सुरजी गाँव योजना : नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना क्या है | Chhattisgarh Yojana

सुरजी गाँव योजना : नरवा, गरवा, घुरवा और बारी KYA HAI

छत्तीसगढ़ में सुरजी गाँव योजना कब शुरू की गई थी?

: 01 जनवरी 2019

सुरजी गाँव योजना का उद्देश्य क्या है

किसानो तथा ग्रामीणों की व्यक्तिगत आय में वृद्धि करना ।

·         योजना की शुरुआत : 01 जनवरी 2019

·         योजना का नारा : नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी ।

·         प्रमुख उद्देश्य : ग्रामीण अर्थव्यवस्था की परंपरागत घटकों को सरंक्षित एवं पुनर्जीवित करते हुए गाँव को राज्य की अर्थव्यवस्था के केंद्र मे लाना, इसके साथ ही पर्यावरण में सुधार करते हुए किसानो तथा ग्रामीणों की व्यक्तिगत आय में वृद्धि करना ।

·         चहुमुखी कृषि विकास एवं किसान कल्याण हेतु अभिनव पहल।

प्रमुख प्रावधान : इसके तहत जलवायु की चुनौतियों से निपटने के लिए भी विभिन्न कदम उठाए जाएंगे और राज्य में वृक्षारोपण, मिट्टी के बांध, खेती की मेढ़े, कुएं और तालाब बनाए जाएंगे।

पंचायतों की भूमिका : योजना के क्रियान्वयन मे पंचयतों की विशेष भूमिका होगी। 

1. नरवा कार्यक्रम

राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए इस योजना में नदी-नालों को पुर्नजीवन ने का भी काम किया जा रहा है। नदी-नालों के पुर्नजीवन से किसानों को सिंचाई के लिए जहां भरपुर पानी मिलेगा वहीं किसान दोहरी फसल भी ले सकेंगे। 

उद्देश्य –

ü  योजना का प्रमुख उद्देश्य नरवा संरक्षण के माध्यम से कृषि एवं कृषि संबंधित गतिविधि को बढ़ावा देना है, जिससे ग्रामीणों हेतु रोजगार निर्माण एवं कृषि में आय वृद्धि करना है।

ü  योजना का उद्देश्य ग्रामीणों के जीवन में खुशहाली लाना है। इस हेतु योजना क्रियान्वयन में ग्रामीणों एवं विभिन्न संस्थाओं की गहन सहभागिता सुनिश्चित करना है।

ü  जल स्त्रोतों का संरक्षण एवं उनको पुनर्जीवित करना, ताकि सतही जल (Surface Water) बहकर अन्यत्र न जाए तथा भू-गर्भीय जल में वृद्धि हो ।

प्रावधान –

v  इसके तहत छोटी-छोटी अधोसंरचना का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा योजना से किया जाएगा।

v  वन क्षेत्र में आने वाली समस्त सरचनाओं का निर्माण वन विभाग के कैम्पा योजना के अंतर्गत वन विभाग द्वारा किया जाएगा।

v  गैर वन क्षेत्र में अगर अधोरंचना के निर्माण की लागत 20 लाख रुपये से ऊपर हो तो उसका निर्माण सिंचाई, ग्रामीण यान्त्रिकी सेवा विभाग द्वारा किया जाएगा।

v  इसके तहत राज्य के 02 से अधिक जलाशयों के वैज्ञानिक ढंग से विकास का लक्ष्य रखा गया हैं।  

2. गरुवा कार्यक्रम

v  इसके तहत ग्राम पंचायत स्तर पर गोचर भूमि आरक्षित कर गौठानों एवं चारागाहों का निर्माण किया जा रहा है। 

v  इसके अतिरिक्त गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई जिससे जैविक खेती को बढ़ावा, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के नये अवसरों का निर्माण, गोपालन एवं गो-सुरक्षा को बढ़ावा देने क साथ-साथ पशु पालकों को आर्थिक रूप से लाभान्वित किया जा रहा है।

उद्देश्य –

प्रदेश के गौवंशीय-भैंसवंशीय पशुधन को गौठानो के माध्यम से एक स्थान पर छाया, शुद्ध पेयजल, सूखा एवं हरा चारा उपलब्ध कराना है।

प्रावधान –

v  इसके तहत प्रत्येक विकासखंड में एक ‘मॉडल गौठान’ बनाया जा रहा है।

v  5 हजार गौठानों के विकास का लक्ष्य, 1905 गौठान निर्मित तथा 2700 चिन्हांकित।

v  जैविक खेती तथा पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई गोधन न्याय योजना का संचालन इन्हीं गौठानों के माध्यम से किया जा रहा है।

v  इसके तहत 2 रू. किलो की दर से गोबर खरीदी कर स्वसहायता समूहों के माध्यम से जैविक खाद बनाया जा रहा है।

