छत्तीसगढ़ की बोलियाँ सामान्य ज्ञान
- छत्तीसगढ़ में लगभग 93 भाषा, बोलियों का व्यवहार होता है। राज्य में सर्वाधिक छत्तीसगढ़ी एवं इसके बाद हल्बी बोली का प्रयोग किया जाता है,
- छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में मुख्यतः आर्य भाषा समूह का प्रयोग होता है जबकि ज्यादातर जनजातीय क्षेत्रों में मुख्यतः द्रविड भाषा समूह एव मुण्डा भाषा समूह की बोलियाँ प्रचलित हैं।
- छत्तीसगढ़ की बोलियों को मुख्यतः तीन भाषा परिवारों में बांटा जाता है, ये 03 भाषा परिवार निम्न है-
- छत्तीसगढ़ी भाषा की उत्पत्ति का विकास क्रम
Chhattisgarh Ki Bhasha in Hindi
मुण्डा भाषा परिवार | द्रविड़ भाषा परिवार | आर्य भाषा परिवार |
प्राकमुण्डा | प्राक्द्रविड़ | अपभ्रंश |
गदबा कोरवा खड़िया विदोह नगेसिया मझवार खैरवारी कोरकु मवासी निहाली सौंता/तुरी मांझी | दोरला दंडामी माड़िया भंजिया अबूझमाड़िया धुरवी .कुडुख उरांव | अर्द्धमागधी मागधी उड़िया भतरी छत्तीसगढ़ी पूर्वी हिन्दी |
छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्न TOP MCQ GK
छत्तीसगढ़ी की भाषाओं के वर्गीकरण का आधार
- छत्तीसगढ़ी के रायपुरी और बिलासपुरी रूपों की पृथकता का मूल आधार शिवनाथ नदी है। इन दोनों संभागों की सीमा रेखा बनाती है।
- ग्रियर्सन ने बस्तरी को छत्तीसगढ़ी के वर्गीकरण में स्थान नहीं दिया है। बल्कि इसे मराठी से युक्त करते हुए छत्तीसगढ़ी, उड़िया तथा मराठी का एक मिश्रित रूप बताया है।
- खल्टाही एवं बस्तर का वर्गीकरण प्राकृतिक आधार पर किया गया है।
- सरगुजिया और सदरी कोरवा के विभाजन का आधार पर्वतमालाएं है ।
- बैगानी, बिंझवारी, कलंगा, भूलिया का वर्गीकरण के आधार जातिगत है।
छत्तीसगढ़ी भाषाओं का वर्गीकरण
ग्रियर्सन के अनुसार
- ग्रियर्सन ने भारत का भाषा सर्वेक्षण में भारतीय भाषाओं का सर्वोत्कष्ट विश्लेषण किया है। ग्रियर्सन ने हिंदी प्रदेश को पूर्वी हिंदी के अन्तर्गत केवल दो बोलियां अवधी और छत्तीसगढ़ी को शामिल किया है।
- उन्होंने छत्तीसगढ़ी का वर्गीकरण क्षेत्रीय एवं जातीय आधार पर किया है –
- ग्रियर्सन के भाषा सर्वेक्षण के अनुसार समस्त छत्तीसगढ़ी भाषियों की संख्या 37,55,343 थी।
गियर्सन ने छत्तीसगढ़ी को 9 भागों में विभाजित किया है:
- बिलासपुरी छत्तीसगढ़ी
- कवधई छत्तीसगढ़ी
- खैरागढ़ी छत्तीसगढ़ी
- खल्टाही छत्तीसगढ़ी
- सदरी कोरवा छत्तीसगढ़ी
- बैगानी छत्तीसगढ़ी
- कलंगा भूरिया छत्तीसगढ़ी
- बिंझवारी छत्तीसगढ़ी
- सरगुजिया छत्तीसगढ़ी
छत्तीसगढ़ी बोलियों का पंचमुखी वर्गीकरण
- वर्तमान में छत्तीसगढ़ी के अनेक क्षेत्रीय स्वरूप प्रचलित हो गए हैं जिन्हें हम निम्नानुसार वर्गीकृत कर सकते हैं
Q. Chhattisgarh kis Hindi ke Antargat Aata Hai – छत्तीसगढ़ किस हिंदी के अंतर्गत आती है
ANS: – पूर्वी हिन्दी / Purvi Hindi ki Boliyan
