भारत के महापुरुष स्वामी विवेकानंद से संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी सवाल और जवाब Mcq Questions on Swami Vivekananda in Hindi
विवेक ने कहा, ‘तो फिर सुख-सुविधाओं की माँग मत कर। संसार के सुखों में उलझकर भगवान नहीं मिलता। भगवान मिलता है मन पर विजय प्राप्त करके, तपस्या और साधना से।’
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ था। इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ था। इनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। इनकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान् शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। बचपन से ही नरेंद्र अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के और नटखट थे। अपने साथी बच्चों के साथ तो वे शरारत करते ही थे, मौका मिलने पर वे अध्यापकों के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे। नरेंद्र के घर में नियमपूर्वक रोज पूजा-पाठ होता था। धार्मिक प्रवृत्ति की महिला होने के कारण माता भुवनेश्वरी देवीजी को पुराण, रामायण, महाभारत आदि की कथा सुनने का बहुत शौक था। कथावाचक बराबर इनके घर आते रहते थे। नियमित रूप से भजन-कीर्तन भी होता रहता था। परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेंद्र के मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे पड़ गए।
हमारे देश में गुरु-शिष्य की एक ऐसी लाजवाब जोड़ी रही है, जिसकी मिसाल आज पूरी दुनिया में दी जाती है। यह जोड़ी है, श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द की। स्वामी विवेकानन्द भारतीय चेतना के मंदिर के शिखर हैं तो उनकी नींव का पत्थर हैं उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस। वह पत्थर जो दिखाई तो नहीं देता लेकिन जिसके बिना महल के टिके रहने की कल्पना तक नहीं की जा सकती।
इसलिए जब-जब स्वामी विवेकानन्द को याद किया जाता है तो श्री रामकृष्ण परमहंस भी याद आते हैं। दोनों का रिश्ता गुरु-शिष्य संबंध की आदर्श मिसाल है। श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द के जीवन का एक ऐसा हिस्सा है, जिसे कभी उनसे अलग करके नहीं देखा जा सकता। श्री रामकृष्ण परमहंस के पास आकर विवेकानन्द की सत्य की खोज पूरी हुई और फिर उन्होंने अपने गुरु की शिक्षाओं को पूरे विश्व में फैलाया।
नरेन्द्र- विश्वनाथ (पिता) का अंश और राम व कृष्ण का सारांश थे। नरेन्द्र को गुरु के रूप में रामकृष्ण परमहंस मिले थे। इसके बाद जो लीला हुई, उसके बारे में जानकर आपको यह सीखना है कि सत्य के खोजी को अपने अंदर कौन-कौन से गुण विकसित करने चाहिए। रामकृष्ण परमहंस बेमिसाल गुरु हैं और स्वामी विवेकानन्द लाजवाब शिष्य। यहाँ पर गुरु ‘हृदय’ पर वास करते थे तो दूसरी तरफ विवेकानन्द ‘बुद्धि से परखते’ थे। यह एक अनोखा मेल था, जो इस जोड़ी को विशेष बनाता है। जिस तरह स्वामी विवेकानन्द रामकृष्ण परमहंस की बातों पर तर्क करते थे, उससे समझा जा सकता है कि वे अपने गुरु की बातें किस तरीके से सुनना चाहते थे।
ऐसा इसीलिए था क्योंकि वे ‘बुद्धिवादी’ थे। बचपन में नरेन्द्र दत्त के रूप में पहचाने जानेवाले स्वामी विवेकानन्द साहसी स्वभाव और खोजी प्रवृत्ति के बालक थे। जब वे अपनी माँ के पेट में थे तब उनकी माँ को सात्विक स्वप्न आया करते थे। वे देखा करती थीं कि शिवजी आए और उनकी गोद में बालक बनकर बैठ गए। ‘सत्य’ और ‘ईश्वर’ की तलाश में भटकते नरेन्द्र को श्री रामकृष्ण परमहंस ने दोनों का साक्षात्कार कराया और इस तरह वे गुरुदेव के चरणों में समर्पित हो गए। लेकिन नरेन्द्र ने श्री रामकृष्ण परमहंस को गुरु के रूप में यूँ ही स्वीकार नहीं कर लिया था, बल्कि एक तरफ तो उन्होंने गुरु को तर्कों की कसौटी पर कसा और दूसरी तरफ खुद को भी योग्य शिष्य के रूप में तैयार किया।
इसी का परिणाम था कि एक शिष्य के रूप में वे अपने गुरु से वह सब कुछ प्राप्त कर सके, जिससे अन्य शिष्य वंचित रह जाते हैं। इस महान भारतीय संन्यासी ने पूरी दुनिया को अपनी कर्मभूमि बनाया और अपने गुरु की प्रेरणा से विश्वभर में भारतीय संस्कृति, सभ्यता और धर्म का प्रचार किया। उन्होंने अपने ज्ञान व प्रतिभा से अनेकों बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया और अपने शुरुआती दौर में वे विदेशों में ‘द इंडियन मॉन्क’ नाम से मशहूर हुए।
स्वामी विवेकानन्द के जीवन की कुछ घटनाओं के बारे में जानकर हम उनके चरित्रबल से परिचित हो सकते हैं। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उनका चरित्र हमेशा बेदाग ही रहा। वे हमेशा सूरज की भाँति चमकते रहे और विश्वभर में ज्ञान का प्रकाश फैलाते रहे। श्री रामकृष्ण परमहंस के देहान्त के बाद विवेकानन्द ने उनकी स्मृति में ‘रामकृष्ण मठ’ और ‘श्री रामकृष्ण मिशन’ की शुरुआत की, जिसके द्वारा चलाए जा रहे अनेक स्कूल, अस्पताल और सामाजिक संस्थान आज भी मानवता की सेवा कर रहे हैं।
श्री रामकृष्ण परमहंस से ज्ञान प्राप्त कर, स्वामी विवेकानन्द एक महान विभूति के रूप में प्रसिद्ध हुए। ‘खुद महान बनो और दूसरों को भी महान बनाओ’ का संदेश देकर उन्होंने युवाओं को बहुत प्रेरित किया। उनका जीवन, कार्य और शिक्षाएँ आज भी सभी को प्रेरणा देती हैं। उन्होंने युवाओं को सत्य के रास्ते पर चलना और फल की कामना किए बिना सेवा करना सिखाया। इसीलिए उनका जन्मदिन 12 जनवरी को भारत में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
जहाँ हृदय और बुद्घि, दोनों का संगम होता है, वहाँ कैसी अनोखी अभिव्यक्ति हो सकती है, यह स्वामी विवेकानन्द के जीवन में दिखाई देता है।
विवेक यात्रा की शुरुआत
उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंज़िल प्राप्त न हो जाए।
हे शरीर, मन और बुद्धि के स्वामी! जब शरीर के साथ कुछ जुड़ता है तो शरीर महावीर बनता है,
जब मन के साथ कुछ जुड़ता है तो वह अ.प.ना. (अंकप, प्रेमन, निर्मल) मन बनता है,
जब बुद्धि के साथ कुछ जुड़ता है तो विवेक जागृत होता है और इन तीनों के जोड़ से जो मिलता है वह है विवेकानन्द! विवेक का आनंद पाने के लिए यह ‘कुछ’ क्या है जिसे हर चीज़ के साथ जोड़ना है? यही कुछ आपको इस पुस्तक में मिलने जा रहा है। इसे पूरे पुस्तक में ढूँढ़ें और स्वयं के साथ जोड़ें ताकि आपको भी विवेकानन्द मिले।
Mcq questions on Swami Vivekananda in Hindi
- स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता महानगर के किस मोहल्ले में हुआ था?
