रैग और ड्रॉप विकल्प का प्रयोग किसी आइकन, चित्र, अक्षर, फाइल या फोल्डर को कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने या कम्प्यूटर मेमोरी में एक फोल्डर से दूसरे फोल्डर तक पहुंचाने के लिए किया जाता है।
(vi) माउस का प्रयोग पेंट (Paint) प्रोग्राम में कलम या ब्रश की तरह भी किया जाता है। ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse) ऑप्टिकल माउस प्रकाश तरंगों के परावर्तन के आधार पर कार्य करता है। इसमें सतह पर घूमने वाला रबर बॉल नहीं होता। LED (Light Emitting Diode) या लेसर डायोड द्वारा उत्पन्न प्रकाश तरंगें सतह से परावर्तित होती हैं जिन्हें फोटो डायोड सेंसर द्वारा पढ़ा जाता है। ऑप्टिकल माउस के लिए किसी विशेष सतह या माउस पैड की जरूरत नहीं होती। इसे किसी भी अपारदर्शी सतह पर रखकर प्रयोग किया जा सकता है। मैकेनिकल बॉल न होने के कारण इसमें टूट-फूट की संभावना कम होती है।
बेतार की-बोर्ड/माउस (Wireless or Cordless Key-Board/Mouse)
सामान्यतः की-बोर्ड तथा माउस को तार के जरिए कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। परंतु वर्तमान में बेतार की-बोर्ड तथा माउस का प्रचलन बढ़ रहा है। इसमें कम्प्यूटर के साथ सूचनाओं का अदान-प्रदान रेडियो तरंगों (Radio Frequency) या Infrared rays या Bluetooth/Wi-Fi के जरिए होता है। बेतार की-बोर्ड या माउस में एक टांसमीटर तथा एक रिसीवर (Receiver) होता है। ट्रांसमीटर की-बोर्ड या माउस के भीतर होता है। जबकि रिसीवर USB पोर्ट द्वारा कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जड़ा होता है। ट्रांसमीटर की-बोर्ड या माउस द्वारा उत्पन्न संकेतों को रेडियो तरंगों में बदलकर रिसीवर तक भेजता है, जो उसे पनः संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को दे देता है। बेतार की-बोर्ड या माउस 2.4 GHz आवृत्ति की तरंगों पर काम करता है। इसे की-बोर्ड या माउस में लगे बैटरी द्वारा ऊर्जा दी जाती है।
टच पैड (Touch Pad):
यह लैपटॉप तथा नोटबुक कम्प्यूटर में बना एक इनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग माउस की जगह किया जाता है। टचपैड के ऊपर अंगुली को घुमाकर माउस प्वाइंटर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है। इसके ऊपर दो बटन भी होते हैं जो Left Click और Right Click का काम करते हैं।
ट्रैक बाल (Track Ball)
यह माउस का ही प्रारूप है जिसमें रबर बाल नीचे न होकर ऊपर होता है। इसमें माउस को अपने स्थान से हटाये बिना रबर बाल को घुमाकर माउस प्वांइटर के स्थान में परिवर्तन किया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः कैड (CAD-Computer Aided Design), तथा कैम (CAM-Computer Aided Manufacturing) में किया जाता है। ट्रैक बॉल का प्रयोग लैपटॉप कम्प्यूटर में माउस के स्थान पर प्वाइंटिंग डिवाइस के रूप में किया जाता है।
ज्वास्टिक (Joystick)
यह एक प्वाइंटिंग डिवाइस है जो ट्रैकबाल की तरह ही कार्य करता है। बॉल के साथ एक छड़ी लगा दी जाती है ताकि बॉल को आसानी से घुमाया जा सके। छड़ी के ऊपर एक क्लिक बटन होता है जिसके द्वारा किसी आइकन या टेक्स्ट आदि का चयन किया जाता है। इसका उपयोग वीडियो गेम, सिमुलेटर प्रशिक्षण (Training Simulator), रोबोट नियंत्रण (Robot Control) आदि में किया जाता है। यह वीडियो गेम खेलना आसान और मजेदार बनाता है। प्रकाशीय पेन (Light Pen) यह पेन के आकार का प्वाइंटिंग डिवाइस है जिसका प्रयोग इनपुट डिवाइस की तरह किया जाता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर स्क्रीन पर लिखने, चित्र बनाने या बारकोड (Bar Code) को पढ़ने में किया जाता है। प्रकाशीय पेन में फोटो सेल का प्रयोग किया जाता है। स्टाइलस (Stylus) भी पेन के आकार का एक प्वाइंटिंग डिवाइस है जिसका प्रयोग टचस्क्रीन सुविधा वाले हैंड हेल्ड डिवाइस में इनपुट डिवाइस के रूप में किया जाता है।
स्कैनर (Scanner)
यह एक इनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कर टेक्स्ट, तस्वीर और रेखाचित्र को डिजिटल चित्र (Digital Image) में परिवर्तित कर मेमोरी में सुरक्षित रखा जा सकता है। डिजिटल चित्र पर कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग भी किया जा सकता है। स्कैनर कागज पर बने डाक्यूमेंट पर प्रकाश पुंज (Light Beam) डालता है तथा परावर्तित प्रकाश की तीव्रता के आधार पर डाक्यूमेंट को डिजिटल डाटा में बदलता है। स्कैन किए गए डाक्यूमेंट को Bit map Image के रूप में कम्प्यूटर मेमोरी में स्टोर किया जाता है। इसका प्रयोग कागजी दस्तावेजों को इलेक्ट्रानिक रूप में लंबे समय तक संरक्षित रखने में किया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर इस डाक्यूमेंट को Edit और Print भी किया जा सकता है।
बार कोड रीडर (BCR-Bar Code Reader)
बार कोड विभिन्न चौड़ाई की उर्ध्वाधर (Vertical) काली पट्टियां होती हैं। उनकी चौड़ाई और दो पट्टियों के बीच की दूरी के हिसाब से उनमें सूचनाएं निहित रहती हैं। इन सूचनाओं को बार कोड रीडर की सहायता से कम्प्यूटर में डालकर उत्पाद, वस्तु के प्रकार आदि का पता लगाया जा सकता है। बार कोड का आविष्कार 1940 में जोसेफ वुडलैंड तथा बर्नाड सिल्वर ने मिलकर किया था। पर इसे प्रचारित करने का श्रेय ऐलन हैबर मैन को जाता है। भारत में वर्ष 1998 में नेशनल इन्फार्मेशन इंडस्ट्रियल वर्क फोर्स ने सभी उत्पादों पर बार कोड का प्रयोग जरूरी कर दिया है। बार कोड रीडर लेजर बीम (Laser beam) का प्रयोग करता है। तथा परावर्तित किरणों के द्वारा डाटा को कम्प्यूटर में डालता है। आजकल बारकोड का प्रयोग बैंक व पोस्ट ऑफिस में भी किया जा रहा है।
