Chhattisgarh kala Evam Sanskriti GK Question Answer – 2024
छत्तीसगढ़ लोकगीत,लोकनृत्य,लोकनाट्य, लोककथाएँ, लोक चित्रकला, लोक कलाकार,सम्मान, लोक परम्पराएँ, धर्म, संस्कृति एवं प्रमुख मेले
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- ददरिया को छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का राजा’ भी कहा जाता है।
- छत्तीसगढ़ का सर्वाधिक प्रचलित लोकगीत ददरिया गीत हैं।
- छत्तीसगढ़ की लोक सांस्कृतिक जागरण का प्रतीक चंदैनी गोंदा को माना जाता है।
- ‘लोरिक और चंदा‘ की प्रेम कथा का गायन चंदैनी में गाया जाता है।
- सन्यास और श्रृंगार की लोककथा छत्तीसगढ़ के भरथरी गायन में मिलती है। |
- प्रसिद्ध रानी पिंगला की कथा का गायन भरथरी लोकगीत में होता है।
- प्रसिद्ध लोकगायक चिंतादास भरथरी लोकगायन से संबद्ध है।
- छत्तीसगढ़ में सुरुजबाई खांडे भरथरी की प्रसिद्ध गायिका है।
- लोकगीत एवं लोकनृत्य की अद्भूत समन्वित शैली पंडवानी है। |
- ‘पंडवानी‘ की विषय वस्तु महाभारत पर आधारित होती है।
- छ.ग. में पण्डवानी सबल सिंह चौहान (रतनपुर) के छत्तीसगढ़ी महाभारत पर आधारित है।
- ‘छत्तीसगढ़ी लोक बैले’ पण्डवानी को कहा जाता है।
- रागी’ नामक कलाकार छत्तीसगढ़ की पंडवानी कला में होता है।
- छत्तीसगढ़ में पंडवानी का गुरु-गायक झाडूराम देवांगन को माना जाता है।
- तीजनबाई के पंडवानी गुरु बृजलाल पारथी रहे हैं।
- तीजनबाई मनमोहना सांस्कृतिक कार्यक्रम मंडली की संचालिका है।
- छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध गायिका तीजनबाई पंडवानी कापालिक शैली में गाती है।
- ऋतु वर्मा पंडवानी गायन से संबंधित है।
- छत्तीसगढ़ी नाचा का भीष्म-पितामह’ दाऊ दुलारसिंह मंदराजी को माना जाता हैं।
- पद्मश्री गोविन्द निर्मलकर छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी के ख्यातिलब्ध कलाकार हैं।
- छ.ग. के प्रसिद्ध नाचा कलाकार मदन निषाद राजनांदगांव जिले के निवासी है।
- श्याम बेनेगल की फिल्म ‘चरनदास चोर‘ में मुख्य नायक (चोर) मदन निषाद थे।
- कंवर जनजाति सोहर नृत्य के लिए विशेष प्रसिद्ध है।
- कल्याण दास कत्थक नृत्य से जुड़े महान् कलाकार थे।
- ‘ककसार‘ मुख्यतः मुड़िया जनजाति का नृत्य है।
- ‘बिलमा‘ नृत्य बैगा जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है।
- पं. कार्तिकराम नृत्य विधा के कलाकार हैं।
- श्याम कुमार निनोरिया चित्रकला क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्तित्व है।
- रामहृदय तिवारी प्रसिद्ध लोकनाट्य ‘कारी के निर्देशक थे।
- छत्तीसगढ़ी बोली में पहली बार सन् 1963 में फिल्म बनायी गयी थी।
- प्रसिद्ध नायिका सुलक्षणा पंडित एवं विजेता पंडित छ.ग. के रायगढ़ जिले से है।
- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध ख्याल गायक विष्णुकृष्ण जोशी थे।
- बस्तर की धुरवा जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य परब नृत्य है।
- जे.एस. व्ही दानी चित्रकला क्षेत्र में ख्यातिलब्ध हैं।
- बस्तर हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
