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छत्तीसगढ़ सहायक परियोजना क्षेत्रपाल पद हेतु CG VAPR 2021 syllabus
प्रश्नों की संख्या 150 प्रश्न, 3:00 घंटे, अंक 150
भाग 1 – छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान – 30 प्रश्न (30 अंक)
भाग 2 – भाषा (हिन्दी, अंग्रेजी एवं छत्तीसगढ़ी) – 40 प्रश्न (40 अंक)
भाग 3 – बुद्धिमता परीक्षण, विश्लेषणात्मक एवं तार्किक योग्यता – 40 प्रश्न (60 अंक)
भाग 4 – कृषि, वनस्पति शास्त्र, रसायन शास्त्र, वानिकी, भू-गर्भ विज्ञान, गणित, भौतिक एवं जीव-विज्ञान कुल – 60 प्रश्न (120 अंक)
कुल – 150 प्रश्न (150 अंक)
3. व्यापम द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा के अंतर्गत उम्मीदवारों को प्रश्न पत्र में कम से कम 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होगें। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के मामले में अर्हकारी अंक केवल 23 प्रतिशत होगें।
4. शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए आमंत्रित किये जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या, विज्ञापन में दिए गए रिक्त स्थानों की संख्या से लगभग तीन गुनी होगी। केवल वे उम्मीदवार, जिन्हें मण्डल द्वारा आयोजित परीक्षा में अर्ह घोषित किया जावेगा, वे शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए पात्र होगें। चयन सूची उम्मीदवार का चयन लिखित परीक्षा में प्राप्त कुल अंकों के आधार पर गुणानुक्रम एवं प्रवर्गवार किया जाएगा।
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पाठ्यक्रम :
भाग 1 छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान :
1. छत्तीसगढ़ का इतिहास एवं स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ का योगदान
2. छत्तीसगढ़ का भूगोल, जलवायु भौतिक दशाएं, जनगणना, पुरातात्विक एवं पर्यटन केन्द्र।
3. छत्तीसगढ़ का साहित्य, संगीत, नृत्य, कला एवं संस्कृति, जनऊला, मुहावरे, हाना एवं लोकोत्तियां ।
4. छत्तीसगढ़ की जनजातियां, विशेष परंपराएं, तीज एवं त्यौहार |
5. छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था, वन एवं कृषि ।
6. छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक ढांचा, स्थानीय शासन एवं पंचायती राज |
7. छत्तीसगढ़ में उद्योग, ऊर्जा, जल एवं खनिज संसाधन ।
8. छत्तीसगढ़ की समसामयिक घटनाएं।
भाग 2 – भाषा (हिन्दी, अंग्रेजी एवं छत्तीसगढ़ी)
(1) सामान्य हिन्दी भाषा बोध, संक्षिप्त लेखन, पर्यायवाची एवं विलोम शब्द, समोच्चरित शब्दों के अर्थ भेद, वाक्यांश के लिए एक सार्थक शब्द, संधि एवं संधि-विच्छेद, सामासिक पदरचना एवं समास-विग्रह, तत्सम एवं तद्भव शब्द, शब्द शुद्धि, वाक्य शुद्धि, उपसर्ग एवं प्रत्यय, मुहावरे एवं लोकोक्ति (अर्थ एवं प्रयोग), पत्र लेखन। हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल विभाजन एवं नामकरण, छत्तीसगढ़ के साहित्यकार एवं उनकी रचनाएं।