माइकर (MICR-Magnetic Ink Character Recognition)
इसका प्रयोग विशेष चम्बकीय स्याही (आयरन ऑक्साइड) विशेष तरीके से लिखे अक्षरों को कम्प्यूटर के जरिये पढ़ने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग बैंकों द्वारा चेक/ड्राफ्ट में किया जा रहा है। इससे कम समय और बड़ी मात्रा में चेक/ड्राफ्ट का भुगतान करने और नकल रोकने में मदद मिलेगी। माइकर कोड में 0 से 9 तक संख्याओं और चार चिह्नों (कुल 14 कैरेक्टर) का प्रयोग किया जाता है।
ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader)
ऑप्टिकल मार्क रीडर (OMR) एक इनपुट डिवाइस है जो विशेष प्रकार के संकेतों/ चिह्नों को पढ़कर उसे कम्प्यूटर द्वारा उपयोग के योग्य बनाता है। आजकल वस्तुनिष्ठ उत्तर पुस्तिकाओं (Multiple Choice Question) को जांचने के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है। इसमें उच्च तीव्रता वाले प्रकाशीय किरणों को कागज पर डाला जाता है तथा पेन या पेंसिल के निशान से परावर्तित किरणों का अध्ययन कर सही उत्तर का पता लगाया जाता है।
वेब/डिजिटल कैमरा (Web/Digital Camera)
यह एक सामान्य डिजिटल कैमरे की तरह होता है जिसे कम्प्यूटर से जोड़कर इनपुट डिवाइस की तरह प्रयोग किया जाता है। इसमें उपस्थित फोटो डायोड (Photo diode) प्रकाशीय सूचना को विद्युत तरंगों में बदल कर कम्प्यूटर को देते हैं। इसे वेब कैम (Web Cam) भी कहा जाता है। वेब कैमरा का प्रयोग वीडियो कान्फरेंसिंग, वीडियो चैटिंग, वेब ब्रॉडकास्ट (Web Broad Cast) आदि में किया जाता है।
टच स्क्रीन (Touch Screen)
यह एक आसान इनपट डिवाइस है। कम्प्यूटर स्क्रीन पर उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक को छकर निर्देश दिये जा सकत है तथा कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कराया जा सकता है। टच स्क्रीन में इंफ्रारेड (अवरक्त) किरणें स्क्रीन की सतह पर घमती रहती है। जबअंगुली से प्रदर्शित विकल्पों को छूते हैं तो किरणों की गति प्रभावित होती है तथा उसकी स्थिति रिकॉर्ड कर ली जाती है। स्थिति के अनुसार, कम्प्यूटर चिह्नित विकल्प को क्रियान्वित करता है। टच स्क्रीन का उपयोग बैंकों में एटीएम (ATM-Automatic Teller Machine) तथा सार्वजनिक सूचना केंद्र (Information Kiosk) में किया जा रहा है। स्मार्टफोन तथा टैबलेट कम्प्यूटर में भी टच स्क्रीन का उपयोग इनपुट डिवाइस के रूप में किया जाता है।
माइक (Mike)
माइक या माइक्रोफोन (Microphone) एक ऑडियो (Audio) इनुपट डिवाइस है जिसके द्वारा किसी आवाज (Sound) को कम्प्यूटर में इनपुट के रूप में डाला जाता है। माइक ध्वनि तरंगों (Audio Signal) को एनालॉग विद्युत तरंगों में बदलता है जिसे साउण्ड कार्ड द्वारा डिजिटल संकेतों में बदला जाता है। माइक का प्रयोग मल्टी मीडिया सॉफ्टवेयर में, आवाज रिकॉर्ड करने, ऑडियो फाइल तैयार करने तथा इंटरनेट पर बातचीत करने के लिए किया जाता है। ऑडियो फाइल रिकॉर्ड या इडिट करने के लिए Audacity साफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम (Speech Recognition System)
यह एक इनपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से बोलकर डाटा को कम्प्यूटर में डाला जा सकता है। स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम में मनुष्य द्वारा बोले गए शब्दों को पहचान कर उन्हें टेक्स्ट में परिवर्तित किया जाता है तथा उस टेक्स्ट को कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित भी किया जा सकता है। इसका उपयोग मौखिक आदेश देकर कम्प्यूटर की गतिविधियों को नियंत्रित करने में भी किया जा सकता है। हालांकि वर्तमान में इसका प्रयोग सीमित है, पर भविष्य में इसके विकास की संभावनाएं विद्यमान हैं। स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम में एक माइक्रोफोन आवाज को रिकार्ड करता है तथा कम्प्यूटर हार्डवेयर इसे डिजिटल डाटा में परिवर्तित करता है। स्पीच रिकॉग्नीशन साफ्टवेयर पहले से ही स्टोर किए गए आवाज के नमूने से मिलानकर इसे टेक्स्ट या कमांड में बदलता है।
ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्नीशन (Optical Character Recognition)
स्कैनर द्वारा स्कैन किया गया डाक्यूमेंट Bitmap image के रूप में होता है। इसे हम चित्र के रूप में edit कर सकते हैं, पर टेक्स्ट के रूप में नहीं। OCR स्कैन किए गए टेक्स्ट डाक्यूमेंट की पहचान कर उसे वर्ड प्रोसेसिंग टेक्स्ट में बदलता है ताकि उसे कम्प्यूटर में edit किया जा सके। इसके लिए Optical Character Reader तथा OCR Software का प्रयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर (Electronic Card Reader)
इलेक्ट्रानिक कार्ड प्लास्टिक का बना एक छोटा कार्ड है जिसमें एक चिप या चुंबकीय पट्टी (Magnetic Strip) लगा होता है। इसचिप या चुंबकीय पट्टी में डाटा स्टोर किया जाता है जिसे कम्प्यूटर से जुड़े इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर की सहायता से पढ़ा व प्रोसेस किया जा सकता है। बैंकों में ATM के साथ इलेक्ट्रानिक कार्ड का ही प्रयोग किया जाता है। डिजिटाइजिंग
टैबलेट (Digitizing Tablet)
यह एक इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से मैप, रेखाचित्र तथा स्केच आदि को डिजिटल रूप में बदलकर कम्प्यूटर को इनपुट के रूप में दिया जाता है। बाद में इसे Edit और Print भी किया जा सकता है। डिजिटाइजिंग टैबलेट में एक स्क्रीन तथा एक इलेक्ट्रानिक पेन होता है। इलेक्ट्रॉनिक पेन की सहायता से स्क्रीन पर रेखाचित्र या स्केच बनाये जाते हैं। स्क्रीन का सेंसर इसे डिजिटल संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को इनपुट के रूप में देता है। इसका प्रयोग Computer Aided Design (CAD) में किया जा रहा है।
