मध्य प्रदेश वन्य-जीव अभयारण्य GK: Madhya Pradesh Wildlife
वन्य जीवन के मामले में मध्यप्रदेश बहुत ही समृद्ध राज्य है। वनस्पतियों और जीवों की समृद्धतम विविधता के साथ मध्यप्रदेश, भारत के ऐसे चुनिंदा राज्यों मे से एक है, जहां सैर करना प्रकृति-प्रेमियों के लिए एक रोचक अनुभव होता है।
मध्यप्रदेश सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी Madhya Pradesh Objective Question Answer Click NOW
मध्य प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान
- बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य
- कान्हा बाघ अभयारण्य
- पेंच बाघ अभयारण्य
- पन्ना बाघ अभयारण्य
- सतपुड़ा बाघ अभयारण्य
- माधव राष्ट्रीय उद्यान
- जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
- वन विहार राष्ट्रीय उद्यान
- बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य
मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय वन्य-जीव अभयारण्य प्रश्नोत्तरी CLICK NOIW
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वतमाला के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। यह खजुराहो से लगभग 237 कि.मी. और जबलपुर से 195 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पहले बांधवगढ़ के चारों ओर फैले जंगल का रख-रखाव रीवा के महाराजा के शिकारगाह के रूप में किया जाता था।
‘बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान’ अपने बाघों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। बाँधवगढ़ में बाघों की संख्या भारत में सबसे अधिक है। इस राष्ट्रीय उद्यान के महत्व और संभाव्यता को देखते हुए इसे 1993 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क’ में जोड़ा गया था। इस आरक्षित वन का नाम इसके मध्य में स्थित ‘बांधवगढ़ पहाड़ी’ (807 मीटर) के नाम पर रखा गया है, जो विन्ध्याचल पर्वत शृंखला और सतपुड़ा पर्वतश्रेणी के पूर्वी सिरे के बीच स्थित है और यह मध्य प्रदेश के शहडोल और जबलपुर ज़िलों में है।
जीव-जंतु
- इस अभ्यारण्य में 22 प्रकार के स्तनधारियों की प्रजातियाँ तथा 250 पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती है।
- यहाँ सामान्यत: लंगूर और रिसस बंदर प्राइमेट समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वन में पाए जाने वाले मांसभक्षियों में एशियाई भेडिया, बंगली लोमड़ी, स्लॉथ बीयर, रेटल, भूरे मंगूस, पट्टी दार लकड़बग्गा, जंगली बिल्ली, चीते और बाघ आदि जंगली जीव प्रमुख हैं।
- जंगली सुअर, चित्तीदार हिरण, सांभर, चौसिंघा, नील गाय, चिंकारा और गौर आदि भी पर्याप्त संख्या में यहाँ पाये जाते हैं।
- बांधवगढ़ अभ्यारण्य में पाए जाने वाले स्तनधारी हैं- डोल, छोटी भारतीय सीवेट, पाम गिलहरी और छोटे बेंडीकूट चूहे कभी कभार देखे जा सकते हैं।
- शाकाहारियों में केवल ‘गौर’ नामक जंतु ही इस अभ्यारण्य में पाया जाता है, जो चारा खाता है।
कान्हा बाघ अभयारण्य
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। ‘कान्हा अभयारण्य’ में घास के मैदान, साल के पेड़ और बांस । इस अभयारण्य में दुर्लभ बारहसिंगा भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता। वन्य जीवों के साथ-साथ इस अभयारण्य में पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
वन्य जीवन की सभी आश्चर्यजनक विविधता के साथ ‘कान्हा राष्ट्रीय उद्यान’ बाघ के निवास के लिए विशेष रूप में जाना जाता है। मध्य भारत मे ऊंचाईं पर बसा यह सबसे खूबसूरत स्थान मंडला और बालाघाट ज़िलों में स्थित है। सन 1935 से आज तक देश के सबसे पुराने अभयारण्यों में से एक होने के साथ इस स्थान के वन्य जीवन के संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है वनमंडल इस अभयारण्य के दो वनमंडल हैं- कोर क्षेत्र बफ़र क्षेत्र कान्हा राष्ट्रीय उद्यान’ का यह बाघ अभयारण्य 2051.74 वर्ग कि.मी. पर फैला है, जिसमें 917.43 वर्ग कि.मी. कोर, 1134.31 वर्ग कि.मी. बफ़र जोन और 110.74 वर्ग कि.मी. उपग्रह मिनीकोर क्षेत्र शामिल हैं। बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में मानवी गतिविधियाँ प्रतिबंधित की गई हैं और यहाँ बाघ को आजाद माहौल में घूमते हुए देखा जा सकता है।
‘कान्हा राष्ट्रीय उद्यान’ रेखांश 80 26 10 से 81 4 40 के बीच और अक्षांश 80 1 5 से 81 27 48 के बीच स्थित है. जीव-जंतु इस राष्ट्रीय उद्यान से बंजर और हेलॉन नदियाँ बहती हैं, जिनमें से हेलॉन बारहमासी है। यहाँ बनाई गई कई टंकीयाँ और बाँध भी वन्य जीवन के लिए पानी की आपूर्ति के प्रमुख स्रोत हैं। उद्यान के अंदर फैला हुआ वन प्रमुखता से उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती प्रकार का है। कान्हा में स्तनधारियों की 22 प्रजातियाँ है।
यहाँ के अन्य निवासियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, बारहसिंगा, काले हिरण, नील गाय और गौर जैसी हिरण और मृग की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। अन्य निवासियों में सुस्त भालू तथा जंगली कुत्तें, सियार और धारीदार लकड़बग्घें जैसे शिकारी शामिल हैं।