General English Comprehension, Precis Writing, Re arrangement and Correction of Sentences, Synonyms, Antonyms, Filling the Blanks Correction of Spelling, Vocabulary and usage, Idioms and Phrases. Tenses, Prepositions, Active Voice and Passive voice, Parts of Speech, Translation-English to Hindi, Letter writing
3 छत्तीसगढ़ी भाषा –
छत्तीसगढ़ी भाषा के ज्ञान, छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास अउ इतिहास, छत्तीसगढ़ी भाषा के साहित्य एवं प्रमुख साहित्यकार, छत्तीसगढ़ी के व्याकरण, हिन्दी ले छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़ी ले हिन्दी प्रशासनिक शब्दकोश।
भाग 3 -बुद्धिमता परीक्षण, विश्लेषणात्मक एवं तार्किक योग्यता
1. संचार कौशल सहित पारस्परिक कौशल |
2. तार्किक तर्क और विश्लेषणात्मक क्षमता।
3. निर्णय – निर्माण और समस्या निवारण।
4. सामान्य मानसिक योग्यता।
5. मुल संख्यात्मक कार्य (सामान्य गणितीय कौशल) (स्तर-कक्षा दसवी), आंकड़ों की व्याख्या (चार्ट, रेखांकन, तालिकाएं, आंकड़ों की पर्याप्तता इत्यादि) (स्तर-कक्षा दसवी)
भाग 4 – कृषि, जीव-विज्ञान एवं वनस्पति शास्त्र, रसायन शास्त्र, वानिकी, भू–गर्भ विज्ञान, गणित एवं भौतिक विज्ञान कृषि विज्ञान
- पारिस्थितिक विज्ञान एवं मानव के लिए उसकी प्रासंगिकता, प्राकृतिक संसाधन, उन्हें कायम रखने का प्रबंध तथा संरक्षण, फसलों के उत्पादन एवं वितरण के कारक के रूप में भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरण, फसलों की वृद्धि में जलवायुवीय मूल तत्वों का प्रभाव, पर्यावरण के संकेतक के रूप में सस्य क्रय पर परिवर्तनशील पर्यावरण का प्रभाव, फसलों, प्राणियों व मानवों के पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंध संकट।
- देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में सस्य क्रम में विस्थापन पर अधिक पैदावार वाली तथा अल्पावधि किस्मों का प्रभाव, बहु सस्यन, बहुस्तरीय, अनुपद तथा अंतरासस्यन की संकल्पना तथा खाद्य उत्पादन में इनका महत्व, देश के विभिन्न क्षेत्रों में खरीफ तथा रबी मौसमों में उत्पादित मुख्य अनाज, दलहन, तिलहन, रेशा, शर्करा, वाणिज्यिक एवं चारा फसलों के उत्पादन हेतु पैकेज रीतियां।
- विविध प्रकार के वनरोपण जैसे कि वन विस्तार, सामाजिक वानिकी, कृषि, वानिकी एवं प्राकृतिक वनों की मुख्य विशेषताएं, क्षेत्र तथा विस्तार ।
- खरपतवार, उनकी विशेषताएं, प्रकीर्णन तथा विभिन्न फसलों के साथ उनकी संबद्धता, उनका गुणन, खरपतवारों का कर्षण, जैविक तथा रासायनिक नियंत्रण।