आउटपुट डिवाइस (Output Devices)
एक विद्युत यांत्रिक युक्ति जो कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस किया गया बाइनरी डाटा लेकर उसे उपयोगकर्ता के लिए उपयुक्त डाटा में बदलकर प्रस्तुत करता है, आउटपुट डिवाइस कहलाता है। आउटपुट डिवाइस द्वारा हम डाटा या परिणाम को देख सकते हैं, या उसका प्रिंट ले सकते हैं। मानीटर तथा प्रिंटर सर्वाधिक प्रचलित आउटपुट डिवाइस हैं।
सॉफ्ट कॉपी तथा हार्ड कॉपी आउटपुट (Soft Copy and Hard Copy Output) :
कम्प्यूटर आउटपुट को दो भागों में बांटा जा सकता है- सॉफ्ट कॉपी आउटपुट तथा हार्ड कॉपी आउटपुट
(i) सॉफ्ट कापी आउटपुट (Soft Copy Output) :
यह एक अस्थायी आउटपुट है जिसे हम छू नहीं सकते। सॉफ्ट कॉपी आउटपुट डिजिटल रूप में होता है जिसे हम कम्प्यूटर तथा उचित सॉफटवेयर के बिना पढ़ व देख नहीं सकते। सॉफ्ट कॉपी आउटपुट को इलेक्ट्रानिक मेमोरी में स्टोर किया जाता है तथा नेटवर्क पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है। सॉफ्ट कॉपी आउटपुट में परिवर्तन करना आसान होता है। इसमें कागज तथा स्याही की बचत होती है। मॉनीटर तथा स्पीकर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट सॉफ्ट कॉपी आउटपुट के उदाहरण हैं।
(ii) हार्ड कॉपी आउटपुट (Hard Copy Output) : यह कागज पर प्रस्तत स्थायी परिणाम है जिसे हम छ सकते हैं। हार्ड कॉपी आउटपट को कम्प्यटर तथा साफ्टवेयर के बिना भी देखा व पढ़ा जा सकता है। इसमें परिवर्तन करना भी आसान नहीं होता प्रिंटर या प्लॉटर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट हार्ड कॉपी आउटपुट के उदाहरण हैं।
कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस हैं-
➢ मॉनीटर (Monitors) या वीडीयू (VDU)
➢ प्रिंटर (Printer)
➢ प्लॉटर (Plotter)
➢ स्पीकर (Speaker)
➢ कार्ड रीडर (Card Reader)
➢ टेप रीडर (Tape Reader)
➢ स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर (Screen Image Projector)
मॉनीटर (Monitor) या वीडीयू (VDU-Visual Display Unit) यह साफ्ट कॉपी (Soft Copy) प्रदान करने वाला लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो डाटा और सूचनाओं को वीडियो आउटपुट (Video Output) के रूप में प्रदर्शित करता है। कम्प्यूटर पर किये जाने वाले प्रत्येक कार्य की सूचना देकर यह कम्प्यूटर और उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करता है। मॉनीटर का वर्गीकरण (Classification of Monitor) : डिस्प्ले किए गए रंग (Colour) के आधार पर मॉनीटर के तीन प्रकार हो सकते हैं।
(i) मोनोक्रोम मॉनीटर (Monochrome Monitor) : यह मॉनीटर दो रंग में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है। मॉनीटर के पृष्ठभूमि में एक रंग होता है जबकि सामने दिखने वाले ऑब्जेक्ट का रंग दूसरा होता है।
(ii) ग्रे स्केल मॉनीटर (Gray Scale Monitor) : यह मोनोक्रोम मॉनीटर का ही एक रूप है जिसमें काले और सफेद (Black and White) रंगों के मिश्रण से कई शेड प्रदर्शित किए जाते हैं।
(iii) कलर मॉनीटर (Colour Monitor) : इसमें तीन मूल – रंग- लाल, हरा और नीला का प्रयोग किया जाता है तथा इनके मिश्रण से अन्य रंग प्रदर्शित किए जाते हैं। इसे RGB (Red, Green, Blue) मॉनीटर भी कहा जाता है। यह 16, 32 या 256 रंगों में डिस्पले प्रदर्शित करता है। तकनीक के आधार पर भी मॉनीटर को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है।
1.कैथोड किरण ट्यूब (CRT-Cathode ray tube): मॉनीटर- यह एक बड़ा ट्यूब होता है जिसमें उच्च वोल्टेज द्वारा इलेक्ट्रान बीम को नियंत्रित कर डिसप्ले प्राप्त किया जाता है। यह टीवी स्क्रीन जैसा होता है.
2.लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCD-Liquid Crystal display) – इसमें दो परतों के बीच तरल क्रिस्टल भरा रहता है जिसे वोल्टेज द्वारा प्रभावित कर डिस्प्ले प्राप्त किया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन आदि में होता है। यह पतला, हल्का और कम विद्युत खपत करने वाला होता है। इलेक्ट्रानिक घड़ियों, कलकुलेटर आदि में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है।
3. एलईडी मॉनीटर (LED Monitor) : इस प्रकार के मॉनीटर में OLED (Organic Light Ermitting Diode) का प्रयोग किया जाता है जो डिजिटल डिस्प्ले प्रदर्शित करती है। इसका रिजोल्यूशन तथा रिफ्रेश रेट बेहतर होता है। यह LCD मॉनीटर से भी पतला और हल्का होता है।
मॉनीटर की गुणवत्ता (Quality of Monitor): किसी मॉनीटर की गुणवत्ता को निम्नलिखित आधारों पर मापा जाता है-
(i) पिक्सेल (Pixel) : मॉनीटर पर दिखाई जाने वाली हर सूचना या ग्राफ छोटे-छोटे चमकीले बिंदुओं से बनी होती है जिसे डॉट या पिक्सेल (Dot or Pixel) कहते हैं। ये डॉट जितने नजदीक स्थित होंगे चित्र उतना ही अच्छा होगा। इसे डॉट पर इंच (DPI- Dots Per Inch) में मापा जाता है जो एक इंच लम्बाई में डॉट या पिक्सेल की कुल संख्या बताता है।
(ii) रिजोल्यूशन (Resolution) : यह मॉनीटर स्क्रीन पर उर्ध्वाधर तथा क्षैतिज (Vertical and Horizontal) दिशा में स्थित पिक्सेल की कुल संख्या तथा उसकी गुणवत्ता को दर्शाता है। रिजोल्यूशन अधिक होने से चित्र साफ (Clear) तथा चमकीला (Sharp) दिखता है। 15 इंच के SVGA मॉनीटर का रिजोल्यूशन 1024×7681 पिक्सेल हो सकता है।
(iii) रिफ्रेश रेट (Refresh Rate) : रिफ्रेश रेट यह बतलाता है कि मॉनीटर एक सेकेण्ड में कितनी बार सूचना को रिफ्रेश करता है। इसे हर्ट्स (Hz) में मापा जाता है। रिफ्रेश रेट अधिक होने से मॉनीटर की गुणवत्ता बढ़ती है।