- केन्द्रीय छत्तीसगढ़ी – यह छत्तीसगढ़ी मानक हिन्दी के प्रभावों से युक्त है। इस पर स्थानीय बोलियों का प्रभाव अपेक्षाकृत कम पड़ा है। इसे ही कुल 18नामों से जाना जाता है जिनमें कवर्धाई, कांकेरी, खैरागढ़ी, बिलासपुरी, रतनपुरी, रायपुरी, धमतरी, पारधी, बहेलिया, बैगानी। इस समूह में प्रमुख मानी गयी है- छत्तीसगढ़ी।
- पश्चिमी छत्तीसगढ़ी – इस छत्तीसगढ़ी पर बुंदेली व मराठी का प्रभाव पड़ा है- कमारी, खल्टाही, पनकी, मरारी आदि इनमें आती हैं जिनमें सर्व प्रमुख है खल्टाही।
- उत्तरी छत्तीसगढ़ी – इस पर बघेली, भोजपुरी और उरांव जनजाति की बोली कुडुख का प्रभाव पड़ा है। इसमें कुल 5 नाम शामिल हैं- पण्डो, सदरी कोरवा, जशपुरी, सरगुजिहा व नागवंशी। इस समूह में प्रमुख मानी जाती है – सरगुजिहा।
- पूर्वी छत्तीसगढ़ी – इस पर उड़िया का व्यापक प्रभाव पड़ा है। इसमें कुल 6 नाम शामिल है- कलंगा, कलंजिया, बिंझवारी, भूरिया, चर्मशिल्पी, लरिया। इनमें सर्वप्रमुख है लरिया।
- दक्षिणी छत्तीसगढ़ी – इस पर मराठी, उड़िया और गोंड़ी का प्रभाव पड़ा है। इसमें कुल 9 नाम शामिल है- धाकड़, बस्तरी, मगरी, मिरगानी और हल्बी इनमें प्रमुख है हल्बी। उत्तरी छत्तीसगढ़ी सरगुजिहा, पण्डो, सदरी, कोरवा, जशपुरी, नागवंशी पश्चिमी छत्तीसगढ़ी कमारी, खल्टाही, पनकी, मरारी केन्द्रीय छत्तीसगढ़ी बिलासपुरी, रायपुरी, धमतरी, कांकेरी, बैगानी, खैरागढ़ी, बहेलिया, कवर्धाई, देवरिया पूर्वी छत्तीसगढ़ी लरिया,कलंगा, कलंजिया, बिंझवारी, भूरिया दक्षिणी छत्तीसगढ़ी हल्बी, धाकड़, बस्तरी, मगरी, मिरगानी
छत्तीसगढ़ राज्य लोकसेवा आयोग मुख्य परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों के मॉडल उत्तर
( CGPSC Mains Question Answer )
छ.ग. लोकसेवा आयोग मुख्य परीक्षा – 2017
प्रश्न-1. छत्तीसगढ़ की उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की बोली का नाम बताइए।
उत्तर- कोरकु, कोरवा, सदरी
प्रश्न-2. छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली द्रविड़ परिवार की एक बोली/भाषा का नाम बताइए।
उत्तर – कुडुख (अंक 1)
छ.ग. लोकसेवा आयोग मुख्य परीक्षा – 2016
प्रश्न-3. छत्तीसगढ़ के एक पूर्वी उपबोली का नाम बताइए। (अंक 1)
उत्तर- लरिया
प्रश्न-4. उराँव किस भाषा परिवार से संबंधित है? (अंक 1)
उत्तर – द्रविड़ भाषा परिवार
प्रश्न-5. छत्तीसगढ़ की भाषाई विविधता का कारण क्या है? (अंक 2)
उत्तर – भाषायी विविधता का कारण छत्तीसगढ़ की मध्यवर्ती वनाच्छादित जनजातीय बाहुल्य-बहुभाषी तत्वों की उपस्थिति है। पृथक राज्य स्थापना से पूर्व जनजातीय बोली विकास अल्पमात्रा में हुआ। राज्य स्थापना के पश्चात् ही छत्तीसगढ़ी के विकास की ओर ध्यान दिया गया। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ी को भाषायी आधार पर 5 क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया जो क्रमशः उत्तर में बघेली, भोजपुरी, भराही, उत्तर-पूर्व में झारखंडी (सद्री, नागपुरी) पूर्व में उड़िया, दक्षिण में तेलगु, पश्चिम में मराठी तथा उत्तर-पश्चिम में बुंदेली है।