(क) चौरंगी लेन
(ख) सिमुलिया
(ग) बड़ा बाजार
(घ) बालीगंज
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद के पिताश्री का नाम था—
(क) श्री राममोहन दत्त
(ख) श्री दुर्गाचरण दत्त
(ग) श्री विश्वनाथ दत्त
(घ) श्री सुरेंद्रनाथ दत्त
Answer- ग
- कलकत्ता की गौर मोहन मुखर्जी स्ट्रीट प्रसिद्ध है, क्योंकि वहाँ पर—
(क) स्वामी विवेकानंद का मठ है
(ख) स्वामीजी ने रामकृष्ण मिशन का कार्यालय स्थापित किया था
(ग) स्वामी विवेकानंद का वह मकान है, जहाँ उनका जन्म हुआ
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- ग
- स्वामी विवेकानंद के दादाश्री का नाम क्या था?
(क) देवेंद्रनाथ दत्त
(ख) सुरेंद्रनाथ दत्त
(ग) दुर्गाचरण दत्त
(घ) अमलेंदु दत्त
Answer- ग
- स्वामी विवेकानंद की माताजी का नाम था—
(क) राजेश्वरी देवी
(ख) भुवनेश्वरी देवी
(ग) विंध्येश्वरी देवी
(घ) परमेश्वरी देवी
Answer- ख
- दत्त परिवार का पुश्तैनी व्यवसाय क्या था?
(क) वकालत
(ख) अध्यापन
(ग) व्यापार
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ग
- स्वामी विवेकानंद का पूर्ववर्ती नाम क्या था?
(क) महेंद्रनाथ दत्त
(ख) नरेंद्रनाथ दत्त
(ग) सिद्धार्थ
(घ) सुरेंद्रनाथ दत्त
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद के संबंध में इनमें से कौन सा कथन सही है?
(क) स्वामीजी के पिता एक विख्यात अध्यापक थे
(ख) स्वामीजी के दादा ने पच्चीस वर्ष की उम्र में संन्यास ले लिया था
(ग) स्वामीजी के पूर्वज बहुत गरीब एवं पढ़े-लिखे नहीं थे
(घ) स्वामीजी के दादाजी अच्छे संगीतज्ञ थे
Answer- ख
- स्वामीजी के जन्म की तारीख निम्न में से क्या है?
(क) 12 जनवरी, 1863
(ख) 15 जनवरी, 1863
(ग) 18 जनवरी, 1863
(घ) 14 जनवरी, 1863
Answer- ग
- जिस दिन स्वामीजी का जन्म हुआ, उस दिन कौन सी तिथि थी?
(क) माघ पूर्णिमा
(ख) मकर संक्रांति
(ग) एकादशी
(घ) मौनी अमावस्या
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद के पिता आर्थिक दृष्टि से संपन्न और सामाजिक दृष्टि से प्रतिष्ठित थे।
(क) उपर्युक्त कथन अर्द्धसत्य है
(ख) उपर्युक्त कथन पूर्ण सत्य है
(ग) उपर्युक्त कथन असत्य है
(घ) उपर्युक्त कथन आंशिक असत्य है
Answer- ख
- स्वामीजी का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कब हुआ था?
(क) प्रातःकाल सूर्योदय के समय
(ख) रात्रि में 12 बजे
(ग) सायंकाल सूर्यास्त के समय
(घ) दोपहर में
Answer- क
- स्वामीजी की माँ भुवनेश्वरी देवी बहुत धर्मपरायण महिला थीं।
उन्होंने पुत्र की प्राप्ति के लिए निम्न में से किस देवता की आराधना की थी?
(क) भगवान् श्रीकृष्ण
(ख) भगवान् शंकर
(ग) भगवान् श्रीहनुमान
(घ) भगवती काली माता
Answer- ख
- बालक नरेंद्रनाथ की शिक्षा-दीक्षा किस उम्र में प्रारंभ की गई थी?
(क) चार वर्ष
(ख) तीन वर्ष
(ग) पाँच वर्ष
(घ) सात वर्ष
Answer- ग
- स्वामीजी के बारे में निम्न में से कौन सा कथन असत्य है?