(iv) रेसपान्स टाइम (Response Time) : किसी पिक्सेल द्वारा एक रंग को बदलकर दूसरा रंग प्रदर्शित करने में लगा समय रेसपान्स टाइम कहलाता है। बेहतर मॉनीटर के लिए रेसपान्स टाइम कम होता है।
प्रिंटर (Printer)
प्रिंटर एक मशीन है जो कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित आउटपुट को कागज पर उतारता है। यह हार्डकॉपी (Hard Copy) या स्थायी प्रति (Permanent Copy) प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है। इसका प्रयोग टेक्स्ट (text), रेखाचित्र (graphics) तथा चित्र (image) का पेपर आउटपुट प्राप्त करने के लिए किया जाता है। प्रिंटर की गुणवत्ता उसके रिजोल्यूशन से जानी जाती है। यह एक वर्ग इंच में स्थित डॉट की संख्या बताता है जिसे DPI (Dots per Inch) कहते हैं। प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के पैरेलल पोर्ट (Parallel Port) से जोड़ा जाता है।
प्रिंटर का वर्गीकरण (Classification of Printer)
कैरेक्टर प्रिंटर (Character Printer) : यह एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंट करता है।
लाइन प्रिंटर (Line Printer) :
यह प्रिंटर एक बार में एक पूरी लाइन प्रिंट करता है। अतः इसकी प्रिंट करने की गति बहुत तेज (200 से 2000 लाइन प्रति मिनट) होती है।।
पेज प्रिंटर (Page Printer) :
यह प्रिंटर एक बार में एक परा पेज प्रिंट करता है।
इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer): यह टाइपराइटर की तरह पेपर और इंक रिबन पर दबाव डालकर प्रिंट करता है। इम्पैक्ट प्रिंटर द्वारा केवल एक ही रंग का आउटपुट प्राप्त किया जा सकता है जो रिबन के रंग पर निर्भर करता है।
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer) :
यह धीमी गति का इम्पैक्ट प्रिंटर है जो एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंट करता है। इसमें एक प्रिंट हेड (Print Head) होता है जो बायें से दायें तथा दायें से बायें घूमता है। इसके प्रिंट हेड में कुछ छोटे-छोटे हथौड़े होते हैं जो स्याही लगे रिबन पर प्रहार कर कैरेक्टर उभारते हैं। इस कारण, कार्बन की सहायता से एक बार में कई प्रतियाँ निकाली जा सकती हैं। डॉट की सहायता से ग्राफ और रेखाचित्र भी उकेरे जा सकते हैं। इनका प्रारंभिक मूल्य और प्रति कॉपी खर्च कम होता है परन्तु प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती।
नान इम्पैक्ट प्रिंटर (Non Impact Printer):
इसमें रिबन नहीं रहता तथा विद्यत या रासायनिक विधि से स्याही का छिड़काव कर प्रिंट प्राप्त किया जाता है। नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर द्वारा कार्बन कॉपी नहीं प्राप्त की जा सकती। नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर की गति तेज होती है तथा ये शोर भी कम करते हैं। इनसे काला तथा रंगीन दोनों प्रकार के आउटपुट प्राप्त किए जा सकते हैं। इनसे टेक्स्ट, रेखाचित्र या चित्र-किसी भी प्रकार का प्रिंट प्राप्त किया जा सकता है।
थर्मल प्रिंटर (Thermal Printer) :
यह नान इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है। इसमें रसायन युक्त विशेष कागज का प्रयोग किया जाता है जिस पर ताप के प्रभाव से आवश्यक आकति प्राप्त की जाती है। इसमें प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है, पर खर्च अधिक आता है।
इंक जेट प्रिंटर (Inkjet Printer) :
यह नान इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है जिसमें स्याही की बॉटल (Cartridge) रखी जाती है। इसमें एक प्रिंट हेड होता है जिसमें 64 छोटे जेट नोजल हो सकते हैं। विद्युतीय क्षेत्र के प्रभाव द्वारा स्याही की बूंदों को कागज पर जेट की सहायता से छोड़ा जाता है जिससे मनचाहे कैरेक्टर और आकृतियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। इसके प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है। इसका आरंभिक लागत कम है पर प्रति कॉपी खर्च अपेक्षाकृत अधिक है। घरों तथा ऑफिस में प्रयोग होने वाला प्रिंटर सामान्यतः इंकजेट प्रिंटर ही होता है। इसमें काले तथा रंगीन प्रिंट प्राप्त करने के लिए अलग-अलग स्याही बॉटल (Ink Cartridge) का प्रयोग किया जाता है।
लेजर प्रिंटर (Laser Printer) :
यह उच्च गति वाला नॉन इम्पैक्ट पेज प्रिंटर है। इसमें सेमीकंडक्टर लेजर बीम (Laser beam). प्रकाशीय ड्रम (Photo Conductive drum) तथा आवेशित स्याही टोनर (Charged Ink toner) का प्रयोग किया जाता है। लेजर बीम से प्रकाशीय ड्रम पर आवश्यक विद्युतीय आकृति बनाई जाती है। तत्पश्चात् टोनर, जो ड्रम पर बनाई आकृति के विपरीत आवेशित रहता है, स्याही को कागज पर चिपका देता है और वांछित आकृति प्राप्त कर ली जाती है। एक रबर ब्लेड की सहायता से ड्रम की सतह पर चिपके टोनर के कणों को साफ किया जाता है और ड्रम अगले प्रिंट के लिए तैयार होता है। यह किसी भी आकार के कैरेक्टर या चित्र का प्रिंट निकाल सकता है। लेजर प्रिंटर की गुणवत्ता अच्छी होती है। यह एक खर्चीला उपकरण है, पर इसमें प्रति कापी खर्च कम पड़ता है। डेस्कटॉप पब्लिशिंग (DTP) में इसका प्रयोग आमतौर पर किया जाता है।
प्लॉटर (Plotter): यह प्रिंटर की तरह हार्ड कॉपी देने वाला एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग बड़े कागज पर उच्च गुणवत्ता वाले रेखाचित्र व ग्राफ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग मुख्यतः इंजीनियरिंग, वास्तुविद, भवन निर्माण, सिटी प्लानिंग, मानचित्र बनाने, कैड (Computer Aided Design), कैम (Computer Aided Manufacturing) आदि में किया जाता है।
स्पीकर (Speaker)
