छ.ग. में स्वतंत्र शिक्षा विभाग की स्थापना 1910 में हुई थी। |
1904 में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था कोनी (बिलासपुर) में स्थापित किया गया था।
छत्तीसगढ़ राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने का लक्ष्य 2020 तक रखा गया है।
रायपुर के बरौंडागांव के150 एकड़ क्षेत्र में स्थापित होने वाला नेशनल ब्यूरो ऑफ एबॉयोटिक्स स्ट्रीट सेंटर’ देश का 7 वें नम्बर का राष्ट्रीय शोध संस्थान है।
छ.ग. शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्रा की स्मृति में शिक्षक सम्मान स्थापित किया गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य में ओपन स्कूल जुलाई 2008 से प्रारम्भ है।
जुलाई 2001 से पढ़बो-पढ़ाबो, स्कूल जाबो’ कार्यक्रम बिलासपुर से प्रारम्भ हुआ है।
‘मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत आदिमजाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा नक्सल प्रभावित जिलों के हाईस्कूल उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए रायपुर मेंआवासीय विद्यालय प्रयास’ नाम से संचालित किया जा रहा है।
राज्य के बैगा जनजाति के बच्चों को उड़ान कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के सर्वोच्च स्कूलों में शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।
छ.ग. शासन की स्कूल जाबो पढ़केआबो’ परियोजना का लक्ष्य बच्चों को शालाओं में जाने हेतु प्रेरित करना है।
समतुल्यता कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के शिक्षा से वंचित लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए ‘हम होंगे पाँचवी पास’ कार्यक्रम राज्य में प्रारम्भ है।
थल सेना के अंतर्गत संचालित होने वाला काउंटर टेररिस्ट स्कूल छत्तीसगढ़ के बस्तर (जगदलपुर) जिले में प्रारंभ होने जा रहा है।
छ.ग. में एम.जी.एम.एल. शिक्षा पद्धति प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को कार्ड के माध्यम से पढाया जाना है। |
छत्तीसगढ़ राज्य में राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना के तहत पहली से तीसरी कक्षा तक की शिक्षा बाल श्रमिकों को दी जा रही है।
छ.ग. राज्य का प्रथम व एकमात्र मुक्त वि. वि. पं. सुन्दरलाल शर्मा के नाम पर है।
छ.ग. राज्य का प्रथम तकनीकि शिक्षा वि.वि. (भिलाई) स्वामी विवेकानंद के नाम पर है।
छ.ग. में शासकीय विश्वविद्यालयों की संख्या 12 है।
पं. रविशंकर शुक्ल वि.वि. (रायपुर) की स्थापना 1 मई 1964 में हुई थी।
राज्य के सर्वाधिक महाविद्यालय प.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं।
छत्तीसगढ़ में सामान्य शिक्षा का प्रथम विश्वविद्यालय पं. रविशंकर शुक्ल वि.वि., रायपुर है। |
छत्तीसगढ़ में प्रथम बार 15 दिसम्बर 2010 को पी.एच.डी प्रवेश की परीक्षा पं. रविशंकर
शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा ली गई है।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ. बाबूलाल सक्सेना थे।
इंदिरा कला एवं संगीत वि.वि. (खैरागढ़) की स्थापना 14 अक्टूबर 1956 में हुई थी।
गुरु घासीदास वि.वि. (बिलासपुर) की स्थापना 16 जून 1984 में हुई थी।
इंदिरा गांधी कृषि वि.वि. (रायपुर) की स्थापना 20 जनवरी 1987 में हुई।
राज्य का इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय देश में 26 वॉ नंबर का कृषि विश्वविद्यालय है।
छ.ग. के दानवीर दाऊ कल्याण सिंह ने 1700 एकड़ जमीन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को दान में दी थी।
कामधेनु पशु वि.वि. अंजोरा (दुर्ग) राज्य का प्रथम एवं देश का 12वाँ पशु वि.वि. है।
हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रायपुर वाई-फाई सिस्टम से कनेक्ट होने वाली प्रथम यूनिवर्सिटी है।