- घड़वां कला के लिये बस्तर संभाग प्रसिद्ध है।
- विजय बरठे कोरबा के प्रसिद्ध चित्रकार माने जाते हैं।
- बस्तर के के.पी. मंडल काष्ठ कला के लिए ख्यातिलब्ध हैं।
- प्रसिद्ध कलाकार जयदेव बघेल कोंडागाँव के रहने वाले हैं।
- बांस गीत राऊत जाति का प्रमुख गीत हैं।
- राऊतों की विशेष प्रकार की बांसुरी को मोहराली कहते हैं।
- तबले से मिलता-जुलता छोटा यंत्र दमऊ हैं।
- कालीदास रंगकर्म पुरस्कार हबीब तनवीर ने 1989-90 में प्राप्त किया था।
- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकार झितरुराम लौह शिल्प में दक्ष है।
- केदार यादव छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक-गायक थे।
- छत्तीसगढ़ में लखनघाट का मेला जांजगीर जिले में मनाया जाता है।
- छत्तीसगढ़ में दहकी गीत होली के अवसर पर गाया जाता है।
- हुलकी मुरिया जनजाति का प्रसिद्ध लोकनृत्य है।
- छत्तीसगढ़ में वत्सला पामकर ठुमरी गायिका के रुप में प्रसिद्ध थी।
- छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध ‘रहस’ प्रसिद्ध रास-लीला हैं।
- ‘लोरिक-चंदा’ दाऊ महासिंह चंद्राकर के निर्देशन में प्रारंभ हुआ था।
- विमलेन्दु मुखर्जी की ख्याति सितार वादन क्षेत्र में है।
- देवदासी सुतनुका एवं देवदत्त की गाथा पाली भाषा में रामगढ़ पहाड़ी की गुफा में उत्कीर्ण है।
- छत्तीसगढ़ के ठा. लक्ष्मण सिंह देश के प्रसिद्ध ख्यातिलब्ध मृदंग वादक थे।
- डॉ. (कु.) सरयू कालेकर संगीत क्षेत्र से संबंधित हैं।
- श्रीमती ममता चन्द्राकर प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीत गायिका हैं।
- भैराप्रसाद श्रीवास्तव ध्रुपद गायन में देश के ख्यातिलब्ध कलाकार थे।
- कल्याण प्रसाद शर्मा चित्रकारी क्षेत्र में ख्यातिलब्ध थे।
- छत्तीसगढ़ में डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा रेडियो रुपक के प्रमुख हस्ताक्षर माने जाते हैं। |
- छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध प्रभाकुमारी पंडवानी गायिका विधा की कलाकार हैं।
- प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के रहवासी थे।
- छत्तीसगढ़ के बुधादित्य मुखर्जी को ब्रिटेन के ‘हाउस ऑफ कॉमन’ में सितार वादन तथा सितार पर ‘टप्पा’ बजाने वाले प्रथम भारतीय वादक कहलाने का गौरव प्राप्त है।
- राजा चक्रधर सिंह तालतोय’ संगीत ग्रन्थ के रचनाकार हैं।
- बिरजू महाराज का जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ था।
- प्रसिद्ध कलामंच नवा-बिहान’ संस्था के संस्थापक केदार यादव थे।
- डॉ. अरुण कुमार सेन का संबंध संगीत क्षेत्र से हैं।
- मोम क्षय प्रक्रिया का प्रयोग छ.ग. की घड़वा कला प्रसिद्ध कला में होता है।
- पं. पचकौड़ प्रसाद पाण्डेय (बाजा मास्टर) हारमोनियम वाद्य के प्रसिद्ध वादक थे।
- प्रसिद्ध कलाकार खुमान साव का संबंध संगीत क्षेत्र से हैं।
- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकार झितरुराम काष्ठ शिल्प कला शिल्प मे दक्ष हैं।
- प्रसिद्ध लोक कलाकार गोविन्दराम झारा रायगढ़ जिले के रहवासी हैं।
- बस्तर के देवगाँव का रामा-मुरिया काष्ठ-शिल्प कलाक्षेत्र में प्रसिद्ध हैं।