(क) बालक नरेंद्रनाथ बाल्यावस्था में ही साधु-संन्यासियों के प्रति बहुत आकर्षित होते थे
(ख) बालक नरेंद्र बाल्यावस्था में बहुत चंचल, नटखट और स्वच्छंद स्वभाव के थे
(ग) बालक नरेंद्र बाल्यावस्था में ही ध्यान लगाने लगे थे
(घ) बालक नरेंद्र को प्रारंभ से ही क्रिकेट खेलने में बड़ी रुचि थी
Answer- घ
- बालक नरेंद्रनाथ की माँ भुवनेश्वरी देवी बाल्यावस्था में उन्हें ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ के कथा-प्रसंग सुनाया करती थीं। इन प्रसंगों को सुनकर जिस चरित्र से बालक नरेंद्रनाथ सबसे अधिक प्रभावित हुआ था, उसे बताएँ—
(क) भगवान् शंकर
(ख) श्रीहनुमानजी
(ग) श्रीकृष्ण
(घ) भगवान् विष्णु
Answer- ख
- ‘‘मैं एक महान् पिता का पुत्र हूँ।’’ यह कथन विवेकानंद अपने पिता के बारे में सगर्व कहते थे—उसका कारण निम्न में से क्या था?
(क) स्वामीजी के पिता बहुत विद्वान् और शंकर के भक्त थे
(ख) स्वामीजी के पिता कलकत्ता के सफल अधिवक्ता थे
(ग) उन्होंने अपने निवास-स्थान ‘दत्त भवन’ में बहुत सारे लोगों को आश्रय दे रखा था और वे उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे
(घ) स्वामीजी के पिता के पास बहुत धन, वैभव व ऐश्वर्य था और समाज में उनकी बड़ी प्रतिष्ठा थी
Answer- ग
- स्वामीजी के पैतृक निवास का नाम क्या था?
(क) विश्वनाथ भवन
(ख) दत्त भवन
(ग) भुवनेश्वरी
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- स्वामीजी के बारे में इनमें से कौन सा कथन सत्य है?
(क) बाल्यकाल से ही बालक नरेंद्रनाथ में साधुओं-फकीरों को दान देने की प्रवृत्ति बहुत थी
(ख) नरेंद्रनाथ बाल्यकाल से ही बहुत सीधे, सौम्य और मृदुभाषी थे
(ग) बालक नरेंद्र प्रारंभ से ही जाति-प्रथा के समर्थक बन गए थे
(घ) बालक नरेंद्र को घोड़ागाड़ी में चढ़ना बिलकुल भी पसंद नहीं था
Answer- क
- बाल्यकाल में नरेंद्रनाथ जिस व्यक्ति से सबसे अधिक प्रभावित हुए और फिर उसी का अनुकरण करने का संकल्प लिया था, वह कौन था?
(क) अपने शिक्षक
(ख) अपने पिता
(ग) अपनी गाड़ी के कोचवान
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ग
- स्वामीजी प्रथम जिस स्कूल में पढ़े, उसका नाम क्या था?
(क) सेंट जोसेफ
(ख) सेंट एलफर्ड
(ग) मेट्रोपोलियन इंस्टीट्यूशन
(घ) सेंट विल्सन
Answer- ग
- सन् 1877 में चौदह वर्ष की अवस्था में नरेंद्रनाथ अपने पिता के साथ कलकत्ता छोड़कर किस स्थान पर गए थे?
(क) नागपुर
(ख) कानपुर
(ग) रायपुर
(घ) बिलासपुर
Answer- ग
- स्वामीजी को अपनी आयु के किस वर्ष में पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ था?
(क) पंद्रह वर्ष
(ख) सोलह वर्ष
(ग) सत्रह वर्ष
(घ) बीस वर्ष
Answer- ख
- स्वामीजी ने अपने बाल्यकाल में सबसे पहले किस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करके पुरस्कार प्राप्त किया था?
(क) निशानेबाजी
(ख) मुक्केबाजी
(ग) तीरंदाजी
(घ) कबड्डी
Answer- ख
- बालक नरेंद्रनाथ का रायपुर से कलकत्ता पुनरागमन उनकी आयु के किस वर्ष में हुआ था?
(क) सोलह वर्ष
(ख) अठारह वर्ष
(ग) उन्नीस वर्ष
(घ) बीस वर्ष
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद के गुरु के रूप में श्रीरामकृष्ण परमहंस का नाम बड़े आदर से लिया जाता है, उनकी जन्मतिथि क्या है?
(क) 18 फरवरी, 1926
(ख) 17 फरवरी, 1936
(ग) 20 फरवरी, 1930
(घ) 17 फरवरी, 1935
Answer- ख
- श्रीरामकृष्ण परमहंस बंगाल के किस जिले के रहनेवाले थे?
(क) कलकत्ता
(ख) हुगली
(ग) बर्दवान
(घ) चौबीस परगना
Answer- ख
- श्रीरामकृष्ण परमहंस के गाँव का नाम बताएँ।
(क) कामारपुकुर
(ख) विश्व निकेतन
(ग) कालीबाड़ी
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- श्रीरामकृष्ण जिस मंदिर के पुजारी बने, उसे किसने बनवाया था ?
(क) रानी रासमणि
(ख) रानी कंचनमणि
(ग) रानी चित्रांगदा
(घ) रानी भानुमति
Answer- क
- श्रीरामकृष्ण जिस मंदिर में पुजारी थे, वह कलकत्ता में किस स्थान पर स्थित था?
(क) दक्षिणेश्वर
(ख) सिद्धेश्वर
(ग) पूर्णेश्वर
(घ) हुबली
Answer- क
- श्रीरामकृष्ण परमहंस सिद्ध संत थे। तत्कालीन समय में उन्होंने सबसे पहले ब्राह्मसमाज के किस बड़े नेता को प्रभावित किया था?
(क) प्रतापचंद मजूमदार
(ख) केशवचंद्र सेन
(ग) विनय कृष्ण
(घ) राजा राममोहन राय
Answer- क
- बालक नरेंद्रनाथ ने अपनी किशोरावस्था में सबसे पहले किस संगठन की सदस्यता ग्रहण की थी?