यह एक आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग मल्टीमीडिया के साथ किया जाता है जो ध्वनि के रूप में आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी प्रस्तत करता है। इसके लिए सिस्टम यूनिट में साउण्ड कार्ड (Sound Card) का होना जरूरी है। स्पीकर साउण्ड कार्ड से प्राप्त विद्युत तरंगों को ध्वनि तरंगों में बदलता है। कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के भीतर एक छोटा स्पीकर होता है जिसे बिल्ट इन स्पीकर (Built-in speaker) कहते हैं। मल्टीमीडिया के लिए बाहर से जोड़े गए स्पीकर को External Speaker या Multimedia Speaker कहते हैं। इसमें एक एम्प्लीफायर तथा आवाज घटाने- बढ़ाने के लिए Volume Control Knob होता है। स्पीकर को 3.5 mm स्टीरियो फोन कनेक्टर द्वारा साउण्ड कार्ड से जोड़ा जाता है। स्टीरियो साउण्ड प्राप्त करेन के लिए एक समान के दो स्पीकर का प्रयोग किया जाता है।
हेडफोन (Headphone)
हेडफोन स्पीकर के स्थान पर प्रयक्त होने वाले दो छोटे स्पीकर हैं, जिन्हें कान के काफी पास लगाकर रखा जाता है। अतः इन्हें इयरफोन (Earphone) भी कहा जाता है। इसका प्रयोग एक व्यक्ति के लिए ध्वनि आउटपुट प्राप्त करने में किया जाता है। आजकल हेडफोन तथा माइक दोनों एक ही उपकरण में बने होते हैं जिसका उपयोग आउटपुट तथा इनपुट डिवाइस दोनों के रूप में होता है।
स्क्रीन प्रोजेक्टर (Screen Projector)
यह एक सॉफ्ट कॉपी देने वाला आउटपुट डिवाइस हैं। यह कम्प्यूटर स्क्रीन पर होने वाली घटनाओं और चित्रों तथा सचना को बड़े पर्दे पर दिखाता है ताकि इसे लोगों के समूह द्वारा देखा जा सके। इसका उपयोग मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन (Multimedia Presentation) के लिए किया जाता है जिसमें आवाज, चित्र, चलचित्र तथा एनिमेशन का प्रयोग होता है।
इसका प्रयोग ट्रेनिंग, मीटिंग, कान्फरेंस आदि के दौरान या मनोरंजन के लिए एक बड़े समूह को कम्प्यूटर आउटपुट प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। आवाज प्रतिक्रिया (Voice Response System): इसकी सहायता से उपयोगकर्ता कम्प्यूटर के साथ बातचीत कर सकता है। यह दो प्रकार का होता है-
(i) आवाज पुनउत्पादन (Voice Reproduction) : इसमें पहले से रिकार्ड किये गये आवाज को डिजिटल डाटा में बदलकर कम्प्यूटर मेमोरी में स्टोर किया जाता है। आवश्यकतानुसार, इनमें से उपयुक्त आउटपुट का चयन कर उसे साउण्ड कार्ड तथा स्पीकर द्वारा ध्वनि आउटपुट पैदा किया जाता है।
(ii) स्पीच सिन्थेसाइजर (Speech Synthesizer) : इसकी सहायता से लिखित सूचना को आवाज में बदला जाता है तथा विभिन्न भाषाओं का अनुवाद भी किया जा सकता है। Voice Response System के लिए माइक्रोफोन, स्पीकर या हेडफोन, साउण्ड कार्ड तथा संबंधित साफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है। इसका बेहतरीन उपयोग दृष्टिबाधितों तक सूचना पहुंचाने में किया जा रहा है। वीडियो गेम, अलार्म घड़ी, खिलौने, घरेलू उपकरण आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
वीडियो/विजुअल डिस्प्ले टर्मिनल
(Video/Visual Display Terminal)
मॉनीटर एक सर्वाधिक प्रचलित आउटपुट डिवाइस है जबकि की-बोर्ड एक मुख्य इनपुट डिवाइस है। की-बोर्ड द्वारा टाइप किया जाने वाला डाटा या निर्देश मॉनीटर पर प्रदर्शित होता है। मॉनीटर तथा की-बोर्ड को एक साथ Visual Display Terminal (VDT) कहा जाता है। Terminal वह डिवाइस है जिसके द्वारा हम कम्प्यूटर में डाटा व निर्देश डालने और कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणामों को प्रदर्शित करने का काम करते हैं। यूजर द्वारा टर्मिनल के इनपुट और आउटपुट डिवाइस का प्रयोग किया जा सकता है पर कम्प्यूटर साफ्टवेयर में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। नेटवर्क में टर्मिनल वह स्थान है। जहां संचार माध्यम का अंत हो जाता है। कम्प्यूटर टर्मिनल तीन प्रकार के होते हैं-
(i) डंब टर्मिनल (Dumb Terminal) : ऐसे टर्मिनल की स्वयं की प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता नहीं होती है। यह प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज के लिए मुख्य कम्प्यूटर पर निर्भर रहता है।
(ii) स्मार्ट टर्मिनल (Smart Terminal) : ऐसे टर्मिनल में सीमित अर्थों में स्वयं की प्रोसेसिंग क्षमता होती है, पर कोई स्टोरेज क्षमता नहीं होती।
(iii) इंटेलिजेंट टर्मिनल (Intelligent Terminal) : ऐसे टर्मिनल में स्वयं की प्रोसेसिंग क्षमता (सीपीयू/माइक्रोप्रोसेसर) तथा स्टोरेज क्षमता (मेमोरी) दोनों होती है।
इनपुट/आउटपुट पोर्ट (Input/ Output Port)
कम्प्यूटर को इनपट/आउटपट तथा अन्य पेरीफेरल डिवाइसेस के साथ जोड़ने के लिए मदरबोर्ड पर स्थान बने होते हैं जिन्हें इनपुट/ आउटपुट पोर्ट कहा जाता है।
(i) सीरियल पोर्ट (Serial Port) : मदरबोर्ड पर बने इस पोर्ट द्वारा एक बार में एक बिट डाटा का स्थानान्तरण किया जाता है। इसे सीरियल डाटा स्थानान्तरण करते हैं। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति धीमी होती है। सीरियल पोर्ट RS-232 मानकों पर आधारित होते हैं। सीरियल पोर्ट का प्रयोग कर मॉडेम, बार कोड रीडर, माउस, डिजिटल कैमरा आदि को कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है।
(ii) पैरालेल पोर्ट (Parallel Port) : पैरोलेल पोर्ट में 25 पिन का कनेक्टर होता है जिसमें एक साथ 8 बिट या अधिक डाटा का आदान-प्रदान किया जा सकता है। पैरालेल पोर्ट की गति तीव्र होती है। इसे उन डिवाइसेस को जोड़ा जाता है जिनमें डाटा स्थानान्तरण के लिए ज्यादा बैंड विड्थ की जरूरत पड़ती है। सामान्यतः प्रिंटर को पैरालेल पोर्ट से जोड़ा जाता है, अतः इसे प्रिंटर पोर्ट भी कहा जाता है।