छत्तीसगढ़ का प्रथम केन्द्रीय वि.वि. गुरुघासीदास वि.वि. है।
केन्द्रीय वि.वि. गुरूघासीदास के प्रथम कुलपति होने का गौरव डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी को प्राप्त है।
छत्तीसगढ़ के प्रथम विधि विश्वविद्यालय हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 2004 में रायपुर में हुई।
‘छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय रायपुर का स्थापना वर्ष 2008 है।
बस्तर विश्वविद्यालय का स्थापना वर्ष 2008 है। बस्तर विश्वविद्यालय की प्रथम कुलपति डॉ. विजयलक्ष्मी ठाकुर है।
छ.ग. राज्य में सन् 2005 में स्थापित विवेकानंद तकनीकी वि.वि.भिलाई (दुर्ग) जिले में है।
देश का प्रथम निजी विश्वविद्यालय श्री रावतपुरा वि.वि. छ.ग. में स्थापित है। |
16 अप्रैल 2005 को रायपुर में राज्य के प्रथम पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय का उद्घाटन तत्कालिन प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी ने किया था।
निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना एवं उन पर नियंत्रण रखने हेतु राज्य विनियामक आयोग का गठन किया गया है, जिसके प्रथम अध्यक्ष डॉ. पी.सी. उपाध्याय है।
सरगुजा विश्वविद्यालय का स्थापना वर्ष 2008 है।
सरगुजा विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति एस. के. वर्मा है।
राज्य का कॉमर्शियल विश्वविद्यालय मोटियारीडीह (सिमगा) में बनना प्रस्तावित है।
वर्ष 2010-11 के शासकीय आँकड़ो के अनुसार राज्य में 165 शासकीय महाविद्यालय है।
राज्य के प्रथम महाविद्यालय छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर का स्थापना वर्ष 16.07.1938 है।
छत्तीसगढ़ का प्रथम राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी महाविद्यालय (NIT) रायपुर में है।
छत्तीसगढ़ का प्रथम पशु चिकित्सा एवं पशु महाविद्यालय गोकुलम-दुर्ग (अंजोरा) में है।
छत्तीसगढ़ का प्रथम दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय रायपुर में स्थित हैं।
छ.ग. के प्रथम आयुर्वेदिक महाविद्यालय की स्थापना रायपुर में हुई थी।
छ.ग. का प्रथम संगीत महाविद्यालय (कमलादेवी संगीत महा. रायपुर) है।
छत्तीसगढ़ का प्रथम इंजीनियरिंग महाविद्यालय जवाहरलाल नेहरू इंजीनियरिंग महाविद्यालय रायपुर का स्थापना वर्ष 1956 है।
छत्तीसगढ़ राज्य का प्रथम चिकित्सा महाविद्यालय जवाहरलाल चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर में खोला गया था।
छत्तीसगढ़ का प्रथम कृषि महाविद्यालय रायपुर में वर्ष 1961 में स्थापित किया गया था।
छ.ग. के प्रथम संस्कृत महाविद्यालय, रायपुर का शुभारंभ 02.10.1955 में हुआ था।
छ.ग. राज्य में प्रथम उद्यानिकी महाविद्यालय रायपुर नगर में प्रारंभ किया गया है।
16 जुलाई 2010 को राज्य का प्रथम व देश का 17वाँ मात्स्यिकी कॉलेज छ.ग. राज्य के कबीरधाम जिले में प्रारंभ हुआ है।
छत्तीसगढ़ के प्रथम महाविद्यालय प्राचार्य जे. योगानंदम थे।
छत्तीसगढ़ में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों की संख्या 03 है।
श्रीमती कुसुम सुधीश जांघव छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला इंजीनियरिंग स्नातक हैं।
दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगाँव के संस्थापक किशोरीलाल शुक्ल है।
गजानन माधव मुक्तिबोध ने दिग्विजय महा. में अध्यापन कार्य किया था।
रायपुर स्थित राजकुमार कॉलेज सन् 1893-94 से प्रारंभ हुआ है।
छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम ई-क्लास (इलेक्ट्रानिक क्लास)रायपुर जिले में प्रारंभ की गई थी।
छ.ग. शासन द्वारा यू.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर राज्य के अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के युवाओं को 1 लाख की राशि शैक्षणिक सहयोग हेतु प्रदाय की जाती है।
