Chhattisgarh History | CG Me Kisan Andolan GK
बेगार विरोधी आंदोलन राजनांदगांव 1879
राजनांदगांव को 1857 की क्रांति के बाद सामंती राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। किसानों का शोषण एवं बेगार आरंभ हुआ। 1879-80 में सेवता ठाकुर ने बेगार के खिलाफ किसानों के हित में विद्रोह कर दिया, परंतु अंग्रेजों ने प्रशासन की सहायता से विद्रोह कोकुचल दिया।
डौंडीलोहारा किसान आंदोलन (1937-39)
- नेतृत्वकर्ता- नरसिंह प्रसाद अग्रवाल एवं सरयू प्रसाद अग्रवालविद्रोह डौंडीलोहारा के जमीदार एवं दीवान के द्वारा जंगलों से निस्तारित सुधा समाप्त किए जाने के विरोध में किया गया था।
- 3 वर्षों तक श्री अग्रवाल का संघर्ष- अंबागढ़ चौकी, पानाबरस (सफल आदालन) सहयोग- सरयू प्रसाद अग्रवाल, रत्नाकर झा, वली मोहम्मद।
- 94 व्यक्तियों की गिरफ्तारी, अग्रवाल बंधुओं को सिवनी जेल भेज दिया गया।
- 5 मई 1939 को कुसुमकसा में विशाल सभा (सरयू प्रसाद अग्रवाल)
- परिणाम- निस्तार नियम बनाए गए।
बेगार विरोधी आंदोलन
- कहा: राजनांदगांव (1879-80)
- कारण: किसानों का शोषण एवं बेगार
- नेतृत्वकर्ता : सेवता ठाकुर
डौंडीलोहारा किसान आंदोलन
कहा: दुर्ग (वर्तमान बालोद) 1937-39
कारण: वनों की निस्तारी सुविधा समाप्त करना
नेतृत्वकर्ता : नरसिंह प्रसाद अग्रवाल। इन्हें सरयू प्रसाद अग्रवाल तथा रत्नाकर झा का भी सहयोग मिला।
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छुईखदान रियासत में लगान बंदी आंदोलन 1939
छुई खदान एक छोटी रियासत थी, यहां पर किसानों का भरपूर शोषण व्याप्त था। दीवान की शोषण नीति से किसानों में तीव्र असंतोष व्याप्त था। रामनारायण मिश्र हर्षुल ने आंदोलन का नेतृत्व किया, गांधीजी के परामर्श के बाद इन्होंने आंदोलन को स्थगित कर दिया।
कांकेर में किसान आंदोलन 1944-45
कांकेर के दीवान द्वारा 1944 में नवीन भू राजस्व व्यवस्था लागू की गई। अंतर्गत लगान वसूली का कार्य ठेकेदारों के माध्यम से किया जाने लगा। लगान वसूली के नाम पर ठेकेदारों द्वारा किसानों पर अत्याचार किए गए। इंद्रा केवट ने इस आंदोलन का नेतृत्व करते हुए लोगों से लगान न देने का आग्रह किया।
सक्ती रियासत में विद्रोह 1947
तत्कालीन शासक लीलाधर की कृषि नीति से किसानों एवं गौटियों में असंतोष उत्पन्न हो गया।
लगानबंदी आंदोलन
- कहां : छुईखदान (1939)
- कारण : दीवान के द्वारा शोषण
- नेतृत्वकर्ता : रामनारायण मिश्र हर्षुल
- विशेष: गांधीजी से परामर्श लेने के पश्चात यह आंदोलन बंद कर दिया गया
किसान आंदोलन
- कहाँ : कांकेर (1944-45)
- कारण : : नवीन भूराजस्व व्यवस्था
- नेतृत्वकर्ता : इंद्रा कंवट
सक्ती रियासत में विद्रोह
- कहाँ : सक्ती (1947)
- कारण : : शासक लीलाधर सिंह की कृषि नीति
- नेतृत्वकर्ता : स्थानीय किसान व गौटिया