वर्गीकरण से छत्तीसगढ़ी के विकास को प्रोत्साहन मिला क्योंकि प्रत्येक स्थानीय स्वरूप प्रासंगिकता और प्रचलन क्षमता से उसे प्रामाणिक और मानक दर्जा प्रदान करना आसान हुआ। इतना ही नहीं इससे भाषा के वर्गों, शब्दों और परिवर्ती चरणों के विकास यात्रा का ज्ञान भी हो सका। यह कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है इसे और अधिक प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है।
छ.ग. लोकसेवा आयोग मुख्य परीक्षा – 2015
प्रश्न-6. छत्तीसगढ़ी बोली है या भाषा? (अंक 5)
उत्तर भाषा ध्वनि और प्रतीकों की व्यवस्था है और बोली क्षेत्रीय स्तर की आंचलिकता से प्रभावित ध्वनियों और प्रतीकों की व्यवस्था दोनों ही इस आधार पर समान जान पड़ते हैं किन्तु भेद तब स्थापित होता है जब कोई भाषा आंचलिक दर्जे से ऊपर उठकर एक वृद्ध क्षेत्र की अभिव्यक्ति का माध्यम बन जाती है जैसे- हिन्दी, बंगाली, पंजाबी आदि।
छत्तीसगढ़ी भी आज अपने आंचलिक स्तर से ऊपर उठकर पूरे छत्तीसगढ़ की भाषा बनती जा रही है। राज्य के दूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में भी छत्तीसगढ़ी का विस्तार है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने इसके महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ राजभाषा (संशोधन) विधेयक 2007 द्वारा ‘छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजभाषा’ घोषित किया गया। जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ी का संरक्षण एवं संवर्धन करना व छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराना है।
निष्कर्षतः ऐसा कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ी के पास भाषायी दर्जे के पूर्ण स्वीकार्य आधार है किंतु मान्यता के अभाव ने छत्तीसगढ़ी को भाषा के दर्जे से दूर रखा है। अब समय है कि छत्तीसगढ़ी को भी भाषा का दर्जा प्रदान किया जाए ताकि यह युक्ति चरितार्थ हो सके-“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल”।
प्रश्न-7. आठवीं अनुसूची में शामिल होने पर छत्तीसगढ़ी को किस तरह का लाभ मिलेगा? (अंक 5)
उत्तर – भारत के बहु-भाषा-भाषी राष्ट्र की विशेषता ने भारत के संविधान निर्माताओं को एक ऐसी व्यवस्था के लिए बाध्य किया जिससे भारतीय भाषाओं को संरक्षण प्राप्त हो सके। परिणामस्वरूप आठवीं अनुसूची का प्रावधान किया गया जिसमें भारत की विभिन्न भाषाओं को संरक्षण प्राप्त हैं। समय-समय पर इस अनुसूची में अनेक भाषाओं को स्थान दिया गया। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा को भी इस अनुसूची में शामिल करने की मांग बलवती हुई। हाल ही में छत्तीसगढ़ की एक महिला सांसद छाया वर्मा ने राज्यसभा में ऐसी ही मांग रखी। इस अनुसूची में शामिल किए जाने पर छत्तीसगढ़ी को निम्न लाभ प्राप्त होंगे
- छत्तीसगढ़ी भाषा को ‘साहित्य अकादमी’ में पहचान मिलेगी।
- छत्तीसगढ़ी साहित्य का विस्तार होगा, छत्तीसगढ़ी में रोजगार पैदा होंगे व छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक विस्तार व संरक्षण हो सकेगा। .