- मृदा-भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणधर्म, मृदा रचना के प्रकरण तथा कारक, भारतीय मृदाओं का आधुनिक वर्गीकरण, मृदा के खनिज तथा कार्बनिक संघटक तथा मृदा उत्पादकता बनाये रखने में उनकी भूमिका, पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व तथा मृदा और पौधों के अन्य लाभकारी तत्व, मृदा, उर्वरता, मृदा उर्वरता के सिद्धांत तथा विवेकपूर्ण उर्वरक प्रयोग और समाकलित पोषण प्रबंध का मूल्यांकन, मृदा में नाईट्रोजन की हानि, जलमग्न धान-मृदा में नाईट्रोजन उपयोग क्षमता, मृदा में नाईट्रोजन यौगिकीकरण, मृदा में फास्फोरस एवं पोटेशियम का यौगिकीकरण तथा उनका दक्ष उपयोग, समस्या जनक तथा उनके सुधार के तरीके।
- जल विभाजन के आधार पर मृदा संरक्षण योजना, पर्वतीय, गिरीपादों तथा घाटियों में अपर्दन तथा अपवाह प्रबंधन, इनको प्रभावित करने वाले प्रक्रम तथा कारक, बारानी, कृषि और उससे संबंधित समस्याएं, वर्षा पोषित कृषि क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में स्थिरता लाने की प्रौद्योगिकी।
- सस्य उत्पादन से संबंधित जल उपयोग क्षमता, सिंचाई कार्यक्रम के मानदण्ड, सिंचाई जल की अपवाह हानि को कम करने की विधियां तथा साधन, ड्रिप तथा छिड़काव द्वारा सिचाई, जलाक्रांत भूमि से जल का निकास, सिंचाई जल की गुणवत्ता, मृदा तथा जल प्रदूषण पर औद्योगिक बहिस्त्रावों का प्रभाव।
- फार्म प्रबंध, विषम क्षेत्र, महत्व तथा विशेषताएं, फार्म आयोजना, संसाधनों का इष्टतम उपयोग तथा बजट बनाना, विभिन्न प्रकार की कृषि प्रणालियों की अर्थव्यवस्था।
- कृषि निवेशों और उत्पादों का विपणन और मूल्य निर्धारण, मूल उतार चढ़ाव और उनकी लागत, कृषि अर्थव्यवस्था में सहकारी संस्थाओं की भूमिका, कृषि के प्रकार तथा प्रणालियों और उसको प्रभावित करने वाले कारक।
- कृषि विस्तार, इसका महत्व और भूमिका, कृषि विस्तार कार्यक्रमों के मूल्यांकन की विधियां, सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण तथा छोटे बड़े और सीमांत कृषकों व भूमिहीन कृषि श्रमिकों की स्थिति, विस्तार कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रयोगशाला से खेतों तक का कार्यक्रम ।
- कोशिका सिद्धांत. कोशिका संरचना, कोशिका अंगक तथा उनके कार्य, कोशिका विमाजन, न्यूक्लिक अम्ल संरचना तथा कार्य, जीन संरचना तथा उनका कार्य, आनुवांशिकता के नियम तथा पादप प्रजनन में उनकी सार्थकता, गुणसूत्र (क्रोमोसोम) संरचना, गुणसूत्र विपथन, सहलग्नता एवं जीन विनिमय एवं पुर्नयोजन प्रजनन में उनकी सार्थकता, बहुगुणिता, सुगुणित तथा असुगुणित, सूक्ष्म एवं गुरू उत्परिवर्तन एवं फसल सुधार में उनकी भूमिका, विविधता, विविधता के घटक, वंशागतित्य, बंध्यता तथा असंयोज्यता, वर्गीकरण तथा फसल सुधार उनकी भूमिका, विविधता, विविधता के घटक, वंशागतित्व, बंध्यता तथा असंयोज्यता, वर्गीकरण तथा फसल सुधारने उनका अनुप्रयोग, कोशिका द्रव्यी वंशागति, लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित तथ लिंग सीमित लक्षण।
