प्रतिहार (8वीं से 10वीं शताब्दी)
- a) प्रतिहारों को गुर्जर प्रतिहार भी कहा जाता था. ऐसा शायद इसलिए था क्योंकि ये मूलतः गुजरात या दक्षिण-पश्चिम राजस्थान से थे.
- b) नागभट्ट प्रथम, ने सिंध से राजस्थान में घुसपैठ करने वाले अरबी आक्रमणकारियों से पश्चिम भारत की रक्षा की.
- c) नागभट्ट प्रथम, के बाद प्रतिहारों को लगातार हार का सामना करना पड़ा जिसमें इन्हें सर्वाधिक राष्ट्रकूट शासकों ने पराजित किया.
- d) प्रतिहार शक्ति, मिहिरभोज, जो भोज के नाम से प्रसिद्द था, की सफलता के बाद अपना खोया गौरव पुनः पा सकी.
- e) उसके विख्यात शासन ने अरबी यात्री सुलेमान को आकर्षित किया था. f) मिहिरभोज का उत्तराधिकारी महेन्द्रपाल प्रथम था जिसकी प्रमुख उपलब्धि मगध और उत्तरी बंगाल पर अपना आधिपत्य था. उसके दरबार का प्रसिद्द लेखक राजशेखर था जिसने अनेक साहित्यिक रचनाएँ लिखी – 1) कर्पूरमंजरी, 2) बालरामायण,3) बाला और भरता, 4) काव्यमीमांसा
- g) महेन्द्रपाल की मृत्यु के साथ ही सिंहासन के लिए संघर्ष शुरू हो गया. भोज द्वितीय ने गद्दी कब्ज़ा ली लेकिन जल्द ही, सौतेले भाई महिपाल प्रथम ने खुद को सिंहासन वारिस घोषित कर दिया. राष्ट्रकूट शासक इन्द्र तृतीय के दक्कन वापसी से महिपाल को उसके आक्रमण से लगे घातक झटके से सँभलने का मौका मिला. महिपाल का पुत्र और उत्तराधिकारी, महेन्द्रपाल प्रथम अपने साम्राज्य को बनाये रखने में कामयाब रहा.
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