(iii) यूएसबी पोर्ट (USB Port – Universal Serial Bus Port) : यूएसबी पोर्ट एक एक्सटर्नल बस है जो लगभग सभी पेरीफेरल डिवाइसेस को कम्प्यूटर से जोड़ने में सक्षम है। कम्प्यूटर को बिना रीस्टार्ट किए किसी डिवाइस को यूएसबी पोर्ट के साथ जोड़कर प्रयोग किया जा सकता है। इसे Plug and Play का गुण कहा जाता है। यूएसबी पोर्ट को सीरियल तथा पैरालेल पोर्ट के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह प्रिंटर, की-बोर्ड, माउस कैमरा, स्कैनर, फ्लैश मेमोरी या पेन ड्राइव आदि को कम्प्यूटर से जोड़ता है।
(iv) एससीएसआई पोर्ट (SCSI Port – Small Computer System Interface Port) : यह मदरबोर्ड पर बना इंटरनल बस पोर्ट है जो हार्ड डिस्क, सीडी/डीवीडी ड्राइव, स्कैनर आदि को कम्प्यूटर से जोड़ता है।
(v) फायरवायर (Firewire – IEEE 1394) : फायरवायर Institute of Electrical and Electronics Engineers (IEEE)के मानक 1394 का अनुपालन करने वाला पोर्ट है जो उच्च गति वाले ऑडियो तथा वीडियो डिवाइस को कम्प्यूटर के साथ जोड़ता है। हार्ड डिस्क ड्राइव, सीडी/डीवीडी ड्राइव, वीडियो कैमरा आदि अनेक उपकरणों को फायरवायर के जरिये कम्प्यूटर से जोड़ा जा सकता है।
Important facts of Computer
➢ यूनिवर्सल सीरियल बस (USB) के विकास में भारतीय मूल के अजयभट्ट का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
➢ इनपुट और आउटपुट युक्तियों को एक साथ वाह्य युक्तियां (Peripheral Devices) कहते हैं क्योंकि ये मुख्य कम्प्यूटर (CPU) को चारों ओर से घेरे रहते हैं। पेरिफेरल डिवाइस कम्प्यूटर के हार्डवेयर डिवाइस हैं जिन्हें तार (Cables) या वायरलेस तकनीक द्वारा कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है।।
➢ कम्प्यूटर यूनिट के साथ मिलकर की-बोर्ड तथा मॉनीटर वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल (VDT-Video Display Terminal) या मात्र टर्मिनल कहलाते हैं। टर्मिनल का अर्थ है- वह स्थान जहां संचार पथ का अंत (Terminate) हो जाता है।
➢ कर्सर (Cursor) कम्प्यूटर मानीटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाली सीधी खड़ी रेखा (Vertical Line) है, जो स्क्रीन पर आती जाती (Blink) रहती है। की-बोर्ड द्वारा टाइप होने वाला अगला कैरेक्टर कर्सर के स्थान पर ही प्रदर्शित होता है। कर्सर को माउस द्वारा या की-बोर्ड पर स्थित कर्सर मूवमेंट बटन द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है।
➢ Double Click में माउस बटन को एक निश्चित समयांतराल के भीतर दो बार दबाना पड़ता है। यदि दो Click के बीच का अंतर कम्प्यूटर पर सेट किए गए समयांतराल (Time Period) से ज्यादा है, तो कम्प्यूटर इसे दो Single Click की तरह पढ़ता है। कम्प्यूटर साफ्टवेयर द्वारा दो Single Click के बीच के समयान्तराल को कम या ज्यादा किया जा सकता है।
➢ यूपीसी (UPC-Universal Product Code) जिसका प्रयोग अमेरिका के सुपर स्टोर में उत्पादों पर नजर रखने के लिए किया गया, सर्वाधिक प्रयोग में आने वाला बार कोड है। इसमें 10 लाइने होती हैं जिसमें प्रथम 5 उत्पादक तथा आपूर्तिकर्ता तथा अंतिम 5 उत्पाद की जानकारी देते हैं।
➢ लेजर (LASER – Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation) एक उच्च क्षमता का प्रकाशीय बीम है। कम्प्यूटर में लेजर बीम का उपयोग आप्टिकल डिस्क, बार कोड रीडर, लेजर प्रिंटर, फाइबर आप्टिक संचार आदि में किया जा रहा है। लेजर का आविष्कार थियोडर मेमैन (Theodore Maimane) ने 1960 में किया था।
➢ कम्प्यूटर मॉनीटर का आकार मॉनीटर के विकर्ण (Diagonal) की लंबाई के आधार पर मापा जाता है। इसे सामान्यतः इंच (Inch) में व्यक्त किया जाता है। इस प्रकार, 12 इंच लंबे तथा 9 इंच चौड़े मॉनीटर का आकार 15 इंच होगा।
➢ रंगीन इन्कजेट तथा लेज़र प्रिंटर में दो स्याही की बॉटल (Cartridge) प्रयोग की जाती है- काला और रंगीन।
➢ रंगीन स्याही बॉटल में तीन मूल रंग- लाल, नीला और ‘पीला (Red, Blue and Yellow) होता है जिनका सही मिश्रण कर आवश्यक रंग प्राप्त किया जाता है।
Lesson – 5 Input and Output Devices
1.सार्वत्रिक उत्पाद कूट (Universal product Code) का अंगीकरण किसके लिए किया गया है- (IAS/Pre/2020) (RAS/2019/Pre)
(a) भवनों में अग्नि सुरक्षा
(b) भूकम्प प्रतिरोधी भवनों के लिए कूट
(c) बारकूट
(d) खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम के लिए
उत्तर – (c)
2. निम्नलिखित में से किसने लेजर का आविष्कार किया- (IAS/Pre/2020)
(a) थियोडर मेमैन
(b) डेनिस पेपिन
(c) विलियम कोर्टन
(d) फ्रांसिस क्रिक
उत्तर – (a)
3. ध्वनि के पुनरुत्थान के लिए एक सीडी आडियो प्लेयर में प्रयुक्त होता है- (IAS/Pre/2020)
(a) टिस क्रिस्टल
(b) टाइरेनियम निडल
(c) लेजर बीम
(d) वेरियम टाइटेनिक सिरेमिक
उत्तर – (c)
4.डीपीआई (DPI) दर्शाता है-
(a) डॉट पर इंच
(b) डिजिट्स पर यूनिट
(c) डॉट्स पिक्सेल इंक
(d) डाइग्राम पर इंच
उत्तर – (a)
5. कम्प्यूटर स्क्रीन पर ब्लिंक करने वाले प्रतीक को कहते है
(a) माउस
(b) हार्डड्राइव
(c) प्वाइंटर
(d) कर्सर
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (d)
6. डेस्कटॉप छपाई में आमतौर पर किस प्रिंटर का प्रयोग किया जाता है-
(a) डेजी ह्वील प्रिंटर
(b) डाट मैट्रिक्स प्रिंटर
(c) लेजर प्रिंटर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
7. इनमें से कौन एक इनपुट डिवाइस नहीं है-
(a) की-बोर्ड
(b) माउस
(c) बार कोड
(d) कार्ड रीडर
उत्तर – (d)
8. कर्सर मूवमेंट बटन में इंड (End) का प्रयोग किया जाता है- (Ut UPCS/Mains/2001)
(a) कार्यक्रम का अंत करने के लिए
(b) कर्सर का कार्य समाप्त करने के लिए
(c) कर्सर को लाइन या पेज के अंत में ले जाने के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