- पादप प्रजनन का इतिहास, जनन की विधियां, स्वनिषेचन तथा संकरण तकनीकें, फसली पौधों का उद्भव, उद्भव का केन्द्र, समजात श्रेणी का नियम, सस्य आनुवांशिक संसाधन – संरक्षण तथा उपयोग, प्रमुख फसलों के सुधार में पादप प्रजनन के सिद्धांतों का अनुप्रयोग, शुद्ध वंशक्रम वरण, वंशावली, समूह तथा पुनरावर्ती वरण, संयोजी क्षमता, पादप प्रजनन में इसका महत्व, संकर ओज एवं उसका उपयोग, प्रजनन की प्रतीपसंकरण विधि, रोग एवं पीड़क प्रतिरोध के लिए प्रजनन, अंतराजातीय तथा अंतरावंशीय संकरण की भूमिका, पादप प्रजनन में जैव बीज प्रौद्योगिकी की भूमिका, विभिन्न फसली पौधों की उन्नत किस्में, संकर, मिश्र ।
- बीज प्रौद्योगिक एवं उसका महत्व, विभिन्न प्रकार के बीज तथा उत्पादन एवं संसाधन की तकनीकें। भारत में बीज उत्पादन, संसाधन तथा विपणन में सरकारी एवं निजी क्षेत्र की भूमिका । शरीर क्रिया विज्ञान और कृषि विज्ञान में इसका महत्व, अंतः शोषण, पृष्ठ तनाव, विसरण और परासरण, जल का अवशोषण और स्थानांतरण, वाष्पोत्सर्जन और जल की मितव्ययिता एवं उपापचय के संदर्भ में पादप कार्यिकी के सिद्धांत, मृदा – जल पादप संबंध।
प्रकिण्व एवं पादप-वर्णक, प्रकाश संश्लेषण –– आधुनिक संकल्पनाएं और इसके प्रक्रम को प्रभावित करने वाले कारण, ऑक्सी व अनॉक्सी स्यषन, C3, C4 & CAM क्रियाविधियां, कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय, वृद्धि एवं परिवर्धन, दीप्ति कालिता एवं वसंतीकरण, ऑक्सिन, हार्मोन और अन्य पादप नियामक, इनकी क्रिया की क्रियाविधि तथा कृषि में महत्व, बीज परिवर्धन एवं अंकुरण की कार्यिकी, प्रसूप्ति जलवायुवीय आवश्यकताएं तथा प्रमुख फसलों, सब्जियों एवं पुष्पीय पौधों का कर्षण, पैकेज की रीतियां और उनका वैज्ञानिक आधार, फलों व सब्जियों के संभलाव तथा विपणन की समस्याएं, महत्वपूर्ण फलों तथा सब्जियों के उत्पादों के परिरक्षण की मुख्य विशेषताएं, संसाधन तकनीकें तथा उपस्कर, मानद पोषण में फलों व सब्जियों की भूमिका, शोभाकारी पौधों को उगाना, लॉन और बाग-बगीचों का अभिकल्पन तथा अभिविन्यास।
- भारत में सब्जियों फल उद्यानों और रोपण फसलों की बीमारियां और पीड़क (नाशक जीन), पादप पीड़कों तथा बीमारियों के कारण तथा वर्गीकरण, पादप पीड़कों एवं बीमारियों के नियंत्रण के सिद्धांत, पीड़कों और रोगों का जैविक नियंत्रण, पीड़कों व रोगों का समाकलित प्रबंधन, जानपदिक रोग, निदान एवं पूर्वानुमान, पीड़कनाशियों, संरुपण एवं क्रियाविधि, राईजोवियमी निवेश द्रव्य के साथ उनकी संगतता। सूक्ष्मजीवी अविष ।
- अनाज व दालों के भंडार पीड़क तथा रोग और उनका नियंत्रण।
- भारत में खाद्य उत्पादन तथा उपयोग की प्रवृत्तियां, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीतियां, उत्पादन प्राषण, वितरण तथा संशाधन के अवरोध, राष्ट्रीय आहार प्रतिमान से खाद्य उत्पादन का संबंध, कैलोरियों और प्रोटीन का विशेष कमियां ।
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जीव विज्ञान एवं वनस्पति शास्त्र