(क) ब्राह्मसमाज
(ख) साधारण ब्राह्मसमाज
(ग) अध्यात्म समाज
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- साधारण ब्राह्मसमाज और ब्राह्मसमाज के सिद्धांतों में मूल अंतर क्या था?
(क) ब्राह्मसमाज मूलतः हिंदू-विरोधी था, जबकि साधारण ब्राह्मसमाज का मूल उद्देश्य हिंदू-विरोधी न होकर उसको सुधारना था
(ख) ब्राह्मसमाज मूलतः राजा राममोहन राय के सिद्धांतों और आदर्शों पर चलता था, जबकि साधारण ब्राह्मसमाज में ऐसा अनिवार्य नहीं था
(ग) ब्राह्मसमाज ईसाई धर्म का बखान करता था और साधारण ब्राह्मसमाज में ऐसा नहीं था
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- क
- स्वामी विवेकानंद ने किस वर्ष में प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लेकर अपनी आगे की पढ़ाई शुरू की थी?
(क) विल्सन कॉलेज
(ख) प्रेसीडेंसी कॉलेज
(ग) जनरल एसेंबली कॉलेज
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- युवा नरेंद्रनाथ का सर्वाधिक प्रिय विषय क्या था, जिसमें उन्हें लोगों की प्रशंसा प्राप्त हुई थी?
(क) साहित्य
(ख) दर्शन एवं धर्म
(ग) इतिहास
(घ) समाज-शास्त्र
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद को उनके अन्नप्राशन से पहले उनके माता-पिता किस नाम से पुकारते थे?
(क) सिद्धेश्वर
(ख) सोमेश्वर
(ग) वीरेश्वर
(घ) विश्वेश्वर
Answer- घ
- सन् 1880 में अठारह वर्ष की अवस्था में एफ.ए. की पढ़ाई के लिए नरेंद्रनाथ को बीमारी के कारण प्रेसीडेंसी कॉलेज छोड़ना पड़ा था। उसके बाद उन्होंने किस कॉलेज में प्रवेश लिया था?
(क) जनरल एसेंबली कॉलेज
(ख) विल्सन कॉलेज
(ग) हिंदू कॉलेज
(घ) डी.ए.वी. कॉलेज
Answer- क
- जनरल असेंबली कॉलेज के उस प्राचार्य का नाम बताइए, जो नरेंद्रनाथ को बहुत प्रिय थे और वे स्वयं दर्शन तथा अध्यात्म के प्रकांड विद्वान् थे?
(क) विलियम ब्राउन
(ख) विलियम हेस्टी
(ग) प्रो. राइट जे.एच.
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- कलकत्ता के उन प्रसिद्ध चिकित्सक का नाम बताइए, जिन्होंने युवा नरेंद्र को श्रीरामकृष्ण के पास जाकर सत्य की प्राप्ति का मार्ग जानने को कहा?
(क) कृपाशंकर दत्त
(ख) रामचंद्र दत्त
(ग) विष्णु दत्त
(घ) सत्येंद्रनाथ दत्त
Answer- ख
- श्री नरेंद्रनाथ दत्त के अलावा ब्राह्मसमाज के वह दूसरे व्यक्ति कौन थे, जिन्हें श्रीरामकृष्ण काफी स्नेह करते थे और बाद में वह ‘स्वामी ब्रह्मानंद’ के नाम से प्रसिद्ध हुए?
(क) विजय कृष्ण
(ख) राखाल चंद्र घोष
(ग) सत्येंद्र घोष
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- ‘‘भाव में मैंने देखा कि जिस शक्ति से केशव ने प्रतिष्ठा अर्जित की है, उसी प्रकार की अठारह शक्तियाँ नरेंद्र में हैं। केशव और विजय में ज्ञान-दीप जल रहा है, नरेंद्र में ज्ञान-सूर्य विद्यमान है।’’ यह कथन किसका है?
(क) श्रीरामकृष्ण परमहंस
(ख) महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर
(ग) राखाल चंद्र घोष
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- नरेंद्रनाथ कितने वर्षों तक अपने पिता श्री विश्वनाथ के साथ रायपुर में रहे?
(क) तीन वर्ष
(ख) चार वर्ष
(ग) दो वर्ष
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ग
- नरेंद्रनाथ ने किस घटना से क्षुब्ध होकर ब्राह्मसमाज में जाना छोड़ दिया था?
(क) ब्राह्मसमाज की शिक्षाएँ उन्हें अनुकूल नहीं लगीं
(ख) ब्राह्मसमाज के एक कार्यक्रम में जहाँ नरेंद्रनाथ पहले से मौजूद थे, उनसे मिलने श्रीरामकृष्ण जब पहुँचे तो वहाँ के लोगों ने श्रीरामकृष्ण परमहंस का यथोचित सम्मान नहीं किया
(ग) ब्राह्मसमाज सनातन धर्म का अधिक विरोधी हो गया था
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- श्रीरामकृष्ण परमहंस ने जब नरेंद्रनाथ को पहली बार स्पर्श किया था, तब नरेंद्रनाथ को अपूर्व अनुभूति कैसे हुई थी?
(क) नरेंद्रनाथ पर शक्तिपाद किया गया है और उन्हें ऐसा लगा कि उनके अंदर शक्तियों का स्रोत बह रहा है
(ख) नरेंद्रनाथ को ऐसा लगा कि वे अनंत आकाश में उड़े जा रहे हैं
(ग) नरेंद्र को ऐसा लगा कि दीवार समेत सारी चीजें बड़े वेग से घूमती हुई न जाने कहाँ विलीन होती जा रही हैं और समूचे विश्व के साथ-साथ वे भी अपने अस्तित्व के साथ महाशून्य में विलीन होने के लिए बड़ी तेजी से बढ़ते चले जा रहे हैं
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- ग
- स्वामी विवेकानंद के बारे में निम्न कथन किसने कहा था? ‘‘नरेंद्रनाथ दत्त ध्यानसिद्ध महापुरुष है, सप्तर्षि मंडल का एक ऋषि है। जिस दिन उसे इस बात का एहसास हो जाएगा, उसी दिन वह इस लोक में नहीं रहेगा।’’
(क) रामकृष्ण परमहंस
(ख) योगी अरविंद
(ग) देवेंद्रनाथ ठाकुर
(घ) केशवचंद्र सेन
Answer- क
- युवा नरेंद्रनाथ ने बी.ए. करने के बाद आगे किस विषय का अध्ययन किया था?
