मदुरई के पाण्ड्य (छठी से 14वीं शताब्दी)
1) दक्षिण भारत में शासन करने वाले सबसे पुराने वंशों में से एक पाण्ड्य भी थे. इनका वर्णन कौटिल्य के अर्थशास्त्र और मेगस्थनीज के इंडिका में भी मिलता है.
Q. pandey vansh ka sansthapak ?
2) इनका सबसे प्रसिद्द शासक नेंडूजेलियन था जिसने मदुरई को अपनी राजधानी बनाया.
3) पाण्ड्य शासकों ने मदुरई में एक तमिल साहित्यिक अकादमी की स्थापना की जिसे संगम कहा जाता है. उन्होंने त्याग के वैदिक धर्म को अपनाया और ब्राम्हण पुजारियों का संरक्षण किया. उनकी शक्ति एक जनजाति ‘कालभ्र’ के आक्रमण से घटती चली गई.
4) छठी सदी के अंत में एक बार पुनः पांड्यों का उदय हुआ. उनका प्रथम महत्वपूर्ण शासक दुन्दुंगन (590-620) था जिसने कालभ्रों को परस्त कर पांड्यों के गौरव की स्थापना की.
5) अंतिम पांड्य राजा पराक्रमदेव था जो दक्षिण में विस्तार की प्रक्रिया में उसफ़ खान (मुह्हमद-बिन-तुगलक़ का वायसराय) द्वारा पराजित किया गया.