जन्तु पोषण – पोषण के प्रकार स्वपोशी, विधमपोषी, मृतोपजीवी, प्राणिसमभोजी तथा परजीवी। प्राणिसमभोजी, पोषण प्रक्रिया के प्रमुख पद। एक कोशिकीय जीव (अमीबा) एवं बहुकोशिकीय जीव (टिड्डा) में पाचन। मनुष्य का पाचन तंत्र एवं पाचन प्रक्रिया। प्रकाश संश्लेषण-परिभाषा प्रक्रिया के प्रमुख पद, प्रकाश अभिक्रिया एवं अंधकार अभिक्रिया प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक एवं प्रकाश-संश्लेषण संबंधी प्रयोग। श्वसन – परिभाषा जीव के श्वसन अंग, श्वसन एवं श्वासोच्छवास श्वसन के प्रकार, आक्सी श्वसन एवं अनाक्सी श्वसन, मनुष्य का श्वसन तंत्र एवं श्वसन प्रक्रिया (सामान्य जानाकरी) श्वसन गुणांक (R.0.) कार्बोहाइड्रेट वसा एवं प्रोटिन का। परिवहन – पोधों में जल एवं खनिज लवण का परिवहन, जन्तुओं में परिवहन (मानव के संदर्भ में) रूधिर की संधरना तथा कार्य हृदय की संरचना तथा कार्यविधि रूधिर वाहिनियों की संरचना तथा कार्य (प्रांरभिक ज्ञान) रूधिर का थक्का बनना, रूधिर समूह, रूधिर आधान, रूधिर बैंक लसीका तंत्र के कार्य। हृदय से संबंधित रोग। उत्सर्जन – पौधों में उत्सर्जन एवं उत्सर्जी पदार्थ जन्तुओं में उत्सर्जन एवं उत्सर्जी अंग मानव में उत्सर्जन तंत्र एवं उत्सर्जन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी). कृत्रिम वृक्क (डायलिसिस) परासरण नियंत्रण वृक्क से संबंधित रोग। नियंत्रण एवं समन्वय – पौधे एवं जन्तुओं में समन्वय पादप हार्मोन, मनुष्य का तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क की संचरना एवं कार्य, मेरूरज्जू की संरचना एवं कार्य प्रतिवर्ती क्रिया, अंत स्त्रावीग्रन्धियां, हार्मोन एवं कार्य। प्रजनन एवं वृद्धि प्रजनन के प्रकार, अलैंगिक प्रजनन, विखण्डन, मुकलन एवं पुनरूरभवन, कृत्रिम वर्षी प्रजनन, स्तरीकरण, कलम लगाना, ग्राफ्टिंग, अनिषेक प्रजनन, पौधों में लैंगिक प्रजनन अंग (पुष्प) की संरचना एवं प्रजनन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी) परागण, निषेचन। मानव प्रजनन तंत्र तथा प्रजनन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी) अनुवांशिकी एवं विकास- अनुवांशिकी एवं भिन्नताएं, अनुवांशिकता का मूल आधार गुण सूत्र एवं DNA (प्रारमिक जानकारी). जीन लिंग निर्धारण कार्बनिक विकास का प्रांरभिक ज्ञान (केवल ओपेरिन का सिन्द्धांत)
रसायन विज्ञान
रासायनिक अभिक्रिया की दर एवं रासायनिक साम्य-रासायनिक, अभिक्रिया की दर का प्रारंभिक ज्ञान, तीव्र एवं मंद रासायनिक अभिक्रियाएं. उत्क्रमणीय एवं अनुक्रमणीय रासायनिक अभिक्रियाएं, रासायनिक साम्य गतिक प्रकृति, अम्ल एवं क्षार pH पैमाना (सरल आंकिक प्रश्न) ऊष्माक्षेपी एवं उष्माशोषी अभिक्रियाएं। कुछ महत्तयपूर्ण रासायनिक यौगिक-गुण एवं उपयोग, बनाने की विधि, उत्पादन (जल, कपड़े धोने का सोड़ा, खाने का सोड़ा विरंजकचूर्ण एवं प्लास्टर ऑफ पेरिस) भवन निर्माण संबंधी