मृदा प्रदूषण gk नोट्स
mrida pradushan par nibandh | essay on soil pollution | मृदा प्रदूषण पर निबंध
मृदा प्रदूषण क्या है ? What is soil pollution
उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग विभिन्न प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न करता है जिनमे मृदा प्रदूषण जल प्रदूषण वायु प्रदूषण प्रमुख है
यह प्रदूषण विभिन्न प्रकार के फसलों के मन से मालय एवं पर्व के आहार श्रृंखला में भी पहुंचता है तथा विभिन्न प्रकार की समीर बीमारियों से मनुष्य एवं पशुओं को प्रश्न करता है। अधिक असायनिक उर्वरकों तथा जैवनाशकों के अवशेष, भूमि एवं भूमिगत जल संसाधनों को हानि पहुंचाते हैं। अकार्यनिक पोषक जैसे फीसकट तथा नाइट्रेट चुलकर जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में आ जाते हैं।
* यह जलीय परिस्थितिकी तंत्र में सुपोषण (Eutrophication) को बढ़ाते हैं। नाइट्रेट पेयजल को भी प्रदूषित करता है। वहीं दूसरी ओर अकार्बनिक उर्वरक तथा कीटनाशक अवशेष मृदा के रासायनिक गुणों को बदल देते हैं तथा भूमि के जीवों पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। खाद/उर्वरक बाल द्वितीय समुद्री प्रवाह की मात्रा वृद्धि समुद्री पारितंत्र Falk single की तरह चित्र : उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग के दुष्प्रभाव
उर्वरक, पीड़कनाशी, कीटनाशी और शाकनाशी मृदा के प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को नष्ट करके मृदा को बेकार कर देते है।
* रासायनिक उर्वरक मृदा के सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देते हैं। स्त्रों में रोपित किए ये जीव मृदा में नाइट्रोजन परिवर्तन का कार्य करते हैं। उर्वरक अनुर्वरता में वृद्धि करते हैं तथा मृदा की जलधारण क्षमता को घटा देते हैं। इनके कुछ अंश फसलों में चले जाते हैं, जो मानव के लिए मफलर का उपयोग भेद विष का कार्य करते हैं। कार्बोफ्यूरेन, मेतिल पैरातियॉन, फोरेट और ट्राइऐजोफॉस आदि का इस्तेमाल पीड़कनाशी या कीटनाशक (Pesticides) के रूप में कृषि में किया जाता है। इन रसायनों का खाद्य पदार्थों में संचय होने से मानव
स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ रहा है, जिसे देखते हुए गत वर्ष अनेक कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया गया था। उल्लेखनीय है कि 9 अगस्त, 2018 को अनुपम वर्मा समिति की सिफारिश के आधार पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 18 कीटनाशकों को भारत में प्रतिबंधित कर दिया। इन उत्पन्न करता 18 कीटनाशकों में क्रमशः 1 से 12 को तत्काल प्रभाव से तथा नमुख है।
* यह एवं पशुओं के गंभीर बीमारियों जर्बनिक उर्वरकों शेष 6 को 31 दिसंबर, 2020 से प्रतिबंधित किया गया है। ये 18
कीटनाशी हैं – (1) वेनोमाइल, (2) कार्बराइल, (3) डायजिनोन, (4) फेनारिमोल, (5) फॅथिऑन, (6) लिनुरॉन, (7) मेथॉक्सी एथिल साधनों को हानि घुलकर जलीय स्थितिकी तंत्र में को भी प्रदूषित मरकरी क्लोराइड, (8) सोडियम सायनाइड, (9) मेथिल पैराथियॉन, (10) थियोमेटॉन, (11) ट्राइडेमॉर्फ, (12) ट्राइफ्लूरेलिन, (13) अलाक्लोर, (14) डाइक्लोरचॉस, (15) फोरेट, (16) फॉस्फामिडॉन, (17) ट्राइऐजोफॉस तथा (18) ट्राइक्लोरफॉन।
* गत वर्ष जारी ‘इंडियन नाइट्रोजन एसेसमेंट रिपोर्ट (Indian Nitrogen Assessment Report) के अनुसार, वर्ष 2010 में भारत में नाइट्रोजन के ऑक्साइडों के उत्सर्जन के मामले में कृषि मृदाओं का योगदान 70 प्रतिशत से अधिक रहा था। मवेशियों (Cattle) द्वारा 80 प्रतिशत अमोनिया का उत्सर्जन किया गया, वहीं कुक्कुट उद्योग द्वारा वर्ष 2016 में 0.415 टन अभिक्रियाशील नाइट्रोजन यौगिक निर्मुक्त किया गया। उल्लेखनीय है कि नाइट्रोजन प्रदूषण अब वैश्विक स्तर पर गहन पर्यावरणीय चिंता का विषय बन रहा है। मार्च, 2019 में भारत के नेतृत्व में UNEA में नाइट्रोजन प्रदूषण पर एक प्रस्ताव भी लाया गया।
Soil Pollution MCQs
1. उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग से होता है-
(a) मृदा प्रदूषण
(b) जल प्रदूषण
(c) वायु प्रदूषण
(d) उपर्युक्त सभी
U.P.P.C.S. (Pre)2016
उत्तर-(d)
उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग विभिन्न प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न करता है। जिनमें मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण प्रमुख हैं। यह प्रदूषण विभिन्न प्रकार के फसलों के माध्यम से मानव एवं पशुओं के आहार श्रृंखला में भी पहुंचता है तथा विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों से मनुष्य एवं पशुओं को ग्रस्त करता है। अत्यधिक अकार्बनिक उर्वरकों तथा जैवनाशकों के अवशेष, भूमि एवं भूमिगत जल संसाधनों को हानि पहुंचाते हैं। अकार्बनिक पोषक जैसे फॉस्फेट तथा नाइट्रेट’ घुलकर जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में आ जाते हैं। यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में सुपोषण (Eutrophication) को बढ़ाते हैं। नाइट्रेट पेयजल को भी प्रदूषित करता है। वहीं दूसरी ओर अकार्बनिक उर्वरक तथा कीटनाशक अवशेष मृदा के रासायनिक गुणों को बदल देते हैं तथा भूमि के जीवों पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।
2. भारत में कार्बोफ्यूरेन, मेथिल पैराथियॉन, फोरेट और ट्राइऐजोफॉस के इस्तेमाल को आशंका से देखा जाता है। ये रसायन किस रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं?
(a) कृषि में पीड़कनाशी
(b) संसाधित खाद्यों में परिरक्षक
(c) फल-पक्कन कारक
(d) प्रसाधन सामग्री में नमी बनाए रखने वाले कारक
उत्तर-(a) I.A.S. (Pre) 2019
4.खेती के लिए फसल चक्र का क्या महत्व है?
(a) इससे उत्पादन में वृद्धि होती है
(b) मृदा की उर्वरता संरक्षित रहती है
(c) मृदा कटाव कम होता है
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(d)
U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2020
फसल चक्र किसी निश्चित क्षेत्र पर एक निश्चित अवधि तक फसलों को इस प्रकार हेर-फेर कर बोना जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखकर अधिक उत्पादन ले सके फसल-चक्र कहलाता है। फसल-चक्र के लाभ निम्नवत है- • खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि। पोषक तत्वों तथा नमी का संतुलन। दलहनी फसलों से मृदा की भौतिक दशा में सुधार। भूमि में जैव पदार्थ की पर्याप्तता। खर-पतवार, कीटों तथा रोगों का नियंत्रण। • फसलों की अधिक पैदावार। फसल उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि। उपलब्ध साधनों का क्षमतापूर्ण उपयोग।