- जनप्रतिनिधित्व की संस्थाओं जैसे-विधानसभा, लोकसभा व राज्यसभा में इसके प्रयोग की आधिकारिक पुष्टि होगी।
- संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में छत्तीसगढ़ी को भी स्थान मिलेगा। 5. केन्द्र द्वारा दिए जा रहे भाषा संबंधी अनुदान भी प्राप्त होंगे।
- छत्तीसगढ़ी, राज्य की अन्य बोलियों के आधार, विस्तार और संरक्षण की आधारशिला है। छत्तीसगढ़ी का संरक्षण अन्य बोलियों को भी संरक्षित करेगा।
- जिस प्रकार देश की अन्य भाषाओं पर वैश्विक-अंग्रेजी-भाषी साम्राज्यवाद स्थापित होने लगा है उसे भी चुनौती दी जा सकेगी।
प्रश्न-8. प्राथमिक कक्षा में छत्तीसगढ़ी माध्यम से अध्यापन का औचित्य। (अंक 2)
उत्तर – “जब से हमने अपनी भाषा का समादार छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।” राधिकारमण प्रसाद सिंह का यह कथन प्राथमिक कक्षा में छत्तीसगढ़ी माध्यम के औचित्य को स्पष्ट कर देता है। आज तथाकथित शिक्षित ‘छत्तीसगढ़ी भाषा’ को हेय दृष्टि से देखते हैं, छत्तीसगढ़ी भाषा से व्यक्ति के ज्ञान और चरित्र का आकलन करते हैं, इन तथाकथित शिक्षित लोगों के ये कुसंस्कार प्राथमिक कक्षाओं के बच् पर भी स्पष्ट देखा जाता है
क्योंकि इन बच्चों को ऐसे लोग ही शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। एक निम्नवर्गीय छत्तीसगढ़ी छात्र, पहले हिन्दी बोलने औ फिर अंग्रेजी बोलने व समझने में ही अपनी पूरी शक्ति लगा देता है। इसके स्थान पर यदि उसे छत्तीसगढ़ी में ही प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जात तो उसकी अभिव्यक्ति-क्षमता, भाषा शैली, तर्कणा शक्ति, विचार क्षमता, शब्द प्रवणता आदि का विकास बेहतर हो पाता, अतः आवश्यकता हैप्राथमिक कक्षा की जड़ों से ही छत्तीसगढ़ी भाषा को अध्ययन-अध्यापन का माध्यम बना दिया जाए।
प्रश्न-9. छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण पर आपके विचार। (अंक 2)
उत्तर – मानकीकरण का अभिप्राय है-एक ऐसा आधारभूत मानदण्ड या पैमाना जिस आधार पर किसी वस्तु अथवा तत्व को मापा जाए व उसे परिनिष्ठत प्रदान कर स्थापित किया जाए। जिस प्रकार हिन्दी की 17 बोलियों का परीक्षण कर एक मानक हिन्दी तैयार की गई ठीक इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के विभिन्न प्रचलित स्वरूपों का भाषायी व्याकरण, सामाजिक व प्रशासनिक स्वीकृति के आधार पर मानकीकरण किया जाना चाहिए। एक मानं छत्तीसगढ़ी सच में ‘गुरतुर बोली और गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के हित में है।
छ.ग. लोकसेवा आयोग मुख्य परीक्षा – 2014
प्रश्न-10. छत्तीसगढ़ की उत्पत्ति किस अपभ्रंश से हुई?