कुछ पदार्थों का निर्माण-धुना, सीमेंट, कांच एवं इस्पात। धातुएं-आवर्त सारिणी में धातुओं की स्थिति एवं सामान्य गुण, धातु, खनिज अयस्क, खनिज एवं अयस्क में अंतर। धातुकर्म-अयस्कों का सांद्रण, निस्तापन, भर्जन, प्रगलन एवं शोधन, कॉपर एव आयरन का धातुकर्म, धातुओं का संक्षारण, मिश्र धातुएं। अधातुएं-आवर्त सारणी में अधातुओं की स्थिति एवं सामान्य गुण, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन की प्रयोगशाला, विधि गुण एवं उपयोग। कुछ महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक-ऐल्कोहल एवं एसिटिक अम्ल बनाने की प्रयोगशाला विधि, गुण एवं उपयोग, कुछ सामान्य कृत्रिम बहुलक, पॉलीथीन, पाली विनाइल क्लोराइड, टेपलान, साबुन एवं
वानिकी
सामान्य वन संवर्धन, वन संवर्धन प्रणाली, सदाबहार वन संवर्धन और ठंडे रेगिस्तान, पेड़ों क वन संवर्धन, कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी, संयुक्त वन प्रबंधन एवं ट्राईबोलॉजी, वन मृदा, मृदासंरक्षण एवं जलग्रहण प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधता (प्रदूषण सहित), वृक्ष सुधार एवं आंशिक प्रौद्योगिकी, वन प्रबंधन एवं प्रबंधन प्रणाली, वन कार्य आयोजन, वन क्षेत्रमिती एवं सुदूर संवेदन, वन सर्वेक्षण और अभियांत्रिकी, वन पारिस्थितिकी, जातीय वनस्पति, वन संसाधनों का उपयोग, वन संरक्षण एवं वन्यजीव विज्ञान, वन अर्थशास्त्र एवं विधान ।
भू-गर्म विज्ञान
सामान्य भू-विज्ञान- पृथ्वी की उत्पत्ति तथा आंतरिक संरचना का प्रारंभिक ज्ञान, रेडियो एक्टिव पद्धति से चट्टानों का तिथि निर्धारण, पृथ्वी की आयु, ज्वालामुखी उनके कारण तथा उत्पत्ति, ज्वालामुखी क्षेत्र, भूकंप उनके कारण, भू–गर्भीय प्रभाव तथा भूकम्पीय तथा ज्यालामुखी क्षेत्र का संबंध, भू-अभिनति तथा उनके वर्गीकरण, समस्थिति पहाड उनके आकार तथा उनकी उत्पत्ति, महाद्विपीय विस्थापना संबंधी संक्षिप्त विचार महाद्विपीय तथा महासागरों की उत्पत्ति ।
भू-आकृति विज्ञान- भू-आकृति विशिष्टता, स्थलाकृति, स्थलाकृतिक संरचनाओं तथा भू-आकृति विज्ञान से उसका संबंध, प्रमुख भू-आकृतियां, जल विकास पद्धति, भारतीय उप महाद्वीप का
संरचनात्मक भू-विज्ञान- वलन एवं भ्रंश उनका नामकरण, वर्गीकरण उन्हें पहचानना तथा दृश्यांशों पर उनका प्रभाव, संधि उनका वर्गीकरण तथा महत्व, विषयक विन्यास अतिव्याप्ति, अव्याप्ति, पुरान्त साथी तथा नवांत साथी, शल्कन तथा संरेखण की परिभाषा तथा वर्गीकरण, नवीन संस्तरों की अभिदिशा सुनिश्चित करने के लिये शीर्ष तथा अधस्थल कसौटी।
स्तरित शैल विज्ञान- स्तरिकी के सिद्धांत स्तरिक वर्गीरण तथा नाम पद्धति, मानक स्तरित माप, भारतीय उपमहाद्वीप के शैल समूहों का विस्तृत अध्ययन, भू-वैज्ञानिक अतीत के दौरान भारतीय उप महाद्वीप में जलवायु तथा अग्रिय कार्यकलापों का संक्षिप्त अध्ययन, पुराभौगोलिक पुनर्निर्माण।