(क) एम.ए.
(ख) बी.एल.
(ग) संस्कृत से आचार्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- नरेंद्रनाथ दत्त के पिता श्री विश्वनाथ का निधन किस वर्ष हुआ था?
(क) सन् 1887
(ख) सन् 1886
(ग) सन् 1885
(घ) सन् 1884
Answer- घ
- नरेंद्रनाथ के पिता का जब अवसान हुआ, उस समय उनकी आर्थिक स्थिति कैसी थी?
(क) आर्थिक स्थिति अच्छी थी
(ख) दानवीर होने के कारण उनके ऊपर कुछ हजार रुपयों का कर्ज था
(ग) आर्थिक स्थिति कमजोर थी
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- क
- इनमें से कौन सा कथन सत्य है?
(क) पिता की मृत्यु के बाद नरेंद्रनाथ दत्त के निकट संबंधियों ने उनके मकान को हथिया लेने के लिए मुकदमा कर दिया था
(ख) पिता की मृत्यु के बाद नरेंद्रनाथ ने नौकरी करनी प्रारंभ कर दी
(ग) पिता की मृत्यु के बाद नरेंद्रनाथ के संबंधियों ने मिलकर उनके परिवार को उनके मकान से बाहर कर दिया था
(घ) इनमें से कोई भी नहीं
Answer- क
- पिता की मृत्यु के बाद उनके मन में एक बार संसार को छोड़ देने का विचार क्यों आया था?
(क) वे अपने घर-परिवार की समस्याओं से तंग आ गए थे
(ख) उन्हें संसार से वैराग्य हो गया था
(ग) उनकी माँ ने उन्हें एक बार बहुत अधिक प्रताडि़त किया था
(घ) उनका मानना था कि उनका जन्म एक महान् उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हुआ है और वह है अखंड सच्चिदानंद की प्राप्ति। अतः संसार को छोड़ना ही श्रेयस्कर होगा।
Answer- घ
- पिता की मृत्यु के बाद नरेंद्रनाथ को एक बार उनके गुरु रामकृष्ण ने अपने परिवार के लिए दो जून का रोटी-कपड़ा माँ काली से माँगने के लिए कहा था। उस समय उन्होंने माँ काली से क्या माँगा था?
(क) माँ धन दो, संपत्ति दो और समृद्धि दो
(ख) माँ विवेक दो, वैराग्य दो, ज्ञान दो एवं भक्ति दो
(ग) सांसारिक सुख-वैभव और ऐश्वर्य दो
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- ख
- विवेकानंद की माँ ने निम्न उलाहना विवेकानंद को किस समय दिया था— ‘‘चुप रहो मूर्ख, तुम बचपन से ही भगवान्-भगवान् चिल्लाते रहे हो। क्या है भगवान्, उसने तुम्हारे लिए क्यों कुछ नहीं किया? वह तुम्हारी तकलीफों को दूर क्यों नहीं करता?’’
(क) पिता की मृत्यु के बाद जब नरेंद्रनाथ का परिवार भुखमरी के दिन बिता रहा था
(ख) पिता की मृत्यु के समय
(ग) पिता के बीमार पड़ने पर
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- बालक नरेंद्र से श्रीरामकृष्ण परमहंस उसकी किन विशेषताओं के कारण प्रभावित हुए थे?
(क) बालक नरेंद्र की बातचीत करने की कला से
(ख) बालक नरेंद्र के शरीर सौष्ठव से
(ग) बालक नरेंद्र की आँखों में बसी पवित्रता, अनन्यता से परिपूर्ण समर्पण की भावना और सरलता से
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- ग
- बालक नरेंद्र को देखकर स्वामी रामकृष्ण ने क्या पूछा था?
(क) क्या उसे नींद आने से पहले प्रकाश की कोई किरण दिखाई देती है?
(ख) क्या उसे सोते वक्त आँख बंद करते ही चमकता गोला दिखाई देता है?
(ग) क्या कभी उसे कानों में घंटानाद सुनाई देता है?
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- क
- एक बार दक्षिणेश्वर में नरेंद्र के जाने पर श्रीरामकृष्ण ने निम्न में से कौन से वाक्य बोले थे?
(क) नरेंद्र, तुम रोज दक्षिणेश्वर क्यों नहीं आते, ताकि हम दोनों बैठकर सत्संग किया करें?
(ख) नरेंद्र, तुम गरीबों की सेवा करने के लिए पैदा हुए हो
(ग) देखो, तुम्हारे अंदर शिव विराजमान है, मुझमें शक्ति का निवास है। ये दोनों एक ही हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ग
- नरेंद्र को लेकर श्रीरामकृष्ण के बीच शिष्य-गुरु संबंध दूसरे अन्य शिष्यों से अलग थे—
(क) रामकृष्ण चाहते थे कि उनके अन्य शिष्य सभी प्रकार से कुछ नियमों का पालन करें
(ख) रामकृष्ण चाहते थे कि उनके दूसरे शिष्य सभी प्रकार के नियमों व संकल्पों का पालन करें
(ग) रामकृष्ण का कहना था कि नरेंद्र प्रारंभ से ही नित्य सिद्ध और अनुभव में निष्णात है, अतः उसे कर्मकांड और नियमों के पालन की आवश्यकता नहीं है
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- ‘‘जब कमल खिलता है, तब भौंरे मधु की तलाश में अपने आप पहुँचते हैं। अस्तु, तुम्हारा चरित्र कमल पूर्णतः विकसित हो, सैकड़ों लोग तुम्हारे पास शिक्षा लेने आएँगे।’’ विवेकानंद के बारे में यह उक्ति किस महापुरुष की है?