छ.ग. का नवीनतम नॉलेज पार्क रायपुर (उपरवारा के पास) में बनाया जा रहा है।
रायपुर में आई.आई.एम. (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट) का शुभारंभ 11.10.2010 से हुआ है।
रायपुर में स्थापित आई.आई.एम. देश का 10 वें नम्बर का प्रबंध संस्थान है।
प्रसिद्ध शारदा संगीत महाविद्यालय कवर्धा जिले में स्थित हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य में प्रथम ऊर्जा शिक्षा उद्यान की स्थापना रायपुर में की गयी हैं।
छ.ग. राज्य हिन्दी ग्रन्थ अकादमी का स्थापना वर्ष 2006 है।
छत्तीसगढ़ी काव्य का ‘भारतेन्दु’ पं. सुन्दरलाल शर्मा को कहा जाता है।
धनी धर्मदास को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रथम कवि माने गये है।
छ.ग. के पंडित रामदयाल तिवारी को छ.ग. का विद्यासागर’ कहते हैं।
गजानन माधव मुक्तिबोध को छ.ग. का नीलकण्ठ’ कहा जाता है।
छत्तीसगढ़ी गद्य-लेखन का शुभारंभ पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय ने किया था।
‘छत्तीसगढ़ का पाणिनी’ हीरालाल काव्योपाध्याय को मानते हैं।
प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे सन्देश’ के गीतकार हनुमंत नायडु है।
छत्तीसगढ़ी का प्रथम प्रबंध काव्य-ग्रंथ (खण्डकाव्य) दानलीला को माना जाता है।
प्रथम छत्तीसगढ़ी व्याकरण (1885) का सृजन हीरालाल काव्योपाध्याय ने की थी।
प्रथम छत्तीसगढ़ी नाटक ‘कलिकाल’ (1905) के लेखक पं. लोचनप्रसाद पाण्डेय है।
छत्तीसगढ़ी की प्रथम समीक्षात्मक रचना साहित्य अऊ साहित्यकार’ के लेखक विनय कुमार पाठक है।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष पं. श्यामलाल चतुर्वेदी थे। |
छ.ग. में हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानियों में एक टोकरीभर मिट्टी’ माधवराव सप्रेकी रचना है।
पं. मुकुटधर पांडेय को भारत शासन ने 1976 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था।
पं. बंशीधर पांडेय रचित छत्तीसगढ़ी उपन्यास ‘हीरु के कहिनी’1926 में प्रकाशित हुआ था।
छत्तीसगढ़ की प्रथम साहित्यिक संस्था ‘कवि समाज’ की स्थापना राजिम नगर में हुई थी।
छत्तीसगढ़ी व्याकरण’ का अंग्रेजी अनुवाद सर जार्ज ग्रियर्सन ने सन् 1890 में बंगाल एशियाटिक सोसायटीज जर्नल में प्रकाशित करवाया था।
छत्तीसगढ़ का प्रथम श्लोकबद्ध महाकाव्यमय इतिहास ‘कोसलानंद महाकाव्य’ की रचना सन् 1664 ई. में गंगाधर मिश्र ने की थी।
‘मिमियाती जिंदगी दहाड़ते परिवेश’, ‘बस्तर की लोककथाएँ एवं बस्तर का इतिहास’ लाला जगदलपुरी की कृतियाँ है।
‘फ्रांस राज्यक्रांति का इतिहास’, ‘लवंगलता (उपन्यास)’, ‘पंडितलोचन प्रसाद पांडे (जीवनी) आदि प्यारेलाल गुप्त की रचनाएं है।
‘महाराणा प्रताप’, ‘अफजल खाँ की तलवार’, ‘गांधी जी की नजर में हिन्दी आदि रचनाएं घनश्याम सिंह गुप्त के है।
लक्ष्मण मस्तूरिया की रचना मोर संग चलवरे’ (काव्य-संग्रह) है।
छत्तीसगढ़ राज्य के प्रसिद्ध जनकवि कोदूराम दलित हैं।
‘शतदल’ तथा ‘अश्रुदल’ काव्य-संकलन पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कृति हैं।
‘वह आदमी चला गया नया कोट पहनकर’ के रचियता विनोदकुमार शुक्ल हैं।
1910 में राष्ट्रबन्धु’ नामक पत्रिका ठाकुर प्यारेलाल ने प्रारंभ की।
छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का परिचय’ के लेखक श्यामाचरण दुबे है। |
पं. लोचनप्रसाद पाण्डेय का जन्म 1886 को जांजगीर-चाँपा केबालपुर ग्राम में हुआ था।
पं. मुकुटधर पांडेय का जन्म 1895 ई. में जांजगीर-चाँपाकेग्राम बालपुर में जन्म हुआथा।
प्रसिद्ध रचना झलमला’ के रचनाकार डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हैं।
‘तुलसी के बिरवा जगाय’ छत्तीसगढ़ी गीत के रचनाकार अमृतलाल दुबे हैं।