उत्तर- पूर्वी हिन्दी (अर्द्धमागधी)
प्रश्न-11. ओड़िया प्रभावित छत्तीसगढ़ी को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर- लरिया
छ.ग. लोकसेवा आयोग मुख्य परीक्षा – 2013
प्रश्न-12. छत्तीसगढ़ पर पार्श्ववर्ती भाषाओं/बोलियों का प्रभाव। (अंक 5 )
उत्तर पार्श्ववर्ती का अभिप्राय है-समीपस्थ। छत्तीसगढ़ भाषा आर्य-भाषा परिवार की ही भाषा है किन्तु राज्य के केन्द्रीय क्षेत्र में ही छत्तीसगढ़ी एक-समा बोली जाती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में इसके भिन्न-भिन्न पार्श्ववर्ती रूप प्रचलित हैं। इनके प्रभावों को निम्न बिन्दुओं से समझा जा सकता है1. केन्द्रीय छत्तीसगढ़ी और ओड़िया से मिलकर ‘लरिया’ तथा छत्तीसगढ़ी व मराठी के मिलन से ‘खल्टाही’ जैसी नवीन बोलियों का विकास हुआ |
- पार्श्ववर्ती बोलियों और भाषाओं ने छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण, नवीन शब्दों की स्वीकृति, छत्तीसगढ़ी के स्वरूप निरूपण में भी सहायता के है।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि पार्श्ववर्ती बोलियों और भाषाओं का छत्तीसगढ़ी के विकास में योगदान है किंतु इन नवीन आयामों के संरक्षण की परम आवश्यकता है।
प्रश्न-13. राजभाषा छत्तीसगढ़ी पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। (अंक 5)
उत्तर- राज्य स्थापना के लगभग 7 वर्ष बाद 28 नवम्बर 2007 को सर्वसम्मति से ‘छत्तीसगढ़ राजभाषा (संशोधन) विधेयक 2007’ पारित हुआ और हिन्दी के अलावा छत्तीसगढ़ी को भी सरकारी काम-काज की भाषा’ के रूप में स्वीकृति प्राप्त हुई। तब से उक्त दिवस छत्तीसगढ़ी दिवस के रूप में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ी के भाषायी अध्ययन, संरक्षण, प्रकाशन सुझाव तथा अनुशंसाओं के लिए ‘छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग’ की स्थापना की गई। जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध कराना, राजकाज में राजभाषा प्रयोग और त्रि-भाषायी प्राथमिक व माध्यमिक कक्षा के पाठ्यक्रमों में शामिल कराना है।
आयोग समय-समय पर प्रांतीय सम्मेलनों का आयोजन भी करती है। वरिष्ठ साहित्यकारों को उनकी कृति तथा छत्तीसगढ़ी सेवा के लिए ‘छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग सम्मान’ से सम्मानित भी किया जाता है। आयोग ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘पीजी डिप्लोमा इन फंक्शनल छत्तीसगढ़ी’ का पाठ्यक्रम आरंभ करवाया।
अंबिकापुर में छत्तीसगढ़ी संगोष्ठी आयोजित की गई। फिर भी आयोग ने हाल ही की घटनाओं जैसे-छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रचालन हेतु हुए विवाद में उदासीनता का परिचय दिया अतः आयोग को न केवल छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के लिए समर्पित होना चाहिए अपितु छत्तीसगढ़ी राजभाषा प्रचलित आधुनिक माध्यमों पर भी सम्यक् ध्यान देना चाहिए ताकि यह सीख राज्य के जन-जन का दर्शन बन जाए- “छत्तीसगढ़ी बोलने में शर्म नहीं गर्व होना चाहिए।”