(क) स्वामी दयानंद
(ख) राजा राममोहन राय
(ग) स्वामी रामकृष्ण परमहंस
(घ) केशवचंद्र सेन
Answer- ग
- रामकृष्ण के सामने यदि कोई बालक नरेंद्र की आलोचना या उसे बुरा बताता था तो रामकृष्ण एकदम उसे डाँटकर निम्न में से क्या कहकर चुप करा देते थे—
(क) अरे, तुम भगवान् की निंदा कर रहे हो
(ख) अरे, तुम क्यों शिव-निंदा कर रहे हो, चुप हो जाओ
(ग) अरे, तुम्हें पाप लगेगा, नरेंद्र को कुछ मत कहो
(घ) नरेंद्र को कुछ कहना अर्थात् ईश्वर को गाली देना है
Answer- ख
- अनंदा गुहा का नरेंद्र (विवेकानंद) से क्या संबंध था?
(क) वे विवेकानंद के बचपन के दोस्त थे
(ख) वे विवेकानंद के शिक्षक थे
(ग) वे विवेकानंद के पड़ोसी थे
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- क
- स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1884 में किन कारणों से अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी?
(क) उनका पढ़ने में मन नहीं लगता था और साधना में अधिक रुचि रखते थे
(ख) उनको एक अच्छी जगह नौकरी मिल गई थी
(ग) उनके गुरु रामकृष्ण बीमार पड़ गए और उनकी सेवा-शुश्रूषा करने के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ग
- जब श्रीरामकृष्ण की तबीयत खराब हो गई थी तो उनके भक्तों ने उनको दक्षिणेश्वर से लाकर किस स्थान पर रखा था?
(क) कलकत्ता के उपनगर काशीपुर में
(ख) वराह नगर में
(ग) बरा नगर में
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- वर्ष 1899 के प्रारंभ में स्वामीजी की क्या गतिविधियाँ थीं?
(क) वे शारीरिक दृष्टि से अस्वस्थ थे और बैद्यनाथ देवघर में स्वास्थ्य-लाभ के साथ-साथ सामाजिक जागरण के लिए चिंतन करते थे
(ख) वे बैद्यनाथ देवघर में ऐकांतिक साधना में लीन हो गए थे
(ग) वे बैद्यनाथ देवघर में हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए विद्वानों तथा समाज के अग्रणी लोगों से विचार-विमर्श कर रहे थे
(घ) वे बैद्यनाथ देवघर में भगवान् शंकर का अनुष्ठान करने के लिए गए थे
Answer- क
- वर्ष 1886 में नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद) ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा किन ग्रंथों के अध्ययन से प्रारंभ की थी?
(क) ऋग्वेद
(ख) श्रीमद्भगवद्गीता
(ग) उपनिषद् एवं अष्टावक्र संहिता
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ग
- अप्रैल 1886 में युवा नरेंद्र की इच्छा हुई थी कि वे बोधगया, जहाँ भगवान् बुद्ध को परम ज्ञान प्राप्त हुआ था, ds अपने किन दो गुरु भाइयों के साथ वे बोध गए थे?
(क) केशवचंद्र और विजयकृष्ण
(ख) तारक और काली
(ग) विविदिशानंद और अखंडानंद
(घ) स्वामी ब्रह्मानंद तथा अद्भुतानंद
Answer- ख
- स्वामी रामकृष्ण ने किस वर्ष नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद) को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था?
(क) वर्ष 1886
(ख) वर्ष 1885
(ग) वर्ष 1884
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- बोधगया में भगवान् बुद्ध की तपस्थली के दर्शन करने के बाद नरेंद्र ने कितने दिनों की साधना की थी?
(क) सात दिन
(ख) पाँच दिन
(ग) तीन दिन
(घ) नौ दिन
Answer- ग
- रामकृष्ण संघ की स्था पना किस वर्ष में की गई थी?
(क) वर्ष 1885
(ख) वर्ष 1886
(ग) वर्ष 1884
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- श्रीरामकृष्ण परमहंस का देहांत 16 अगस्त, 1886 को हुआ था, उस दिन भारतीय पंचांग के अनुसार क्या तिथि थी?
(क) एकादशी
(ख) प्रदोष
(ग) भूलन पूर्णिमा
(घ) अमावस्या
Answer- ग
- श्रीरामकृष्ण परमहंस के निर्वाण का समय क्या था?
(क) मध्य रात्रि
(ख) मध्य दिवस
(ग) गोधूलि वेला (सूर्यास्त)
(घ) सूर्योदय
Answer- क
- जिस समय परमहंस श्रीरामकृष्ण देव का देहांत हुआ, उस समय वे कितने वर्ष के थे?
(क) 50 वर्ष
(ख) 51 वर्ष
(ग) 60 वर्ष
(घ) 55 वर्ष
Answer- ख
- ‘‘आओ और प्रत्यक्ष की उपलब्धि करो। अगर तुम लोग काम-कंचन त्याग सको तो तुम्हें व्यर्थ के वाक्य व्यय नहीं करने होंगे। तुम्हारा हृदय-कमल खिल उठेगा। तुम्हारे भाव चारों तरफ विकीर्ण होंगे। जो भी तुम्हारे पास आएगा, उसे ही तुम्हारा धर्म-भाव स्पर्श करेगा।’’ यह उपदेश किस महापुरुष का है?
(क) स्वामी विवेकानंद
(ख) शंकराचार्य
(ग) रामकृष्ण परमहंस
(घ) स्वामी दयानंद
Answer- ग
- रामकृष्ण परमहंस के देह-त्याग के बाद स्वामी विवेकानंद अपने गुरु भाइयों के साथ किस स्थान पर रहने के लिए चले गए थे?