- सतीश जैन (छत्तीसगढ़ी फिल्म-निर्देशक) भानुप्रतापपुर के निवासी हैं।
- सोनाबाई रजवार का सम्बन्ध मूर्तिकला क्षेत्र से हैं।
- ‘सुवनीदादर’ लोकगीत ऋतु संबंधी हैं।
- थापटी नृत्य कोरकू जनजाति का प्रमुख नृत्य है।
- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध संगीतकार ठाकुर लक्ष्मण सिंह रायगढ़ जिले के रहवासी हैं।
- छत्तीसगढ़ी के प्रशांत कमल दिवाकीर्ति प्रसिद्ध वास्तुशिल्पी है।
- पारम्परिक चित्रकार खेमदास वैष्णव का जन्म दंतेवाड़ा में सन् 1958 में हुआ था।
- छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का नगरनार ग्राम मृत्तिका शिल्प का प्रमुख केन्द्र माना जाता है।
- ‘रहस’ अनुष्ठानिक नाट्य विद्या बिलासपुर संभाग में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं।
- छत्तीसगढ़ी लोक नाट्य ‘रहस’ 9 से 11 दिनों का कार्यक्रम हैं।
- छत्तीसगढ़ में नचौनी नारी विरह-वेदना, संयोग-वियोग के रसों से सम्बधित लोकगीत है।
- छत्तीसगढ़ी ददरिया गीत को ग्रियर्सन ने वन भजन (फारेस्ट डिटाइज) कहा है।
- बार नृत्य कॅवर जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है।
- चुलमाटी गीत बिहाव गीत संस्कार गीत का प्रमुख गीत हैं।
- छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध शिल्पग्राम बस्तर संभाग के कोण्डागाँव में है।
- बहुचर्चित फिल्म ‘पीपली लाइव’ में मुख्य किरदार ओंकार दास मानिकपुरी ने निभाई है।
- केसरी प्रसाद बाजपेयी (बरसाती भैय्या) छ.ग. के प्रसिद्ध उद्घोषक थे।
- प्रसिद्ध कलाकार देवदास बंजारे की ख्याति पंथी नर्तक कला क्षेत्र में हैं।
- भारत के वायसराय ने सन् 1935 में राजा चक्रधर सिंह के बेजोड़ तबला वादन से प्रभावित होकर संगीत सम्राट’ की उपाधि से विभूषित किया था।
- वेरियर एल्विन ने छ.ग. के गौर नृत्य को विश्व का सबसे सुन्दरम नृत्य’ कहा है।
- दण्डामी माड़िया जनजाति गौर नृत्य करती है।
- छत्तीसगढ़ में संस्कृति और संगीत का अभेदगढ़ खैरागढ़ को मानते हैं।
- मांदरी युवागृह घोटुल का सर्वप्रथम नृत्य है।
- दोरला जनजाति द्वारा विवाह के समय पेदुल नृत्य किया जाता है।
- भड़म भारिया जनजाति का नृत्य है।
- गेंड़ी नृत्य मुड़िया आदिवासियों में प्रसिद्ध नृत्य है, जिसे वे ‘डिटोंग‘ कहते हैं।
- ‘सोनहा- बिहान‘ के संस्थापक दाऊ महासिंह चंद्राकर थे।
- लोकनृत्य ‘दोरला दोरला जनजाति का पारम्परिक नृत्य है।
- चैत्र मास के पूर्णिमा में उरांव जनजाति द्वारा सरहुल नृत्य किया जाता है।
- मुरिया जनजाति का प्रसिद्ध गीत रेला गीत है।
- छत्तीसगढ़ में ‘पठौनी-विवाह प्रथा’ लड़की बारात लेकर लड़के के घर आती हैं।
- परब नृत्य एक सैनिक नृत्य है जो धुरवा जनजाति में प्रचलित है।
- छत्तीसगढ़ राज्य में मुक्ताकाश सांस्कृतिक संग्रहालय अभनपुर में स्थापित किया जा रहा है।
- मुरिया विवाह का प्रमुख संस्कार माहला है।
- विश्व प्रसिद्ध बस्तर के दशहरा पर्व में खींचे जाने वाले दो मंजिले ऊँचे लकड़ी के रथ निर्माण के समय प्रथम लकड़ी का पाटा बस्तर के बिलोरी ग्राम से लाया जाता है।
