चालुक्य वंश का इतिहास chalukya vansh gk questions and answers

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 Chalukya Vansh gk HINDI

कर्नाटक शासक, चालुक्यों के इतिहास को तीन कालों में बांटा जा सकता है :

  •  1) प्रारंभिक पश्चिम काल (छठी – 8वीं शताब्दी) बादामी (वातापी) के चालुक्य; 
  •  2) पश्चात् पश्चिम काल (7वीं – 12वीं शताब्दी) कल्याणी के चालुक्य; 
  • 3) पूर्वी चालुक्य काल (7वीं – 12वीं शताब्दी) वेंगी के चालुक्य 
  1. पुलकेशिन प्रथम (543-566) बादामी चालुक्य वंश का प्रथम शासक था जिसकी राजधानी बीजापुर में वातापी थी. 
  2.   कीर्तिवर्मा प्रथम (566-596) उसका उत्तराधिकारी था. जब इसकी मृत्यु हुई तब राजकुमार पुलकेशिन द्वितीय बच्चा था इसलिए सिंहासन खाली रहा और राजा के भाई मंगलेश (597-610), को संरक्षक शासक के रूप में नियुक्त किया गया. कई वर्षों तक उसने राजकुमार की हत्या के कई असफल प्रयास किए किन्तु अंततः राजकुमार और उसक मित्रों द्वारा स्वयं की हत्या करवा ली.
  3.   पुलकेशिन प्रथम का पुत्र, पुलकेशिन द्वितीय (610-642), हर्षवर्धन का समकालीन था और चालुक्य का सबसे प्रसिद्द रजा हुआ. उसका शासनकाल कर्नाटक के इतिहास का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है. उसने नर्मदा के तट पर हर्षवर्धन को पराजित किया.
  4.   कोसल और कलिंग पर आधिपत्य के पश्चात्, पुलकेशिन द्वितीय के भाई कुब्ज विष्णुवर्धन द्वारा पूर्वी चालुक्य वंश (वेंगी) की स्थापना हुई
  5. .   631 तक चालुक्य साम्राज्य का विस्तार इस समुद्र से उस समुद्र तक हो चुका था. हालाँकि 642 में पल्लव शासक नरसिंहवर्मा प्रथम ने चालुक्य राजधानी बादामी पर आक्रमण कर दिया और पुलकेशिन द्वितीय को परास्त कर उसकी हत्या कर दी.
  1.   चालुक्यों का उभार एक बार पुनः हुआ जब विक्रमादित्य प्रथम (655-681), ने अपने समकालीन पांड्य,पल्लव, चोल और केरल के शासकों को परास्त कर उस क्षेत्र में चालुक्यों की सर्वोच्चता स्थापित की.
  2.   विक्रमादित्य द्वितीय (733-745) ने पल्लव साम्राज्य के एक बड़े क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाने के लिए पल्लव राजा नंदीवर्मा द्वितीय को परस्त किया.
  3. विक्रमादित्य द्वितीय का पुत्र, कीर्तिवर्मा द्वितीय (745), राष्ट्रकूट वंश के संस्थापक दंतीदुर्ग द्वारा हर दिया गया.

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