(क) वराह नगर के मकान में
(ख) काशीपुर
(ग) दक्षिणेश्वर
(घ) इनमें से कहीं नहीं
Answer- क
- रामकृष्ण संघ के संन्यासियों ने मठ की स्थापना सबसे पहले कहाँ की थी?
(क) दक्षिणेश्वर
(ख) वराह नगर मठ
(ग) बेलूर मठ
(घ) काशीपुर मठ
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित प्रथम रामकृष्ण मठ की स्थापना की मुख्य विशेषता क्या थी?
(क) वह किराए के एक मकान में स्थापित किया गया था
(ख) वह भुतहा मकान था
(ग) उसमें श्रीरामकृष्ण परमहंस के अस्थि अवशेष रखे गए थे और उसकी रोज पूजा होती थी
(घ) वह बिलकुल निर्जन और वीरान क्षेत्र में था
Answer- ग
- रामकृष्ण परमहंस के वे कौन से भक्त थे, जिन्होंने स्वामी विवेकानंद से रामकृष्ण परमहंस के अस्थि अवशेष सौंप देने को कहा था?
(क) अविनाथ दत्त
(ख) महात्मा रामचंद्र दत्त
(ग) सुरेंद्रनाथ दत्त
(घ) गोपाल दत्त
Answer- ख
- रामकृष्ण परमहंस के देहावशेष के ताम्र कलश की रखवाली की जिम्मेदारी उनके दो बाल शिष्यों पर थी। उनके नाम क्या थे?
(क) निरंजन और शशि
(ख) गोपाल और निरंजन
(ग) शशि और सुदर्शन
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- रामकृष्ण के जिन गृहस्थ भक्तों ने स्वामीजी से परमहंस के देहावशेष सौंप देने को कहा था, उसके पीछे उनका उद्देश्य क्या था?
(क) वे देहावशेष पर एक मंदिर का निर्माण करना चाहते थे
(ख) वे देहावशेष को अपने साथ रखना चाहते थे
(ग) वे देहावशेष को एक समाधि-स्थल के रूप में रखना चाहते थे
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के देहावशेष गृह भक्तों को सौंप दिए थे। बाद में उसका क्या किया गया?
(क) उन दोनों ने मिलकर उक्त देहावशेष को गंगा में विसर्जित कर दिया
(ख) श्रीरामकृष्ण के अस्थि-भस्म को ताँबे के कलश में रखकर उसे काँकुड़गाछी के योगोद्यान में स्थापित कर दिया गया था
(ग) उक्त ताम्रपात्र को श्रीरामकृष्ण के परिवारवालों को सौंप दिया था
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- ख
- वराह नगर मठ में स्वामी विवेकानंद के साथ परमहंस के अन्य प्रिय भक्तगण भी रहते थे, उनमें सबसे मुख्य थे—
(क) गुरुभाई गोपाल
(ख) सुरेंद्रनाथ मित्र
(ग) तारक
(घ) लाटू
Answer- ख
- नरेंद्रनाथ ने ‘विवेकानंद’ नाम तो बहुत बाद में ग्रहण किया था। उससे पहले वे किस नाम से जाने जाते थे, जब उन्होंने संन्यास ग्रहण किया?
(क) विविदिशानंद
(ख) आत्मानंद
(ग) रामानंद
(घ) भूमानंद
Answer- क
- ‘‘मनुष्य गढ़ना ही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। यही हमारी एकमात्र साधना है। विद्या का वृथा गर्व छोड़ दो। भले ही कोई मतवाद सबसे श्रेष्ठ हो अथवा कोई तर्क सूक्ष्म युक्तिवाला हो, ईश्वर की अनुभूति ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य है।’’ स्वामीजी का यह कथन किस समय का है?
(क) जब वे वराह नगर मठ में अपने बाल सखाओं और मित्रों के साथ बातचीत करते थे
(ख) यह कथन उनके शिकागो भाषण का अंश है
(ग) ये वाक्य उनके अमेरिका प्रवास से लौटने पर कहे गए हैं (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- क
- रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद वराह नगर मठ में संन्यासियों के लिए घोर अभाव की स्थिति पैदा हो गई। उस समय स्वामीजी के किस गृहस्थ शुभचिंतक सखा व गुरुभाई ने उनके पालन-पोषण का दायित्व लिया था?
(क) गंगाधर
(ख) सुरेंद्रनाथ मित्र
(ग) हरिप्रसन्न
(घ) गिरीश चंद्र घोष
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद ने वराह नगर मठ छोड़कर तीर्थयात्रा के लिए कब प्रस्थान किया?
(क) सन् 1888 के प्रारंभ में
(ख) सन् 1888 के अंत में
(ग) सन् 1889 में
(घ) सन् 1889 के प्रारंभ में
Answer- क
- स्वामी विवेकानंद के मठ छोड़ने से पहले किस बाल संन्यासी ने मठ छोड़कर वृंदावन की ओर पैदल ही प्रस्थान किया था?
(क) शारदा प्रसन्न
(ख) हरिनाथ
(ग) हरि प्रसन्न
(घ) लाटू
Answer- क
- रामकृष्ण की शिष्य मंडली जब वराह नगर मठ में आकर रहने लगी, उस समय सभी ने संन्यास ग्रहण कर लिया था। उनमें सबसे पहले मठ त्यागनेवाले संन्यासी का नाम क्या था?
(क) स्वामी शिवानंद
(ख) स्वामी प्रेमानंद
(ग) स्वामी त्रिगुणातीतानंद
(घ) स्वामी सुबोधानंद
Answer- ग
- वराह नगर मठ को वर्ष 1888 के प्रारंभ में अंतिम बार छोड़ने से पहले भी स्वामीजी दो बार मठ से किसी अज्ञात स्थान पर गए थे। उन स्थानों के नाम बताइए?
(क) औटपुर एवं सिमुलतल
(ख) वृंदावन
(ग) बोधगय
(घ) काशीपुर
Answer- क
- सन् 1888 के प्रारंभ में स्वामीजी वराह नगर छोड़कर कहाँ पर आ पहुँचे थे?