खनिज विज्ञान– किस्टल रसायन के तत्व बधन के प्रकार, आयनिक रेडो समन्वय संख्या के प्रकार, समाकृति कूटरूपिता, सिलिकेटों संरचनात्मक वर्गीकरण, निम्नलिखित शैल निर्माणकारी खनिजों का भौतिकीय रासायनिक एवं प्रकाशीय गुणों के आधार पर अध्ययन जैसे फेल्सपार, पाइरोक्सीन, एम्पीबोल्स. अभ्रक, गार्नट, ऑलिवीन फेल्सपिथाइड, स्फटिक, केलसाइट, कायनाइड ऐन्डालूसाइट सिलेमेनाइट।
शैलीकीय विज्ञान– मैग्मा, इसका उत्पादन, मैग्मा की प्रकृति तथा संगठन, द्विआगी तथा त्रिआगी पद्धितियों के सरल अवस्था आरेख (डायग्राम) तथा उनका महत्व, बावेन की प्रतिकिया सिद्धांत, चुम्बकीय विभेदीकरण, स्यागीकरण, मैग्मा का गठन और संरचना तथा उनका शैल संबंधी महत्व, भू-आकृतिक विशेषताएँ
आग्नेय, शैलों का वर्गीकरण, महत्वूपर्ण शैल प्रकारों का शैलीय तथा शैल जनन महत्व । अवसादी शैलों के निर्माण की प्रकिया पसधनन तथा अध्यमीभवन, अवसादी शैलों का गठन संरचना तथा उनका महत्य, खण्डा तथा अखण्डजों अवसादी शैलों का वर्गीकरण। मूल अध्ययन में भारी खनित तथा इनका महत्व, सामान्य शैल प्रकारों का शैलकीय अध्ययन। कायान्तरण के परिवर्तन तत्व, कायान्तरण के प्रकार, कार्यान्तरी श्रेणियां क्षेत्र तथा संलक्ष्णी, कायान्तरी शैलों की गठन, संरचनाए तथा नाम पद्धतिया, महत्वपूर्ण शैल प्रकारों के शैलकीय तथा सौलोत्पत्ति।
आर्थिक भू-विज्ञान – अयस्क की धारणा, अयस्क खनिज तथा गैग. अयस्कों का औसत प्रतिशत, खनिज निक्षेपों के निर्माण की प्रकिया, अयस्क निक्षेपों के सामान्य आकृति तथा संरचनाएं, अयस्क निक्षेपों का वर्गीकरण, अयस्क निक्षेपण का नियंत्रण, महत्वपूर्ण धात्विक तथा आधात्विक निक्षेपों का अध्ययन, छत्तीसगढ़ एवं भारत की खनिज सम्पदा।
पूर्वेक्षण एवं अन्वेषण– पूर्वेक्षण एवं अन्वेषण की परिभाषाएं एवं पद्धति का वर्गीकरण, भू-वैज्ञानिक, भू-भौतिकी, भू-रासायनिक, अन्वेषण प्राथमिक पद्धति। अयस्क की मार्गदर्शक ।
थ्योडोलाइट सर्वेक्षण- थ्योडोलाइट के प्रकार, वर्नियर थ्योडोलाइट के विभिन्न भागों का वर्णन, थ्योडोलाइट से पहुंच एवं पहुंचविहीन स्थल की उंचाई एवं दूरी का मापन। थ्योडोलाइट से सतह एवं भूमिगत ट्रेवर्स, खुले एवं बंद ट्रेयर्स की पुष्टि, थ्योडोलाइट सर्वेक्षण में त्रुटि के स्त्रोत एवं उसके उपाय।
सुदूर संवेदन- सुदूर संवेदन की शब्दावली, सुदूर संवेदन आंकडों के लाभ एवं हानि, सेटेलाइट आंकड़ों को प्राप्त करने की रीति, सुदूर संवेदन से संबंधित हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर ।
गणित
प्राकृतिक/पूर्ण/पूर्णांक /परिमेय/अपरिमेय/वास्तविक संख्याओं पर आधारित संक्रियायें, संख्याओं का वर्ग, धन, गुणनखण्ड, वर्गमूल, धनमूल एवं घातांक नियम, महत्तम समापवर्तक और लघुत्तम समापवतयं, भिन्न संख्या एवं उनकी संक्रिया, औसत, चाल, समय, दूरी, बीजगणित-बीजगणित के मूलभूत नियमों/संक्रियाएं, एकचर एवं दो चर वाले रैखिक / युगपत समीकरण, औसत चाल, समय, दूरी, अनुपात-समानुपात, प्रतिशत, क्रय/विक्रय मूल्य, लाभ/हानि, साधारण एवं चक्रवृद्धि, ब्याज, रेखा एवं कोण, त्रिभुज, चतुर्भुज तथा वृत्त, गोला, बेलन, शंकु, घन, घनाभ।