प्रसिद्ध साहित्यकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म खैरागढ़ में हुआ था।
‘हालैण्ड की स्वतंत्रता का इतिहास बैरिस्टर छेदीलाल ने लिखा था।
आयरलैण्ड का इतिहास’ ग्रंथ की रचना पं. रविशंकर शुक्ल ने की है।
स्वामी समर्थ रामदासरचित ‘दासबोध’ का मराठी से हिन्दी अनुवादमाधवराव सप्रेने किया था। |
बहुचर्चित उपन्यास ‘कालापानी’ के उपन्यासकार गुलशेर अहमदशानी है। |
‘गांधी मीमांसा’ पं. रामदयाल तिवारी की प्रसिद्ध कृति है।
बहुचर्चित गीत ‘सुरता के चन्दन केरचयिता हरि ठाकुर है।
स्वदेशी आंदोलन और बायकाट’ पं. माधवराव सप्रे की प्रसिद्ध कृति है।
माखनलाल चतुर्वेदी ने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ छत्तीसगढ़ केबिलासपुर जेल में रहकर लिखी थी।
लतीफ घोंघी व्यंग्य निबंध विधा के साहित्यकार थे।
कालिदास रचित ‘मेघदूत’ का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद पं. मुकुटधर पाण्डे ने किया था।
चांद का मुंह टेढ़ा है’ गजानंद माधव मुक्तिबोध की प्रसिद्ध कृति है।
प्रसिद्ध काव्यकृति ‘ब्रह्मराक्षस’ गजानंद माधव मुक्तिबोध की कृति है।
‘मुरिया एण्ड देयर घोटुल’ वेरियर एल्विन की कृति है।
माड़िया जनजाति पर दमारिया गोंड्स आफ बस्तर ग्रियर्सन की कृति है।
‘एक लड़की की डायरी’ गुलशेर अहमदशानी द्वारा रचित हैं।
क्रान्तिकारी कवि माने जाने वाले कवि गिरिवरदास वैष्णव बलौदाबाजार जिले के निवासी है।
‘कथा चक्र ‘भोला’ एवं ‘वे दिन’ नामक उपन्यास के रचियता गजानन माधव मुक्तिबोध है।
अमर कृति ‘साकेत संत’ के रचनाकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र है।
‘सियानी गोठ’ के रचनाकार हास्य कवि कोदूराम दलित हैं।
बिलासपुर में जन्मे, राज्यसभा के सदस्य भी रहे तथा मटका मेघ’ एवं ‘मगध’ जैसी रचनाओं के रचनाकार श्रीकांत वर्मा है।।
‘प्राचीन छत्तीसगढ़’ के लेखक प्यारेलाल गुप्त है।
‘सोन केमाली’, ‘सूरज नइ मरै’ एवं ‘मतवार’ जैसी प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी रचनाओं के रचनाकार नारायणलाल परमार है।
शिखर साहित्य पुरस्कार के प्राप्तकर्ता छत्तीसगढ़ के प्रमुख साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल हैं।
बस्तर भूषण के रचियता पं. केदारनाथ ठाकुर बस्तर में हिन्दी के प्रथम साहित्यकार थे।
देश में हिन्दी गजेटियर जैसी रचना के जनक पं. केदारनाथ ठाकुर थे।
‘राजिम’ डॉ. विष्णु सिंह ठाकुर की कृति है।
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि पिंगलाचार्य माखन महाकवि गोपाल के पुत्र थे।
‘द ब्लू ग्रोव’ में उराँव लोक साहित्य पर डब्लू. जी. आर्चर का दुर्लभ संग्रह है।
‘कौशल प्रशस्ति रत्नावली’ पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय की कृति है।
छ.ग. के हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2009 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था। |
‘भगवान विष्णु की भारत यात्रा’ त्रिभुवन पाण्डेय की कृति है।
प्रसिद्ध लोक साहित्यग्रंथ ‘मीट माई प्यूपिल’ देवेन्द्र सत्यार्थी का दुर्लभ संग्रह है।
‘मोला गुरू बनई लेते’ छत्तीसगढी प्रहसन के लेखक डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा हैं। |
मासिक पत्रिका दुलरवा का प्रकाशन ने पं. सुन्दरलाल शर्मा ने किया था।
पं. बंशीधर पांडेय हिन्दी, संस्कृत एवं उड़िया भाषा के दक्ष रचनाकार है।
छत्तीसगढ़ मे भगवती सेन को सर्वहारा कवि के रुप में जाने जाते हैं।
भारत की आदिवासी कला, छत्तीसगढ़ का विश्वकोष एवं भारत की लोककला एवं रंगमंच पर प्रकाशित प्रसिद्ध कृतियां निरंजन महावर की है। |
‘ए रोलर कोस्टर राइट व्हेन एन आई आईटियन मेट अ बिटशन गर्ल्स’ के लेखक सौमिल श्रीवास्तव है।
तीसरे बंदर की कथा, उड़ते उल्लू के पंख, तिकोने चेहरे व संकटकाल जैसी रचनाओं के लेखक लतीफ घोंघी है।