3. घुरुवा कार्यक्रम

उद्देश्य –

कृषि तथा जैविक अपशिष्टों से जैविक खाद का निर्माण कर किसानों को उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना है, ताकि रासायनिक खाद के उपयोग को प्रचलन से बाहर कर भूमि की उर्वरता बढ़ाई जा सके। कृषि उत्पादकता तथा कृषि आय में वृद्धि की जा सके।

·         योजना के तहत स्थानो का चयन : ग्राम पंचायत द्वारा।

·         लाभार्थी :  ऐसे कृषक परिवार जिनके पास पर्याप्त पशुधन उपलब्ध हो और जिनके घर के बाड़ी में घुरुवा के लिए जगह हो ।

वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक ढंग से घुरूवा निर्माण हेतु निम्नानुसार घटक होगें :

1. भू-नाडेप / नाडेप टांका निर्माण।

2. वर्मी पिट / टांका निर्माण।

3. वेस्ट डिकम्पोजर व ट्राइकोडर्मा उपयोग को प्रोत्साहन।

4. बायोगैस संयंत्र निर्माण।

5. खाद्यान और चरा दोहरे उद्देश्य वाली फसलों का विस्तार। 

6. खेतों की मेंड पर चारा वाली फसलों का विस्तार

7. चारागाह विकास

8. प्रशिक्षण

4. बाड़ी कार्यक्रम

उद्देश्य –

पारंपरिक घरेलू बाड़ियों में सब्जियों तथा फल-फूल के उत्पादन को बढ़ावा देकर गांवों में पोषक आहारों की उपलब्धता बढ़ाना। घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ व्यावसायिक स्तर पर भी सब्जी तथा फल-फूल का उत्पादन करना, ताकि ग्रामीणों को अतिरिक्त आय हो सके।

लाभार्थी –

v  प्रथमतः ऐसे कृषक / परिवार जिनके घर पर बाड़ी है और बाड़ी में सुरक्षा व्यवस्था तथा सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो।

v  ऐसे कृषक / परिवार जिनके घर पर बाड़ी के लिए जगह है किन्तु बाड़ी की गतिविधि नहीं कर रहे हैं।

v  ग्राम के गरीब तबके और कमजोर वर्गों के परिवारों के बसाहट क्षेत्र में जहां बाड़ी हेतु भूमि उपलब्ध हो।

प्रावधान –

v  राज्य पोषित नदी कछार / तटों पर लघु सब्जी उत्पादक समुदायों प्रोत्साहन योजनांतर्गत सब्जी / मसाला वर्गीय फसलों के बीज उपलब्ध कराए जायेंगे।

v  शासकीय उद्यान रोपणियों में मनरेगा योजना अंतर्गत तैयार विभिन्न प्रजातियों के फलदार एवं लाईव फेन्सिंग में प्रयुक्त होने वाले प्रजाति जैसे मेंहदी, करौंदा, नीबू, क्लोरोडेन्ड्रान, ड्यूरेंटा, एकलीफा एवं सस्बेनिया आदि कृषकों को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।

v  बीपीएल एवं लघु सीमांत कृषकों की बाड़ी में 500 वर्गमीटर क्षेत्र में टपक सिंचाई संयंत्र स्थापित करने पर इकाई लागत 18 हजार पर 75 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का प्रावधान है।

योजना के क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तर पर गठित समिति :

समिति के अध्यक्ष – मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन

समिति के सदस्य – अपर मुख्य सचिव वन विभाग, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, अपर मुख्य सचिव कृषि विभाग, सचिव मुख्य मंत्री कार्यालय, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग ।  

नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी विषय हेतु उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समितिराज्य स्तरीय कार्यकारी समितियां
नरवा कार्यक्रम कार्यकारी समिति –अध्यक्ष – अपर मुख्य सचिव वन विभाग (छ.ग.)।गरुवा कार्यक्रम कार्यकारी समिति –अध्यक्ष – अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (छ.ग.)।घुरवा कार्यक्रम कार्यकारी समिति –अध्यक्ष – अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (छ.ग.)। बाड़ी कार्यक्रम कार्यकारी समिति –अध्यक्ष – अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त (छ.ग.)। 
नोट : जिला स्तर पर क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर होंगे । 

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