मनुष्य की सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ। नदियों के किनारे मानव ने इसलिए रहना आरंभ किया, ताकि उसे पानी आसानी से मिलता रहे। नदी के किनारे बसने पर खेती के लिए सिंचाई के साधन भी सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं।
मगर यही नदियां प्रत्येक वर्ष बाढ़ के रूप में भयानक विनाश-लीला का कारण बनती हैं। जब किसी नदी में भारी वर्षा के कारण आस-पास के नदी नालों से बहुत पानी आ जाता है,
तो नदी किनारों को तोड़कर बहने लगती है। इसी को बाढ़ कहा जाता है। बाढ को रोकने के लिए शताब्दियों से अनेकानेक प्रयास किए जाते रहे हैं – पुल और बांध बनाए जाते रहे हैं, मगर नदियों में आने वाली बाढ़ हर वर्ष एक-सी नहीं होती।
अतः कभी-कभी नदियों में अनुमान से ज्यादा पानी आ जाने से पुल और बांधों के ऊपर से पानी बहने लगता है, तब यह बाढ़ अधिक विनाश-लीला करती है। बाढ़ हमारे लिए लाभदायक भी है और नुकसानदेह भी। वे उपजाऊ मिट्टी बहा भी ले जाती हैं और छोड़ भी जाती हैं।