(क) बिहार
(ख) उड़ीसा
(ग) मिदनापुर
(घ) गंगासागर
Answer- क
- स्वामी विवेकानंद बिहार राज्य का भ्रमण करते हुए काशीधाम पहुँचे। वहाँ वे किस आश्रम में रहे थे?
(क) द्वारकादास आश्रम
(ख) अवधूत आश्रम
(ग) मानस मंदिर
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- काशी में किस विख्यात स्वामी के साथ उनका वाद-विवाद हुआ था?
(क) स्वामी भास्करानंद
(ख) स्वामी तैलंग
(ग) स्वामी अखंडानंद
(घ) स्वामी हरिकेशानंद
Answer- क
- स्वामीजी के संबंध में वाराणसी में निम्न उक्ति किसने कही थी—‘‘इसके कंठ पर सरस्वती विराजमान है। इसके हृदय में ज्ञानलोक प्रदीप्त हुआ है।’’
(क) स्वामी शांतानंदजी
(ख) स्वामी भास्करानंदजी
(ग) स्वामी तैलंग
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
- स्वामी विवेकानंद के साथ बंदरोंवाली घटना किस शहर में हुई थी, जब उनके पीछे कुछ बंदर लग गए थे और वे भाग रहे थे तथा किसी संन्यासी ने उनको कहा, ‘‘ठहरो, डटकर सामना करो!’’
(क) काशी
(ख) वृंदावन
(ग) चित्रकूट
(घ) मिर्जापुर
Answer- क
- सन् 1888 में काशी प्रवास के बाद स्वामीजी फिर वहाँ से कहाँ गए थे?
(क) कलकत्ता
(ख) वापस वराह नगर
(ग) प्रयाग
(घ) दक्षिणेश्वर
ANSWER – ख
- काशी से वराह नगर वापस लौटने पर स्वामीजी ने क्या संकल्प लिया था?
(क) स्वामी रामकृष्ण की स्मृति में एक मंदिर का निर्माण करेंगे
(ख) वेद, वेदांत, पुराण का अध्ययन एवं धर्म का प्रचार करेंगे
(ग) वेदांत दर्शन के, आत्मा के दिव्यत्व तथा जगत् के अखंडत्व को ग्रंथों तक सीमित न रखकर जीवन की परेशानियों से जूझ रहे आम आदमी में उसका घर-घर जाकर प्रचार करेंगे
(घ) वेद-वेदांग पर भाष्य लिखेंगे
Answer- ग
- वराह नगर से स्वामीजी जब पुनः काशी पहुँचे, तब उनके गुरुभाई स्वामी अखंडानंद ने उनका परिचय संस्कृत के किस विद्वान् से कराया था?
(क) बाबू प्रमददास मित्र
(ख) बाबू यतींद्रनाथ
(ग) पारसनाथ
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- क
- अगस्त 1888 में काशी प्रवास के बाद स्वामीजी ने दंड-कमंडलु लेकर संन्यासी वेश में उत्तर प्रदेश के किन स्थानों का प्रवास किया?
(क) अयोध्या, लखनऊ एवं वृंदावन
(ख) प्रयाग, लखनऊ एवं मथुरा
(ग) अयोध्या, प्रयाग एवं गोकुल
(घ) लखनऊ, हरिद्वार एवं वृंदावन
Answer- क
- स्वामीजी ने उत्तर प्रदेश प्रवास के दौरान किस स्थान पर किसी भंगी से चिलम पिलाने की प्रार्थना की थी?
(क) लखनऊ जाते समय
(ख) अयोध्या से वृंदावन जाते समय
(ग) लखनऊ एवं वाराणसी के बीच में
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- ख
- एक बार प्रवास के समय स्वामीजी एक कुंड-स्नान कर रहे थे। उसी दौरान बंदर उनका कोपीन उठाकर भाग गया। उस समय उनके पास केवल एक ही कोपीन था और वे जल में निर्वस्त्र स्नान कर रहे थे। उस कुंड का नाम बताएँ?
(क) हरजी कुंड
(ख) राधा कुंड, गोवर्धन
(ग) प्रेम सरोवर, बरसाना
(घ) देह कुंड, ऊँचागाँव
Answer- ख
- राधा कुंड में स्नान करते हुए बंदर द्वारा उनका कोपीन ले जाने के बाद निर्वसन स्वामीजी को वस्त्र की प्राप्ति कैसे हुई?
(क) माँगने पर बंदर ने कोपीन वापस कर दिया
(ख) निर्वसन स्वामीजी जंगल में गए और वहाँ कुछ दूर जाने पर किसी अजनबी व्यक्ति ने आकर उन्हें गैरिक वस्त्र और कुछ भोज्य सामग्री प्रदान की
(ग) बंदर पेड़ पर कोपीन छोड़कर भाग गया
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer- ख
- राधा कुंड, गोवर्धन प्रवास के समय भूख-प्यास से व्याकुल स्वामीजी को रास्ते में कौन मिला था?
(क) हाथरस रेलवे स्टेशन मास्टर
(ख) मथुरा रेलवे स्टेशन मास्टर
(ग) गोवर्धन के सरपंच
(घ) वृंदावन के साधु-संत
Answer- क
- राधा कुंड, गोवर्धन के प्रवास के समय स्वामीजी जब भूख-प्यास से व्याकुल होकर एक वृक्ष के नीचे बैठे थे, उस समय उन्हें हाथरस के रेलवे स्टेशन मास्टर मिले थे और स्वामीजी को अपने घर हाथरस ले गए थे। उनका नाम बताइए।
(क) मोहनलाल गुप्त
(ख) शरत चंद्र गुप्त
(ग) प्रेम शंकर चतुर्वेदी
(घ) इनमें से कोई नहीं
Answer- ख
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Question .9 ka answer 18/01/1863 nahi hogya
iska correct answer hogya 12/01/1863