मगध राज्य का उत्कर्ष & Magadha साम्राज्य का इतिहास सामान्य ज्ञान

मगध राज्य का उत्कर्ष GK | मगध साम्राज्य GK

मगध का उदय महत्‍वपूर्ण तथ्‍य (Magadh Samrajya History)

rise of magadha empire in hindi

मुगल से जुड़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य और जानकारियां

  • मगध का उल्लेख पहली बार अथर्ववेद में मिलता है।
  • मगध के प्राचीन इतिहास की रूपरेखा महाभारत तथा पुराणों में मिलती है। इन ग्रन्थों के मुताबिक मगध के सबसे प्राचीन राजवंश का संस्थापक बृहद्रथ था।
  • बृहद्रथ जरासंध का पिता एवं वसु वैद्य-उपरिचर का पुत्र था।
  • मगध की आरम्भिक राजधानी वसुमती या गिरिव्रज (राजगृह) की स्थापना का श्रेय वसु को | दिया जाता है।
  • बृहद्रथ का पुत्र जरासंध एक पराक्रमी शासक था, जिसने अनेक राजाओं को पराजित किया।
  • अंततोगत्वा उसे श्रीकृष्ण के निर्देश पर भीम ने पराजित कर मार डाला।
  • रिपुंजय बृहद्रथ वंश का अंतिम शासक था। वह एक कमजोर और अयोग्य राजा था।  
  • बृहद्रथ वंश के बाद 545 ई.पू. में बिम्बिसार मगध की गद्दी पर बैठा। बिम्बिसार ह्येक वंश  का संस्थापक था।
  • बिम्बिसार को सेणिय अथवा श्रेणिक के नाम से भी जाना जाता था।  
  • बिम्बिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग राज्य को मगध में मिला लिया।
  • बिम्बिसार बौद्ध धर्म का अनुयायी था।
  • बिम्बिसार ने राजगृह का निर्माण कर उसे अपनी राजधानी बनाया। लगभग 52 वर्षों तक उसने मगध पर शासन किया।
  • प्रसिद्ध राजवैद्य जीवक बिम्बिसार का दरबारी था।
  • बिम्बिसार ने महात्मा बुद्ध के अस्वस्थ्य होने पर राजवैद्य जीवक उनकी सेवा में भेजा था।
  • बिम्बिसार ने वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उसने कोशल नरेश प्रसेनजीत की बहन से, वैशाली के चेटक की पुत्री चेल्लना से तथा पंजाब की राजकुमारी क्षेमभद्रा से शादी की।
  • बिम्बिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी और 493 ई.पू. में मगध की गद्दी पर बैठा।
  • अजातशत्रु को कुणिक उपनाम से भी जाना जाता था।
  • अजातशत्रु के शासनकाल में मगध साम्राज्यवाद का चरमोत्कर्ष हुआ और वह राजनीतिक सत्ता के शीर्ष पर पहुँच गया। अजातशत्रु ने लगभग 32 वर्षों तक मगध पर शासन किया। अजातशत्रु जैनधर्म का अनुयायी था।
  • अजातशत्रु के सुयोग्य मन्त्री का नाम वर्षकार (वरस्कार) था। इसी के सहायता से अजातशत्रु ने वैशाली पर विजय प्राप्त की।  
  • अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदयन ने 461 ई.पू. में कर दी और वह मगध की गद्दी पर बैठा।
  • उदयन ने पाटलीग्राम की स्थापना की, जो बाद में मगध की नई राजधानी बनी।
  • उदयन भी जैन धर्म का अनुयायी था।
  • ह्येक वंश का अंतिम राजा उदयन का पुत्र नागदशक था।
  • नागदशक को उसके अमात्य शिशुनाग ने 412 ई.पू. में अपदस्थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना की।
  • शिशुनाग के शासनकाल की सबसे प्रमुख घटना अवंती के साथ युद्ध है। शिशुनाग ने अवंती के अपने समकालीन शासक अवंतिवर्धन को युद्ध में परास्त कर अवंती पर अधिकार कर लिया और उसे मगध साम्राज्य का भाग बना दिया।
  • शिशुनाग ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापति की।
  • शिशुनाग के बाद काकवर्ण या कालाशोक मगध की गद्दी पर बैठा। कालाशोक ने पुनः राजधानी को वैशाली से पाटलिपुत्र ले आया।
  • कालाशोक के समय बौद्धों की दूसरी सभा वैशाली में हुई। |
  • शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था।
  • शिशुनाग वंश के पश्चात् 364 ई.पू. में मगध पर नन्द वंश की स्थापना हुई।
  • नन्द वंश का अंतिम शासक घनानन्द था। यह सिकंदर का समकालीन था।

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