प्रश्न-14. छत्तीसगढ़ी साहित्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालिए। (अंक-02)
उत्तर छत्तीसगढ़ी साहित्य की विकास यात्रा ईसा पूर्व छठी शताब्दी के शिलालेखों से वर्तमान तक विस्तृत है। इस यात्रा में डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के अनुसार 3 महत्वपूर्ण पड़ाव : गाथायुग (संवत् 1000 से 1500), भक्तियुग (1500 से 1900), आधुनिक युग (संवत् 1900 से वर्तमान तक) में विभाजित है जहां गाथायुग प्रेमप्रधान नारी गाथाओं, तंत्र-मंत्रों के निहितार्थों से युक्त है व भक्तियुग वीर-शृंगार रस, भक्ति प्रधान रचनाओं से परिपूर्ण है, वही आधुनिक काल साहित्य की सभी वर्तमान विधाओं को समाहित किए हुए है।
अब बात समकालीन साहित्यों की- समकालीन छत्तीसगढ़ी साहित्य अनेक रचनाकारों से युक्त है जिन्होंने वर्तमान बदलते सूचना प्रौद्योगिकी के युग में भी अपनी प्रासंगिकता को निरंतर स्थान दिलाया है। चाहे वह दानेश्वर शर्मा की ‘बेटी के बिदा’ हो या श्यामलाल चतुर्वेदी की ‘पर्रा भर लाई इनमें लोक समस्याओं और बदलती सामाजिक मान्यताओं पर आक्षेप, व्यंग्य और सीख छत्तीसगढ़ी साहित्य की संभावनाओं के साक्षी हैं। समय-समय पर प्रकाशित होने वाले विभिन्न समाचार पत्रों के छत्तीसगढ़ी आलेख निरंतर साहित्य को प्रोत्साहित कर रही हैं। छत्तीसगढ़ी साहित्य में रोजगार सृजन की संभावना ने भी विकास के नए द्वार खोले हैं। आवश्यकता है, साहित्य को बदलते आधुनिक तकनीकी और भाषायी आयामों के अनुसार प्रासंगिकता प्रदान करने की ताकि ये संभावनाएं निरंतर वास्तविकता का रूप लेती रहें।
छ.ग. लोकसेवा आयोग मुख्य परीक्षा – 2012
प्रश्न-15. छत्तीसगढ़ी में मराठी के प्रभाव के एक शब्द को निर्दिष्ट कीजिए। (अंक 1)
उत्तर- मन
प्रश्न-16. छत्तीसगढ़ी में ओड़िया के प्रभाव के एक शब्द को निर्दिष्ट कीजिए। (अंक 1)
उत्तर –
प्रश्न-17. छत्तीसगढ़ी में उर्दू के प्रभाव के एक शब्द को निर्दिष्ट कीजिए। (अंक 1)
उत्तर
प्रश्न-18. पूर्वी हिंदी में छत्तीसगढ़ी के साथ कौन-सी दो बोलियाँ सम्मिलित है? (अंक 1)
उत्तर- अवधी एवं बघेली
प्रश्न-19. ‘छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य’ और ‘शिष्ट साहित्य’ में अंतर बताइए।
उत्तर- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है “लोक का अभिप्राय उस समस्त जनता से है जिनके व्यावहारिक ज्ञान का आधार पोथियाँ नहीं है”। स्पष्ट है छत्तीसगढ़ के वे समस्त निवासी जिनके व्यावहारिक ज्ञान और साहित्य कौशल का आधार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित साहित्य नहीं है। उनका आधार उनकी स्थानीय बोली, रंग-ढंग पहनावा, प्रचलित मुहावरे, लोकोक्तियां और जनउले/ पहेलियां इत्यादि हैं। इस प्रकार छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य ऐसी रचनाएं हैं जिसने शास्त्रीय सिद्धांतों, परिष्कृत शब्दों के स्थान पर भाषा की सहजता और लोकस्वरूप को बनाए रखा है।