- लाटा को छत्तीसगढ़ी का लालीपॉप’ कहा जाता है।
- छत्तीसगढ़ में बाल विधवाओं के विवाह को गवन विवाह कहते हैं।
- सोहर गीत, बिहाव गीत, पठौनी गीत संस्कारों के हिसाब से प्रमुख छत्तीसगढ़ी लोकगीत हैं।
- चुलमाटी, तेलमाटी, मायामौरी, नहहौर, परघनी, भड़ौनी, व भांवर दहेज व विदा गीत बिहाव गीत का प्रमुख भाग है।
- फाग छत्तीसगढ़ में बसंत ऋतु में गाया जाने वाला प्रमुख लोकगीत हैं।
- नयी फसल के स्वागत में छेरछेरा गीत उत्सव मनाया जाता है।
- ‘एबालतोर‘ नृत्य मुड़िया जनजाति द्वारा नारायणपुर मेला के समय उत्सव पर गाया जाता है।
- दामाखेड़ा कबीर पंथियों का धर्मनगर है।
- बांधवगढ़ धनी धर्मदास की जन्म स्थली हैं।
- जैन सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल नागपुरा में स्थित हैं।
- महाप्रभु वल्लभाचार्य ने वैष्णव मत का प्रचार किया।
- संत वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग चलाया।
- संत गुरु घासीदास ने सतनाम ‘पंथ’ का प्रवर्तन किया।
- पंथी में गुरु घासीदास का चरित्र गायन होता है।
- प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर के पुजारी ठाकुर वर्ग के है।
- छत्तीसगढ़ का गुप्त प्रयाग’ शिवरीनारायण को कहा जाता है।
- प्राचीन काल में डोंगरगढ़ की बम्लेश्वरी देवी को माँ महेश्वरी के नाम से पुकारा जाता था।
- दंतेश्वरी मंदिर शंखिनी/डंकिनी नदियों के संगम पर स्थित है।
- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली की प्रसिद्ध दरगाह स्थित है।
- सन् 1953 में छत्तीसगढ़ में सतनाम धरम संत समाज की स्थापना गाहिरा गुरु ने की थी।
- बस्तर का प्रसिद्ध दशहरा मेला अक्टूबर माह में आयोजित होता है।
- अक्षय तृतीया के समय छत्तीसगढ़ में पुतरा-पुतरी पर्व मनाया जाता है।
- गोबर-बोहरानी पर्व मुख्य रुप से दन्तेवाड़ा जिले में मनाया जाता है।
- अमँस तिहार पशु औषधियों की पूजा अर्चना से संबंधित है।
- हरेली का त्यौहार सावन मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
- बच्चे गेड़ी पर हरेली त्यौहार में चढ़ते है।
- बस्तर दशहरा में दंतेश्वरी माता की पूजा होती है।
- छेरछेरा पौष मास के पूर्णिमा के दिन बच्चे एक दूसरे के घर धान मांगने जाते हैं।
- छत्तीसगढ़ में दशहरा बस्तर में विशेष परम्परागत रुप से मनाया जाता है।
- छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध हरेली-त्यौहार’ सावन माह में मनाया जाता हैं।
- छत्तीसगढ़ में धुलेड़ी’ पर्व होली के बाद मनाया जाता हैं।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक मेले मार्च-अप्रैल माह में लगते हैं।
- ‘मदकुद्वीप’ छत्तीसगढ़ में मसीही मेला के कारण प्रसिद्ध हैं।
- ‘कनकी’ का मेला छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में लगता है।
- प्रसिद्ध शिवरीनारायण मेला फरवरी माह में आयोजित होता है।
- बस्तर संभाग की प्रथम मड़ई (मेला) जगदलपुर से 22 मील दूर केशरपाल ग्राम से प्रारम्भ होती है।
- विश्व प्रसिद्ध बस्तर का दशहरा मेला पुरषोत्तम देव काकतीय नरेश के समय से प्रारम्भ हुआ था।
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