भौतिक विज्ञान
ऊर्जा के स्त्रोत-ऊर्जा के नवीन स्त्रोत एवं पारस्परिक स्त्रोत, सौर ऊर्जा का स्त्रोत, सूर्य में ऊर्जा उत्पत्ति के कारण सौर तापन युक्तियां सोलर कुकर, सोलर सेल, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, बायोगैस, जीवाश्म ईधन, आदर्श इंधन, आदर्श ईंधन के गुणधर्म, नाभिकीय ऊर्जा, नाभिकीय विखंडन, संलयन, श्रृंखला अभिक्रिया, नाभिकीय रिएक्टर, उर्जा के लाभ व हानियां । प्रकाश-प्रकाश की प्रकृति, प्रकाश का परावर्तन, परावर्तन के नियम, समतल एवं वक्र सतह से परावर्तन, समतल, उत्तल एवं अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब रचना, फोकस दूरी तथा वक्रता त्रिज्या में संबंध, एक पिन विधि द्वारा अवतल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना, U-V-I में संबंध। प्रकाश का अपवर्तन –– अपवर्तन के नियम, कांच के गुटके द्वारा अपवर्तन, क्रांतिक कोण, पूर्ण आंतरिक परावर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन का दैनिक जीवन में उपयोग, लैंस (अभिसारी एवं अपसारी लैंस) परिभाषा, फोकस दूरी, प्रकाशिक केन्द्र, लैंस द्वारा प्रतिबिम्ब रचना, मानव नेत्र इसके दोष एवं निराकरण तथा फोटो ग्राफिक कैमरे और मानव नेत्र में तुलना, सरल सूक्ष्मदर्शी तथा खगोलीय दूरदर्शी, बनावट, उपयोग, कार्यविधि किरण आरेख (सूत्र की स्थापना नहीं)।
विद्युत और इसके प्रभाव – विद्युत तीव्रता, विभव-विभवांतर, विद्युत धारा ओम का नियम, प्रतिरोध, विशिष्ट प्रतिरोध, प्रभावित करने वाले कारक, प्रतिरोधों का संयोजन एवं इसके आंकिक प्रश्न, विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव, इसकी उपयोगिता, शक्ति एवं विद्युत ऊर्जा व्यय की गणना (आंकिक) विद्युत प्रयोग में रखी जाने वाली सावधानियां, विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव, प्रथामिक, द्वितीयक सेल, इनके गुण-दोष. लेकलांशी सेल, शुष्क सेल, सीसा संचायन सेल बनावट । विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव – विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाय, ओस्टेंड का प्रयोग, विद्युत चुम्बकीय प्रेरण, विद्युत मोटर, जनित्र की कार्यप्रणाली, सिद्धांत एवं उपयोग, प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा का सामान्य अध्ययन । गैसों में विद्युत विसर्जन, विसर्जन नलिका, कैथोड किरणें, x- किरणे एवं इनके गुणधर्म । चुम्बकत्व-चुम्बक एवं इसके प्रकार, कृत्रिम चुम्बक, चुम्बक बनाने की विधियों, चुम्बकत्व का आणविक सिद्धांत, धुम्बकीय विनाश, चुम्बकीय रक्षक, चुम्बकीय बल रेखाएं व उनके गुण तथा बल रेखाएं खींचना। भु-चुम्बकत्व, चुम्बकीय तूफान, चुम्बकीय एवं भागौलिक याम्योत्तर V.H.I. एवं 8 में संबंध।