इसके विपरीत शिष्ट साहित्य संभ्रात, आचरण व्यवहार में निपुण, बुद्धिमान साहित्यकारों की रचना होती है। शिष्ट साहित्य के संबंध में प्रचलित मत है कि वह अपनी मूल प्रेरणा से गतिशील होती है। शिष्ट साहित्य की प्रवृत्ति संस्कार और परिष्कार की है। यद्यपि शिष्ट साहित्य की सभी विधाओं की कहानी, नाटक आदि का उद्भव और विकास लोक साहित्य के विभिन्न रूपों से ही होता है।
- छत्तीसगढ़ी पर ओड़िया का प्रभाव जिस क्षेत्र में पड़ा है, वह काम है –[CGPSC(Pre.)2019]
(A) उत्तरी
(B) दक्षिणी के
(C) पूर्वी
(D) पश्चिमी
उत्तर- (C)
- छ.ग. की प्राचीन भाषा का नाम क्या था ? [CG PSC(Pre)2016]
(A) हल्बी
(B) अवधी
(C) कोसली
(D) महाकान्तरी
(E) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- c
- ‘कुइँख’ या ‘उराँव’ किस भाषा-परिवार के अंतर्गत आती है? [CGPSC(Pre.)2019]
(A) आर्य
(B) द्रविड़
(C) आग्नेय
(D) तिब्बती-चीनी
उत्तर- (B)
- निम्नलिखित में से पूर्वी छत्तीसगढ़ी के अंतर्गत आती है : [CGPSC(Pre.)2019)
(A) खल्टाही
(B) पंडो
(C) लरिया
(D) बैगानी
उत्तर- (C)
- कुडुख बोली कौन बोलते हैं ? [CGPSC(Pre.)2019]
(A) कोरवा
(B) कोंध
(C) कमार
(D) उरांव
(E) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (D)
- कुई बोली कौन बोलते हैं ?
(A) कोंध
(B) कमार
(C) कोरवा
(D) कंवर
(E) इन विकल्पों में से कोई नहीं
उत्तर- (A)
[CG PSC(AP)2017]
- बैगानी बोली कौन बोलते हैं ?[CG PSC(AP)2017]
(A) कोरवा
(B) कोरकू
(C) कमार
(D) गोंड़
(E) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (E)
- छ.ग.के बस्तर जिले में बोली जाने वाली इंडो आर्यन भाषा है .[CGPSC(Pre.)2018)
(B) गोंडी
(D) कांगड़ी
(A) हल्बी
(C) डोंगरी
(E) भोजपुरी
उत्तर- (A)
- ‘भाषा’ शब्द किस भाषा की धातु से बना हैं ? [CG Vyapam(LOI)2018]
(A) प्राकृत की ‘भाष’ धातु से
(B) अपभ्रंश की ‘भाष’ धातु से
(C) संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से
(D) पालि की ‘भाष्’ धातु से
उत्तर- (C)
- निम्नलिखित में से कौन-सी जोड़ी (छत्तीसगढ़ की बोलियां एवं उनके क्षेत्र) सम्मिलित नहीं है ?
(A) खल्हाटी रायगढ़
(B) लरिया महासमुंद, सरायपाली
(C) बिंझवारी जशपुर, सरगुजा
(D) बस्तरिहा बस्तर
(E) बैगानी कवर्धा, बिलासपुर
उत्तर- ( )
- हल्बी बोली के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(A) सरगुजा
(B) बस्तर
(C) अम्बिकापुर
(D) रायगढ़
उत्तर- (B)
- छत्तीसगढ़ी बोली के संबंध में कौन-सा क्षेत्र सत्य है ? [CG PSC(Asst.Geologist)2011]
(A) इसका उद्गम अवधी और ब्रजभाषा के सम्मिश्रण से हुआ है
(B) मागधी के लक्षणों के प्रयुक्त होने से इसे अर्धमागधी कहा गय
(C) यह पूर्णतः द्रविड़ परिवार की बोली है।
(D) इसका प्रयोग प्राचीन के शिलालेखों में किया जाता है।
उत्तर- (B)
- भारतीय आर्य भाषाओं का विकास किस भाषा से हुआ है ?
(A) मागधी
(B) पालि
(C) अपभ्रंश
(D) शौरसेनी
(E) महाराष्ट्री
उत्तर-( )
- छत्तीसगढ़ी भाषा इस केंद्रीय भाषा समूह के अंतर्गत समाहित है [CG Vyapam 2019]
(A) मध्य हिन्दी
(B) पूर्वी हिन्दी
(C) पश्चिमी हिन्दी
(D) दक्षिणी हिन्दी
उत्तर- (B)