9. टैब बटन का प्रयोग किया जाता है- 1. कर्सर को एक निश्चित दूरी तक कुदाने के लिए 2. टेबल या एक्सेल में एक खाने से दूसरे खाने में जाने के लिए 3. डायलॉग बाक्स में विकल्पों के चयन में इनमें से सही उत्तर चुनें-
(b) 1 और 2
(a) केवल 1
(c) 2 ओर 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर – (d)
10. कंट्रोल, आल्ट और डेल (Ctrl, Alt and Del) बटन का एक साथ प्रयोग किया जाता है-
(a) कम्प्यूटर को रीसेट करने के लिए (b) कम्प्यूटर की सूचना को समाप्त करने के लिए
(c) स्क्रीन की सूचना को नष्ट करने के लिए
(d) कभी नहीं
उत्तर – (a)
11. इनमें से कौन एक प्वाइंटिंग डिवाइस नहीं है-
(a) माउस
(b) ज्वास्टिक
(c) प्रकाशीय पेन
(d) स्कैनर
उत्तर – (d)
12. बैंकों में चेक व ड्राफ्ट में इसका प्रयोग किया जा रहा है-
(a) बार कोड
(b) माइकर
(c) ओएमआर
(d) यूपीसी
उत्तर – (b)
13. वस्तुनिष्ठ उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है-
(a) ओएमआर
(b) बार कोड
(c) माइकर
(d) प्रकाशीय पेन
उत्तर – (a)
14. डिजिटल कैमरा में प्रयोग होता है-
(a) एल ई डी
(b) फोटो डायोड
(c) प्रकाशीय फिल्म
(d) प्रकाशीय पेन
उत्तर – (b)
15. मॉनीटर के गुणवत्ता की पहचान की जाती है-
(a) डॉट पिच से
(b) रिजोल्यूशन से
(c) रिफ्रेश रेट से
(d) उपर्युक्त सभी से
उत्तर – (d)
16. इंक जेट प्रिंटर के रंगीन स्याही के बॉटल में मूल रंगों की संख्या होती है-
(a) 2
(b)3
(c) 4
(d) रंगों की प्रकृति पर निर्भर
उत्तर – (b)
17. लेजर प्रिंटर में प्रयोग होता है-
(a) लेजर बीम
(b) प्रकाशीय ड्रम
(c) आवेशित स्याही टोनर
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (d)
18. निम्न में से कौन सी एक यंत्र सामग्री नहीं है—
(a) प्रिंटर
(b) की-बोर्ड
(c) माउस
(d) प्रचालन तंत्र (Operating System)
उत्तर – (d)
19. दो प्रचलित आउटपुट डिवाइस हैं —
(a) मॉनीटर व प्रिंटर
(b) की-बोर्ड और माउस
(c) सीडी और फ्लापी
(d) स्कैनर व प्रिंटर
उत्तर – (a)
20. आब्जेक्ट की प्रोपर्टीज में जाने के लिए प्रयुक्त माउस टेक्निक हैं।
(a) डैगिंग
(b) ड्रापिंग
(c) राइट क्लिक
(d) लेफ्ट क्लिक
उत्तर – (c)
21. कम्प्यूटर की समस्त सूचनाएं या आउटपुट देखने के लिए किस डिवाइस का प्रयोग किया जाता है- (SBI / Clk-2009)
(a) मॉनीटर
(b) की-बोर्ड
(c) एएलयू
(d) सीपीयू
Ans.(a)
22. निम्नलिखित में से कौन सा आउटपूट का एक माध्यम है-
(a) स्कैनर
(b) माउस
(d) की-बोर्ड
(c) प्रिंटर
उत्तर – (c)
23. कम्प्यूटर सिस्टम में टेक्स्ट और न्यूमेरिकल डाटा प्रवेश कराने की सर्वाधिक सामान्य पद्धति है-
(a) की-बोर्ड
(b) स्कैनर
(c) प्रिंटर
(d) प्लॉटर
Ans.(a)
24. आउटपुट डिवाइसेज संभव बनाते हैं-
(a) डाटा देखना या प्रिंट करना (View of Print)
(b) डाटा स्कैन करना
(c) डाटा इनपुट करना
(d) डाटा भेजना
उत्तर – (a)
25. डाक्यूमेंट की हार्ड कॉपी तैयार की जाती है-
(a) प्रिंटर द्वारा
(b) फ्लॉपी द्वारा
(c) हार्ड डिस्क द्वारा
(d) सीडी द्वारा
उत्तर – (a)
26. निम्नलिखित में किस समूह में केवल इनपुट डिवाइस है-
(a) माउस, की-बोर्ड, मॉनीटर
(b) माउस, की-बोर्ड, प्रिंटर
(c) माउस, प्रिंटर, मॉनीटर
(d) माउस, की-बोर्ड, स्कैनर
उत्तर – (d)
27. स्कैनर स्कैन करता है-
(a) पिक्चर
(b) टेक्स्ट
(c) पिक्चर व टेक्स्ट दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
28. कम्प्यूटर पर गेम खेलना आसान बनाता है-
(a) माउस
(b) ज्वास्टिक
(c) की-बोर्ड
(d) पेन ड्राइव
उत्तर – (b)
29. साफ्ट कॉपी एक आउटपुट है तो हार्ड कॉपी है-
(a) भौतिक पुर्जा
(b) प्रिंटेड पुर्जा
(c) प्रिंटेड आउटपुट
(d) आउटपुट डिवाइस
उत्तर – (c)
30. Ctrl, Shift तथा Alt को कहते हैं-
(a) मोडिफायर की
(b) फंक्शन की
(c) अल्फान्यूमेरिक की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
31. किसी उत्पाद पर प्रिंटेड लाइनों के पैटर्न को कहते हैं-
(a) ओएमआर
(b) बार कोड्स
(c) ओसीआर
(d) स्कैनर
उत्तर – (b)
32. किसी विशिष्ट कार्य को करने के लिए कौन सा बटन (Key) किसी दसरे बटन (Key) के साथ काम्बिनेशन में प्रयोग किया जाता है
(a) फंक्शन
(b) कंट्रोल
(c) स्पेस बार
(d) एरो
उत्तर – (b)
33. इनमें से कौन उद्योग चुंबकीय स्याही गुण पहचान (MICR) का प्राथमिक उपयोगकर्ता है- (Utt. PCS, 2021)
(b) फुटवियर डिजाइन
(c) किताब छपाई
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
34. आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाली इनपुट डिवाइस है-
(b) सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट
(c) की-बोर्ड
(d) सेमीकंडक्टर
उत्तर – (c)
35. निम्नलिखित में से कौन-सा लेज़र प्रिंटर में प्रयुक्त होता है- (UPPSC (P), 2019); IAS 2020
(a) डाई (रंग) लेजर
(b) सेमी कण्डक्टर लेजर
(c) एक्साइयर लेजर
(d) गैस लेजर
उत्तर – (b)
36. निम्नलिखित में से कौन आजकल सबसे अधिक प्रयोग होने वाली इनपुट डिवाइस है- (Utt.PCS.2020)
(a) ट्रैक बाल
(b) स्कैनर
(c) माउस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
37. निम्नलिखित में से कौन-सा आउटपुट युक्ति (Output Device) नहीं है- (MPPSC (P) 2020)
(a) ड्रम पेन प्लॉटर
(b) सीआरटी मॉनीटर
(c) इयर फोन्स
(d) डिजिटल कैमरा
उत्तर – (d)
38. एक इन्टेलिजेन्ट टर्मिनल की क्या विशेषता होती है-
(a) इसमें माइक्रोप्रोसेसर होता है किंतु यूजर द्वारा इसका प्रोग्राम नहीं किया जा सकता।
(b) यह एक बड़े सीपीयू का प्रयोग करके छोटे डाटा प्रोसेसिंग कार्य को प्रोसेसर कर सकता है।
(c) यूजर को अंग्रेजी में जानकारी देता है।
(d) यूजर से डाटा प्राप्त नहीं कर सकता।
उत्तर – (a)
39. एक समानान्तर पोर्ट अधिकतर किसमें इस्तेमाल होता है ?