पक्षी यहाँ पक्षियों की 300 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मोर, इग्रेट (एक प्रकार के काले पक्षी), गाने वाले पक्षी, हरे कबूतर, गरुड़, बाज़, पेड़ पाई आदि शामिल है। जल पक्षियों को उद्यान में कई नाले और पूलों के पास देखा जा सकता है। यह उद्यान 16 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है। फ़रवरी और जून के बीच की अवधि कान्हा की यात्रा का आदर्श समय होता है। मानसून के मौसम में 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक यह उद्यान बन्द रखा जाता है।
पेंच बाघ अभयारण्य
‘पेंच’ नदी के नाम से बना और 1992 में गठित यह ‘पेंच बाघ अभयारण्य’ सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों के दक्षिणी इलाकों में स्थित है। यह 1179.362 वर्ग किमी पर फैला हुआ है, जिसके 411.33 वर्ग किमी क्षेत्र पर अभयारण्य का विस्तार है। यहां से बहती पेंच नदी इस अभयारण्य को छिंदवाड़ा और सिवनी, इन दो जिलों के बीच विभाजित कर देती है।
पन्ना बाघ अभयारण्य
मध्यप्रदेश के उत्तर मध्य भाग के वनीय क्षेत्र में पन्ना और छतरपुर जिलों के भीतर 1578.55 वर्ग किमी पर यह बाघ अभयारण्य स्थित है। पन्ना, छतरपुर और बीजार राज्य के तत्कालीन शासकों के शिकार के शौक के लिए वर्ष 1981 में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का गठन किया गया और 1994 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया। इस बाघ अभयारण्य के कुल 1578.55 वर्ग किमी क्षेत्र के 542.69 वर्ग किमी क्षेत्र पर पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, 87.53 वर्ग किमी क्षेत्र पर गंगाऊ वन्यजीव अभयारण्य और पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 30 किमी की दूरी पर 45.20 वर्ग किमी क्षेत्र पर केन घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य बसा है।
सतपुड़ा बाघ अभयारण्य
पंचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य’ और ‘बोरी वन्य जीवन अभयारण्य’ के साथ यह बाघ अभयारण्य 2133.30 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र पर फैला हुआ है। जैव सांस्कृतिक विविधता से संपन्न इस ‘सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान’ की स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी। इसके बाद से ही यहाँ कुछ दुर्लभ पौधे और पशु प्रजातियाँ पलने लगी।
राज्य का महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशन पंचमढ़ी, इसी ‘पंचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य’ के क्षेत्र में स्थित है। मध्यप्र देश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ भी (1352 मीटर) उद्यान के अंदर स्थित है। आम तौर पर पहाड़ी ढलानों वाला यह इलाका घने जंगलों के साथ गहरी और संकरी घाटियाँ, नालें, आश्रय घाटियों और पानी के झरनों से सजा हुआ है।
पचमढ़ी पठार पर स्थित उद्यान में लड़ाई, शिकार, पशु, समारोह और लोगों के दैनिक जीवन के चित्रण वाली 130 से अधिक धूमील गुफ़ाएँ हैं, जो पुरातात्वियों को आकर्षित करती है। इनमें से कुछ 10,000 से भी अधिक साल पुरानी होने का अनुमान हैं। यहाँ मंदिरों और किलेबंदी के कई खंडहर भी मौजूद हैं, जहाँ चौथी और पंद्रहवी सदी में गोंड जनजाति का निवास स्थान हुआ करता था। उद्यान की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवम्बर और जून के बीच है। मानसून के दौरान उद्यान बंद रहता है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान
माधव राष्ट्रीय उद्यान’ की स्थापना वर्ष 1958 में मध्य प्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी। यह उद्यान मूल रूप से ग्वालियर के महाराजा के लिए शाही शिकार का अभयारण्य था। इस उद्यान का कुल क्षेत्रफल 354.61 वर्ग कि.मी. है। ग्वालियर के माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण करते हुए सख्य सागर और माधव तालाब का निर्माण करवाया था, जो आज अन्य झरनों और नालों के साथ उद्यान के इकलौते बड़े जल निकाय हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1972 के ‘वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम’ के तहत और भी अधिक सुरक्षित बनाया गया है। यहाँ की ऊंचाई 360-480 मीटर के आस-पास है।
जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
मंडला जिले में कान्हा और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यानों के बीच स्थित यह स्थान जीवाश्मों से समृद्ध है, जो तकरीबन साठ लाख साल पुराने होने का अनुमान है। इन जीवाश्मों ने वनस्पति और जानवरों के जगत की विकास प्रक्रिया के रहस्यों को प्रकट करने में मदद की है। इस जीवाश्म उद्यान का प्रमुख स्थान ‘घुघ्वा’ है, जो 6.84 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है तथा तीन अन्य जुड़े स्थलों में, उमरिया-सिल्थेर (23.02 एकड़), देवरी खुर्द (16.53 एकड़) और बरबसपुर (21.35 एकड़) शामिल है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बड़े तालाब के निकट पहाड़ी पर स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान 445.21 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है। चिड़ियाघर प्रबंधन की आधुनिक अवधारणा के साथ शाकाहारी और मांसाहारी जीवों का ‘वन विहार राष्ट्रीय उद्यान’ प्राकृतिक निवास स्थान रहा है .