(a) मुद्रक या प्रिंटर
(b) मॉनीटर
(c) माउस
(d) भंडारण शक्ति
उत्तर – (a)
40. स्क्रीन पर डिस्प्ले किए गए पिक्सल्स (Pixels) की संख्या को कहते हैं-
(a) रिजोल्यूशन (Resolution)
(b) कलर डेप्थ
(c) रिफ्रेस रेट
(d) मॉनीटर
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
41. एक प्रकार के कैमरे जो कम्प्यूटर के साथ लगे रहते हैं, जिनका उपयोग वीडियो कान्फरेंसिंग, वीडियो चैटिंग और लाइव वेब ब्राडकास्ट के लिए होता है, कहलाते हैं-
(a) वेब कैम्स (Web Cams)
(b) वेब पिक्स
(c) ब्राउसर कैम्स
(d) ब्राउसर पिक्स
(c) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
42. OCR का पूरा रूप है-
(a)Optical Character Recognition
(b)Optical CPU Recognition
(c)Optimal Character Redesign
(d) Other Character Recognition
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
43. ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में स्टैंडर्ड प्वाइंटिंग डिवाइस के रूपप्रयोग में लायी जाती है-
(a) की-बोर्ड
(b) माउस
(c) ज्वास्टिक
(d) ट्रैकबाल
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (b)
44. कर्सर की मौजूदा स्थिति के बायीं ओर के एक कैरेक्टर को डिलीट (Delete) करने के लिए किस बटन का प्रयोग किया जाता है-
(a) बैकस्पेस
(b) डिलीट
(c) इन्सर्ट
(d) इस्केप
(e) कंट्रोल
उत्तर – (a)
45. की-बोर्ड पर स्थित किन कंजियों (Keys) से नंबर जल्दी टाइप किए जा सकते हैं-
(a) कंट्रोल, शिफ्ट व आल्ट
(b) फंक्शन
(c) न्यूमरिक की पैड
(d) टच पैड
(e) की-बोर्ड
उत्तर – (c)
46. कम्प्यूटर मॉनीटर के डिस्प्ले का आकार मापा जाता है-
(a) जिग जैग
(b) होरिजॉन्टली
(c) वर्टिकली
(d) डायगोनली (Diagonally)
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (d)
47. ……… का प्रयोग हाथ से लिखे या मद्रित टेक्स्ट तथा ग्राफिकल इमेज को डिजिटल रूप में बदलने के लिए किया जाता है, ताकि इसे मेमोरी में स्टोर किया जा सके-
(a) प्रिंटर
(b) लेजर बीम
(c) स्कैनर
(d) टचपैड (e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
48. …………. वॉयस डाटा (Voice data) को शब्दों में बदलकर उसे डिजिटल टेक्स्ट में रूपांतरित करता है ताकि उसे कम्प्यूटर समझ सके-
(a) स्पीच इनपुट हार्डवेयर
(b) टॉकिंग सॉफ्टवेयर
(c) वर्ड रिकॉग्नीशन सॉफ्टवेयर
(d) स्पीच रिकॉग्नीशन सॉफ्टवेयर
(e) एडोब रीडर
उत्तर – (d)
49. निम्नलिखित में से कौन-सा आउटपुट और इनपुट डिवाइस दोनों ही है-
(a) प्रिंटर
(b) स्पीकर
(c) माडेम
(d) मॉनीटर
(e) स्कैनर
उत्तर – (c) (c) प्रिंटर
50. पहला कम्प्यूटर माउस किसने बनाया था?
(a) डगलस एन्जलबर्ट
(b) विलियम इंग्लिश
(c) ओएनियल कूपर
(d) राबर्ट जवाकी
उत्तर – (a)
51. इनमें से कौन-सा प्वाइंट और ड्रा डिवाइस (Point and Draw) डिवाइस है-
(a) माउस
(b) स्कैनर
(d) सीडी रॉम
(e) की-बोर्ड
उत्तर – (a)
52. निम्नलिखित में से किस समूह में केवल आउटपुट डिवाइस है-
(a) स्कैनर, प्रिंटर, मॉनीटर
(b) की-बोर्ड, प्रिंटर, मॉनीटर
(c) माउस, प्रिंटर, मॉनीटर
(d) प्लाटर, प्रिंटर, मॉनीटर
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (d)
53. उस कुंजी को क्या कहते हैं जो कम्प्यूटर की मेमोरी से सूचना और स्क्रीन कैरेक्टरस को मिटा या इरेज (erase) कर देती है-
(a) एडिट (Edit)
(b) डिलीट (Delete)
(c) आउट (Out)
(d) ट्रस्ट (Trust)
(e) इस्केप (escape)
उत्तर – (b)
54. ट्रैक बाल उदाहरण है-
(a) प्रोग्रामिंग डिवाइस
(b) प्वाइंटिंग डिवाइस
(c) आउटपुट डिवाइस
(d) सॉफ्टवेयर डिवाइस
(e) प्रिंटिंग डिवाइस
उत्तर – (b)
55. माउस के दाएं बटन (Right Button) पर क्लिक करने से दिखाई देता है- (a) वहीं जो बायां बटन क्लिक करने से होता है
(b) एक विशेष मेन्यू (Menu)
(c) कुछ नहीं होता
(d) दाईं तरफ क्लिक नहीं हो सकता
(e) कम्प्यूटर स्लीप मोड में चला जाता है
उत्तर – (b)
56.माउस के दो मानक बटनों के बीच प्रयोग किया जाता है-
(a) वेब पेज पर क्लिक करने के लिए
(b) शट डाउन के लिए
(C) सेलेक्ट आइटम को क्लिक करने की विभिन्न पेजों पर जम्प करने के
(e) पेज को स्क्रॉल (Scroll) करने के
उत्तर – (e)
57. सामान्यतः, ‘पेरिफेरल इक्विपमेंट’ शब्द का प्रयोग किया जाता है
(a) कम्प्यूटर सिस्टम के साथ जोड़े गा
(b) बड़े पैमाने के कम्प्यूटर सिस्टम
(c) प्रोग्राम कलेक्शन के लिए
(d) कार्यालय के दूसरे उपकरणों के लिए
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
58. डंब टर्मिनल (Dumb Terminal) है-
(a) माइक्रो कम्प्यूटर
(b) नगण्य इंटेलिजेंस वाला टर्मिनल
(c) सेंट्रल कम्प्यूटर
(d) सीपीयू वाला टर्मिनल
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (b)
कंप्यूटर प्रश्नोत्तरी सवाल और जवाब